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     Jharkhand Board Class 8 Moral Education Notes | बचत की समझ  

  JAC Board Solution For Class 8TH (Social Science)  Moral Education Chapter 11


1. क्या होता यदि
(i) राजू को बूढ़ा व्यक्ति नहीं मिलता।
(ii) राजू बीज को नहीं बोता ।
(iii) सचमुच पैसे पेड़ में फलने लगते ।
(iv) पैसे चूहे कुतर नहीं जाते ।
(v) बैंक नहीं होता।
उत्तर: (i) राजू जिन्दगी भर पैसे उगाने वाले पेड़ की तलाश में
इधर-उधर भटकते रहता।

(ii) राज बीज को नहीं बोता, पेड़ नहीं उगते । वह न तो फूलते-फलते
और न ही राजू को धन प्राप्त होता ।

(iii) सचमुच पैसे पेड़ में फलने लगते तो लोग अपने कर्तव्य का
पालन नहीं करता।

(iv) पैसे चूहे कुतर नहीं जाते तो राजू बैंक के बारे में नहीं जान
पाता।

(v) बैंक नहीं होता, तो धन/रुपये की चोरी होने, लुटने, सड़ने,
गलने, चूहा द्वारा कुतरने, कीड़ों द्वारा खाने आदि का खतरा सदैव बना
रहता।

प्रश्न 2. राजू कैसा लड़का था ? वह अमीर कैस बन गया ?
उत्तर : राजू बहुत ही आलसी और मूर्ख लड़का था। वह अपना सारा
समय सोने और अमीर बनने के सपने देखने में बिताता था। एक बूढ़े
आदमी के दिए बीज से खेती कर और फसल (फूल व फल) बेंचकर
अमीर बन गया।

प्रश्न 3. बैंक में पैसे रखने के कौन-कौन से फायदे हैं ?
उत्तर : बैंक में पैसे रखने के कई फायदे हैं। यह चोरी, लूट आदि
से सुरक्षित रहता है। इसे अपनी इच्छा और आवश्यकतानुसार निकालकर
उपयोग कर सकते हैं । इस संचित धन पर बैंक ब्याज भी देता है। इसके
आधार पर ऋण भी प्राप्त कर सकते हैं।

प्रश्न 4. इस पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर : इस पाठ से हमें लगन से मेहनत कर सफलता पाने की सीख
मिलती है, क्योंकि केवल परिश्रम से ही सफलता मिलती है, सपने देखने
से नहीं। साथ-साथ, बचत करने की भी सीख मिलती है, जिससे हमारा
भविष्य सुरक्षित रहता है।

प्रश्न 5. क्या आप बचत करते हैं ? बचत के क्या-क्या फायदे
हैं?
उत्तर : हाँ, मैं भी थोड़ी-थोड़ी बचत करता/करती हूँ । बचत हमारे
भविष्य के लिए फायदेमंद है। इससे हमारी सम्पत्ति बढ़ती जाती है और
न नितांत आवश्यक समय हमारी मदद होती है। कर्ज लेने या दूसरे को मदद
लेने की जरूरत नहीं पड़ती है। यह आर्थिक उन्नति का आधार है।

प्रश्न 6. बचत करना अच्छी बात है, किन्तु कुछ लोग बचत
करने के लिए अपनी अनिवार्य आवश्यकताओं को भी नजरअंदाज
कर देते हैं । क्या उनका ऐसा करना उचित हैं ? तर्क देकर समझाइए।
उत्तर : बचत करने के लिए अपनी अनिवार्य आवश्यकता को
नजरअंदाज करना सर्वथा अनुचित है । यह बचत नहीं बल्कि कंजूसी है।
कंजूस व्यक्ति उस धन का जीवन पर्यन्त उपयोग नहीं कर सकता है,
क्योंकि उसे हर समय उसके घट जाने का डर सताता रहेगा । वह न तो
खुद उपयोग करेगा और न ही परिजनों को उपयोग करने देगा । अंतत: उस
धन के नष्ट होने (चोरी, लूट, जलना, सड़ना आदि) की संभावना बनी
रहती है।

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