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 Jharkhand Board Class 10  Civics  Notes | लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी       

  JAC Board Solution For Class 10TH ( Social science ) Civics Chapter 1

                       (Power Sharing in Democracy)

                                 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. भारतीय संदर्भ में सत्ता की साझेदारी के लिए एक युक्तिपरक
तथा एक नैतिक कारण दें।                                      [NCERT]
उत्तर―(i) भारत एक बहुसांस्कृतिक समाज है।
(ii) भारत एक लोकतांत्रिक देश है।

प्रश्न 2. सत्ता की साझेदारी के लिए युक्तिपरक तर्क का वर्णन करें।
उत्तर―सत्ता का बँटवारा ठीक है क्योंकि इससे विभिन सामाजिक समूहों के
बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है। चूंकि सामाजिक टकराव आगे बढ़कर
अक्सर हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेता है इसलिए सत्ता में
हिस्सा दे देना राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा है । बहुसंख्यक
समुदाय की इच्छा को बाकी सभी पर थोपना तात्कालिक तौर पर लाभकारी लग
सकता है पर आगे चलकर यह देश की अखंडता के लिए घातक हो सकता है।
बहुसंख्यकों का आतंक सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए ही परेशानी पैदा नहीं करता।
अक्सर यह बहुसंख्यकों के लिए भी बर्बादी का कारण बन जाता है।

प्रश्न 3. सत्ता की साझेदारी के नैतिक कारण का उल्लेख करें।
उत्तर―सता की साझेदारी दरअसल लोकतंत्र की आत्मा है। लोकतंत्र का
मतलब ही होता है कि जो लोग इस शासन व्यवस्था के अंतर्गत हैं, उनके बीच
सत्ता को बाँटा जाए और ये लोग इसी डर से रहें । सत्ता की साझेदारी के मूलभूत
सिद्धांत हैं―
(i) विभिन्न राजनीतिक दलों की सरकार अर्थात् गठबंधन सरकार ।
(ii) अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा ।
(iii) सता का विकेन्द्रीकरण ।

प्रश्न 4. सत्ता की साझेदारी क्या है?
उत्तर―सना की साझेदारी एक नीति है जिसके अंतर्गत देश के शासन में
समाज के सभी प्रमुख समूहों को सत्ता का एक स्थायी भाग प्रदान किया जाता
है। जातीय तथा सांस्कृतिक विभिन्नताओं के कारण विभाजित समाज में झगड़े
सुलझाने का यह एक सामर्थ्यवान हथियार है। इसमें राजनीतिक आयोजन की
व्यापक रूप से व्यवस्था होती है जिसमें समाज के प्रमुख तत्त्वों को शासन में
उचित स्थान व सम्मान दिया जाता है। यह सत्ता के संयुक्त प्रयोग पर विश्वास
करता है जहाँ सभी प्रमुख दलों को शासन में स्थायी भाग दिया जता है।

प्रश्न 5. लोकतंत्र तथा सत्ता की साझेदारी में क्या संबंध है?
उत्तर―लोकतंत्र का अर्थ है कि प्रत्येक नागरिक को अपने निर्वाचित
प्रतिनिधि के द्वारा निर्णय लेने का अधिकार तथा सत्ता देना । सत्ता की साझेदारी
का अर्थ है कि शासन में समान प्रतिनिधित्व देने के लिए विभिन्न सामाजिक दलों
में सत्ता को विभाजित करना । सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र की आत्मा है, जिसमें
सांस्कृतिक तथा भाषा के भेदभाव के बिना सभी लोगों को राजनीतिक व्यवस्था
में शामिल किया जाता है।

