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   Jharkhand Board Class 9TH Economics Notes | पालमपुर गाँव की कहानी :  

   JAC Board Solution For Class 9TH (Social Science) Economics Chapter1

                                  

                                         अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. पालमपुर गाँव के साथ कौन-सा बड़ा गाँव जुड़ा हुआ है? वह गाँव
पालमपुर गाँव से कितनी दूर है?
उत्तर― पालपुर गाँव के साथ से जुड़ा हुआ बड़ा गाँव रायगंज है। वह पालमपुर
से 3 कि०मी० की दूरी पर है।

2. पालमपुर गाँव में कितने स्कूल हैं?
उत्तर― पालमपुर गाँव में दो प्राथमिक तथा एक हाई स्कूल हैं।

3. उत्पादक क्रियाओं के लिए कौन-कौन से संसाधन चाहिए?
उत्तर― प्राकृतिक संसाधन, मानवकृत पदार्थ तथा मुद्रा आदि संसाधन उत्पादन
क्रियाओं के लिए चाहिए।

4. पालमपुर में खेती पर कितने प्रतिशत लोग आश्रित है?
उत्तर― पालमपुर की 75 प्रतिशत जनता खेती पर आश्रित है।

5. पालमपुर में किसान वर्ष में कितनी फसलें उगाते हैं?
उत्तर― पालमपुर में किसान एक वर्ष मे चार फसलें उगाते हैं।

6. किस कारण से पालमपुर गाँव के किसान एक वर्ष में दो से अधिक
फसलें पैदा करने के योग्य बन गए हैं।
उत्तर― सिंचाई की पूर्ण विकसित व्यवस्था के कारण पालमपुर गाँव के लोग एक
वर्ष में एक से अधिक फसलें पैदा करने के योग्य बन गए हैं।

7. पालमपुर में बिजली के आने से सिंचाई करने की विधि में क्या
परिवर्तन आया है?
उत्तर― बिजली के आने से पालमपुर में सिंचाई करने की विधि में परिवर्तन आया
है। बिजली आने से पहले किसान कुओं से रहट द्वारा पानी निकालकर खेतों
की सिंचाई करते थे, परन्तु वे नलकूपों से खेतों की सिंचाई करते हैं।

8. भारत के उन राजयों के नाम लिखें जहाँ पर सबसे पहले आधुनिक
कृषि विधि अपनाई गई।
उत्तर― पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर-प्रदेश राज्यों में सबसे पहले आधुनिक कृषि
विधि अपनाई गई।

9. स्थायी पूँजी तथा कार्यशील पूँजी में अंतर बताएँ।
उत्तर― उत्पदन में स्थायी पूँजी मे मूल्य हास होता है जबकि कार्यशील पूँजी
उत्पादन क्रिया के दौरान समाप्त हो जाती है।

10. किन्हीं चार फसलों के नाम लिखें।
उत्तर― गेहूँ, बाजार, गन्ना तथा आलू चार फसलें हैं।

11. एक ही भूमि पर उत्पदन अधिक करने की कोई एक विधि लिखें।
उत्तर― बहुविधि फसल प्रणाली अपनाकर हम एक भूमि पर उत्पादन को बढ़ा
सकते हैं।

12. एच०आई०वी० (HIV) का क्या तात्पर्य है?
उत्तर― अधिक उत्पादन करने वाले बीज हैं।

13. उन्नत बीजों से सबसे अच्छा परिणाम लाने के लिए हमें किनकी
आवश्यकता पड़ती है?
उत्तर― उन्नत बीजों से सबसे अच्छे परिणम लाने के लिए हमें पर्याप्त मात्रा में पानी,
रासायनिक उर्वरा और कीटनाशक दवाइयों की आवश्यकता होती है।

14. भारत में कौन-कौन कृषि ऋतुएँ हैं?
उत्तर― भारत के दो कृषि ऋतुएँ हैं–
(क) रबी ऋतु तथा (ख) खरीफ ऋतु।

15. रबी तथा खरीफ ऋतुओं की अवधि लिखें।
उत्तर― खरीफ ऋतु की अवधि जून से अक्टूबर तथा रवी ऋतु की अवधि नवंबर
से अप्रैल है।

16. खरीफ ऋतु की मुख्य फसलो के नाम लिखें।
उत्तर― खरीफ ऋतु की मुख्य फसलें जावल, पटन्सन, रूई, मकई आदि है।

17. रबी ऋतु की मुख्य फसलें लिखें।
उत्तर― रबी ऋतु की मुख्य फसलें गेहूँ, चना, तेलों के बीज, जौ आदि हैं।

