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    Jharkhand Board Class 9TH History Notes | नात्सीवाद और हिटलर का उदय :  

   JAC Board Solution For Class 9TH (Social Science) History Chapter 3


1. न्यूरेमबर्ग में अंतर्राष्ट्रीय सैनिक अदालत क्यों स्थापित की गई?
उत्तर― यह अदालत इसलिए स्थापित की गई ताकि नाजी युद्ध के लिए दोषी लोगों
पर मानवता के विरुद्ध किए गए कार्यों के कारण मुकदमा चलाए जाएँ।

2. द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्र किन देशों को कहा जाता था?
उत्तर― इंग्लैंड, फ्रांस और रूस को।

3. नवम्बर के अपराधी किसे कहा जाता है?
उत्तर― समाजवादी कैथोलिक तथा डैमोक्रेट आदि लोग जिन्होंने वाइमर रिपब्लिकन
का साथ दिया।

4. अति-मुद्रास्फीति से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर― जब वस्तुओं का मूल्य एकदम बढ़ जाए तब ऐसी अवस्था को अति-मुद्रास्फीति
कहा जाता है।

5. प्रापेगैंड से क्या समझते हैं?
उत्तर― जनमत को प्रभावित करने के लिए किया जाने वाला एक खास तरह का
प्रचार (पोस्टरों, फिल्मों और भाषणों आदि के माध्यम से) को प्रापेगैंडा
कहते हैं।

6. कंसन्ट्रेशन कैंप किसे कहते हैं?
उत्तर― ऐसे स्थान जहाँ बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के लोगों को कैद रखा जाता
था। ये कंसन्ट्रेशन कैंप बिजली का करंट दौड़ते कैंटीले तारों से घिरे रहते
थे।

7. नार्डिक जर्मन आर्य कौन हैं ?
उत्तर― आर्य बताए जाने वाले की एक शाखा को नार्डिक जर्मन आर्य कहते हैं।
ये लोग उत्तरीय यूरोपीय देशों में रहते थे और जर्मन या मिलते-जुलते मूल
के लोग थे।

8. 'जिप्सी क्या थी?
उत्तर― 'जिप्सी' के नाम से श्रेणीबद्ध किए गए समूहों को अपनी सामुदायिक
पहचान थी। सिन्ती और रोमा ऐसे ही दो समुदाय थे।

9. घेटो से क्या समझते हैं?
उत्तर― किसी समुदाय को दूसरे समुदाय से अलग-थलग करके रखना घेटो
कहलाता है।

10. सर्वहाराकरण का क्या अर्थ है?
उत्तर― इसका अर्थ है कि निर्धनता का उस निम्न स्तर पर पहुँच जाना जिसमें प्राय:
कामगार लोग प्रभावित होते हैं।

11. यातना शिविर या यातना गृह का क्या अर्थ है?
उत्तर― विरोधी लोगों को, बिना कोई मुकदमा चलाए, ऐसे बड़े कैदी-कैम्प में
रखना जो ऐसी लोहे की तारों से सुरक्षित हो जिसमें बिजली दौड़ रही हो।

12. नाजी यूथ लीग की स्थापना कब हुई और चार वर्ष के पश्चात् इसका
नाम क्या रखा गया?
उत्तर― इसकी स्थापना 1922 ई० में की गई और चार वर्ष पश्चात इसका नाम
बदलकर 'हिटलर यूथ' रखा गया।

13. इवेक्युएशन से नाजियों का क्या तात्पर्य था?
उत्तर― इसका अर्थ था कि गैस-चेम्बरों में मरने के लिए लोगों को ले जाना।

14. राष्ट्रीय समाजवाद क्या है?
उत्तर― नाजियों के अनुसार यह बड़े पूँजीवाद या अमेरिकी अर्थ-व्यवस्था से एक
ओर, और दूसरी ओर मार्क्स की अर्थ-व्यवस्था या बोल्शेविज्म से बहुत
भिन्न है।

15. महात्मा गाँधी ने एडोल्फ हिटलर को क्या नसीहत दी?
उत्तर― हमें अहिंसा के रूप में एक ऐसी शक्ति प्राप्त हो गई है जिसे यदि संगठित
कर लिया जाए तो वह संसार भर की सभी प्रबलतम हिंसात्मक शक्ति के
गठजोड़ का मुकाबला कर सकती है।

16. एडोल्फ हिटलर की दो राजनीतिक महत्वाकांक्षाएँ बताएँ।
उत्तर― (क) एडोल्फ हिटलर अपने देश जर्मनी को विश्व की एक बड़ी ताकत
बनाना चाहता था।

(ख) उसकी यह भी महत्वाकांक्षाएँ थी कि सम्पूर्ण यूरोप को जीत लिया
जाए।

17. 'धुरी शक्तियों' से क्या अभिप्राय है?
उत्तर― द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों के विरुद्ध जर्मनी, जापान व इटली
के गुट की 'धुरी शक्तियाँ' कहा गया।

18. वे कौन-से दो मुख्य कारण थे जिनकी वजह से जर्मनी में हिटलर का
सत्ता प्राप्ति तक उदय हुआ था?
उत्तर― (क) जर्मनी की प्रथम विश्व युद्ध में हार हुई थी। बदले की भावना ने
जर्मनी के लोगों को उकसाया। इसका प्रयोग हिटलर ने स्वयं के
उदय के लिए किया।

(ख) जर्मनी के लोग साम्यवाद के प्रतिकूल थे, इसलिए वे किसी भी ऐसी
सरकार के पक्षधर थे जो साम्यवाद विरोधी हो।