प्रश्न 6. श्रीलंका की जातीय बनावट कैसी है?
उत्तर―श्रीलंका की जनसंख्या में बहुत विविधता है। सिंहली समुदाय
बहुसंख्यक है (74%), फिर तमिलों का नंबर है, जिनकी आबादी कुल जनसंख्या
में 18% है। ये द्वीप के उत्तर तथा पूर्वी प्रांतों में आबाद हैं। अन्य समुदायों में
मुस्लिम सम्मिलित है। तमिलों में दो उप-समूह हैं। देश के तमिल निवासी
श्रीलंकाई तमिल (13%) कहलाते हैं।
औपनिवेशिक शासन काल में बागानों में काम करने के लिए भारत से लाए
गए लोगों की संतान को भारतीय मूल के तमिल (50%) कहते हैं।
अधिकतर सिंहली-भाषी बौद्ध हैं जबकि तमिल भाषी लोगों में कुछ हिन्दू हैं और
कुछ मुसलमान । ईसाई लोगों का हिस्सा 7% है, जो तमिल तथा सिंहली दोनों हैं।

प्रश्न 7. बहुसंख्यकवाद को प्राप्त करने के लिए श्रीलंकाई सरकार द्वारा
उठाए गए चार कदमों का उल्लेख करें।
उत्तर―(i) 1956 में श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र जिसके तहत तमिल को दरकिनार
करके सिंहती को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया।
(ii) विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता देने
की नीति भी चली।
(iii) नए संविधान में यह प्रावधान भी किया गया कि सरकार बौद्धमत को
संरक्षण तथा बढ़ावा देगी।
(iv) श्रीलंकाई तमिलों को नागरिकता से अलग रखा।

                            दीर्घ उतरीय प्रश्नोतर

प्रश्न 1. सत्ता की साझेदारी क्यों जसरी है ? (JAC 2013 (4), 2016
उत्तर―(i) टकराव को रोकने के लिए―सता की साझेदारी जरूरी इसलिए
है क्योंकि इससे सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है।
चूँकि सामाजिक टकराव आगे बढ़कर अक्सर हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का
रूप ले लेता है इसलिए सत्ता में हिस्सा दे देना राजनैतिक व्यवस्था के स्थायित्व
के लिए अच्छा है। बहुसंख्यक समुदाय की इच्छा को बाकी सभी पर थोपना
तात्कालिक तौर पर लाभकारी लग सकता है पर आगे चलकर यह देश की
अखंडता के लिए घातक हो सकता है। बहुसंख्यकों का आतंक सिर्फ अल्पसंख्यकों
के लिए ही परेशानी पैदा नहीं करता, अक्सर यह बहुसंख्यकों के लिए भी बर्बादी
का कारण बन जाता है।

(ii) लोकतंत्र की आत्मा―सता की साझेदारी वास्तव में लोकतंत्र की
आत्मा है। लोकतंत्र का अर्थ ही होता है कि जो लोग इस शासन-व्यवस्था के
अंतर्गत हैं, उनके बीच सत्ता को बाँटा जाए और ये लोग इसी दर से रहें । इसलिए
वैध सरकार वही है जिसमें अपनी भागीदारी के माध्यम से सभी समूह शासन
व्यवस्था से जुड़ते हैं।

प्रश्न 2. आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के विभिन्न
तरीके क्या है ? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दें। 
                                          [JAC 2009 (S); 2010 (C): 2012(A)]
उत्तर―(i) सत्ता का क्षैतिज वितरण―लोकतंत्र में शासन के विभिन्न अंग,
जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा रहता
है। इसे हम सत्ता का क्षैतिज वितरण कहेंगे क्योंकि इसमें सरकार के विभिन्न अंग
एक ही स्तर पर रहकर अपनी-अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं। ऐसे बँटवारों
से यह सुनिश्चित हो जाता है कि कोई भी एक अंग सत्ता का असीमित उपयोग
नहीं कर सकता । हर अंग दूसरे पर अंकुश रखता है। इससे विभिन संस्थाओं के
बीच सत्ता का संतुलन बनता है।

                                               भारत सरकार
                               ______________|_______________       
                               ↓                        ↓                             ↓
                          विधायक            कार्यपालिक             न्यायपालिका