18. किसी खाद्य फसल का उत्पादन हरित क्रांति के कारण बढ़ा है।
उत्तर― हरित क्रांति के कारण गेहूँ तथा चावल का उत्पादन बढ़ा है।

19. मशीनों द्वारा चालित नलकूपों के प्रयोग से क्या परिणाम निकला है?
उत्तर― मशीनों द्वारा चालित नलकूपों के प्रयोग से सिंचाई की व्यवस्था आश्वस्त
हो गई है।

20. हरित क्रांति की मुख्य विशेषताएँ क्या है?
उत्तर― हरित क्रांति की मुख्य विशेषता गेहूँ तथा चावल में अप्रत्याशित वृद्धि है।

21. हरित क्रांति का हानिकारक प्रभाव बताएँ।
उत्तर― हरित क्रांति से भूमि की उर्वरता शक्ति में हास हुआ है।

22. भारत के किन राज्यों में सर्वप्रथम हरित क्रांति का प्रभाव देखने को
मिला?
उत्तर― भारत में हरित क्रांति का प्रभाव सर्वप्रथम पंजाब और हरियाणा राज्यों में
देखने को मिला।

23. पालमपुर में कितने परिवार भूमिहीन हैं? दो हैक्टेयर से अधिक की
भूमि पर कृषि करने वाले कितने परिवार पालमपुर में हैं ?
उत्तर― पालमपुर में 150 परिवार भूमिहीन हैं। 60 परिवार।

24. एक हेक्टयेर वाली भूमि के स्वामी का काम लिखें।
उत्तर― एक हेक्टेयर वाली भूमि के स्वामी का काम दूसरे के खेत में काम करना
है।

25. भारत के गाँवों में प्रवास क्यों आम बात बन गई है?
उत्तर― गाँवों में रोजगार के अवसरों के अभाव के कारण भारत के गाँवों में प्रवास
सामान्य सी बात बन गई है।

26. पहले की अपेक्षा अब क्यों किसानों को अधिक मुद्रा की आवश्यकता
पड़ती है?
उतर― पहले की अपेक्षा अब किसानों को अधिक मुद्रा की आवश्यकता पड़ती
है क्योंकि कृषि की आधुनिक विधियों में बहुत पूँजी की आवश्यकता होती
है।

27. किसान पूँजी की व्यवस्था कैसे करते हैं?
उत्तर― छोटे किसान तो साहूकारों, बड़े किसानों से ऋण लेकर पूँजी की व्यवस्था
करते हैं, जबकि मध्यम तथा बड़े किसान कृषि से अपने बचत से पूँजी की
व्यवस्था करते हैं।

28. भूमि तथा श्रम की एक विशेषता लिखें।
उत्तर― भूमि उत्पदन का एक दुर्लभ साधन है जबकि श्रम प्रचुर मात्रा में प्राप्त होने
वाला उत्पादन का एक साधन है।

29. एक कृषि श्रमिक की निम्नतम दैनिक मजदूरी सरकार ने क्या
निर्धारित की है? सामान्यतः एक कृषि श्रमिक को दैनिक मजदूरी
कितनी मिलती है?
उत्तर― सरकार के द्वारा एक कृषि श्रमिक की दैनिक मजदूरी 60 रुपये निर्धारित
की गई है, परंतु सामान्यतः एक श्रमिक को 30-40 रुपये दैनिक मजदूरी
के रूप में मिलते हैं।

30. कृषि श्रमिक कम मजदूरी कपर काम करना क्यों स्वीकार करते हैं?
उत्तर―कृषि श्रमिक कम मजदूरी पर काम करना इसलिए स्वीकार करते हैं क्योंकि
उनमें काम प्राप्त करने के लिए बहुत ही अधिक प्रतियोगिता होती है। काम
के अवसर कम हैं और श्रमि मजदूर अधिक मात्रा में है।

31. प्रवास से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर― प्रवास से अभिप्राय लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर बस जाना है।

32. आर्थिक प्रवास से क्या अभिप्राय है?
उत्तर― आर्थिक प्रवास से अभिप्राय नौकरी की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान
पर जाना वहाँ बस जाना है।

33. किस प्रकार के कृषक बाजार में गेहूँ की आपूर्ति करते हैं? और क्यों?
उत्तर― मध्यम तथा बड़े कृषक बाजार में गेहूँ की आपूर्ति करते हैं क्योंकि उनके
पास अधिक मात्रा में गेहूँ होता है।

34. पालमपुर गाँव की मुख्य क्रियाएँ कौन-सी है?
उत्तर― खेती मुख्य क्रिया, लघुस्तरीय निर्माण कार्य, डेरी, परिवहन आदि।

