JAC Board Solutions : Jharkhand Board TextBook Solutions for Class 12th, 11th, 10th, 9th, 8th, 7th, 6th

themoneytizer

     Jharkhand Board Class 8  Hindi  Notes | तालाब बाँधता धरम सुभाव  

    JAC Board Solution For Class 8TH Hindi Chapter 18


पाठ परिचय : प्रस्तुत निबंध 'आज भी खरे हैं तालाब' पुस्तक के एक
अध्याय का अंश है। इसमें जल की आवश्यकता, उपयोगिता एवं संरक्षण पर
प्रकाश डाला गया है। जल ही जीवन है। अत: तालाब की उपयोगिता एवं इससे
जुड़ी रोचक परंपराओं तथा उसके इतिहास पर प्रकाश डाला है। जल का
भंडारण और धरती के नीचे के जल स्तर को ऊँचा बनाए रखने में उपयोगी
तालाब हमारी संस्कृति का ही एक हिस्सा है। हमारे पुरखों ने धर्म को लोक
कल्याण से जोड़ा ताकि उसकी उपलब्धता बनी रहे। वर्तमान समय में जल
संकट को अपनी इस पुरानी परंपरा के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया
जा सकता है।
     लेखक परिचय : अनुपम मित्र का जन्म 1948 ई० में वर्धा (महाराष्ट्र)
में हुआ था। इनकी मृत्यु 19 दिसंबर, 2016 ई० में हुई। मित्र जी लेखक,
संपादक, छायाकार और पर्यावरणविद् थे। उन्हें चंद्रशेखर आजाद राष्ट्रीय
सम्मान, जमनालाल बजाज पुरस्कार, इंदिरा गाँधी पर्यावरण पुरस्कार आदि
प्राप्त हुआ है। इनकी प्रमुख रचनाओं में आज भी खरे हैं तालाब, राजस्थान
की रजत बूंदें, गाँधी मार्ग आदि प्रमुख हैं।

                                       अभ्यास प्रश्न

                                        □ पाठ से:

1. तालाबों को 'धरम सुभाव' क्यों कहा गया है ?
उत्तर― व्याकरण के एक प्राचीन ग्रंथ में तालाबों को उनके स्वभाव के
कारण 'धरम सुभाव' कहा गया है। अर्थात् तालाब के चारों ओर
संस्कृतियों का विकास एवं वर्द्धन होता है।

2. छत्रसाल अपने बेटे जगतराज से क्यों माराज हुए?
उत्तर―जगतराज ने बीजक की सूचना के अनुसार खजाना को खोद
निकाला था। जब छत्रसाल को पता चला तो वे बहुत नाराज हुए। उन्होंने आज्ञा
दी की चंदलों के सभी तालाबों को उस खजाने से मरम्मत की जाए और नए
तालाब बनाएँ जाएँ।

3. छेर छेरा त्योहार क्या है ? यह किस राज्य में मनाया जाता है?
उत्तर―प्राचीन समाज में वर्ष की बारह पूर्णिमाओं में से ग्यारह को
श्रमदान के लिए रखा जाता था। पर पूस माह की पूनों पर तालाब के
लिए धान या पैसा एकत्र किया जाता था। छत्तीसगढ़ में इस दिन को
छेर-छेरा त्योहार मनाया जाता है। इसमें लोगों का दल गृहस्थ से धान
एकत्र करता है।

4.जो समाज को जीवन दे................... इस वाक्य का क्या आशय है?
उत्तर―जो समाज को जीवन दे अर्थात् जल। जल ही जीवन है। इस
जीवनरूपी जल का संग्रह हम तालाब में करते हैं। अर्थात् तालाब समाज की
प्यास बुझा कर जीवन प्रदान करता है।

5. बिन्दुसार सागर कैसे बना? यह कहाँ पर स्थित है ?
उत्तर― बिन्दुसार सागर जगन्नाथ पूरी में है। यहाँ आने वाले भक्त अपने
क्षेत्र से थोड़ा-थोड़ा जल साथ ले आकर इसमें अर्पित करते हैं। इससे यह एक
आस्था का प्रतीक बन गया है।

6. पाठ के आधार पर तालाब के लाभों का वर्णन करें।
उत्तर―तालाब के लाभ―
(i) हम प्यास बुझाते हैं। (ii) पशु-पक्षी, पादप अपनी जलीय आवश्यकता
पूर्ण करते हैं। (iii) सिंचाई का कार्य सम्पादित किया जाता है। (iv) मतस्य
पालन संभव है।

7.अमावस और पूनो के दिन किस प्रकार के सार्वजनिक हित वाले
कार्य किए जाते थे?
उत्तर― पूराने समाज की मान्यता के अनुसार अमावस और पूनो इन दो
दिनों को कारज यानी अच्छे एवं सार्वजनिक कामों का दिन माना गया है। इस
दिन निजी और पूनो को अपने खेत में काम नहीं कर क्षेत्र के तालाब निर्माण
एवं इसकी देख-रेख का कार्य किया करते थे।

                             □ पाठ से आगे:

1. छत्तीसगढ़ में कहावत है-छैआगर छैकारी । आपके गाँव में ऐसी
भी कई कहावतें प्रचलित होंगी। इन कहावतों की एक सूची बनाइए।
उत्तर―स्वयं करें।

2. तालाब की तरह और ऐसे कौन-से जल स्रोत हैं जो सार्वजनिक
 हित में काम आते हैं?
उत्तर―कुँआ, नलकूप, छेरी, झील, नदी आदि ।

3. परोपकार के लिए तालाब निर्माण के अलावा और कौन-कौन से
कार्य किए जाते हैं?
उत्तर― ये कार्य है―
(i) सड़कों किनारे वृक्षारोपण
(ii) चौराहे पर कुंआ खुदवाना।
(iii) नलकूप लगवाना
(iv) यात्री आवास रात्री विश्राम के लिए बनवाना।

4. यदि आज तालाय के जल स्तर को देखकर आनेवाले समय की
भविष्यवाणी करनी हो तो यही कहा जा सकता है कि बुरा समय
आनेवाला है― झारखंड के संदर्भ में इस कथन पर अपने विचार दें।
उत्तर―सचमुच अगला युद्ध पानी के लिए होगा। जिस तरह हम पर्यावरण
के साथ छेड़-छाड़ कर रहे हैं वह दिन दूर नहीं जब पीने का पानी धरती पर
से गायब हो जाएगा। आज झारखंड में गरमियों में पानी की जिस तरह किल्लत
हो जाती है उसे देखकर ऐसा लगता है कि यदि हम न सम्भले तो प्यासे ही
मरने के कगार पर पहुँच जाएँगे।

                                               ★★★

  FLIPKART

और नया पुराने

themoneytizer

inrdeal