                                                  क्षैतिज वितरण

(ii) सरकार के बीच विभिन्न स्तरों पर बँटवारा―इसके अंतर्गत सरकार
के बीच भी विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बँटवारा हो सकता है। जैसे, पूरे देश के
लिए एक सामान्य सरकार हो और फिर प्रांत या क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग
सरकार रहे। पूरे देश के लिए बनने वाली ऐसी सामान्य सरकार को अक्सर संघ
या केन्द्र सरकार कहते हैं।

                                                भारत सरकार
                                                        ↓
                                               केन्द्रीय सरकार
                                                        ↓
                                                राज्य सरकार
                                                        ↓
                                               स्थानीय सरकार

(iii) विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा―
लोकतंत्र में
विशेष रूप से बहु-जातीय समाज में, धार्मिक तथा भाषाई समूहों के बीच भी सत्ता
का बँटवारा होता है। बेल्जियम में 'सामुदायिक सरकार' इस व्यवस्था का एक
अच्छा उदाहरण है। कुछ देशों के संविधान और कानून में इस बात का प्रावधान
है कि सामाजिक रूप से कमजोर समुदाय और महिलाओं को विधायिका और
प्रशासन में हिस्सेदारी दी जाए।

(iv) राजनीतिक पार्टियों, दबाव समूहों तथा आंदोलनों के बीच सत्ता का
बँटवारा―लोकतंत्र में, विभिन्न राजनीतिक पार्टियों, दबाव समूहों तथा आंदोलनों के
बीच भी सत्ता का बँटवारा होता है। लोकतंत्र लोगों के सामने सत्ता के दावेदारों के
बीच चुनाव का विकल्प देता है। यह विकल्प विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के रूप
में उपलब्ध होता है, जो कि चुनाव लड़ती हैं। पार्टियों की यह आपसी प्रतिद्वंद्विता ही
यह सुनिश्चित करती है कि सत्ता एक व्यक्ति या समूह के हाथ में न रहे ।

प्रश्न 3. राजनीतिक पार्टियों तथा दबाव समूहों में सत्ता के बँटवारे की
उत्तर― (i) लोकतंत्र में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों, दबाव समूहों तथा
आदोलनों के बीच भी सत्ता की साझेदारी होती है।

(ii) लोकतंत्र नागरिकों को अपना शासन चुनने का विकल्प देता है। यह
विकल्प विभिन्न पार्टियों के रूप में उपलब्ध होता है जो जीतने के लिए चुनाव
लड़ती है। पार्टियों की यह आपसी प्रतिद्वंद्विता ही इस बात को सुनिश्चित कर देती
कि सत्ता एक व्यक्ति या समूह के हाथ में न रहे।

(iii) एक बड़ी समयावधि पर सत्ता बारी-बारी से अलग-अलग विचारधारा
और सामाजिक समूहों वाली पार्टियों के हाथ आती-जाती रहती है। कई बार सत्ता
की यह भागीदारी एकदम प्रत्यक्ष दीखती है क्योंकि दो या अधिक पार्टियाँ मिलकर
चुनाव लड़ती हैं। यदि इनका चुनाव हो जाता है तो ये गठबंधन सरकार बनाती
तथा सत्ता में साझेदारी होता है।

(iv) लोकतंत्र में विभिन्न दबाव समूह तथा आंदोलन भी सक्रिय होते हैं।
सरकार की विभिन समितियों में सीधी भागीदारी करके या नीतियों पर अपने सदस्य
वर्ग के लाभ के लिए दबाव बनाकर ये समूह भी सत्ता में भागीदारी करते हैं।

