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   Jharkhand Board Class 8  Sanskrit  Notes | सुभाषितानि  

JAC Board Solution For Class 8TH Sanskrit Chapter 12 


                               श्लोकार्थ

1. नहि सत्यात् परो धर्मः नानृतात् पातकं परम ।
    नहि सत्यात् परं ज्ञानं तरमात् सत्यं विशिष्यते ।nil
अर्थ : सत्य से बड़ा कोई धर्म नहीं है. असत्य से बड़ा पाप नहीं है ।
सत्य से बड़ा कोई ज्ञान नहीं है इसलिए उसे (सत्य को) विशेष रूप से रखना
चाहिए।

2. वाणी रसवती यस्य यस्य श्रमवती क्रिया ।
    लक्ष्मी: दानवती यस्य सफलं तस्य जीवितम् ।।2।।
अर्थ : जिसकी वाणी मधुर हो, जिसकी क्रिया श्रमयुक्त हो, जिसकी
लक्ष्मी दान देने वाली हो, उसका जीवन सफल होता है।

3. अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम् ।
    अधनस्य कुतो मित्रम् अमित्रस्य कुतः सुखम् ।।3।।
अर्थ : आलसी को विद्या कहाँ, बिना विद्या वाले को धन कहाँ, निर्धन
को मित्र कहाँ और बिना मित्रवाले को सुख कहाँ से मिलता है।

4. उद्यमः साहसं धैर्य बुद्धिः शक्तिः पराक्रमः ।
    षडेते यत्र वर्तन्ते तत्र सहाय्यकृत् विभुः ।।4।।
अर्थ : परिश्रम, साहस, धैर्य, बुद्धि, शक्ति और पराक्रम ये छह जिसके
पास हैं वहाँ ईश्वर भी सहायता करता ।

5. पिबन्ति नद्यः स्वयमेव नाम्भः स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः ।
    धरोधरो वर्षति नात्महेतोः परोपकाराय सतां विभूतयः ।।5।।
अर्थ : नदियाँ स्वयं (अपना) जल नहीं पीती हैं, वृक्ष स्वयं फल नहीं खाते
हैं, बादल अपने लिए नहीं बरसते हैं अर्थात् सज्जनों का जन्म परोपकार के लिए
होता है।

6. श्रोतं श्रुतेनैव न कुण्डलेन दानेन पाणिर्न तु कङ्कणेन ।
    विभाति कायः करुणामायानां परोकपकारैर्नतुचन्दनेन ।।6।।
अर्थ : कान 'शास्त्र' सुनने से शोभता है न की कुण्डल पहनने से । हाथ
दान देने से शोभता है न की कंगन पहनने से, शरीर करूणा और परोपकार
से शोभता है न की चन्दन का लेप लगाने से।

                   अभ्यासः

प्रश्न 1 तथा 2 शब्दार्थ और उच्चारण है।
3. श्लोकांशेषु रिक्तस्थानानि पूरयत―
(क) नहि सत्यात् परो धर्मः .................।
(ख) .......................यस्य श्रमवती क्रिया।
(ग) अलसस्य कुतो .....................।
(घ) पिबन्ति नद्यः ..................... ।
(ङ) .....................सतां विभूतयः।
उत्तर―(क) नानृतात् पातक परम्।
(ख) वाणी रसवती यस्य ।
(ग) विधा।
(घ) स्वयमेव नाम्भः।
(ङ) परोपकाराय।

4. प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत―
(क) सत्यात् पर: क: न अस्ति?
(ख) अनृतात् पर: किं न अस्ति?
(ग) नद्यः किमर्थ वहन्ति ?
(घ) सतां विभूतयः कस्मै भवन्ति ?
(ङ) काय: केषां विभाति ?
(च) कस्य विद्या नास्ति?
(छ) कस्य सुखम् नास्ति ?
उत्तर―(क) धर्मः
(ख) पातक
(ग) परोपकाराय
(घ) परोपकाराय
(ङ) करुणामयानां
(च) अलस्य
(छ) अमित्रस्य

5. उदाहरणानुसारम् अव्ययपदानि चिनुत―
          पदानि                                 अव्ययपदानि
यथा― न हि सत्यात्                          न हि
(क) अलसस्य कुतः विद्या                   .............
(ख) षडेते यत्र वर्त्तन्ते                        ................
(ग) तत्र सहाय्यकृत विभुः                   ...............
(घ) पिबन्ति नद्यः स्वयम् एव नाम्भ:      ................
(ङ) दानेन पाणिः न तु कङ्ककणेन      ................
उत्तर―(क) अलसस्य कुतः विद्या                 कुतः
(ख) षडेते यत्र वर्तन्ते                                 यत्र
(ग) तत्र सहाय्यकृत विभुः                            तत्र
(घ) पिबन्ति नद्यः स्वयम् एव नाम्भः               एव
(ङ) दानेन पाणिः न तु कङ्ककणेन               न,तु

6. अधोलिखित तद्भव शब्दानां कृते पाठात् चित्वा संस्कृतपदानि
लिखत―
          कष्ट,   जल,   वीरता,   पाप,   सम्पत्ति
यथा― धीरज               ― धैर्यम्
उत्तर― कष्ट                 ― करूणा
           जल                 ― अम्भः
          वीरता                ― पराक्रमः
          पाप                  ― पातकम्
          सम्पत्ति              ― विभूतिः

7. अधोलिखितशब्दानां संस्कृतवाक्ये प्रयोगे कुरुत―
शब्द                               संस्कृतवाक्यानि
(क) ज्ञानम्                   ― .....................
(ख) पातकम्                ― ....................
(ग) धर्म                       ― ....................
(घ) परोपकाराय           ― ....................
(ङ) वाणी                    ― ....................
उत्तर―
(क) ज्ञानम्                   ― सत्यात् परं ज्ञानं नास्ति।
(ख) पातकम्                ― अनृतात् परं पातक नास्ति।
(ग) धर्म                       ― धर्मम् आचर।
(घ) परोपकाराय            ― परोपकाराय सतां विभूतय?
(ङ) वाणी                     ― वाणी रसवती भवेत्।

8. रेखाङ्कितानि पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत―
(क) नहि सत्यात् परं ज्ञानम् ।
(ख) तस्मात् सत्यं विशिष्यते ।
(ग) सफलं तस्य जीवितम् ।
(घ) वृक्षाः फलानि स्वयं न खादन्ति ।
(ङ) परोपकाराय सतां विभूतयः ।
उत्तर―(क) नहि कस्मात् परं ज्ञानम्?
(ख) तस्मात् किं विशिष्यते?
(ग) सफलं कस्य जीवितम्?
(घ) के फलानि स्वयं न खोदन्ति?
(ङ) परोपकाराय केषां विभूतयः?

                                                ★★★
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