19. उन देशों के नाम बताएँ जिन पर 1937 एवं 1939 के मध्य जर्मनी
ने अधिकार स्थापित कर लिया था।
उत्तर― जर्मनी ने मार्च 1936 में राइसलैण्ड पर अधिकार कर लिया था। मार्च
1938 में आस्ट्रिया पर, सितंबर 1938 में सुदेतनलैण्ड (चेकोस्लोवालिया
का एक भाग) पर, मार्च 1939 में चेकोस्लोवाकिया तथा सितंबर 1939
में पोलैण्ड पर अधिकार कर लिया था।

20. नाजी आंदोलन अथवा नाजीवादी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर― नाजी आंदोलन अथवा नाजीवाद एक उग्र तानाशाही आंदोलन था, जिसका
नेता हिटलर था। यह आंदोलन जर्मनी में चला और हिटलर जर्मन पर
निरंकुश शासक बन गया। नाजीवाद लोकतंत्र के बिल्कुल विपरीत था और
सभी प्रकार के संसदीय संस्थानों को समाप्त करने के पक्ष में था। नाजीवाद
ने 'एक दल और नेता' के सिद्धांत पर बल दिया।

21. म्यूनिख समझौते को तोड़ते हुए हिटलर को सुदतेनलैण्ड पर अधिकार
की क्यों प्रेरणा मिली?
उत्तर― (क) चेकोस्लोवाकिया के इस प्रदेश में नए ढंग से भारी उद्योग लगे हुए
थे।

(ख) सोवियत संघ की ओर जर्मन विस्तार की दृष्टि से यह प्रदेश जर्मनी
के लिए युद्ध दृष्टि से महत्वपूर्ण था।

(ग) इसमें लगभग 30 लाख जर्मन लोग रहते थे। इसमें विश्व के सबसे
बड़े युद्ध सामग्री के कारखाने थे।

22. जर्मनी में नाजीवाद के उदय के क्या कारण थे?
उत्तर―(क) प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की हार के कारण वहाँ की सरकार
बहुत कमजोर हो गई और लोगों में असंतोष फैला हुआ था।

(ख) जर्मनी के लोग साम्यवाद के बढ़ते प्रभाव से बहुत भयभीत थे और
किसी साम्यवाद विरोधी सरकार की स्थापना के पक्ष में थे। अत: ये हिटलर
को सत्ता में लाना चाहते थे।

23. कब और किसके द्वारा म्यूनिख समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे?
उत्तर― म्यूनिख समझौते पर 1938 में हस्ताक्षर किए गए थे।
इसमें एक तरफ तो ब्रिटेन और फ्रांस के प्रधानमंत्रियों ने तो दूसरी ओर
जर्मनी तथा इटली के तानाशाहों ने हस्ताक्षर किए थे।

24. दूसरे विश्व युद्ध का जर्मनी पर पड़े दो मुख्य प्रभाव लिखें।
उत्तर― दूरे विश्व युद्ध का जर्मनी पर पड़ने वाले दो प्रमुख प्रभाव निम्नांकित हैं―
(क) दूसरे विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप जर्मनी पर चार विजयी
शक्तियों अर्थात् सोवियत संघ, अमेरिका, ब्रिटेन तथा फ्रांस का अधिकार
हो गया।

(ख) पुनर्निमाण के लिए बड़े पैमाने पर सहायता योजना बनाई गई।

                                    लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. 1930 तक आते-आते जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता क्यों मिलने
लगी? वर्णन करें।
उत्तर― वाइमर गणराज्य के असफल होने के बाद जर्मनी में एक राजनीतिक
शून्यता की स्थिति थी। 1932 में हुए चुनाव मे 32% मत प्राप्त कर नात्सी पार्टी
सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई। इसने लोकतंत्र के बाद की
शून्यता को, जनता का समर्थन प्राप्त कर भर दिया। यह नात्सी प्रचार तथा हिटलर
के नारे का प्रभाव था। उसने एक शक्तिशाली, समृद्ध तथा खुशहाल जर्मनी का
सना देखा। उसने सोचा किस इस सपने को जनता की सहभागिता के बिना पूरा
करना संभव नहीं हैं फलतः उसने सफलतापूर्वक लोगों की भीड़ इकट्ठी करनी शुरू
कर दी। वह बड़ी चतुराई से अपने राजनीतिक विरोधियों का खात्मा करने लगा।
हिटलर यूथ, जर्मन युवाओं को सेना में भर्ती होने का आह्वान तथा प्रजातीय
विभेदीकरण जैसी नीतियों को त्वरित जनमसर्थन प्राप्त हुआ। हिटलर जनता की
इच्छा को समझने में माहिर था। यह वही जनता थी जिसके आत्मसम्मान को युद्ध
में पराजय तथा वर्साय की अपमानजनक संधि से गहरा धक्का लगा था। हिटलर
ने लोगों को उनका आत्मसम्मान लौटाने का वादा किया। यह राजनीतिक-आर्थिक
संकट का दौर था जिसमें हिटलर के छद्म नारों ने अपना काम किया तथा जर्मनी
के नात्सीवाद लोकप्रिय हो गया।

2. नाजी समाज में औरतों की क्या भूमिका थी?
उत्तर― नाजी समाज में औरतों की भूमिका-
               (क) जर्मनी में बच्चों को बार-बार बताया जाता था कि पुरुषों एवं
महिलाओं में बड़ा भारी अंतर है। लोकतंत्रीय समाजों में पुरुषों तथा ओरतों में
समानता के लिए जो संघर्ष चल रहे हैं वे पूरी तरह से गलत हैं और अगर उसे
नलिया जाता है या उसे लागू कर दिया जाता है तो इससे समाज (अर्थात् जर्मन
समाज) पूरी तरह बर्बाद हो जायेगा।

