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   Jharkhand Board Class 9TH Economics Notes | संसाधन के रूप में लोग :  

  JAC Board Solution For Class 9TH (Social Science) Economics Chapter 2


1. मानव पूँजी क्या है?
उत्तर― मानव में निहित निपुणता, उत्पादक ज्ञान का भंडार मानव पूँजी है।

2. जनसंख्या कब मानव पूँजी बनती है?
उत्तर― जनसंख्या मानव पूँजी तब बनती है जय उसमें शिक्षा, प्रशिक्षण के रूप में
निवेश किया जाता है।

3. एक बड़ी जनसंख्या को किस प्रकार उत्पादक परिसम्पत्ति में परिवर्तित
किया जा सकता है।
उत्तर― मानव पूंजी में निवेश करके एक बड़ी जनसंख्या को उत्पादक परिसंपत्ति
में परिवर्तित किया जा सकता है।

4. आर्थिक क्रियाओं के दो भाग लिखें।
उत्तर― बाजार क्रियाओं के दो भाग हैं―
(क) बाजार क्रियाएँ तथा (ख) गैर बाजार क्रियाएँ।

5. जनसंख्या की गुणवत्ता अंत में क्या निर्णय लेती है?
उत्तर― जनसंख्या की गुणवत्ता अंत में एक देश की संवृद्धि का निर्णय लेती है।

6. किस प्रकार की जनसंख्या अर्थव्यवस्था पर एक भार है?
उत्तर― अशिक्षित तथा अस्वस्थ जनसंख्या अर्थव्यवस्था पर एक भार है।

7. किस प्रकार की जनसंख्या अर्थव्यवस्था की परिसंपत्ति है?
उत्तर― शिक्षित तथा स्वस्थ जनसंख्या देश की परिसम्पत्ति है।

8. व्यक्ति की आय का निर्धारण किस आधार पर होता है?
उत्तर― एक व्यक्ति की आय का निर्धारण उसकी शिक्षा तथा निपुणता के आधार
पर होता है।

9. बाजार में एक व्यक्ति की आय के मुख्य निर्धारण कौन हैं?
उत्तर― शिक्षा तथा निपुणता बाजार में एक व्यक्ति की आय के मुख्य निर्धारक
हैं।

10. शिक्षा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर― शिक्ष का अभिप्राय है लोगों में पढ़ने, लिखने और समझने में योग्यता।

11. भारत में शैक्षणिक उपलब्धता के संकेतक लिखें।
उत्तर― साक्षरता दर, सकल नामांकन दर, सरकार का शिक्षा पर व्यय तथा
तकनीकी शिक्षा शैक्षणिक उपलब्धता के संकेतक है।

12. मृत्यु दर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर― मृत्यु दर से अभिप्राय है एक विशेष वर्ष में प्रति 1000 व्यक्तियों पर मरने
वालों की संख्या।

13. जन्मदर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर― जन्मदर से अभिप्राय है एक विशेष वर्ग में प्रति 1000 व्यक्तियों के पीछे
बच्चे पैदा होने वाली संख्या।

14. भारत में जन्म दर 25 है। इस कथन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर― इसका अर्थ है एक वर्ष में 1000 व्यक्तियों के पीछे औसत 25 बच्चों
का पैदा होना।

15. एक देश में एक विशेष वर्ष में जन्म दर तथा मृत्युदर क्रमशः 26 तथा
8 है। संवृद्धि दर ज्ञात करें।
उत्तर― संवृद्धि दर = जन्म दर – मृत्यु दर
                          = 26 – 8 = 18

16. शिशु मृत्यु दर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर― शिशु मृत्यु दर से अभिप्राय प्रति 1000 नवजात शिशुओं में मरने वाले
शिशुओ की संख्या।

17. 2000 में जीवन प्रत्याशा क्या थी?
उत्तर―2000 में जीवन प्रत्याशा 64 वर्ष से ऊपर थी।

18. सन् 2000 में शिशु मृत्यु दर कितनी थी ?
उत्तर― सन् 2000 में शिशु मृत्यु दर 75 थी।

19. शीला परिवार के लिए कार्य करती है। वह परिवार के बाहर आय
कमाने के लिए काम नहीं करना चाहिए। क्या वह बेरोजगार है? कारण
बताएँ।
उत्तर― शीला बेरोजगार नहीं है, क्योंकि वह परिवार के बाहर आय कमाने के
उद्देश्य से काम नहीं करना चाहती अर्थात् घर के बाद काम करने की इच्छा
नहीं है।

20. एक देश की श्रमशक्ति क्या है?
उत्तर― एक देश की श्रमशक्ति में 15-59 वर्ष के वे सब लोग शामिल हैं जो
काम करने के योग्य है और काम करने की इच्छा रखते हैं।

