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    Jharkhand Board Class 8 Moral Education Notes | प्रकृति के सौन्दर्य की उपासना  

   JAC Board Solution For Class 8TH (Social Science)  Moral Education Chapter 10


प्रश्न 1. बताइए कि किस प्रकार से―
(क) मानव प्रकृति को नष्ट कर रहा है?
उत्तर : मानव लोग व अज्ञानतावश प्रकृति को कष्ट दे रहा है।
वन-वनस्पतियाँ काटकर साफ कर दिया है। वन्य प्राणियों की आवाज को
नष्ट कर दिया है। नदियाँ पर बाँध बनाकर उसकी अविरलता को रोक दिया
है। पहाड़ों को तोड़कर सड़कें, मकान, रेलमार्ग बना रहा है। जमीन
खोदकर खनिज निकाल रहा है। अपनी अनुक्रियाओं से प्रदूषण फैला रहा
है। इस प्रकार स्पष्ट है कि मानव प्रकृति को नष्ट कर रहा है।

(ख) प्रकृति का आकर्षण और सौन्दर्य मन को मोह लेता है ?
उत्तर : ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत । पर्वतों के श्वेत हिम से ढके तुंग शिखर ।
ये तलहटी के जंगल । जंगलों में भाँति-भाँति के वृक्ष- वनस्पतियाँ ।
कल-कल करती नदियाँ और झर-झर झरते झरने; इनसे प्यास बुझाते
पशु-पक्षी । यह प्रकृति तो दर्शनीय है। इसकी सुन्दरता में मन रमता है।
इसका आकर्षण और सौन्दर्य मन को मोह लेता है।

(ग) हम प्रकृति का सहयोग कर सकते हैं ?
उत्तर : मानव मिट्टी को पोषक तत्त्व दे सकता है, लेकिन उसका
वास्तविक गुण नहीं दे सकता । बीज बो सकता है, लेकिन मिट्टी में से स्वयं
गुण खींच नहीं सकता । जल दे सकता है, लेकिन सूर्य- प्रकाश, वायु नहीं
दे सकता । पौधे लगाकर उसकी वृद्धि नहीं कर सकता, केवल प्रकृति ही
ऐसा कर सकती है। इस प्रकार हम प्रकृति का केवल सहयोग ही कर
सकते हैं।

(घ) प्रकृति हमें बहुत कुछ सिखाती है।
उत्तर : प्रकृति हमें पनपना सिखाती है, संघर्ष करना सिखाती है,
लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग बताती है, एकता का भाव सिखाती है, स्नेह, प्रेम,
परोपकार की शिक्षा देती है, जीवन जीने का ढंग सिखाती है। इस प्रकार
स्पष्ट है कि प्रकृति हमें बहुत कुछ सिखाती है।

(ङ) प्रकृति ही जीवन है ?
उत्तर : प्रकृति ही जीवनदायिनी वायु (ऑक्सीजन) देती है। हमारे
द्वारा छोड़े हुए कार्बन-डाइऑक्साइड से भोजन बनाकर हमें उपलब्ध कराते
हैं । प्रकृति ही जल का स्रोत है। सूर्यप्रकाश, चट्टान, वन, पशु, पक्षी सभी
प्रकृति की संतान हैं। ये सभी हमें जीवन का आनन्द प्रदान करती है। इस
प्रकार स्पष्ट है कि प्रकृति ही जीवन है।

प्रश्न 2. वर्तमान समय में मानव प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर
रहा है। इसके दुष्परिणामों को लिखिए।
उत्तर : वर्तमान समय में मानव प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा
है। इसके कई घातक दुष्परिणाम दिखने लगे हैं । भूमंडलीय ताप में निरंतर
वृद्धि हो रही, जिससे निम्न भाग के डूबने का खतरा बढ़ता जा रहा है।
प्रदूषण से अनेकों बीमारियाँ पाँव फैला रही है। मृदा अपरदन और
अवमूल्यन से उत्पादकता घटती जा रही है। अतिदोहन से प्राकृतिक चक्र
गड़बड़ हो गया है।

प्रश्न 3. 'रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून' इस उक्ति
को ध्यान में रखते हुए जल-संरक्षण के लिए उपाय सुझाइए।
उत्तर : जल ही जीवन है। जल के बिना जीवन संभव नहीं है। अत:
जल का संरक्षण हमारा कर्त्तव्य है। इसके लिए हम जल को बर्बाद नहीं
करेंगे । उसका अधिकतम उपयोग और पुनः चक्रण द्वारा उपयोग करेंगे।
वर्षा जल का जलाशयों और भूमिगत जल के रूप में संग्रहण करेंगे । वन
क्षेत्र का विस्तार करेंगे।

प्रश्न 4. प्रकृति की रक्षा करना हमारा परम कर्त्तव्य है। इसके
लिए आप क्या करना चाहेंगे?
उत्तर : प्रकृति हमारी जननी है, उसकी रक्षा करना हमारा परम
कर्तव्य है। इसके लिए मैं समाज में जागरूकता फैलाने का प्रयास
करूंगा/करूँगी । पेड़ लगाना, जलाशय निर्माण, जलाशयों की साफ-सफाई
करवाना, मेरा दायित्व होगा।

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