(ख) नाजी जर्मनी में जहाँ एक ओर लड़कों कहा कहा जाता था कि
वे दिल, दिमाग एवं शरीर से कठोर हृदय, बहुत ही बलवान तथा कठोर बनें वहीं
लड़कियों को कहा जाता था कि वे उदार हृदय माँ तथा केवल शुद्ध जर्मन आयों
का ही गर्भ धारण करके शुद्ध जर्मन नस्ल के बच्चों की ही माँ बनें। लड़कियाँ
ही जर्मन जाति की शुद्धता को बनाये रख सकती हैं। वे स्वयं ही यहूदियों से दूर
रहे, घर की देखभाल करें तथा वे घरों पर रह कर हर समाज नाजी मूल्यों की
ही शिक्षा-दीक्षा अपने बच्चों को देती रहे। उन्हें ही आर्य संस्कृति एवं जाति को आगे
लेकर चलने वाली बनना है।

(ग) जो भी महिलाएँ घोषित व्यवहार के नियमों के रास्ते से भटक जाती
थीं, उन्हें सार्वजनिक तौर पर अपमानित किया जाता था तथा उन्हें बड़ी कठोर
सजाएँ दी जाती थीं। जो भी महिलाएँ यहूदियों, पोलों तथा रूसियों से संबंध रखी
थीं, उनके सिर मुंडवाकर चेहरे पर कालिख पोत कर और गलों में इस तरह की
तख्तियाँ लटकाकर जिन पर लिखा होता था कि "मैंने देश के सम्मान को समाप्त
किया है।" अनेक औरतों को जेलखानों में डाल दिया जाता था जहाँ उन्हें कठोर
यातनायें दी जाती थीं। इस फौजदारी गुनाह के लिए अनेक औरतों को अपने परिवारों
अपने पतियों तथा सामाजिक सम्मान को खोना पड़ता था।

3. जर्मनी में नाजीवाद की विजय के प्रमुख कारण क्या थे?
उत्तर― जर्मनी में नाजीवाद की विजय के प्रमुख प्रभाव या परिणाम इस प्रकार थे-
(क) जर्मनी में नाजीवाद की विजय का परिणाम यह हुआ कि वहाँ की
सत्ता हिटलर के हाथ में आ गई और उसने सैनिक शक्ति को बहुत तेजी से बढ़ावा
दिया।

(ख) जर्मन के लोग प्रथम विश्व युद्ध में हुए अपने अपमान का बदला
लेने के लिए युद्ध की तैयारियां करने लगे और विनाशकारी शस्त्र बनाने लगें
परिणामस्वरूप अन्य देश में भी शस्त्र की होड़ लग गई, अत: दूसरे विश्व युद्ध
की भूमिका तैयार हो गई।

4. हिटलर ने औपचारिक तौर पर वर्साय की संधि को तोड़ने की घोषणा
कब की थी? इसके लिए उसने क्या कारण दिया था?
उत्तर― मार्च, 1935 में हिटलर ने औपचारिक रूप से वर्साय संधि को तोड़ने की
घोषणा की थी।
इसके लिए हिटलर ने निम्न कारण दिए थे―
(क) हिटलर ने घोषित किया कि वर्साय की संधि को जर्मनी पर
जबरदस्ती युद्ध का डर दिखाकर थोपा गया था तथा उसे अपमानित करके अन्य
युरोपीय देशों से नीचा दिखाया गया था। इसलिए वह जर्मनी को अन्य सभी यूरोपीय
देशों के बराबर लाकर समान राष्ट्र सम्मान दिला रहा है।

(ख) चूँकि अन्य यूरोपीय देशों ने स्वयं तो निशस्त्रीकरण की नीति का
अनुसरण नहीं किया इसलए जर्मन द्वारा अपने को शस्त्रीकरण (हथियारबंद) करना
अनिवार्य ही है।

5. वाइमर गणतंत्र के जन्म पर एक लघु टिप्पणी लिखें।
उत्तर―(क) जर्मनी, केन्द्रीय शक्तियों के साथ प्रथम विश्व युद्ध में नवंबर
1918 में मित्र गुट (अलाइड पावर्स) से पराजित हुआ। शाही जर्मनी की इस
राजय ने संसदीय राजनीतिक दलों को जर्मनी की रानीतिक पुनः रूपान्तरण करने
का अवसर प्रदान किया।

(ख) एक राष्ट्रीय सभा वाइमर में मिली तथा संसदीय संविधान की
स्थापना की जिसमें संघीय ढाँचा अपनाया गया। चिस्यग या जर्मन संसद में
उप-प्रधान चुने जाते थे। इसका गठन सर्वव्यापक वयस्क मताधिकार के आधार
पर (जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं) किया गया।


6. द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ने के बाद एक वर्ष के समय में ही जर्मनी
विश्व सर्वोच्च शक्ति कैसे बन गया?
उत्तर― (क) जर्मनी द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ने के बाद 1 सितंबर 1939, तक
ही पोलैण्ड नार्वे, डेनमार्क, बेल्जियम, हालैण्ड आदि पर अधिकर करके एक बड़ी
शक्ति बन गया। उसने नीरदलैण्ड तथा अंततः फ्रांस पर भी कब्जा कर लिया।

(ख) युद्ध कौशल एवं प्रबल छल-कपट उसकी शक्ति की सर्वोच्च की
प्राप्ति और विजय के प्रमुख कारण थे।

7. नाजी आंदोलन की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर― नाजीवाद आंदोलन की मुख्य विशेषताएँ निम्नांकित हैं―
(क) नाजीवाद हर तरह की संसदीय एवं लोकतंत्रीय संस्थाओं का
विरोधी था। वह एक ही नेता के शासन में विश्वास रखता था।

(ख) नाजी दल शक्ति के प्रयोग में यकीन करता था। इसने जर्मन
यहूदियों का विरोध किया जो जर्मनी के लोगों की दयनीय आर्थिक स्थिति के लिए
जिम्मेवार थे।

(ग) यह जर्मन की सैन्य शक्ति बढ़ाने का पक्षधर था तथा जर्मनी का
वर्चस्व वह पूरे विश्व में फैलाना चाहता था।