21. बेरोजगारी के कोई दो दोष लिखें।
उत्तर― (क) बेरोजगारी से आश्रितों की संख्या में वृद्धि हो जाती हैं फलस्वरूप
जीवन स्तर गिर जाता है।

(ख) बेरोजगारी से मानवशक्ति संसाधन व्यर्थ जाता है।

22. सबसे अधिक श्रम खपाने वाला अर्थव्यस्था का कौन-सा क्षेत्र है?
उत्तर― कृषि क्षेत्र सबसे अधिक श्रम खपाने वाला अर्थव्यवस्था का क्षेत्र है।

23. कृषि पर जनसंख्या की निर्भरता क्यों कम हो गई है?
उत्तर― प्रच्छन्न बेरोजगारी तथा श्रमिकों का दूसरे, तीसरे क्षेत्र की ओर जाने के
कारण कृषि पर जनसंख्या की निर्भरता कम हो गई है।

24. मनुष्यों के गुणात्मक पक्ष को कैसे विकसित किया जा सकता है?
उत्तर― मनुश्य में शिक्षा, प्रशिक्षण, स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से निवेश करके
उन्हीं गुणात्मक पक्ष को विकसित किया जा सकता है।

25. भारतीय ग्रामीण क्षेत्र में हम किस प्रकार की बेरोजगारी पाते हैं?
उत्तर― हम ग्रामीण क्षेत्र में प्रच्छन्न बेरोजगारी तथा मौसमी बेरोजगारी पाते हैं।

26. ग्रामीण क्षेत्र में प्रच्छन्न बेरोजगारी क्यों पाई जाती है? कोई दो कारण
लिखें।
उत्तर― (क) अधिक श्रम शक्ति का होना,

(ख) ग्रामीण क्षेत्र में सहायक, वैकल्पिक व्यवस्था का न होना।

27. ग्रामीण क्षेत्र में मौसमी बेरोजगारी क्यों पाई जाती है?
उत्तर― ग्रामीण क्षेत्र में कृषि मुख्य क्रिया है और कृषि एक मौसमी क्रिया है। अतः
किसानों तथा कृषि श्रमिकों को पूरे साल काम नहीं मलिता। वे साल के
कुछ महीने बेरोजगार रहे हैं। अतः ग्रामीण क्षेत्र में मौसमी बेरोजगारी पाई
जाती है।

28. शहरी क्षेत्र में किस प्रकार बेरोजगारी पाई जाती है?
उत्तर― शहरी क्षेत्र में दो प्रकार की बेरोजगारी पाई जाती है–
(क) शिक्षित बेरोजगारी तथा (ख) आद्योगिक बेरोजगारी।

29. शहरी क्षेत्र में शिक्षित बेरोजगारी पाई जाती है?
उत्तर― शहरी क्षेत्र में शिक्षित बेरोजगारी निम्नांकित कारणों से पाई जाती है-
(क) देश के अंदर सामान्य शिक्षा का तेजी से विस्तार।
(ख) दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली जो नौकरी उन्मुख नहीं है।

30. औद्योगिक बेरोजगारी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर― औद्योगिक बेरोजगारी से अभिप्राय अशिक्षितों में बेरोजगारी है जो उद्योगों,
खनन, परिवहन, व्यापार, निर्माण आदि क्रियाओं में काम करना चाहते
परन्तु कम औद्योगिक विकास के कारण उन्हें काम नहीं मिलता।

31. भारत में औद्योगिक बेरोजगारी की समस्या गंभीर क्यों बन गई है?
उत्तर― भारत में औद्योगिक बेरोजगारी की समस्या निम्न कारणों से बन गई है–
(क) नौकरी की तलाश में शहरों में ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लोगों
की संख्या में वृद्धि।

(ख) उद्योगों में पूजी प्रधान विधियों का प्रयोग।

32. कौन-से कारक जनसंख्या की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं?
उत्तर―(क) साक्षरता दर,
(ख) लोगों का स्वास्थ्य और
(ग) कौशल निर्माण

33. शिक्षा किस प्रकार मानव विकास का महत्वपूर्ण कारक है?
उत्तर― (क) शिक्षा किसी भी व्यक्ति के लिये प्रगति के नए क्षितिज खोल देती
है।

(ख) यह लोगों में नई आशाएँ पैदा कर देती है।

(ग) यह जीवन के मूल्यों को विकसित करती है।

4. सर्व शिक्षा अभियान क्या है?
उत्तर― यह एक शिक्षा अभियान है जिसका उद्देश्य यह है कि 2010 तक 6 से
14 वर्ष आयु वर्ग के सभी स्कूली बच्चों को प्राथमिक शिक्षा अवश्य प्रदान
की जाए।

