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    Jharkhand Board Class 8  Hindi  Notes | छोटा जादूगर  

  JAC Board Solution For Class 8TH Hindi Chapter 2


लेखक परिचय : छोटा जादूगर' पाठ जयशंकर प्रसाद की रचना है।
प्रस्तुत कहानी चरित्र प्रधान है।
     जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी, 1889 ई० में वाराणसी (उत्तर
प्रदेश) में हुआ था। इनका देहावसान 15 नवंबर, 1937 ई० में हुआ था।
हिन्दी नाटक लेखन में इनका विशिष्ट स्थान था। ये कविता भी लिखते थे।
छायावाद के ये आधार स्तंभ कहे जाते हैं। कथा साहित्य में इनका विशिष्ट
योगदान रहा है।
       इनको प्रमुख रचनाएँ हैं― काव्य-झरना, आँसू. लहर, कामायनी इत्यादि।
नाटक― स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त, ध्रुवस्वामिनी, अजातशत्रु इत्यादि ।
कहानी संग्रह-छाया, प्रतिध्वनि, आकाशदीप आदि ।
उपन्यास―कंकाल, तितली, इरावती इत्यादि ।
           कहानी सारांश : छोटा जादूगर' जयशंकर प्रसाद लिखित है। यह
चरित्र प्रधान कहानी है। इसमें परिस्थितियों का मारा नन्हा जादूगर के बारे
में बताया गया है। किस प्रकार वह इन परिस्थितियों के कारण समय से
पहले ही बड़ा हो गया है। समझदार हो गया है। उसका बचपन खो गया
है। वह अपनी माँ के इलाज एवं क्षुद्धा तृप्ति के लिए जादू दिखाने लगता
है। पैसे के सामने वह भोजन, शर्वत, भूख की परवाह नहीं करता है।
लेखक द्वारा शरवत पिलाए जाने पर कहता है कि कुछ दे दिया होता तो
अच्छा रहता । ऐसा इसलिए कि उसे पैसे कमाकर अपनी माँ की दवा एवं
भोजन की व्यवस्था करनी पड़ती थी। छोटे जादूगर में साहस, स्वावलंबन
एवं मातृ सेवा का गुण, उसकी परिस्थितियों ने समय पूर्व ही डाल दिया था।

                           अभ्यास प्रश्न

                           □ पाठ से:

1: 'मनुष्यों की भीड़ से जाड़े की संध्या भी गरम हो रही थीं।' यह
पंक्ति लेखक ने किस संदर्भ में लिखी है?
उत्तर―इस पंक्ति का संदर्भ यह है कि जाड़े के समय में जादूगर की
जादुगरी देखने के लिए वहाँ काफी भीड़ उमड़ी थी । ज्यादा भीड़ से वहाँ जाड़े
में भी गरमी का एहसास होने लगा। अत: ठंडक के लिए लेखक और वह
लड़का (जादूगर) शरबत पीकर निशाना लगाये जाने लगे। अर्थात् किसी काम
को सफलतापूर्वक अंजाम देने के पूर्व की तैयारी थी शरबत पीना ।

2. लेखक उस तेरह चौदह वर्ष के लड़के को आश्चर्य से क्यों देखने
लगा?
उत्तर―लेखक ने जब उस तेरह-चौदह वर्ष के लड़के के साहस,
स्वावलंबन और मातृसेवा के गुणों को जाना तो इसे काफी ताज्जुब हुआ।
लेखक को यह महसूस हुआ कि अपनी पारिवारिक परिस्थितियों के कारण
यह नादान लड़का समय पूर्व ही समझदार हो गया। इस बालक का बचपन
कहीं खो गया है। अतः इन्हीं सब कारणों से लेखक 13-14 वर्ष के उस
लड़के को आश्चर्य से देखने लगा जब उसने कहा कि शरबत न पिलाकर
कुछ पैसे दे दिया होता।

3. छुट्यिाँ बिताकर लेखक जब कलकत्ते से चला तो रास्ते में उसने
क्या देखा?
उत्तर―बड़े दिन की छुट्टियाँ बिताकर लेखक जब कलकत्ते से चला तो
उसे उत्सुकता हुई। उस नन्हे जादूगर को एक बार पुनः देखने की। अत: वह
उस उद्यान की ओर चल पड़ा। दस बजे निर्मल धूप में उसने देखा कि उस
जादूगर का रंगमंच सजा है। वहाँ बिल्ली रूठ रही थी। भालू मनाने चला था।
व्याह की तैयारी हो रही थी। यह सब होते हुए भी जादूगर की वाणी में वह
प्रसन्नता नहीं थी। औरों को हंसाने की चेष्टा करते समय वह स्वयं काँपा जा
रहा था। जब इसका कारण लेखक ने पूछा तो वह बोला- माँ बोली है, जल्दी
चले आना, आज मेरा अंत समय नजदीक आनेवाला है। लेखक सोचने लगा
सुख, दुःख के पैमाने भी अब भूख से जुड़े हैं।

