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      Jharkhand Board Class 8 History Notes | महिलाओं की स्थिति में सुधार  

   JAC Board Solution For Class 8TH (Social Science) History Chapter 8


□ आइए जानें :
प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) सत्ती प्रथा का प्रथम प्रमाण ............ अभिलेख से मिलता है।
(ख) विधवा पुनर्विवाह के लिए ............. ने काफी मेहनत की।
(ग) भारतीय महिलाओं का विश्वविद्यालयों में प्रवेश ..............
के दशक में हुआ।
(घ) भोपाल की बेगमों ने .............. में लड़कियों की
शिक्षा के लिए विद्यालय खोले।
(ङ) .................... ने रात में दिये की रोशनी में लिखना-पढ़ना
सीखा।
उत्तर― (क) एरण    (ख) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर   (ग) 1880
(घ) अलीगढ़     (ङ) राम सुन्दरी देवी

प्रश्न 2. निम्न प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए―
(क) बिलियम बैंटिक से पहले सती प्रथा पर रोक लगाने के
लिए किन लोगों ने प्रयास किये ?
उत्तर― विलियम बैंटिक से पहले सती प्रथा पर रोक लगाने के लिए
हर्षवर्धन, मुगल शासक अकबर, पेशवा, लॉर्ड कार्नवालिस एवं लॉर्ड वारेन
हेस्टिग्स ने भी प्रयास किये थे, जिन्हें सफलता नहीं मिली।

(ख) ज्योतिबा फूले कौन थे ?
उत्तर― ज्योतिबा फूले महाराष्ट्र के प्रमुख समाज सुधारक थे। उन्होंने
स्त्री शिक्षा, महिला कल्याण, जाति-प्रथा उन्मूलन पर जोर दिया था। इन्होंने
दलितों और स्त्रियों के उद्धार के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित कर
दिया।

(ग) 19वीं शताब्दी में लोग लड़कियों को स्कूल जाने से क्यों
मना कर रहे थे?
उत्तर―19वीं शताब्दी में लोग लड़कियों को स्कूल जाने से मना कर
रहे थे, क्योंकि उनकी धारणा थी कि यदि लड़कियाँ स्कूल जाने लगेंगी तो
वह घरेलू काम-काज पर ध्यान नहीं देगी। सार्वजनिक स्थलों से होकर
गुजरने से वह बिगड़ जाएँगी।

(घ) केशवचन्द्र सेन ने बाल विवाह रोकने के लिए क्या प्रयास
किये?
उत्तर― केशवचन्द्र सेन के प्रयासों से 1872 ई० में देशी बाल-विवाह
अधिनियम पारित हुआ, जिसमें बाल-विवाह पर प्रतिबंध लगाने की
व्यवस्था की गयी थी।

□ आइए चर्चा करें:
प्रश्न 3. सती प्रथा पर रोक लगाने के लिए राजा राममोहन राय
ने क्या प्रयास किये?
उत्तर―राजा राममोहन राय महिलाओं के लिए ज्यादा स्वतंत्रता व
समानता के पक्षधर थे। वे इस बात से दु:खी थे कि विधवा औरतों को
अपनी जिंदगी में भारी कष्टों का सामना करना पड़ता था। उन्होंने शास्त्रों
का सहारा लेकर यह समझाने की कोशिश की कि धर्मशास्त्रों में भी सती
प्रथा का विरोध किया गया था। उन्होंने स्त्रियों के प्रति मानवता और दया
की भावना उभारने का प्रयास किया। उन्होंने विलियम बेंटिक को प्रेरित
किया कि वह इस प्रथा को दूर करने के लिए अपना पूर्ण समर्थन दें। उनके
ही अथक प्रयास से सती-प्रथा उन्मूलन अधिनियम विलियम बेंटिक द्वारा
1829 ई० में पारित किया गया।

प्रश्न 4. ईश्वर-चन्द्र विद्यासागर ने विधवा विवाह का समर्थन
क्यों किया? उन्होंने स्वयं क्या आदर्श प्रस्तुत किये ?
उत्तर―ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने विधवा पुनर्विवाह के लिए उल्लेखनीय
कार्य किये। उन्होंने प्राचीन ग्रंथों का हवाला देकर विधवा पुनर्विवाह का
समर्थन किया। उन्होंने यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि वेदों में भी
विधवा विवाह को मान्यता दी गयी है। उन्होंने अपने पुत्र की शादी भी एक
विधवा से करवाकर समाज के सामने आदर्श प्रस्तुत किया।

प्रश्न 5. प्राचीन काल में महिलाओं की सामाजिक स्थिति कैसी
थी?
उत्तर―प्राचीन काल में महिलाओं की सामाजिक स्थिति काफी बेहतर
थी। हड़प्पा सभ्यता के काल में समाज मातृसत्तात्मक था। ऋग्वैदिक काल
में भी स्त्रियों की स्थिति सम्मानजनक थी। वे अपने पति के साथ यज्ञ कार्यों
में सम्मिलित होती एवं दान किया करती थीं। वे शिक्षा ग्रहण करती थी।
ऋग्वैदिक काल में लोपामुद्रा, घोषा, सिकता, अपाला जैसी विदुषी स्त्रियों
का जिक्र मिलता है। स्त्रियों को पिता की सम्पत्ति में हिस्सा का हक दिया
गया था। सामान्यतः समाज में एक पत्नी प्रथा का ही प्रचलन था।

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