15. स्कूल के बच्चों के लिये दोपहर भोजन की योजना क्यों कार्यान्वित
की गई है?
उत्तर― दोपहर के भोजन की योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि स्कूल में, उनकी
उपस्थिति को सुनश्चित बनाया जा सके, उनकी पोषण स्थिति में सुधार
लाया जा सके।

36. शिशु मृत्यु दर को कैसे घटाया जा सकता है?
उत्तर― (क) शिशुओं को संक्रमण से रक्षा की जानी चाहिए।

(ख) बच्चों के लिये अच्छे भोजन और पोषण की व्यवस्था की जानी
चाहिए।

(ग) माताओं को शिशु-पालन में प्रशिक्षित करना चाहिए।

37. 'बेरोजगारी' शब्द से आप क्या समझते हैं?
उत्तर― यदि किसी विशेष वर्ग के लोग काम करने के योग्य होते हैं और काम
भी करना चाहते हैं परन्तु उन्हें काम नहीं मिलता तो ऐसी अवस्था को
बेरोजगारी कहा जाता है।
 
                                  लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. 'संसाधन के रूप में लोग' से आप क्या समझते हैं?
उत्तर― 'संसाधन के रूप में लोग' वर्तमान उत्पादन कौशल और क्षमताओं के संदर्भ
में किसी देश के कार्यरत लोगों का वर्णन करने का एक तरीका है। ये वे लोग
हैं जिनमें सकल राष्ट्रीय उत्पाद के सृजन में योगदान देने की क्षमता है। इसलिए
लोगों को देश का सर्वाधिक महत्वपूर्ण संसाधन माना जाता है। इस संसाधन को
मानव संसाधन कहा जाता है। यह विशाल जनसंख्या का एक सकारात्मक पहलू
है। किसी देश का संपूर्ण विकास जनसंख्या के आकार पर उतना निर्भर नहीं करता
जितना कि लोगों के कौशल, तकनीकी जानकारी, स्वास्थ्य, आदि पर निर्भर करता
हैं इस प्रकार, जनसंख्या अर्थव्यवस्था के लिए एक दायित्व की अपेक्षा एक
परिसंपत्ति है।

2. मानव संसाधन भूमि और भौतिक पूँजी जैसे अन्य संसाधनों से कैसे
भिन्न है?
उत्तर― निस्संदेह मानव पूँजी सबसे बड़ी पूँजी है। मानव पूँजी भूमि, श्रम और
भौतिक पूँजी जैसे अन्य संसाधनों से कई दृष्टि से श्रेष्ठ और भिन्न है―
           (क) अन्य संसाधनों से भिन्न, मानव संसाधन का आर्थिक विकास की
दृष्टि से दोहरा महत्व है। लोक विकास के साधन और साध्य दोनों होते हैं। एक
ओर वे उत्पादन के साधन और दूसरे ओर वे अन्तिम उपयोग कर्ता एवं स्वयं साध्य
भी होते हैं। इसका कारण है कि विकास का अंतिम उद्देश्य लोगों को बेहतर और
अधिकार सुरक्षित जीवन प्रदान करना है।

            (ख) मानव संसाधन भूमि और पूंजी जैसे अन्य संसाधनों का प्रयोग कर
सकता है किन्तु भूमि और पूंजी अपने आप उपयोगी नहीं हो सकते।

              (ग) मानव संसाधन की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है क अधिक
शिक्षित एवं अधिक स्वस्थ लोगों के लाभ स्वयं उन तक ही सीमित नहीं होते
हैं, बल्कि उन का लाभ उन तक भी पहुँचता है जो स्वयं उतने शिक्षित एवं स्वस्थ
नहीं हैं।

3. मानव पूँजी निर्माण में शिक्षा की क्या भूमिका है?
उत्तर― मानव पूंजी के निर्माण में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।
      (क) शिक्षा व्यक्ति को इस योग्य बनाता है कि वह अपना सर्वांगीण
विकास कर सके।

      (ख) शिक्षा एक व्यक्ति को इस योग्य बनाती है कि वह किसी कौशल
में बन सके और अच्छा वेतन प्राप्त कर सके।

       (ग) शिक्षा मनुष्य को इस योग्य बनाती है कि वह शराबखोरी और
जुआ आदि के व्यसनों से बच सके जो उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य
पर बुरा प्रभाव डालते हैं।

       (घ) शिक्षा इसलिए भी आवश्यक है कि वह प्रत्येक व्यक्ति को इस
योग्य बनाती है कि वह अपने परिवार को सीमित रखे ताकि उसे भुखमरी का
सामना न करना पड़े।