35. उत्पादन क्रियाओं के लिये किस प्रकार के संसाधनों की आवश्यकता
पड़ती है?
उत्तर― प्राकृतिक संसाधन, मानव निर्मित वस्तुएँ, मानव प्रयास, मुद्रा आदि।

36. पालमपुर गाँव की किन्हीं तीन गैर-कृषि क्रियाओं के नाम लिखें।
उत्तर―(क) लघु निर्माण उद्योग?
(ख) दुकानदारी, डेयरी,
(ग) परिवहन आदि।

37. स्थायी पूँजी से क्या तात्पर्य है?
उत्तर― औजार, मशीनों और भवनों को स्थायी पूँजी कहा जाता है क्योंकि उनका
प्रयोग कई वर्षों तक होता रहता है।

38. कार्यशील पूँजी से क्या तात्पर्य है?
उत्तर― कच्चे माल और नकद मुद्रा को कार्यशील पूँजी कहा जाता है क्योंकि ये
चीज उत्पादन-क्रिया के दौरान समाप्त हो जाती है।

39. बहुविध फसल प्रणाली क्या है?
उत्तर― एक वर्ष में किसी भूमि पर एक से अधिक फसल पैदा करने के तरीके
को बहुविध फसल प्रणाली कहा जाता है।

40. छोटे किसान किसे कहते हैं?
उत्तर― छोटे कसान वे होते हैं जो अपने परिवारों के साथ अपने खेतों में स्वयं काम
करते हैं।

41. मंझोले और बड़े किसान किसे कहते हैं?
उत्तर― मंझोले और बड़े किसान ऐसे किसानों को कहते हैं जो अपने खेतों में काम
करने के लिये दूसरे श्रमिकों को किराये पर लगाते हैं।

42. मिश्रीलाल अपनी जीविका कसे कमाता है?
उत्तर― मिश्रीलाल ने गन्ना पेरने वाली एक मशीन खरीद ली है जिसका प्रयोग वह
अपने खेत में पैदा होने वाला गन्ना को पेरने के अतिरिक्त दूसरे किसानों
से भी गन्ना खरीदकर उसे पेरने में प्रयोग करता है और उससे गुड़ बनाता
है और उसे मण्डी में बेचता है।

43. किशोर ने अपनी आय को कैसे बढ़ाया?
उत्तर― एक खेतीहर मजदूर होने के नाते किशोर के लिये अपने घर की
आवश्यकताओं को पूरा करना कठिन हो रहा था, इसलिये उसने बैंक से
कर्ज लेकर एक भैंस खरीदी और उसका दूध येचना शुरू कर दिया।
भैंस-गाड़ी बनाकर भी उसे उसने सामान को इधर-उधर ले जाकर अपनी
आय बढ़ा ली है।

44. पालमपुर-रायगंज सड़क पर परिवहन के कौन-से साधन प्रयोग में लाए
जाते हैं?
उत्तर― (क) बैलगाड़ी और भैस-बग्घी।
(ख) टाँगे और ठेले।
(ग) जीप, बसें, ट्रक और ट्रैक्टर।
(घ) मोटर साइकिल और स्कूटर आदि।

45. उच्च जाति के और निम्न जाति या दलितों के निवास स्थानों में दो
अन्तर लिखें।
उत्तर― (क) उच्च जाति के लोग बड़े-बड़े मकानों में रहते हैं जबकि दलित या
अनुसूचित जाति के लोग गाँव के एक कोने में छोटे-छोटे मकानों
में रहते हैं।

(ख) उच्च जाति के लोगों के भवन ईंट और सीमेंट के बने हुए होते
हैं जबकि अनुसूचित जाति के लोगों के घर मिट्टी और घास-फूस
के बने होते हैं।

46. पालमपुर गाँव में कौन-कौन से स्वास्थ्य सुविधाएँ प्राप्त हैं?
उत्तर― पालमपुर गाँव में रोगियों के उपचार के लिये एक राजकीय प्राथमिक
स्वास्थ्य केन्द्र और निजी औषधालय स्थापित हैं।

47. वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के लिये कौन-सी चार चीजें
आवश्यक हैं?
उत्तर― (क) भूमि
(ख) श्रम
(ग) भौतिक पूँजी जैसे औजार, मशीने, भवन, कच्चा माल और मुद्रा
आदि।
(घ) ज्ञान और उद्यम जो मनव पूंजी के महत्वपूर्ण अंग हैं।

