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     Jharkhand Board Class 8  Hindi  Notes | राम का भरत को संदेश  

  JAC Board Solution For Class 8TH Hindi Chapter 10


पाठ परिचय : प्रस्तुत प्रसंग तुलसी दास रचित 'रामचरित मानस' पुस्तक
के अयोध्या कांड से उद्धृत है।
        अपने पूज्य पिता श्री दशरथ की आज्ञा से पत्नी सीता एवं भाई लक्ष्मण
के साथ भगवान श्रीराम वनवास चले गए। उनके छोटे भाई भरत को जब यह
पता चला तब वे गुरू वशिष्ठ, मुनियों, राजा जनक एवं अन्य परिजनों के साथ
वन चले। वहाँ वे श्रीराम से वापस लौट जाने की विनती कर रहे हैं। किन्तु
मर्यादा पुरुषोत्तम राम मान नहीं रहे। वे वापस लौटने की मनाही कर दिए।
        अब भरत उनसे विनती करते हैं कि कुछ ज्ञानबर्द्धक शिक्षा दें जिससे
आपकी अनुपस्थिति में भी मैं अयोध्या के राज्य-काज की जिम्मेवारी संभाल
सकूँ। राम भरत से कहते हैं कि जब तक हमारे गुरू, मुनि एवं नृप जनक
आपके साथ हैं तो हमें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। ये हम सब की
रक्षा करेंगे। बड़ों की आज्ञा पालन से व्यक्ति का पतन नहीं होता है। गुरुजनों
की आज्ञानुसार राजधर्म का पालन करना चाहिए।
          श्रीराम का कहना है कि मुखिया को मुख के समान होना चाहिए जो
खाता-पीता तो अकेला है किन्तु शरीर के सभी अंगों का पालन एवं संवर्द्धन
समान रूप से करता है।
      श्रीराम भरत के आग्रह पर अपनी पादुका (खड़ाऊँ) प्रेम-पूर्वक भरत
को सौंप देते हैं। भरत उस पादुका को सप्रेम ग्रहण कर माथे से लगा लेते
हैं। भरत के लिए यह पादुका प्रजा की रक्षा के लिए दो पहरेदार के समान
है। उनके प्रेमरूपी रल को संजोकर रखने वाला सोप है। जाप करने के लिए
राम नाम के दो अक्षर हैं। रघुकूल की रक्षा करने के लिए दो किवाड़ हैं।
सेवा रूपी धर्म की राह दिखाने वाले दो नयन हैं। भरत खड़ाऊ के रूप में
एक सहारा पाकर आनंदित हैं। उन्हें महसूस हुआ जैसे श्रीराम और सीता
उनके साथ हैं।
             कवि परिचय―गोस्वामी तुलसीदास भारतीय जन-जन के नायक एवं
हृदयहार हैं। उनकी कृति रामचरित मानस सनातन धर्मावलंबियों का पवित्र धर्म
ग्रंथ है।
       तुलसीदास का जन्म 1497 ई० में तथा मृत्यु 1623 ई० में हुई थी। इनकी
जन्म स्थली बाँदा जिला (उत्तर प्रदेश) के राजापुर गाँव में माना जाता है। कुछ
इनके जन्म स्थान उत्तर प्रदेश के सोरो को मानते हैं। ये सम्राट अकबर के
समकालीन कवि थे। इनकी रचनाएँ अवधी एवं व्रज भाषा में हैं। इनकी प्रमुख
कृतियों में― रामचरित मानस, विनय पत्रिका, कवितावली, गीतावली एवं
दोहावली प्रसिद्ध हैं।

                                           अभ्यास प्रश्न

                                             □ पाठ से:

1. पाठ में श्री राम ने किसे समझाने का प्रयास किया ।
उत्तर― इस पाठ में श्री राम ने भरत को समझाने का प्रयास किया है।
उन्होंने भरत को अपने विचारों से अवगत कराकर राजधर्म की शिक्षा भी प्रदान
की है।

2. राम ने भरत को क्या-क्या करने की सलाह दी?
उत्तर―राम ने भरत को प्रजा पालक बनने की सलाह दी। गुरू एवं बड़ों
को यथोचित सत्कार देने की सलाह दी। गुरुजनों की आज्ञानुसार राजधर्म
पालन करने की सलाह दी।

3. तुलसीजी के अनुसार मुखिया को कैसा होना चाहिए ?
उत्तर― मुखिया को मुख के समान होना चाहिए जो खाता-पीता तो
अकेला है परन्तु शरीर के सभी अंगों का समान रूप से पालन करता है। अर्थात्
मुखिया को सभी सदस्यों को समान भाव से देखना चाहिए।