       (ङ) शिक्षा एक व्यक्ति को अच्छे गुण अपनाने के योग्य बनाती है। ऐसा
गुणी व्यक्ति ही देश का एक अच्छा नागरिक बन सकता है।

4. मानव पूंजी के निर्माण में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है?
अथवा, किसी व्यक्ति के कामयाब जीवन में स्वास्थ्य की क्या भूमिका
है?
उत्तर― मानव विकास में स्वास्थ्य की भूमिका- मानव विकास में स्वास्थ्य की
बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है। स्वास्थ्य से हमार तात्पर्य केवल जीवित रहना ही नहीं
है वरन् एक व्यक्ति की सर्वांगीण भलाई से जिसमें शारीरिक, मानसिक, आर्थिक
तथा सामजिक आदि सभी पक्ष आ जाते हैं स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यय किया गया
धन केवल किसी विशेष व्यक्ति का ही कल्याण नहीं करना वरन् इसके द्वारा मानव
संसाधन के क्षेत्र में भी सुधार आता है और परिणामस्वरूप राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था
के विभिन्न क्षेत्रों में लभकारी प्रभाव देखने को मिलते हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी
केवल रोगों के निवारण पर ही जोर नहीं दिया जाता वरन् जनसंख्या नियंत्रण,
परिवार कल्याण खाद्य पदार्थों में मिलावट आदि रोकना तथा नशीले पदार्थों पर
नियंत्रण रखने आदि पक्षों पर ध्यान दिया जाता है।

5. प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में किस तरह की विभिन्न
आर्थिक क्रियाएँ संचालित की जाती हैं
उत्तर― आर्थिक क्रियाओं को तीन मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है–
        प्राथमिक क्रियाएँ–वे क्रियाएँ जो प्रत्यक्ष रूप से भूमि और जल से संबंधित
हैं प्राथमिक क्रियाएँ कहलाती हैं। जैसे-खेती, पशुपालन, वनोद्योग, मत्स्यपालन,
खनन व उत्खनन प्राथमिक क्रियाओं के उदाहरण हैं।
        द्वितीयक क्रियाएँ– जिन क्रियाओं के द्वारा प्राथमिक वस्तुओं को शारीरिक
श्रम या मशीनों की सहायता से किन्हीं दूसरी वस्तुओं में बदला जाता है, उन्हें
द्वितीयक क्रियाएँ या गौण क्रियाएँ कहा जाता है। कपास से कपड़े का, गेहूँ से आटा
व रोटी का, लकड़ी से कागज व फर्नीचर का, लोहे से स्टील की छडों व स्टील
के बरतनों का, गने से चीनी का, कच्चे जूट से जूट वस्तुओं का उत्पदनप द्वितीयक
वस्तुओं के उदाहरण हैं।
             तृतीयक क्रियाएँ– वे क्रियाएँ जो प्राथमिक एवं द्वितीय क्रियाओं के आधार
सेवाएँ प्रदान करती हैं तृतीय क्रियाएँ कहलाती हैं। इन्हें सेवा क्रियाएँ भी कहा जाता
है। परिवहन, संचार, व्यापार, बैंकिंग, बीमा और अन्य सब प्रकार की व्यावसायिक
सेवाएँ तृतीयक सेवाओं के ही उदाहरण हैं।

6. महिलाएँ क्यों निम्न वेतन वाले कार्यों में नियोजित होती हैं?
उत्तर― इस बात में कोई भी अतिशयोक्ति नहीं कि महिलाएँ प्रायः निम्न वेतन वाले
कार्यों में नियोजित होती हैं। इसके कुछ मुख्य कारण निम्नांकित हैं―
(क) शिक्षा किसी की भी आमदनी को निश्चित करने वाला एक मुख्य
कारक होता है। क्योंकि महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा कम पढ़ी-लिखी होती हैं।
इसलिए उनके मुकाबले में उन्हें कम वेतन मिलता है।
 
(ख) शिक्षा के पश्चात् उच्च कौशल किसी भी व्यक्ति की आय को
सुनिश्चित करने का एक अन्य मुख्य कारक होता है। साधारणतयाः यह देखा
गया है कि महिलाएँ प्रायः उच्च कौशल प्राप्त नहीं होती इसलिए उन्हें कम वेतन
मिलता है।

                (ग) कुछ लोगों का यह भी कहना है कि महिलाएँ बहुत से ऐसे कार्य
नहीं कर सकती जिसमें शारीरिक शक्ति की आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार वे
कठिन परिश्रम वाले कार्यों को प्राप्त करने से वंचित रह जाती हैं। बाकी कार्यों में
ऊँचे वेतन पाना महिलाओं के लिए कठिन हो जाता है।