(घ यह शान्ति के बजाये युद्ध में अधिक विश्वास करता था। इसलिए
जर्मनी की सेना आठ गुणा बढ़ा दी गई।

8. ब्रिटेन की लड़ाई से आपका क्या तात्पर्य है? समझाएँ
उत्तर― फ्रांस के पतन के बाद यूरोप में ब्रिटेन एकमात्र प्रमुख शक्ति के रूप में
बचा रह गया। जर्मनी का सोचना यह था कि चूंकि ब्रिटेन के पास यूरोप में कोई
सहयोगी नहीं बचा था, अत: वह शीघ्र ही आत्मसमर्पण कर देगा। जर्मन वायुसेना
ने अगस्त 1940 में ब्रिटेन पर हवाई हमले शुरू कर दिए, ताकि उसे डरा-धमकाकर
आत्मसमर्पण कराया जा सके। इस लड़ाई को ब्रिटेन की लड़ाई कहते हैं।
          हवाई हमलों से बचाव के लिए ब्रिटेन की रॉयल एयर फोर्स ने बहादुरी की
भूमिका निभाई और बदले में जर्मन क्षेत्रों पर हवाई हमले किए। प्रधानमंत्री विंस्टन
चर्चिल के नेतृत्व में ब्रिटेन की जनता ने साहस और दृढ़ता से जर्मन हमलों का सामना
किया।

9. नाजीवव के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से थे?
उत्तर― नाजीवाद के प्रमख सिद्धान्त निम्नांकित थे―
(क) शासन तानाशाही होनी चाहिए। इस प्रकार के शासन का विरोध
करने वालों के साथ कठोरता का व्यवहार किया जाएगा।

(ख) राष्ट्र की सुरक्षा के लिए युद्धों व उग्र राष्ट्रीयता की नीति का पालन
करना आवश्यक है।

(ग) जर्मन जाति विश्व की सर्वोत्तम जाति है अतः पूरे विश्व पर उसी
का अधिकार होना चाहिए।

10. जर्मनी की विदेश नीति के लिए जर्मनी में नाजीवाद की जीत के
परिणामों को स्पष्ट करें।
उत्तर―(क) जर्मनी की विदेश नीति का उद्देश्य विजेता देशों से बदला लेने
संबंधी दृष्टिकोण बन गया।

(ख) सैन्यवाद, उपनिवेशवाद, विस्तारवाद, साम्राज्यवाद अब हिटलर के
नेतृत्व में जर्मनी की विदेश नीति के उद्देश्य बन गए।

(ग) 1914-1918 के युद्ध में खोयी गई जर्मनी की प्रतिष्ठा को फिर
से वापस प्राप्त करना इसका उद्देश्य बना।

(घ) जर्मनी ने अंतर्राष्ट्रीयवाद का विरोध किया। विश्व शांति का विरोध
करते हुए युद्ध करते हुए युद्ध में विश्वास जताया और जमन साम्राज्य के विस्तार
का प्रयास किया जाने लगा।

11. तुष्टीकरण की नीति का मूल कारण क्या था?
अथवा, किन देशों ने तुष्टीकरण की नीति को अपनाया? उन्होंने ऐसा
क्यों किया?
उत्तर― सन् 1917 की रूसी क्रांति के बाद पश्चिमी देशा साम्यवाद से बहुत
भयभीत थे। वे फासिस्ट शक्तियों को तो सहन करने को तैयार हो गये परन्तु
साम्यवाद को किसी भी दशा में सहन नहीं कर सकते थे। हिटलर और मुसोलिनी
जैसे फासिस्टवादी नेता भी साम्यवाद के घोर विरोधी थी। पश्चिमी देशों का विचार
था कि फासिस्टवादी देश उन्हें साम्यवाद के खतरे से मुक्ति दिलायेंगे। अत: उन्होंने
फासिस्टवादी देशों के प्रति तुष्टीकरण की नीति अपनाई।

12. उन तीन मुख्य घटनाओं का वर्णन करें जिनके कारण दूसरे विश्व युद्ध
में जर्मनी और जापान को 1945 में आत्मसमर्पण करना पड़ा।
उत्तर― जर्मनी और जापान को अधोलिखित तीन घटनाओं के कारण 1945 में
आत्मसमर्पण करना पड़ा।
(क) नारमंडी के तट पर में 6 जून, 1944 को एक लाख एंग्लो-अमेरिकन
सैनिकों का प्रवेश।

(ख) पूर्वी बर्लिन में सोवियत अधिकार और 7 मई, 1945 को हिटलर
द्वारा आत्महत्या तथा जर्मनी द्वारा आत्मसमर्पण।

(ग) सन् 1945 (7 से 9 अगस्त) में जापान के दो प्रमुख नगरों
हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए गए। फलस्वरूप 14 अगस्त,
1945 को जापान को आत्मसमर्पण करना पड़ा।

13. सन् 1945 को पोट्सडैम सम्मेलन द्वारा घोषित मित्र राष्ट्रों के जर्मनी से
संबंधित क्या उद्देश्य थे?
उत्तर― पोट्सडैम सम्मेलन 17 जुलाई से 23 जुलाई 1945 तक बर्लिन के समीप
पोट्सडैम नामक स्थान पर हुआ जिसमें ब्रिटेन, अमरीका और सोवियत संघ ने भाग
लिया। इस सम्मेलन के बाद जारी घोषणा में जर्मनी के बारे में मित्र राष्ट्रों के उद्देश्यों
को सामने रखा गया। जर्मनी ने आत्मसर्मपण कर दिया था। उसके चार भाग कर
दिए गए थे। प्रत्येक क्षेत्र ब्रिटेन, अमरीरका, फ्रांस और सोवियत संघ के नियंत्रण
में था। घोषणा-पत्र में कहा गया था।
(क) मित्र राष्ट्रों का उद्देश्य जर्मनी का पूर्ण निस्त्रीकरण करना है।
(ख) नाजी पार्टी को समूल उखाड़ना।
(ग) जर्मन के पुनर्निर्माण के लिए लोकतांत्रिक परिस्थितियाँ पैदा करना।
(घ) मानवता के विरुद्ध अपराध करने वालों के खिलाफ मुकदमा
चलाना।

