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   Jharkhand Board Class 8 History Notes | जाति व्यवस्था की चुनौतियाँ  

 JAC Board Solution For Class 8TH (Social Science) History Chapter 9 


□ आइए जानें :
प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए―
(क) सामाजिक पुनर्जागरण ने भारतीयों को ........... करने
के लिए मजबूर किया।
(ख) डॉ० भीमराव अम्बेदकर ................ जाति के थे।
(ग) नारायण गुरू का कार्य क्षेत्र मुख्यतः .............. रहा था।
(घ) ................ ने विवेकानन्द को आधुनिक राष्ट्रीय आंदोलन
का आध्यात्मिक पिता कहा है।
(ङ) डॉ० आत्माराम ने ................. की स्थापना की थी।
उत्तर― (क) आत्म निरीक्षण (ख) महार (ग) सामाजिक एवं धार्मिक
सुधार (घ) सुभाष चन्द्र बोस (ङ) प्रार्थना समाज

प्रश्न 2. निम्नलिखित जोड़ों का मिलान कीजिए―
स्वामी विवेकानन्द                    अलीगढ़ आंदोलन
ज्योतिबा फूले                         यंग बंगाल आंदोलन
हेनरी डेरोजियो                       रामकृष्ण मिशन
दयानन्द सरस्वती                    सत्यशोधक समाज
सर सैय्यद अहमद खाँ              आर्य समाज

उत्तर―स्वामी विवेकानन्द            रामकृष्ण मिशन
ज्योतिराव फुले                         सत्यशोधक समाज
हेनरी डेरोजियो                         यंग बंगाल आंदोलन
दयानन्द सरस्वती                      आर्य समाज
सर सैय्यद अहमद खाँ                अलीगढ़ आंदोलन

प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए―
(क) राजा राममोहन राय ने जाति व्यवस्था की आलोचना के
लिए किन माध्यमों का सहारा लिया ?
उत्तर―राजा राममोहन राय ने जाति व्यवस्था की आलोचना करने
वाले एक पुराने बौद्ध ग्रंथ का अनुवाद किया। नीची जातियों के लिए
आंदोलन किया। शिक्षा-प्रसार के माध्यम से इसे दूर करने का प्रयास किया।

(ख) परमहंस मंडली के सदस्य गुप्त बैठकों में क्या करते थे?
उत्तर―परमहंस मंडली के सदस्य गुप्त बैठकों में भोजन और स्पर्श
जैसे विषयों में परंपरागत जातीय नियमों का पालन नहीं करते थे।

(ग) अंग्रेजों ने प्राचीन भारतीय ग्रंथों का अध्ययन करना क्यों
जरूरी समझा?
उत्तर―प्राचीन भारतीय ग्रंथों का अध्ययन भारत को समझने और
संस्कृति सीखने तथा शासन को सुदृढ़ करने के लिए अंग्रेजों ने जरूरी
समझा।

(घ) रामास्वामी नायकर ने कांग्रेस पार्टी क्यों छोड़ दी?
उत्तर―कांग्रेस के अधिवेशन में जाति के अनुसार बैठने की व्यवस्था
की गई थी, जिसे देखकर रामास्वामी नायकर ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी।

□ आइए चर्चा करें:
प्रश्न 4. पाश्चात्य शिक्षा ने जातिगत विचारों को कम करने में
अहम भूमिका निभाई। क्या आप इससे सहमत है?
उत्तर― पाश्चात्य शिक्षा के कारण पाश्चात्य जगत के कुछ उच्च
विचार और आधुनिक विज्ञान भारत आया। शिक्षित भारतीय दुनियाँ के अन्य
मार्गों के राष्ट्रीयता, जनमत आंदोलन, समाजवादी आंदोलन से परिचित
हुए। ईसाई धर्म प्रचारक आदिवासी समुदायों और निचली जातियों के बच्चों
के लिए स्कूल खोलने लगे। इस प्रकार मैं इस बात से सहमत हूँ कि
पाश्चात्य शिक्षा में जातिगत विचारों को कम करने में अहम भूमिका
निभाई।

प्रश्न 5. ज्योतिवा फुले गुलामगीरी पुस्तक के माध्यम से क्या
संदेश देना चाहते थे?
उत्तर― ज्योतिबा फूले ने अपनी पुस्तक गुलामगीरी के माध्यम से
भारत की निम्न जातियों और अमेरिका के काले गुलामों की दुर्दशा को
समान बताने का प्रयास किया और संदेश देना चाहते थे कि दलित जातियों
के लोगों को भी समान अधिकार प्राप्त हो।

प्रश्न 6. डॉ० अम्बेडकर ने मंदिरों में प्रवेश का आंदोलन क्यों
चलाया?
उत्तर―डॉ० अम्बेडकर महार जाति के थे जो अछूत मानी जाती थी।
उन्हें सवर्णो के साथ उठने-बैठने की इजाजत नहीं थी। अछूतों के घर ओर
जलाशय सवर्णों से अलग और दूर होती थी। मंदिरों में अछूतों का प्रवेश
निषिद्ध था। अछूतों को शोषण से मुक्ति दिलाने, उन्हें समाज में समान
अधिकार दिलाने के लिए 1927 ई० में मंदिर प्रवेश के लिए तीन आंदोलन
किए। इसमें दलितों का उन्हें भरपूर सहयोग मिला। वे इस बात को दर्शाना
चाहते थे कि समाज में किस प्रकार छुआ-छूत/भेदभाव व्याप्त है और
जातीय पूर्वाग्रहों की जकड़ कितनी मजबूत है।

प्रश्न 7. स्वामी विवेकानन्द ने विश्व धर्म सम्मेलन में भारत की
आध्यात्मिक शक्ति को कैसे प्रस्तुत किया ?
उत्तर―1893 ई० में अमेरिका के शिकागो शहर में आयोजित प्रथम
विश्व धर्म सम्मेलन और 1900 ई० में पेरिस में आयोजित द्वितीय धर्म
सम्मेलन में अपने अभिभाषण में प्राचीन भारतीय आध्यात्म का विशद्
विवेचन किया। अपने तर्कों और दृष्टांतों द्वारा मूर्तिपूजा, बहुदेववाद आदि
सिद्धांतों का समर्थन किया। उनके अनुसार ईश्वर साकार और निराकार
दोनों ही हैं। मनुष्य की सेवा ईश्वर की सेवा है।

प्रश्न 8. दयानन्द सरस्वती ने शिक्षा पर विशेष जोर क्यों दिया?
उत्तर― दयानन्द सरस्वती अशिक्षा को भारत के पिछड़ेपन का सर्वप्रमुख
कारण मानते थे। वे स्त्री-शिक्षा के पक्षधर थे। उन्होंने एंग्लो-इण्डियन भाषा
को शिक्षा व्यवस्था में शामिल किया। उनका विचार था कि सती-प्रथा,
जाति-प्रथा, छूआछूत, विधवा पुनर्विवाह आदि शिक्षा के माध्यम से ही
ठीक किये जा सकते हैं। अत: उन्होंने शिक्षा विशेषकर स्त्री शिक्षा पर
विशेष जोर दिया।

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