          (घ) महिलाएँ प्रायः अपने घरा के कार्यों से अधिक जुड़ी होती है इसलिए
वे किसी भी नौकरी पर इतना नियमित रूप से काम नहीं कर सकतीं इसलिए भी
उन्हें कम वेतन दिया जाता है।

7. किस पूँजी को आप सबसे अच्छा मानते हैं- भूमि, श्रम, भौतिक पूँजी
और मानव पूँजी ? क्यों?
उत्तर- नि:संदेह मानव पूँजी सबसे बड़ी पूँजी है। मानव पूँजी भूमि, श्रम और भौतिक
पूँजी जैसे अन्य संसाधनों से कई दृष्टि से श्रेष्ठ और भिन्न है–
           (क) अन्य संसाधनों से भिन्न, मानव संसाधन का आर्थिक विकास की
दृष्टि से दोहरा महत्व है। लोग विकास के साधन और साध्य दोनों होते हैं। एक
ओर उत्पादन के साधन और दूसरी ओर वे अन्तिम उपयोग कर्ता एवं स्वयं साध्य
भी होते हैं। इसका कारण है कि विकास का अंतिम उद्देश्य लोगों को बेहतर और
अधिक सुरक्षित जीवन प्रदान करना है।

      (ख) मानव संसाधन भूमि और पूँजी जैसे अन्य संसाधनों का प्रयोग कर
सकता है किन्तु भूमि और पूँजी अपने आप उपयोगी नहीं हो सकते।

        (ग) मानव संसाधन की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि अधिक शिक्षित
एवं अधिक स्वस्थ लोगों के लभ स्वयं उन तक ही सीमित नहीं होते हैं, बल्कि उन
का लाभ उन तक भी पहुंचता है जो स्वयं उतने शिक्षित एवं स्वस्थ नहीं हैं।

8. 'मानव पूँजी' और 'मानव पूँजी निर्माण' से आप क्या समझते हैं?
उत्तर― मानव पूँजी-जब शिक्षा, प्रशिक्षण और चिकित्सा सेवाओं में निवेश किया
जाता है तो जनसंख्या मानव पूँजी में बदल जाती हैं वास्तव में, मानव पूँजी कौशल
और उनमें निहित उत्पादन के ज्ञान का स्टॉक है।
         मानव पूँजी निर्माण― जब विद्यमान मानव संसाधन या मानव पूँजी को और
अधिक शिक्षा और स्वास्थ्य द्वारा विकसित किया जाता है, तब हम इसे मानव पूँजी
निर्माण कहते हैं। यह भौतिक पूँजी निर्माण की ही भाँति देश की उत्पादक शक्ति
में वृद्धि करता हैं शिक्षा, प्रशिक्षण और स्वास्थ्य सेवा के माध्यम से मानव पूँजी
में निवेश भौतिक पूँजी की ही भाँति प्रतिफल प्रदान करता है। उदाहरण के लिए
अधिक शिक्षित या बेहतर प्रशिक्षित लोग अपनी उच्च उत्पादकता के कारण अधिक
आय कमाते हैं।

9. 'बेरोजगारी' शब्द की आप कैसे व्याख्या करेंगे?
उत्तर― बेरोजगारी उस समय विद्यमान कही जाती है, जब प्रचलित मजदूरी की दर
पर काम करने के लिए इच्छुक लोग रोजगार नहीं पा सकें। दूसरे शब्दों में,
बेरोजगारी से आशय इच्छा के बावजूद रोगजार के न मिलने से है। इससे अभिप्राय
उस स्थिति से है जब व्यक्ति काम के लिए उपलब्ध होते हैं और इच्छा भी रखते
हैं परन्तु उन्हें काम नहीं मिल पाता है। दूसरी ओर, श्रम शक्ति जनसंख्या में वे लोग
शामिल किए जाते हैं जिनकी उम्र 15 वर्ष से 59 वर्ष के बीच है। उदाहरण के
लिए, सकल की माँ शीला अपने परिवार के लिए काम करती है। वह अपने घर
से बाहर पैसे के लिए काम करना नहीं चाहती है। अतः उसे बेरोजगार नहीं कहा
जा सकता है। उसी प्रकार, अकित का भाई अमित और बहन आभा क्रमशः 9 वर्ष
और 11 वर्ष की है। इसलिए उन्हें बेरोजगार नहीं कहा जा सकता। अंकित के
दादा-दादी की आयु भी 59 वर्ष से अधिक है। इसलिए उन्हें भी बेरोजगार नहीं
कहा जा सकता।