14. आर्थिक संकट से क्या अभिप्राय है?
उत्तर― प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् 1920 ई० में यूरोप में बहुत से देशों में
आर्थिक मन्दी की अवस्था स्थापित हो गई जिसे साधारणत: महामन्दी या बड़ी मन्दी
कहा जाता है क्योंकि युद्ध समाप्त होने से चीजों की माँग कम हो गई और खरीददार
न होने के कारण चारों ओर मन्दी ही मन्दी हो गई। युद्ध के कारण बहुत-से यूरोपीय
देश पहले ही बर्बाद हो चुके थे। अब जब युद्ध बन्द होने से चीजों की माँग कम
हो गई तो अनेक उद्योगपति, व्यापार, कृषक बर्बाद हो गए। लोग बेकार हो गए
और भूखों मरने लगे। अमेरिका भी इस आर्थिक संकट से न बच सका क्योंकि
उसकी चीजों का अब कोई खरीददार न रहा। वहाँ स्थिति, जिसे साधारणतः
आर्थिक संकट कहा जाता है, 1923 से 1933 तक बनी रही।

                       दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. वाइमर गणराज्य के सामने क्या समस्याएँ थीं ?
उत्तर― वाइमर गणराज्य के द्वारा जिन समस्याओं का सामना करना पड़ा था वे
निम्नांकित थीं―
(क) गणराज्य के सामने सबसे बड़ी समस्या वर्साय की संधि थी। इसी
संधि के कारण (जब उसने विवश होकर हस्ताक्षर कर दिये थे) ही इसकी जनता
(अर्थात् जर्मन लोगों) ने उसे अच्छी सरकार नहीं समझा। इसका कारण यह था
कि युद्ध को शुरू करने के लिए केवल विषि शक्तियों ने जर्मनी को ही उत्तरदायी
ठहराया तथा जर्मनी को प्रथम विश्वयुद्ध में हार को स्वीकार करने के लिए मजबूर
किया।

(ख) जर्मनी के लोगों ने वर्साय की संधि का विरोध किया क्योंकि इसमें
न केवल कठोर एवं हानिकारक शर्ते लादी गई थीं अपितु ये सारे देश में
अपमानजनक तरीके से थोपी भी गई थीं। जर्मनी के प्रतिनिधियों पर व्यंग्य कसे गये
थे, विशेषकर जर्मनी के पुराने शत्रु फ्रांस द्वारा।

(ग) जर्मनी को प्रथम विश्वयुद्ध के लिए उत्तरदायी ठहराया गया था।
जर्मनी ने अपने समुद्र पार सभी उपनिवेश. लगभग 1/10 भाग जनसंख्या, 13
प्रतिशत अपना भू-भाग, 75 प्रतिशत इस्पात-लौह खोया एवं 26 प्रतिशत अपना
कोयला भी फ्रांस, पेलैण्ड, डेनमार्क एवं लिथुआनिआ को दिया।

(घ) मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी को कमजोर करने के लिए इसका असैन्यकरण
किया।

(ङ) युद्ध अपराध धारा ने जर्मनी को युद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराने के
साथ-साथ उस समस्त नुकसान के लिए उत्तरदायी ठहराया, जो मित्र राष्ट्रों ने
उठाया था। जर्मनी को युद्ध क्षति भुगतान करने के लिए विवश किया। यह रकम
लगभग 6 बिलियन (अरब) पौण्ड थी। मित्र राष्ट्रों की सेनाओं ने 1920 के दशक
से राइनलैण्ड के समृद्ध संसाधनों पर भी अधिकार कर लिया।

(च) अनेक जर्मन लोगों ने अपना वरइमर गणराज्य को न केवल जर्मनी
की पराजय के लिए अपितु अपमानजनक वर्साय की संधि को स्वकार करने के
लिए भी उत्तरदायी ठहराया।

(छ) दुर्भाग्यवश नाबालिग बीमर गणतंत्र को पुराने राजतंत्र के द्वारा लिए
गए गुनाहों के भुगतान के लिए भी विवश किया जा रहा था। गणतंत्रीय सरकार
को प्रथम विश्व युद्ध को जारी रखने के पाप के लिए, राष्ट्रीय अपमान एवं युद्ध
क्षति की पूर्ति करते हुए आर्थिक रूप से जर्मनी को दिवालिया करने के लिए
जिम्मेदार ठहराया।

2. नात्सी सोच के खास पहलू कौन-से थे? वर्णन करें।
उत्तर― प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् जर्मनी से वर्साय की सन्धि द्वारा जो कठोर
और अपमानजनक व्यवहार किया गया उसका यह परिणाम हुआ कि जर्मनी में
नाजीवादी नाम से एक तानाशाही राज्य स्थापित हो गया।

नाजीदल की मुख्य विशेषताएँ या मुख्य विचार या मुख्य सिद्धान्त–
प्रथम विश्व-युद्ध के पश्चात् जर्मनी में हिटलर के नेतृत्व का आरम्भ हुआ। इस
आंदोलन के मुख्य सिद्धान्त निम्नांकित थे―
(क) राज्य सबसे ऊपर हैं। नाजीवाद के अनुसार, "लोग राज्य के लिए
हैं न कि राज्य लोगों के लिए।"

(ख) नाजीवादी सभी प्रकार की संसदीय संस्थाओं समाप्त करने के पक्ष
में था और एक महान् नेता के नेतृत्व की सराहना करता था।