4. पाठ के अनुसार राजधर्म क्या है ?
उत्तर―अपनी प्रजा की सुख-सुविधा का ख्याल रखने वाला राजा
लोकप्रिय रहता है। प्रजा की भलाई का प्रयत्न करना एवं अपनी सीमा को
सुरक्षित रखना ही राजा का धर्म है। उसके राज्य में कमजोर, गरीब, अमीर
सबको समान अधिकार एवं सुविधा प्राप्त हो, यही राजधर्म है।

5. निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट करें―
(क)         अस विचार सब सोच बिहाई।
              पालहु अवध अवधि भरि जाई।।
अर्थ : उपर्युक्त पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक भाषा मजरी के 'राम को
भरत को संदेश' शीर्षक पाठ से ली गई है। इसके रचनाकार लेखक तुलसीदास
जी है।
      इस पक्ति का भाव यह है कि हर प्रकार से सोच-विचार कर लिया गया
निर्णय है। मैं (श्रीराम) वापस नहीं जाऊँगा। भरत अब तुम अयोध्या जाकर
चौदह वर्षों तक प्रजापालक बनकर प्रजाजनों की सेवा करो। अर्थात् राम भरत
को राजा बनकर जीने की सलाह नहीं दे रहे। वे उन्हें प्रजा को संतान सदृश
समझकर पालन-पोषण करने की सलाह दे रहे हैं।

(ख)           तुम्ह मुनि मातु सचिव सिखमानी,
                      पालेहु पुहुनि प्रजा रजधानी।
अर्थ : इन पॉक्तियों का भाव यह है कि भरत तुम मुनियों, माताओं,
सचिवों को सलाह लेकर प्रजा का पालन-पोषण करो ताकि प्रजाजनों को
जीवन जीने में कोई दिक्कत न हो। गुरूजनों के आज्ञानुसार राजधर्म का पालन
करो।

                               □ पाठ से आगे:

1. हर व्यक्ति का समाज के प्रति दायित्व होता है। आप समाज के
प्रति अपना क्या दायित्व समझते हैं। लिखिए।
उत्तर― समाज में हमारा भी दायित्व है। हम प्रेमपूर्वक शान्ति से निवास
करें। अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखें। समाज में अच्छी
मानसिकता का विकास करें। समाज सेवा के लिए तत्पर रहें।

2. गलत राह पर चलने से बचने के लिए आप क्या-क्या कीजिएगा?
उत्तर― मैं गलत लोगों से संबंध नहीं रखूगा। उनके साथ नहीं रहूँगा। अपने
से बड़े के साथ रहूँगा। समान उम्र के वेसे लोगों से संबंध रखूगा जो सच्चे
और अच्छे विचार के हैं। मैं भ्रष्टाचार को बढ़ावा न दूंगा। झूठ, चोरी, व्यभिचार
आदि से अपने को दूर रखूँगा।

                               □ अनुमान और कल्पना :

1.राम के स्थान पर यदि आप होते तो अयोध्या लौटने के लिए भरत
के आग्रह के बाद क्या करते?
उत्तर― यदि राम के स्थान पर हम होते तो हम भी वापस नहीं लौटता।
भरत के आग्रह पर मैं उसे समझा-बुझा कर वापस भेजता क्योंकि लोग एवं
इतिहास इस बात को अच्छी निगाह से नहीं देखते कि प्रण के लिए वनवास
जाने वाला किसी के आग्रह पर वापस आ जाए।

2. यदि आपको झारखंड का मुख्यमंत्री बना दिया जाए तो राज्य के
विकास के लिए आप क्या-क्या करना चाहेंगे? प्राथमिकता के आधार पर
सूची बनाइए।
उत्तर― यदि मैं झारखंड का मुख्यमंत्री बनूं तो निम्नांकित कार्य करूँगा-
(i) प्रजा की भलाई के कार्य में दिन-रात लगा रहूँगा।
(ii) आदिवासी उत्थान की योजना बनाऊँगा।
(iii) जंगल के उस आखिरी गाँव तक बुनियादी सुविधाएँ पहुँचा दूँगा
जहाँ ग्रामीण लोग रहते हैं।
(iv) सड़क, पेय जल, शौचालय, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं को
घर-घर तक पहुँचाने की योजना बनाकर कार्यान्वित करूँगा?
(v) अमीरी-गरीबी के फर्क को समाप्त करने की कोशिश करूंगा?
(vi) गाँव-गाँव बिजली पहुँचवा दूँगा।

                                                 ★★★

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