10. बेरोजगारी से क्या हानियाँ होती हैं?
उत्तर― बेरोजगारी की हानियाँ―
              (क) बेरोजगारी से मानव शक्ति संसाधन व्यर्थ हो जाते हैं। वे व्यक्ति
जो देश की परिसंपत्ति हैं वे देश पर भार बन जाते हैं।

(ख) बेरोजगरी एक सामाजिक बुराई है। बेरोजगार लोग एक निराश,
उत्साहीन तथा विवश वर्ग बन जाता है। नवयुवकों में निराशा की भावना पैदा हो
जाती हैं बेरोजगारी से समाज में बेचैनी फैलाती है।

(ग) बेरोजगारी से काम करने वाले लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है।

11. शिक्षा का क्या महत्त्व है?
उत्तर― शिक्षा का महत्व–
(क) शिक्षा से मानव का दृष्टिकोण विस्तृत होता है।
(ख) यह नया जोश उपलब्ध कराती है।
(ग) यह जीवन के मूल्य को विकसित करती है।
(घ) यह समाज की संवृद्धि में योगदान देती है।
(ङ) यह राष्ट्रीय आय में वृद्धि करती है और मनुष्य की कार्यकुशलता
को बढ़ाती है।
(च) यह अच्छी नौकरी और अधिक वेतन प्राप्त करने में सहायता करती
है।

12. 'प्रच्छन्न बेरोजगारी' और 'मौसमी बेरोजगारी' में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर― प्रच्छन्न बेरोजगारी और मौसमी बेरोजगारी में अंतर–

प्रच्छन्न बेरोजगारी
(क) प्रच्छन्न बेरोजगारी में व्यक्ति कार्य करता हुआ तो दिखाई देता है
लेकिन वास्तव में वह बेरोजगार होता है।

(ख) ऐसी स्थिति जिसमें बेरोजगारी के आँकड़ों द्वारा दर्शाये गए लोगों
से कहीं अधिक संख्या में लोग बेरोजगार हैं।

मौसमी बेरोजगारी
(क) मौसमी बेरोजगारी में किसान या व्यक्ति निश्चित अवधि में काम
करने के बाद बेरोजगार हो जाता है।

(ख) ऋतु परिवर्तन के हिसाब से बढ़ने वाले बेरोजगारी जो कि
अधिकतर कृषि क्षेत्र में पाई जाती है।

13. आर्थिक और गैर-आर्थिक क्रियाओं में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर― आर्थिक और गैर-आर्थिक क्रियाओं में अंतर–

आर्थिक क्रियाएँ :
(क) वे सभी क्रियाएँ जिससे व्यक्तियों को आय की प्राप्ति होती हैं
जैसे एक नर्स द्वारा हॉस्पीटल में कार्य करने पर उसे मिलने वाला वेतन।

(ख) आर्थिक क्रियाएँ व्यवसाय, पेशा तथा रोजगार से संबंधित होती है।

गैर-आर्थिक क्रियाएँ:
(क) गैर-आर्थिक क्रियाएँ वे क्रियाएँ हैं, जिससे व्यक्ति को किसी प्रकार
की भी आय प्राप्त नहीं होती।
                  जैसे एक नर्स द्वारा अपने घर का कार्य करना।

(ख) गैर-आर्थिक क्रियाओं का वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में
योगदान नहीं होता है।

(ग) ये क्रियाएँ मानवीय सेवा भावना एवं समाज कल्याण आदि उद्देश्य
से की जाती है।

                                  दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

1. शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिये एक विशेष समस्या क्यों हैं?
उत्तर― शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिये एक विशेष समस्या बनी हुई है। बहुत-से
मैट्रिक पास, स्नातक और उनसे भी अधिक पढ़े-लिखे एम० ए० पास लोग बेकार
घूमते नजर आते हैं ऐसे युवक कोई भी रोजगार पाने में असमर्थ हैं। ऐसी परिस्थिति
के लिए कोई-न-कोई कारण तो उत्तरदायी होगा। इनमें से कुछ मुख्य निम्नांकित हैं–
(क) शिक्षा पद्धति में दोष― हमारी शिक्षा पद्धति भी निःसन्देह दोषपूर्ण
है, नहीं तो इतने वर्ष स्कूल व कॉलेजों में पढ़कर हमारे युवक बेकार क्यों घुमें।
हमें शिक्षा पद्धति में सुधार करके इसे व्यवसायी और दस्तकारी युक्त बनाना चाहिए
ताकि हर एक विद्यार्थी पढ़ने के उपरांत स्वयं छोटा-मोटा कार्य कर सके।

(ख) हमारे औद्योगिक और सेवा क्षेत्र की प्रगति संतोषजनक नहीं―
इसमें संदेह नहीं कि हमारे औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में कुछ प्रगति हुई हैं परन्तु
यह प्रगति इतनी उत्साहजनक नहीं इसलिए इन दोनों क्षेत्रों में रोजगार के इतने साधन
पैदा नहीं किए।