प्रश्न 4. इस अध्याय को पढ़ने के बाद तीन छात्रों ने अलग-अलग
निष्कर्ष निकालें । आप इनमें से किससे सहमत हैं और क्यों ? अपना जवाब
करीब 50 शब्दों में दें।                                                [NCERT]
थम्मन–जिन समाजों में क्षेत्रीय, भाषाई और जातीय आधार पर विभाजन
हो, सिर्फ वहीं सत्ता की साझेदारी जरूरी है।
मथाई–सत्ता की साझेदारी सिर्फ ऐसे बड़े देशों के लिए उपयुक्त है
जहाँ क्षेत्रीय विभाजन मौजूद होते हैं।
औसेफ–हर समाज में सत्ता की साझेदारी की जरूरत होती है भले ही
वह छोटा हो या उसमें सामाजिक विभाजन न हों।
उत्तर―हर समाज को किसी प्रकार की सत्ता साझेदारी को आवश्यकता होती
है चाहे वह कितना ही छोटा हो अथवा उसमें सामाजिक विभाजन न हों क्योंकि―
(i) देश के सभी सदस्यों के लिए प्रतिनिधित्व देने तथा उनके अधिकारों के
लिए सता की साझेदारी की आवश्यकता है।
(ii) व्यवस्था में स्थायित्व तथा विभिन्न समूहों में शांति बनाए रखने के लिए
सत्ता की साझेदारी को अपनाया जाता है ताकि देश के आकार को नजरअंदाज
करके व्यवस्था की कार्यप्रणाली में स्थायित्व को सुनिश्चित बनाया जा सके।

प्रश्न 5. बेल्जियम में बसेल्स के निकट स्थित शहर मर्चटेम के मेयर ने
अपने यहाँ के स्कूल में फ्रेंच बोलने पर लगी रोक को सही बताया है।
उन्होंने कहा कि इससे डच बोलने वाले लोगों को इस फ्लेमिश शहर के
लोगों से जुड़ने में मदद मिलेगी। क्या आपको लगता है कि यह फैसला
बेल्जियम को सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था की मूल भावना से मेल खाता
है? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में लिखें।               [INCERT]
उत्तर―मर्चटेम के मेयर द्वारा लिया गया फैसला बेल्जियम की सत्ता की
साझेदारी की व्यवस्था से मेल नहीं खाता । फ्लेमिश क्षेत्र में जनसंख्या का 59%
भाग डच बोलता है, शहर के स्कूलों में फ्रेंच बोलने पर प्रतिबंध लगाने से फ्रेंच
तथा डच बोलने वाले लोग आपस में मिले-जुलेंगे नहीं तथा एक-दूसरे में
अविश्वास तथा शंका की भावना पैदा होगी । यह प्रतिबंध क्षेत्रीय विभिन्नताओं
तथा सांस्कृतिक विविधताओं की उपेक्षा करता है। यह सभी भाषाई समूहों को
समायोजित करने तथा एक साथ रहने के लिए उचित वातावरण बनाने का विरोधी
है। बल्कि यह प्रतिबंध गृह युद्ध का आधार बनाता है तथा भाषाई स्तरों पर
समुदायों का विभाजन करता है।

प्रश्न 6. भारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते
हुए इसका एक युक्तिपरक और एक नैतिक कारण बताएँ।
अथवा, नीचे दिए गए उदाहरण को पढ़ें तथा इसमें सत्ता साझेदारी के
जो युक्तिपरक कारण बताए गए हैं, उसमें से किसी एक का चुनाव करें-
"महात्मा गाँधी के सपनों को साकार करने और अपने संविधान
निर्माताओं की उम्मीदों को पूरा करने के लिए हमें पंचायतों को अधिकार
देने की जरूरत है। पंचायती राज ही वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना करता
है। यह सत्ता उन लोगों को हाथों में सौंपता है जिनके हाथों में इसे होना
चाहिए । भ्रष्टाचार कम करने और प्रशासनिक कुशलता को बढ़ाने का एक
उपाय पंचायतों को अधिकार देना भी है। जब विकास की योजनाओं को
बनाने और लागू करने में लोगों की भागीदारी होगी तो इन योजनाओं पर
उनका नियंत्रण बढ़ेगा। इससे भ्रष्ट विचौलियों को खत्म किया जा सकेगा।
इस प्रकार पंचायती राज लोकतंत्र की नींव को मजबूत करेगा।"
उत्तर―अनुच्छेद में सत्ता की साझेदारी के लिए निम्नलिखित कारण दिए हैं―
(i) भ्रष्टाचार को कम करना―सत्ता को लोगों के हाथ में देना ताकि वे
अपने निर्णयों के लिए स्वयं जिम्मेदार हों।