(ग) यह युद्ध को उचित ठहराता था और शक्ति के प्रयोग की सराहना
करता था।

(घ) यह उदारवाद, समाजवाद और साम्यवाद को जड़ से उखाड़ फेंकना
चाहता था।

(ङ) यह जर्मनी में यहूदी लोगों को बिल्कुल मिटा देने के पक्ष में था,
क्योंकि वे ही जर्मन के लोगों की आर्थिक मुसीबतों के कारण थे।

(च) यह हर विरोध को समाप्त कर देना चाहता था और हर प्रकार के
दल-संगठन के विरुद्ध था।

(छ) नाजीवाद जर्मनी साम्राज्य का विस्तार करना चाहता था और उन सभी
बस्तियों को वापस लेना चाहता था, जो प्रथम विश्व युद्ध से पहले जर्मनी के अधीन
थी।

(ज) नाजीवाद जर्मनी की सैनिक शक्ति को बढ़ाना चाहता था और उसे
विश्व के महान् शक्ति के रूप में देखना चाहता था।

3. नासियों का प्रोपेगैंडा यहूदियों के खिलाफ नफरत पैदा करने में इतना
असरदार कैसे रहा?
उत्तर― 1933 में जर्मनी में शक्ति पकड़ने के शीघ्र ही पश्चात् हिटलर ने यहूदियों
के विरुद्ध सर्वत्र घृणा का प्रचार करना शुरू कर दिया और इस उद्देश्य में उसे
काफी सफलता भी प्राप्त हुई। उसकी इस सफलता के लिये अनेक कारण उत्तरदायी
थे जिनमें से कुछ मुख्य निम्नांकित हैं।

(क) अपनी सभी कठिनाइयों के लिये, जो जर्मनी को लोगों की प्रथम
विश्व युद्ध के बाद सहनी पड़ी, उन्होंने वाइमर गणतंत्र को उत्तरदायी ठहराया
क्योंकि, उन्होंने मित्र राष्ट्रों से होने वाली कठोर और अपमानजनक संधि पर हस्ताक्षर
किये थें सारी जर्मन जाति ने ऐसा महसूस करना शुरू कर दिया जैसे कोई उनका
जानबूझ कर निरादर कर रहा है। चारों तरफ अशान्ति, निरादर और बेकारी का
बोल-बाला था। जब हिटलर ने 1933 ई० में वाइमर गणतंत्र से छुटकारा पाया तो
लोगों ने चैन की सांस ली। लोगों की नजरों में हिटलर का आदर बहुत बढ़ गया
और देखते ही देखते वह लोगों का मसीहा बन गया। यदि उसने हाँ कहा तो सारे
जर्मन लोग हाँ कहने लगे और यदि उसने न कहा तो सभी न कहने लगे यदि उसने
यह कहना शुरू कर दिया कि यहूदी बुरे हैं तो बस सबने यही कहना शुरू कर
दिया कि वे बुरे हैं। इस प्रकार हिटलर के व्यक्तित्व ने ऐसा करश्मिा कर दिया
कि उसका यहूदियों के विरुद्ध प्रचार सफल होता चला गया।

                (ख) नाजियों, विशेषकर हिटलर ने ईसाइयों की यहूदियों के विरुद्ध
परम्परागत घृणा का खूब लाभ उठाया। ईसाई पहले ही यहूदियों को ईसा मसीह
की मृत्यु के लिये उत्तरदायी मानते थे, इसलिए यहूदियों के विरुद्ध हिटलर की घृणा
की विचारधारा सफल होती चली गई।

                 (ग) नाजी लोग (या हिटलर) की इस धारणा ने कि जर्मन लोग उच्च
आर्य जाति से सम्बन्ध रखते हैं जबकि यहूदी लोग निम्न जाति के हैं, इस आपसी
अंतर को और भी बढ़ा दिया। इसलिए जब यहूदियों को हजारों की मात्रा में
गैस-चैम्बरों में मारा जाने लगा तो जन-साधारण बिल्कुल चुप रहे।

           (घ) नाजी लोगों ने यहूदियों के प्रति घृणा की भावना का प्रचार स्कूल
के छोटे-छोटे बच्चों से ही करना शुरू कर दिया। ऐसे में बड़े होकर वे स्वयं इस
घृणित सिद्धान्त के प्रचार बन गए। स्कूलों में यहूदी अध्यापकों को बर्खास्त कर
दिया गया और यहूदी बच्चों को भी जबरन निकाल दिया गया। इस शुद्धिकरण की
नीति और नई पीढ़ी को यहूदियों के विरुद्ध बचपन से ही तैयार करने की नीति का
यह परिणाम निकला कि लोग अपने-आप यहूदियों से घृणा करने लगे।

4. नासियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए कौन-कौन
से तरीके अपनाएँ?
उत्तर― नात्सी सरकार ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए निम्नांकित
तरीके अपनाए–
              (क) युवाओं का विचार परिवर्तन : बाल्यावस्था से ही नात्सी सरकार
ने बच्चों के मन-मस्तिष्क पर कब्जा कर लिाय। जैसे-जैसे वे बड़े होते गये उन्हें
वैचारिक प्रशिक्षण द्वारा नात्सीवाद की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया।

                      (ख) स्कूली बच्चों का विचार परिवर्तन : नात्सी सरकार ने अपनी
विचारधारा नए पाठ्यक्रम के अनुरूप पुस्तकें तैयार करवाई। कई युवा चित्रकारिता
कार्यक्रम बनाये गये। इन सबके द्वारा उन्हें नम्रता तथा कृतज्ञता का पाठ पढ़ाया गया।

                 (ग) खेल गतिविधियाँ― उन सभी खेल गतिविधियों (खासकर बॉक्सिंग)
को प्रोत्साहित किय गया जो बच्चों में हिंसा तथा आक्रामकता की भावना पैदा करती
थीं।