4. कहानी में लेखक ने छोटा जादूगर के लिए क्या-क्या किया ?
उत्तर―कहानी में लेखक ने छोटा जादूगर के लिए निम्नाकित कार्य
किए―
(i) प्यास लगने पर उसे ठंडई (शरबत) पिलाया।
(ii) बारह टिकट खरीद कर निशाना लगाने के लिए पैसा दिया।
(iii) अपनी गाड़ी में बिठाकर उसे झोपड़ी के पास ले गया जहाँ उसे
देखते ही माँ ने दम तोड़ दिया।

5. आप कैसे कह सकते हैं कि छोटा जादूगर देशभक्त और
मातृभक्त था?
उत्तर― जय लेखक ने छोटा जादूगर से उसके बारे में जानना चाहा तब
अपने पिताजी को जेल में होने की बात गर्व से कहा (देश के लिए) इस बात
से साफ संकेत मिलता है कि वह देशभक्त धा।
  माँ के पथ्य के लिए वह तमाशा दिखलाता था। इसीलिए शरबत पिलाने
पर उसने लेखक से कहा कि यदि कुछ पैसे दे दिया होता तो मुझे अधिक
प्रसन्नता होती।
          जब तमाशा दिखाकर वह जल्दी जाने लगा तो लेखक ने पूछा। उसने
कहा माँ बोली है जल्दी आना. मेरी अन्तिम घड़ी समीप है। इस बात से उसके
मातृभक्त होने की बात का पता चलता है।

6. छोटा जादूगर के चरित्र की विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर― छोटे बालक को उसकी आवश्यकताओं ने बचपन में ही चतुर
बना दिया था। वह साहसी बालक था। तभी हिंडोले पर से चिल्ला कर कहा-
बाबूजी। वह स्वावलंबी था तभी जादू दिखाकर पैसे कमाता था। वह देश भक्ति
के गुणों से युक्त था। देश के लिए पिताजी के जेल जाने की बात गर्व से
कहता था। वह मातृ भक्त था। माँ के पथ्य के लिए वह जादू दिखाकर पैसे
कमाता था। माँ के बुलाने पर वह उससे मिलने की जल्दी में जादू दिखाकर
जा रहा था। उसकी पारिवारिक परिस्थितियाँ समय से पहले ही उसे समझदार
बना दिया था।

                                   □ पाठ से आगे:

1. छोटा जादुगर की तरह जादू तमाशा दिखाने वाले बच्चे आज भी
गाँवों तथा शहरों में देखने को मिल जाते हैं। आपका ध्यान ऐसे बच्चों की
ओर निश्चित गया होगा। ऐसे बच्चों को देखकर आपके मन में क्या
विचार आते हैं?
उत्तर― सबसे पहले इन बच्चों को देखकर मुझे दया आती है। फिर मुझे
समाज पर गुस्सा आता है कि हमारा समाज स्वकेन्द्रित क्यों है ? इसके बाद
ऐसे बच्चे पर हमें गर्व होता है कि विपरीत परिस्थितियों से इनमें लड़ने की
अजब क्षमता भरी पड़ी है।

2. "बालक को आवश्यकता ने कितना शीघ्र चतुर बना दिया-यही
तो संसार है।" इस पंक्ति को प्लास्टिक चुनते हुए या रोल-तमाशे दिखाते
हुए बच्चों से जोड़कर देखा जा सकता है। क्या आपको ऐसा नहीं लगता
है कि वे अपना बचपन खोते जा रहे हैं ? इन बच्चों के लिए क्या-क्या
किया जाना चाहिए? अपने विचार लिखिए।
उत्तर―इन बच्चों के लिए निम्नांकित बातों को किया जाना चाहिए―
(i) उनके पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।
(ii) उनके खेलने के लिए क्रीड़ा क्षेत्र एवं क्रीड़ा उपकरण की व्यवस्था
हो।
(iii) उनके लिए निःशुल्क पोषाहार की व्यवस्था की जाए।
(iv) वस्त्र एवं स्वास्थ्य सुविधा प्रदान की जाए।

                                □ अनुमान और कल्पना :

1. अपनी कल्पना के आधार पर बताइए कि छोटा जादूगर ने इतनी
कम उम्र में जादू कैसे सीखा होगा?
उत्तर― अपनी पारिवारिक परिस्थितियों के कारण वह इधर-उधर घूमता
रहता होगा। मेले में, जादू देखकर वह अपना मन बहलाता होगा। धीरे-धीरे
वह इन करतबों की बारीकियों को समझ गया होगा। तदोपरांत स्वयं खेल,
करतब, जादू दिखलाने लगा होगा।

2. छोटा जादूगर की माँ बहुत बीमार थी। अपनी माँ को स्वस्थ करने
के लिए उसने क्या प्रयास किए होगे?
उत्तर―छोटा जादूगर माँ की बीमारी पर दवा लाता होगा। उनके पथ्य की
व्यवस्था करता होगा। उनकी देखभाल सावधानी से करता होगा। वह माँ का
कहा (बातें) नहीं टालता होगा। वह माँ को सदा प्रसन्न रखने का प्रयास करता
होगा।

                                                ★★★

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