(ii) प्रशासनिक कुशलता में वृद्धि―निर्णय करने वाले कार्यों को लोगों के
हाथों में सौंपने से प्रशासनिक कुशलता में वृद्धि होती है।

(iii) व्यवस्था की कुशलता में सुधार―बिचौलियों की संख्या में कमी
करके पंचायतों के माध्यम से संबंधित लोगों के हाथों में योजना का काम सौंपने
से व्यवस्था की कुशलता में सुधार लाया जा सकता है।

प्रश्न 7. सत्ता की साझेदारी के बारे में निम्नलिखित दो बयानों पर गौर
करें और नीचे दिए गए कोड के आधार पर जवाब दें― [NCERT]
(अ) सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र के लिए लाभकर है।
(ब) इससे सामाजिक समूहों से टकराव का अंदेशा घटता है। इन बयानों
में कौन सही है और कौन गलत?
(क) अ सही है लेकिन ब गलत है।
(ख) अ और ब दोनों सही हैं।
(ग) अ और ब दोनों गलत हैं।
(घ) अ गलत है लेकिन ब सही है।
उत्तर―(ख)।

प्रश्न 8. "श्रीलंका में सरकार की नीतियों ने सिंहली-भाषी बहुसंख्यक
का प्रभुत्व बनाए रखने का प्रयास किया।" क्या आप इस कथन से सहमत हैं ?
उत्तर―श्रीलंका में सत्ता में साझेदारी के प्रश्न पर भेदभाव की नीति ही वहाँ
की राष्ट्रीय एकता को खतरा में डालने के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी है। वहाँ
राष्ट्रीय एकता के खतरे में पड़ने के मुख्य कारण रहे हैं―
(i) सत्ता में साझेदारी के प्रश्न पर बहुसंख्यकों को अल्पसंख्यकों की अपेक्षा
अधिक प्रश्नय दिया गया है। श्रीलंका में सिंहली भाषा बोलनेवाले बहुसंख्यक हैं
और तमिल-भाषी अल्पसंख्यक । सरकार की नीतियों ने सिंहली-भाषी बहुसंख्यकों
का प्रभुत्व बनाए रखने का प्रयास किया है।

(ii) अल्पसंख्यक तमिल-भाषियों के हितों को नजरअंदाज करने के कारण
दोनों समुदायों के बीच निरंतर संघर्ष की स्थिति बनी रही है।

(iii) अपनी संस्कृति और भाषा को बचाने तथा शिक्षा एवं रोजगार में
समानता के अवसर के लिए ही श्रीलंका के तमिल सत्ता के संघीय ढाँचे की माँग
करते रहे हैं। परन्तु, सरकार इस मांग को नजरअंदाज करती रही है, परिणामस्वरूप
श्रीलंका में गृहयुद्ध की स्थिति बनी रही है।

प्रश्न 9.बेल्जियम में सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था के बारे में चर्चा
करें                        [JAC 2011(A); 2014 (A); 2017 (A)]
उत्तर―बेल्जियम में 59% जनता डच बोलती है। वहाँ फ्रेंच बोलने पर
प्रतिबंध है। वहाँ फ्रेंच भाषी को शक, अविश्वास एवं हेय दृष्टि से देखा जाता
है। यह प्रतिबंध गृह युद्ध का आसार बनाता है। डच एवं फ्रेंच भाषा की
विभिन्नता सामुदायिक विभाजन का आधार बन जाती है । सत्ता में भी डच जनता
का प्रतिनिधि ज्यादा है।

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