(ग) अव्यवस्थित तकनीकी विकास― अब तो उद्योगों के क्षेत्र में नई
क्रांति का विकास हो रहा है उसके कारण कारीगरों को बहुत थोड़े रोजगार के
अवसर मिले हैं। इतना अवश्य हुआ है कि नई-नई मशीनों के आने से बहुत से
मजदूरी की छटनी अवश्य हो गई। परिणामस्वरूप बेरोजगारी की समस्या और
विकट होती गई।

(घ) विदेशों में नौकरी पाने की कोई विशेष सुविधा न होना― हमारे
बहुत से पढ़े-लिखे युवक नौकरी पाने के लिये विदेशों में जाने के लिए भी तैयार
हैं परन्तु उन्हें विदेश जाने को इतनी सुविधाएँ प्राप्त नहीं हैं। बहुत से इंग्लैंड, फ्रांस,
जर्मनी, यू०एस०ए० आदि विकसित देशों में विजा देने में कई रुकावटें डाल रखी
हैं जिनके कारण भी शिक्षित बेकारी की समस्या और गहराती जा रही हैं।

2. भारत किस क्षेत्र में रोजगार के अधिक अवसर सृजित कर सकता है?
वर्णन करें।
उत्तर― आर्थिक क्रियाकलापों को तीन प्रमुख क्षेत्रकों में बाँटा जा सकता है– जो
क्रमशः प्राथमिक, द्वितीय और तृतीयक क्षेत्रक है। प्रथम क्षेत्रक में, जिनमें कृषि,
वानिका पशुपालन, मत्स्यपाल, मुर्गीपालन और खनिज आदि क्रियाएँ शामिल हैं,
पहले ही भारत की दो-तिहाई जनसंख्या को रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा हैं
द्वितीयक क्षेत्रक, जिसमें उत्खनन और विनिर्माण की क्रियाएँ शामिल है देश की
कोई 10% कार्यरत जनसंख्या को रोजगार अवसर प्राप्त करा रहा है तृतीयक क्षेत्रक,
जिसमें परिवहन, संचार, व्यवहार, बैंकिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य, बीमा, पर्यटन की क्रियाएँ
शामिल है देश की कोई 20% कार्यरत जनसंख्या को अपने में समाए हुए है।
                  कृषि के क्षेत्र में पहले ही भारत की एक बड़ी जनसंख्या का भाग है
इसलिये इसमें और लोगों के समाने की सम्भावना नहीं। वहाँ पर गुप्त बेरोजगारी
के समाचार अकसर पढ़ने को मिलते है। ऐसे में अब द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों
में रोजगार के अधिक अवसर सृजित किये जा सकते हैं। द्वितीयक क्षेत्रक में आम
भारत की जनसंख्या का केवल अभी 10% भाग ही काम कर रहा हैं अधिक से
अधिक कारखाने खोलकर अनेक लोगों को रोजगार के अधिक अवसर प्रदान किये
जा सकते है। ऐसे में उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ भारत के व्यापार में भी काफी
वृद्धि हो सकती है।
           तृतीयक क्षेत्रक में भी कुछ लोग रोजगार के अवसर प्रदान किये जा सकते
हैं। वहाँ व्यापार, परिवहन, संचार, बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन आदि
सुविधाओं का और विस्तार करके अनेक लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किये
जा सकते हैं।

3. शिक्षा प्रणाली में शिक्षित बेरोजगारों की समस्या दूर करने के लिए क्या
उपाय सुझाएँ जा सकते हैं?
उत्तर― भारत में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या दूर करने के लिए शिक्षा प्रणाली
के संदर्भ में निम्न उपाए सुझाए जा सकते हैं–
(क) भारतीय शिक्षा प्रणाली को रोजगार-उन्मुख बनाया जाना चाहिए।

(ख) व्यावसायिक शिक्षा पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए। प्रारंभ से
ही छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा पर बल दिया जाना चाहिए ताकि वे स्व-रोजगार
कर सके।

(ग) एक ऐसी शिक्षा योजना तैयार की जानी चाहिए जिससे शिक्षित
युवकों को बेरोजगारी की समस्या का सामना नहीं करना पड़े।

(घ) छात्रों को स्व-रोजगार के विषय में जागरूक बनाया जाना चाहिए।

(ङ) शिक्षित व्यक्तियों में शिक्षकों, डॉक्टरों आदि के रूप में गाँवों में
सेवा करने की भावना को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

(च) रोजगार सूचना और मार्गदर्शन प्रदान करनेवाले संस्थानों का
विस्तार किया जाना चाहिए।