48. क्या सिंचाई के अधीन क्षेत्र को लाना महत्वपूर्ण है। क्यों ?
उत्तर― सिंचाई के अधीन क्षेत्र का लाना बड़ा आवश्यक है क्योंकि मानसून वर्षा
पर निर्भर रहना खतरनाक है जबकि मानसून पवनों पर विश्वास नहीं किया
जा सकता जो न कभी स्थायी, निरन्तर और विश्वसनीय है। कभी वे सूखे
का कारण बनती है तो कभी बाढ़ों का।

49. श्रमिक किन्हें कहते हैं?
उत्तर― श्रमिक खेतों में काम करने वाले वे मजदूर होते हैं जो या तो भूमिहीन
परिवारों से आते हैं या बहुत छोटे खेतों पर काम करने वाले परिवारों से।

50. श्रमिक या छोटे किसान पूँजी की व्यवस्था कैसे करते हैं?
उत्तर― श्रमिक या छोटे किसान अपनी पूँजी की व्यवस्था पैसा उधार लेकर करते
हैं। वे यह पैसा गाँव के बड़े किसानों से लेते हैं या गाँव के साहूकारों से
या फिर वे व्यापारियों से लेते हैं जो उनहें अनेक प्रकार की चीजें उपलब्ध
कराते हैं। परन्तु हर हालत में सूद की दर बहुत ऊँची होती है।

51. सविता और गोविन्द के लड़कों की भाँति छोटे किसानों के पास बहुत
कम गेहूँ बच पाता है, क्यों?
उत्तर― (क) क्योंकि एक तो उनका कुल उत्पादन बहुत कम होता है।
(ख) दूसरे, इस उत्पादन का एक बड़ा भाग वे अपने परिवार की
आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अपने पास रख लेते हैं।

52. लोग अपने गाँव को छोड़कर आस-पास के इलाकों में क्यों चले जाते
हैं?
उत्तर― (क) इसका पहला कारण यह है कि उन्हें अपने गाँव में मजदूरी नहीं
मिलती।
(ख) दूसरे, उन्हें दूसरे स्थानों पर अच्छी मजदूरी मिल जाती है।

                                   लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. भारत में जनगणना के दौरान दस वर्ष में एक बार प्रत्येक गाँव का
सर्वेक्षण किया जाता है। पालमपुर से संबधित सूचनाओं के आधार पर
निम्न तालिका को भरें–
उत्तर―(क) अवस्थिति क्षेत्र : रायगंज से 3 किलोमीटर की दूरी पर, शाहपुर
के नजदीक, पश्चिमी उत्तर प्रदेश।
(ख) गाँव का कुल क्षेत्र : 200+26 = 226 हेक्टेयर।
(ग) भूमि का उपयोग (हेक्टेयर में):    200 हेक्टेयर
                  सिंचित     ― 200
                  असिंचित    ― Nil
भूमि जो कृषि के लिए उपलब्ध नहीं है
(निवास स्थानों, सड़कों, तालाबों, चारागाहों आदि के क्षेत्र)
    ― 26 हेक्टेयर

(घ) सुविधाएँ–
शैक्षिक– 2 प्राथमिक विद्यालय और 1 उच्च विद्यालय
चिकित्सा– एक सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और
एक निजी औषधालय
याजार– रायगंज (पालमपुर से 3 किलोमीटर की
दूरी पर)
बिजली पूर्ति– हाँ, अधिकांश घरों में बिजली आपूर्ति
संचार–
निकटतम कस्बा― शाहपुर

2. पालमपुर के गाँव में बिजली के प्रसार ने किसानों की किस तरह मदद की?
उत्तर― पालमपुर के गाँव के बिजली के स्तिार का किसानों को अनेक प्रकार से
मदद की।
(क) बिजली ने सिंचाई की पद्धति ही बदल डाली। पहले किसान कुँओं
से रहट द्वारा पानी निकाल कर अपने छोटे-छोटे खेतों की सिंचाई किया करते थे।
अब उन्होंने बिजली का प्रयोग करके नलकूपों द्वारा अधिक प्रभावशाली ढंग से एक
बड़े क्षेत्र की सिंचाई करनी शुरू कर दी।

(ख) अच्छी सिंचाई की सुविधाओं से किसान लोग अब पूरे वर्ष
भिन्न-भिन्न फसलों की खेती करने लगे।

(ग) अब उन्हें सिंचाई के लिये मानसून वर्षा पर निर्भर रहने की कोई 
आवश्यकता नहीं थी,जो अनिश्चित ही नहीं थी वरन् विश्वसनीय भी नहीं थी। अब 
उन्हें कभी सूखे और कभी डूबे कोई डर न रहा।