                      (घ) लड़कियों का विचार परिवर्तन : लड़कियों को शिक्षा दी जाती
थी कि उन्हें अच्छी माँ बनना था तथा शुद्ध रक्त वाले आर्य बच्चों का लालन-पालन
करना था।

                        (ङ) औरतों के बीच भेदभाव : औरतों के बीच उनके बच्चों के
आधार पर भेदभाव किया जाता था। एक अवांछित बच्चे की माँ होने पर औरतों
को दंडित किया जाता था तथा जेल में कैद कर दिया जाता था। किंतु, बच्चे के
शुद्ध आर्य प्रजाति का होने पर औरतों को सम्मानित किया जाता था तथा ईनाम दिया
जाता था।

               (च) आर्यों के आर्थिक हितों की रक्षा : आर्य प्रजाति के लोगों के लिए
आर्थिक अवसरों की भरमार थी। उन्हें रोजगार दिया जाता था, उनके व्यापार को
सुरक्षा दी जाती थी तथा सरकार की तरफ से उन्हें हर संभव सहायता दी जाती
थी।

              (छ) नात्सी प्रचार : जनता पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने में नात्सियों
द्वारा विशेष पूर्वनियोजित प्रचार का सर्वाधिक योगदान था।

                  (ज) नात्सियों ने आबादी के विभिन्न हिस्से को अपील करने का हर
संभव प्रयास किया। उन्होंने इस आधार पर उनका समर्थन प्राप्त करने का प्रयास
किया कि केवल नात्सी ही उनकी हर समसया का हल ढूँढ सकते थे।

5. सोवियत संघ पर जर्मनी के आक्रमण का संक्षिप्त विवरण दें। इस
लड़ाई का अंतर्राष्ट्रीय वातावरण पर क्या उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा?
उत्तर― सोवियत संघ पर जर्मनी का हमला : ब्रिटेन को छोड़ लगभग पूरे यूरोप
को जीतने के बाद जर्मनी ने 22 जून 1941 को आक्रमण संधि के बावजूद सोवियत
संघ पर हमला कर दिया। जैसा कि कहा जा चुका है, सोवियत संघ के विशाल
क्षेत्र और संसाधनों पर हिटलर की निगाहें हमेशा से गड़ी थीं। उसने सोचा कि आठ
सप्ताह में सोवियत संघ का वह विनाश कर देगा। सोवियत संघ के साथ इस युद्ध
के आरंभिक दौर में जर्मनी को महत्वपूर्ण सफलताएँ मिलीं। जर्मनों ने सोवियत संघ
का काफी बड़ा भाग तबाह कर डाला, लेनिनग्राद पर घेरा डाल दिया गया और
जर्मन सेनाएँ मास्कों की ओर बढ़ने लगी परन्तु जर्मनी की आरंभिक सफलताओं
के बाद उसके आक्रमण को रोक दिया गया। सोवियत संघ तब तक प्रयाप्त
औद्योगिक और सैनिक शक्ति प्राप्त कर चुका था। उसने जर्मन हमले का बहादुरी
से सामना किया और जर्मनी को शीघ्र विजय पाने की आशा पर पानी फेर दिया।
            प्रभाव : सोवियत संघ पर जर्मन हमले ने युद्ध के क्षेत्र को काफा विस्तृत
बना दिया। लड़ाई का एक नया मोर्चा खुल गया। इसके बाद एक महत्वपूर्ण घटना
यह हुई कि हमले के मुकाबले के लिए ब्रिटेन, सोवियत संघ और अमरीका एक
हो गए। सोवियत संघ पर हमले के फौरन बाद चर्चिल और रूजवेल्ट ने उसे क्रमशः
ब्रिटेन और अमरीका के समर्थन की घोषणा की और उसे सहायता देने का वादा
भी किया। इसके बाद सोवियत संघ और ब्रिटेन के बीच तथा सोवियत संघ और
संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच समझौते हुए। यही वह एकता थी जिसके कारण
जर्मनी, इटली और जापान को आखिरकार हराया जा सका।

6. हिटलर का उत्थान किन नीतियों एवं उपायों के कारण हुआ विवेचना
करें।
उत्तर― हिटलर ने 1921 ई० में नाजी पार्टी की स्थापना की। इसका उत्थान
निम्नांकित नीतियों एवं उपायों के कारण हुआ–
               (क) नाजी पार्टी के कार्यकर्ताओं को लेकर उसने जर्मनी की राजधानी
बर्लिन की ओर एक अभियान आयोजित कर सत्ता हथियाने की योजना बनाई। उसे
असफलता मिली। जेल के दौरान उसने अपनी पुस्तक 'मेरा संघर्ष' लिखी।

            (ख) हिटलर ने खुलेआम बल प्रयोग और बर्बरतापूर्ण व्यवहार तथा महान
नेता द्वारा शासन की महिमा का गुणगान किया और अंतर्राष्ट्रीय, शांति और लोकतंत्र
का माखौल उड़ाया।

        (ग) यहूदियों के प्रति घृणा का प्रचार किया तथा युद्ध का गुणगान
किया।

            (घ) वर्साय की संधि के कारण लोगों में व्याप्त बदला लेने तथा अपमान
की भावना का लाभ उठाया।

(ङ) हिटलर ने 1932 ई० के चुनाव में भाग लिया। उसमें उसे
असफलता मिली, तो वह राजनीतिक षड्यंत्र रचने लगा। जर्मनी के राष्ट्रपति ने उसे
30 जनवरी, 1933 को चांसलर नियुक्त किया।

(च) आंतक का राज्य स्थापित किया। नाजी विरोधी नेताओं की हत्या
बड़े पैमाने पर कराई। चुनाव में विफल रहने पर हिटलर ने तानाशाही अधिकार ग्रहण
कर लिया और चांसलर के साथ-साथ राष्ट्रपति भी बन गया।