(छ) महँगी व्यवसायिक शिक्षा एवं अपनी व्यावसायिक इकाई स्थापित
करने के लिए छात्रों को वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए।

4. क्या आप कुछ ऐसे गाँव की कल्पना कर सकते हैं जहाँ पहले रोजगार
का कोई अवसर नहीं था, परन्तु बाद में बहुतायत में हो गया।
उत्तर― हमारे बहुत से गाँव में लोग अपने कपड़े स्वयं धोते हैं, कपड़े स्वयं सीते
हैं और घर की लीपा पोती भी स्वयं कर लेते हैं। यदि उन्हें अपने बच्चों को
थोड़ा-बहुत पढ़ाना होता है तो वे यह काम स्वयं या गाँव वाले किसी आम
पढ़े-लिखे सदस्य की सहायता से पूरा कर लेते हैं कुछ लोग पढ़ाई के लिए अपने
बच्चों को आस-पास कस्बे में भेज देते हैं। यदि कोई सिलाई का बड़ा काम
करवाना हो तो वे पास के बड़े गाँवों या नगरों में जाकर पूरा करा लेते हैं। यदि
अपने परिवार की आवश्यकताओं से अधिक अनाज पैदा हो जाए तो वे अपना
फालतू अनाज आस-पास की मण्डियों में बेच आते हैं। ऐसे में इन गाँव में रोजगार
के अवसर प्रायः न के बराबर होते हैं।
           परन्तु यदि वे थोड़ा-सा प्रयल करें तो उसी गाँव में जहाँ पहले रोजगार
के कोई अवसर नहीं थे, वहाँ रोजगार के अनेक अवसर पैदा किए जा सकते हैं।
              (क) यदि वे अपने गाँव में कोई भी स्कूल खोल ले तो गाँव के अनेक
पढ़े-लिखे लोगों को अपने ही गाँव में अध्यापक के पद पर काम करने वालों को
रोजगार के अवसर प्राप्त हो जाए।

              (ख) इसी प्रकार गाँव की कोई लड़की या लड़का दर्जी के कार्य का
शहर से प्रशिक्षण लेकर अपने गाँव में ही दर्जी की दुकान खोल लेता है तो उस
गाँव में दर्जी का काम करने वालों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त हो जाएँगे।

                (ग) इसी प्रकार यदि कोई किसान अपने ही गाँव में गन्ने से रस
निचोड़ने की मशीन लगाकर वहाँ गुड़ आदि बनाना शुरू कर देता है तो ऐसे में
गाँव के अनेक बेकार लोगों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त हो जाएँगे।

          (घ) इसी प्रकार यदि गाँव का केई साहसी युवक एक टैक्सी या तीन
पहिया स्कूटर खरदकर गाँव के लोगों और उनके माल को आस-पास के गाँव
तक लाना ले जाना शुरू कर देता है तो उस गाँव में एक-दो ड्राइवरों को नए
रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो जाएँगे।

5. भारत में साक्षरता-दर बढ़ाने हेतु सरकार ने कौन-कौन से उपाए किए
हैं?
उत्तर― सरकार द्वारा साक्षरता-दर बढ़ाने हेतु किए गए प्रयास निम्नांकित हैं–
(क) शिक्षा या योजना परिव्यय पहली पंचवर्षीय योजना के 151 करोड़
रु० से बढ़कर दसवीं पंचवर्षीय योजना में 43,825 करोड़ रु० हो गया है।

(ख) पत्येक जिले में नवोदय विद्यालय जैसे स्कूलों की स्थापना की गई है।

(ग) प्राथमिक स्कूल प्रणाली भारत के 5,00,000 से भी अधिक गाँवों
में फैली है।

(घ) सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने की दिशा में सर्व शिक्षा
अभियान एक महत्वपूर्ण कदम है।

(ङ) कक्षा में बच्चों को उपस्थिति को बढ़ावा देने, बच्चों को ध्यान और
इसकी पोषण स्थिति में सुधार के लिए दोपहर के भोजन की योजना कार्यान्वित
की जा रही है।

          (च) दसवीं योजना को रणनीति पहुँच में वृद्धि, गुणवत्ता, राज्यों के लिए
विशेष पाठ्यक्रम में परिवर्तन को स्वीकार करना, व्यवसायीकरण तथा सूचना
प्रौद्योगिकी के उपयोग का जाल बिछाने पर केन्द्रित है। यह योजना दूरस्थ शिक्षा,
औपचारिक, अनौपचारिक, दूरस्थ तथा संचार प्रौद्योगिकी की शिक्षा देनेवाले शिक्षण
स्थानों के अभिसरण पर भी केन्द्रित है।

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