(घ) अब उन्हें नहरी पानी के लिये होने वाले नित्य प्रति के झगड़ों से
भी छूट मिल गई जो कभी जानलेवा भी हो जाते थे।

3. क्या सिंचित क्षेत्र को बढ़ावा महत्वपूर्ण हैं? क्यों?
उत्तर― हाँ, कृषि उत्पदन को बढ़ाने के लिए सिंचित क्षेत्र को बढ़ावा निश्चय ही
महत्वपूर्ण है। कृषि उत्पादन लिए जल आवश्यक होता है।
(क) कई क्षेत्रों में पर्याप्त वर्षा नहीं होती हैं साथ ही, यह अनिश्चित भी 
होती है। पठारी क्षेत्र जैसे-दक्षिणी पठार और मध्य पठार पंजाब, रास्थान आदि में
कम वर्षा होती है। इन क्षेत्रों में कृत्रिम सिंचाई विल्कुल आवश्यक है। इसके बिना
यहाँ खेती प्रायः असंभव है।

(ख) कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जहाँ वर्षा तो पर्याप्त होती है परन्तु यह वर्ष
के कुछ दिनों तक ही केंद्रित होती है। वर्ष का शेष भाग सूखा ही रहता है। इसलिए
इन क्षेत्रों में सिंचाई सुविधाएँ वर्ष में एक से अधिक फसल उपजाने में सहायक
होगी।

(ग) इसके अतिरिक्त धान, गेहूँ, ईख जैसी कुछ खाद्य और नकदी
फसलों के लिए जल की पर्याप्त एवं निरंतर आपूर्ति की आवश्यकता होती है।

(घ) साथ ही, अधिक उपज देने वाले एच०वाई०पी० बीजों के लिए भी
पर्याप्त जल की जरूरत होती है।
                  आज भी देश के कुल कृषि क्षेत्र का 40% से भी कम भाग
सिंचित है। अत: तेजी से बढ़ती हमारी जनसंख्या भी खाद्य आवश्यकताओं को देखते
हुए कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए सिंचाई एक महत्वपूर्ण आगत होगा।

4. पालमपुर में खेतिहर श्रमिकों की मजदूरी न्यूनतम मजदूरी से कम क्यों है ?
उत्तर― यह डाला (श्रमिक) की स्थिति से भी स्पष्ट है कि पालमपुर में खेतिहर
श्रमिकों की मजदूरी न्यूनतम से भी कम है। सरकार द्वारा खेतिहर श्रमिकों के लिए
एक दिन की न्यूनतम मजदूरी 60 रु० निर्धारित की है। लेकिन डाला को मात्र
30-40 रु० ही मिलते हैं।
               इसका कारण यह है कि खेतिहर मजदूर या तो भूमिहीन किसान परिवार
या छोटे किसान परिवार से आते हैं। वे गरीब और असहाय होते हैं। वे दैनिक मजदूरी
पर काम करते हैं। उन्हें नियमित रूप से काम ढूँढ़ना पड़ता है। पालमपुर में खेतिहर
श्रमिकों में बहुत ज्यादा प्रतिस्पर्धा है, इसलिए श्रमिक न्यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी
पर भी काम करने को सहमत हो जाते हैं।
             अधिकांश खेतिहर श्रमिक निचली जाति और दलित वर्गों से होते हैं। उन्हें
भूमि मालिकों से ऊंची मजदूरी मांगने का साहस कम होता है।
            खेतिहर श्रमिक सामान्यतः अशिक्षित और अनभिज्ञ होते हैं। वे श्रम-संघों
में संगठित नहीं होते है। अतः वे ऊँची मजदूरी सुनिश्चित करने के लिए भूमि
मालिकों से मोल-भाव करने की स्थति में नहीं होते हैं।

5. पालमपुर में 450 परिवारों मे भूमि के वितरण की एक सारणी बनाएँ।
उत्तर― पालमपुर के 450 परिवारों में भूमि वितरण–
 किसानों के प्रकार           परिवारों की संख्या           अधिकृत भूमि
भूमिहीन किसान।                     150                         भूमिहीन
                                    (अधिकांश दलित)
छोटे किसान।                           240                   2 हेक्टेयर से कम
मझोले और
बड़े किसान
बड़े किसान।                              60                   2 हेक्टेयर से अधिक
बड़े किसान।                              ––                 10 हेक्टेयर या उससे अधिक
____________________________________________________________
कुल।                                       450 परिवार।                  ――