7. जर्मनी में नाजीवाद के उदय के कारणों की चर्चा करें।
उत्तर― जर्मनी में नाजीवाद के उदय के कारण―
                    (क) वर्साय की अपमानजनक संधि : जर्मनी के कई उपनिवेशों,
जहाजी बेड़ों, सैन्य दलों को इस संधि के अधीन लगभग समाप्त कर दिया। इस
संधि के प्रावधान कठोर एवं अपमानजनक थे। अतः लोगों ने नाजीवाद में अपने
भावों की अभिव्यक्ति पाई।

                  (ख) 1929 का आर्थिक संकट : 1929 ई० में, यूरोप आर्थिक संकट
की चपेट में आ गया। जर्मनी भी इससे अछूता नहीं रह पाया। यहाँ असंख्य सैनिक
व श्रमिक बेकार हो गए। भूखमरी की नौबत आ गई। जर्मन गणतंत्र व वहाँ की
सरकार इन समस्याओं को हल करने में असमर्थ रही। अतः मध्य श्रेणी और छोटी
श्रेणी के लोग व्यापारी, कारीगर, श्रमिक, किसान आदि सभी नाजीवाद को प्रति
आकृष्ट हुए।

              (ग) पूँजीपतियों द्वारा प्रोत्साहन : हिटलर साम्यवाद का प्रबल विरोध
था। वह उदारवाद, समाजवाद और साम्यवाद को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता
था। अतः पूँजीपतियों ने नाजीवाद को प्रोत्साहन दिया क्योंकि वह उनके हितों की
सुरक्षा करता था। कई उद्योगपति, भूमि के मालिक और सैनिक अधिकारियों ने
नाजीवाद को प्रोत्साहन किया।

               (घ) यहूदी जाति के लिए घृणा : हिटलर जर्मनी से यहूदी लोगों का
बिल्कुल निष्कासन करने के पक्ष में था, क्योंकि वे ही जर्मनी के 'आर्थिक कष्टों
का कारण समझे जाते थे।' संपूर्ण जर्मन लोगों की भावनाएँ हिटलर को अपने
अभियान में सफलता प्राप्त करने में सहायक सिद्ध हुई।

                  (ङ) हिटलर के व्यक्तित्व का प्रभाव : नाजीवाद के उदय में हिटलर
का प्रभावशाली एवं शक्तिशाली व्यक्तित्व महत्वपूर्ण था। उसके भाषण लोगों को
मंत्रमुग्ध कर देते थे। लोग उनका अंधानुकरण करने लगे थे। इस कारण भी
नाजीवाद पनपा और फैला।

               (च) एकता का अभाव : समाजवादी और साम्यवादी दल के नेताओं
में एकता का अभाव ने भी नाजीवाद को प्रोत्साहन दिया।

8. लोकतन्त्र के विनाश हेतु एडोल्फ हिटलर द्वारा क्या कदम उठाए गये
थे?
उत्तर― लोकतंत्र के विनाश के लिए हिटलर द्वारा उठाए गये कदम-
                 (क) पृष्ठभूमि : 30 जनवरी, 1933 को जर्मनी के राष्ट्रपति हिन्डबर्ग
ने एडोल्फ हिटलर को चांसलरशिप, कैबिनेट मिनिस्ट्री में सर्वोच्च पद पेश किया।
अब तक नाजी रूढ़िवादियों को अपने उद्देश्य के लिए अपने पक्ष में लाने तथा एक
बहुत बड़ी रैली (विशालतम प्रदर्शन) करने में सफल हो ही चुके थे। सत्ता पने के
बाद हिटलर ने जर्मनी में लोकतंत्र के ढाँचे को पूर्णतया समाप्त करने के लिए
कार्यवाही शुरू कर दी।

                   (ख) आम उद्घोषणा एवं नागरिक अधिकारों का स्थगन : फरवरी
1933 में जर्मनी की संसद की इमारत में एक रहस्यात्मक आग लग गई। इसका
दोषारोपण वामपंथियों (साम्यवादियों) पर कर दिया गया जबकि कुछ लोगों का
कहना है कि यह कार्य हिटलर के समर्थकों का ही था। 28 फरवरी, 1933 का
इस अग्नि सम्बन्धी दुर्घटना ने नागरिक अधिकारों एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,
भाषण, प्रेस एवं सभा आयोजन, जिनकी गारन्टी वीमर संविधान ने दी थी, को
स्थगित कर दिया गया।

                  (ग) इसके बाद एडोल्फ हिटलर अपने शत्रु नम्बर एक अर्थात् जर्मनी
के साम्यवादियों की ओर मुड़ा। अधिकतर साम्यवादियों को बंदी बना करके यातना
शिविरों में भेज दिया गया।

                (घ) साम्यवादियों को भारी यातनायें दी गई। उनकी संख्या हजारों में
थी लेकिन यह नाजियों द्वारा जर्मनी में जो 52 तरह के यातनाओं के हुए शिकार
समूहों में से एक ही था।

           (ङ) 3 मार्च 1933 को प्रसिद्ध एनेबलिंग एक्ट (या अधिनियम) पारित
किया गया था। इस अधिनियम ने जर्मनी में तानाशाही (अधिनायकवादी शासन
प्रणाली) की स्थापना की थी। इस अधिनियम ने सभी तरह की राजनीतिक एवं
प्रशासनिक शक्तियाँ एडोल्फ हिटलर को सौंप दी। उसे संसद की अवहेलना करने
तथा सभी तरह के अध्यादेश जारी करने के अधिकार दे दिए।
                        (च) राज्य या देश की अर्थव्यवस्था, मीडिया (जनसंचार माध्यमों),
सेना एवं न्यायपालिका पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित हो गया। जिस तरह से नाजी लोग
चाहते थे, उसी ढंग से समाज पर नियंत्रण कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए
गुप्त सेनाओं का गठन किया गया।

                                                   ■

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