6. एक हेक्टेयर भूमि के मालिक किसान के कार्य का ब्योरा दें।
उत्तर― एक हेक्टेयर भूमि उस वर्ग क्षेत्र के बराबर होती है जिसके एक पक्ष का
माप 100 मीटर हो। मान लेते हैं कि किसान अपनी एक हेक्टेयर भूमि पर गेहूँ की
खेती करने की योजना बना रहा है। इसके लिए उसे बीज, खाद कीटनाशक के
साथ-साथ जल और खेती के अपनी उपकरणों की मरम्मत करने के लिए कुछ
नकदी की भी आवश्यकता होगी। यह अनुमान किया जा सकता है कि उसे
कार्यशील पूँजी के रूप में कम-से-कम 3000 रु० की जरूरत होगी। किसान
सबसे पहले बैलों या ट्रैक्टर से खेत की जुताई करता है, फिर उसमें बीज बोता है।
22 दिनों के नियमित अंतराल पर वह फसलों की सिंचाई करता है। वह सिंचाई
के बाद अपनी फसलों पर खाद और कीटनाशक छिड़कता है। बीज बोने के लगभग
तीन महीने बाद गेहूँ की कटाई और गहाई की जाती है और इस प्रकार गेहूँ का
उत्पादन पूरा होता है। किसान निजी उपभोग के लिए उपज का एक भाग अपने
पास रख लेता है और शेष भाग बाजार में बेच देता है।

7. मझोले और बड़े किसान कृषि के लिए कैसे पूँजी प्राप्त करते हैं? वह
छोटे किसानों से कैसे भिन्न है?
उत्तर― खेती की आधुनिक विधियों के लिए पर्याप्त पूँजी की आवश्यकता होती
है। इसलिए किसानों को पहले की अपेक्षा अब अधिक पैसों की जरूरत होती है।
मझोले और बड़े किसानों को अधिशेष कृषि उत्पादों को बेचकर खेती के लिए
पूँजी प्राप्त होती है। वे अपनी कमाई का एक भाग बचत कर लेते हैं और उसे अगले
मौसम के लिए कार्यशील पूंजी के रूप में रख लेते हैं। वे इन बचतों का प्रयोग
मवेशी, ट्रैक्टर, ट्रक आदि खरीने के लिए करते हैं। वे अपनी स्थिर पूँजी को भी
बढ़ाते हैं। इस प्रकार, वे अपनी बचत से ही खेती के लिए पूँजी की व्यवस्था करने
में सक्षम होते हैं।
       दूसरी ओर, छोटे किसानों को कृषि के लिए पूँजी हेतु पैसे उधार लेने पड़ते
हैं। वे प्रायः बड़े किसानों, गाँव के साहूकारों या व्यापारियों से उधार लेते हैं। ऐसे
ऋणों पर ब्याज की दर काफी अधिक होती है।

8. सविता को किन शर्तों पर तेजपाल सिंह से त्राण मिला है? क्या ब्याज
की कम दर पर बैंक से कर्ज मिलने पर सविता की स्थिति अलग होती?
उत्तर― सविता को कठोर शर्तों पर तेजपाल सिंह से ऋण मिलता है। तेजपाल सिंह
एक बड़ा किसान है। उसने सविता को चार महीनों के लिए 24% की ब्याज दर
पर ऋण दिया है। यह ब्याज की एक बहुत ऊंची दर है। सविता को यह भी वचन
देना पड़ा है कि वह कटाई के मौसम में उसके खेतों में एक श्रमिक के रूप में
35 रु० प्रतिदिन पर काम करेगी। यह मजदूरी बहुत कम है।
          निःसंदेह, ब्याज की कम दर पर बैंक से कर्ज मिलने पर सविता की स्थिति
अलग होती। उसकी स्थिति काफी बेहतर होती। वह व्याज को कम दर पर ऋण
आसानी से चुका पाती और उसे तेजपाल सिंह के लिए खेतिहर मजदूर के रूप में
कठिन परिश्रम नहीं करना पड़ता।

9. हरित क्रांति की विशेषताएँ लिखें?
उत्तर― हरित क्रांति की विशेषताएँ–
(क) गेहूँ तथा चावल में वृद्धि।
(ख) कृषि का मशीनीकरण।
(ग) सिंचाई सुविधाओं को आश्वासन।
(घ) कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि।
(ङ) भूमि जोतों के आकार में वृद्धि।
(च रासायनिक उर्वरा का प्रयोग।
(छ) उन्नत बीजों का प्रयोग
(ज) कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग।

10. उत्पादन के विभिन्न घटक कौन-से हैं?
उत्तर― उत्पादन के चार घटक हैं अर्थात् वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन के लिए
निम्नांकित चार चीजें आवश्यक हैं–
(क) भूमि– इसमें भूमि, जल, वन, खनिज जैसे अन्य प्राकृतिक संससाधन
शामिल होते हैं।

(ख) श्रम– इससे आशय उन लोगों से है जो काम करते हैं इसमें कुशल
और अकुशल दोनों प्रकार के श्रमिक शामिल होते हैं।

(ग) पूँजी– इसका आशय भौतिक पूँजी से है। यह दो प्रकार की होती है-
स्थिर पूँजी और कार्यशील पूँजी। उत्पादन में प्रयोग होने वाले औजार,
मशीन, भवन को स्थिर पूँजी कहते हैं, जबकि कच्चा माल और नकद पैसों को
कार्यशील पूँजी कहते हैं।

(घ) उद्यमता या मानव पूँजी– उद्यमता के रूप में एक चौथी
आवश्यकता भी होती है। क्योंकि हमें उत्पादन करने के लिए भूमि, श्रम और भौतिक
पूँजी को एक साथ करने योग्य बनाने के लिए ज्ञान और उद्यम की आवश्यकता
पड़ती है।

                                      दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. खेती की आधुनिक विधियों के लिए ऐसे अधिक आगतों की आवश्यकता
होती है, जिन्हें उद्योगों में विनिर्मित किया जाता है, वर्णन करें।
उत्तर― आधुनिक कृषि ढंग― जैसे उर्वरकों का प्रयोग, बीज की उत्तम नसलें
नलकूप द्वारा सिंचाई, कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग और खेती के नए उपकरण
जैसे टैक्टर, हार्वेस्टर, थ्रेशर आदि बहुत छ उद्योगों पर आधारित है। यदि उद्योग कृषि
के इन नए साधनों का निर्माी न करता तो हमारी कृषि उत्पादन इतना नहीं बढ़ सकता
था हम निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या का पेट नहीं भर सकते।
             कृषि और उद्योगों में इतना गहरा सम्बन्ध है कि दोनों को एक-दूसरे अलग
नहीं किया जा सकता। कृषि, उद्योगों के विकास के लिये अनेक प्रकार के कच्चे
माल का उत्पादन करती है और औद्योगिक उन्नति के लिए एक ठोस आधार का
निर्माण करती है। दूसरी ओर उद्योग के कारण ही कृषि में उत्पादन में वृद्धि सम्भव
हो पाई है। उद्योगों की विविधता तथा इनके विकास के पलस्वरूप ही कृषि का
आधुनिकीकरण सम्भव हो सका है। उर्वरकों, कीटनाशक, दवाईयों, प्लास्टिक,
बिजली, डीजल आदि का कृषि में प्रयोग उद्योगों पर निर्भर करता है। कृषि की
अनेक शाखाएँ अपने आपको उद्योग मानने लगी हैं जैसे डेरी उद्योग, वृक्षारोपण
उद्योग आदि। नये-नये उपकरणों, विभिन्न प्रकार के उर्वरों और मशीनों का प्रयोग
करके आधुनिक कृषि के अधीन बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सका हैं विविध
प्रकार के उद्योगों जैसे लोह-इस्पात उद्योग, इंजीनियरिंग उद्योग तथा रासायनिक
उद्योग आदि के विकास से कृषि के आधुनिकीकरण सम्भव हो सका है। निःसन्देह
संसार की बड़ी-बड़ी घास भूमियों को बड़े-बड़े फार्मों में बदलकर विशाल
धान्यागरों का रूप देना मशीनों के कारण ही सम्भव हो सका है।

2. एक ही भूमि पर उत्पादन बढ़ाने के अलग-अलग कौन-से तरक है?
समझाने के लिए उदाहरणों का प्रयोग करें।
             अथवा, बहुविधि फसल प्रणाली और खेती की आधुनिक विधियों में
क्या अंतर है?
उत्तर― एक ही भूमि पर उत्पादन ढ़ाने के लिए विभिन्न विधियाँ- एक ही भूमि
पर उत्पादन को बढ़ाने की दो विधियाँ निम्नांकित हैं–
                (क) बहुविध फसल प्रणाली– इस विधि के अंतर्गत भूमि के एक
टुकड़े पर एक वर्ष में दो से अधिक फसलें उत्पन्न की जाती हैं दी हुई भूमि पर
उत्पादन बढ़ाने की सामान्य विधि है। बहुविधि फसल प्रणाली तभी संभव है जब
सिंचाई करने की विधि अच्छी तरह से विकसित होगी।

              (ख) खेती की आधुनिक विधि- एक ही भूमि पर उत्पादन बढ़ाने की
विधि को खेती की आधुनिक विधि कहते हैं। इस विधि के अंतर्गत–
(i) परंपरागत बीजों के स्थान पर उन्नत बीजों का प्रयोग किया जाता है।
(ii) गोबर तथा अन्य खादों के स्थान पर रासायनिक उर्वरक का प्रयोग
किया जाता है।
(iii) सिंचाई नलकूपों से की जाती है।
(iv) कृषि में ट्रैक्टरों तथा श्रेशर का प्रयोग किया जाता है।
(v) कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव किया जाता है।

3. आपके क्षेत्र में कौन-से गैर-कृषि उत्पादन कार्य हो रहे हैं इनकी एक
संक्षिप्त सूची बनाएँ।
उत्तर― हमारे क्षेत्र में कई गैर-कृषि उत्पादन कार्य हो रहे हैं। हमारे क्षेत्र में
कार्यशील जनसंख्या का लगभग 25% भाग कृषि के अतिरिक्त अन्य कार्यों में लगा
है। उन लोगों की मुख्य क्रियाएँ निम्न हैं―
            (क) डेयरी― यह हमारे क्षेत्र के कुछ परिवारों में एक प्रचलित किया है।
लोग अपने गायों एवं भैंसों को कई तरह की घास और बरसात के मौसम में उगने
वाली ज्वार और बाजरा खिलाते हैं दूध को निकट के शहरों में बेचा जाता है जहाँ
दूध संग्रहण एवं शीतलन केंद्र भी है।

                      (ख) लघु स्तरीय विनिर्माण― वर्तमान में मेरे गाँव में लगभग 40
परिवार लघु स्तरीय विनिर्माण में लगे हैं। वे विनिर्माण में बहुत सरल उत्पादन विधियों
का प्रयोग करते हैं। विनिर्माण कार्य पारिवारिक श्रम की सहायता से अधिकतर घरों
या खेतों में किया जाता है। इनमें गुड़ उद्योग, मिट्टी के बर्तन बनाने का काम,
हस्तशिल्प का काम शामिल हैं।

                    (ग) दुकानदारी― हमारे क्षेत्र के कुछ लोग दुकानदारी का काम भी
करते हैं। वे शहरों के थोक बाजारों से कई प्रकार की वस्तुएँ खरीदते हैं और उन्हें
गाँव में लोकर बेचते हैं।

                  (घ) परिवहन― हमारे क्षेत्र में कुछ ऐसे लोग हैं जो परिवहन सेवाओं
में लगे हैं। इनमें रिक्शेवाले, ताँगेवाले, जीप, ट्रैक्टर, ट्रक ड्राइवर तथा परंपरागत
बैलगाड़ी और दूसरी गाड़ियाँ चलानेवाले लोग शामिल हैं।

4. गाँवों में और अधिक गैर-कृषि कार्य प्रारंभ करने के लिए क्या किया
जा सकता है?
उत्तर― गाँवों में और अधिक गैर-कृषि कार्य प्रारंभ करने के लिए निम्नांकित प्रयास
किए जा सकते हैं―
       (क) जानकारी― गाँव वालों को गैर-कृषि उत्पादन कार्यों की विशेषताओं
एवं महत्व के विषय में जानकारी दी जानी चाहिए। यदि वे यह जान जाएँगे कि
वे कैसे इन क्रियाओं से अधिक पैसा कमा सकते हैं तो वे लोग निश्चय ही ऐसी
क्रियाएँ प्रारंभ कर देंगे और उनका विस्तार करेंगे।

                   ऋण सुविधाएँ― सरकार कम ब्याज दर पर गाँव वालों को ऋण
उपलब्ध कराए ताकि वे इन क्रियाओं को प्रारंभ कर सके।

            (ग) परिवहन की सुविधाएँ― आसानी से उपलब्ध और सस्ती परिवहन
सेवाएँ निश्चित रूप से गैर-कृषि उत्पादन क्रियाओं को प्रोत्साहित करती है। लोग
आसानी से अपनी वस्तुएँ नजदीक बाजार में ले जा सकते है।

(घ) विपणन सहायता― सरकार को चाहिए कि वह ग्रामीणों को
विपणन की सुविधाएँ उपलब्ध कराए क्योंकि उनकी वस्तुएँ प्रायः गैर-मानकीकृत
होती है।

(ङ) तकनीकी सहायता― गाँवों में लघुस्तरीय उद्यमों का विकास
तकनीकी जानकारी का निम्न स्तर तथा प्रशिक्षित और अनुभवी व्यक्तियों के अभाव
के कारण भी प्रभावित होता है। इसलिए सरकार को ऐसी क्रियाओं को प्रोत्साहन
देने के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए।

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