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   Jharkhand Board Class 8 civics Notes | भारतीय संविधान के आधारभूत मूल्य  

  JAC Board Solution For Class 8TH (Social Science) civics Chapter 2


□ आइए जानें :
प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) ...............को भारत एक संप्रभु राष्ट्र बन गया।
(ii) भारत का संविधान किसी धर्म या पंथ को प्रोत्साहन ........ है।
(iii) भारत एक ............... देश है।
(iv) ...........वीं लोकसभा गठित करने के लिए 2014 में चुनाव
हुए थे।
(v) अनुच्छेद ............. में भाषण तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
है।
(vi) समानता के सिद्धांत के आधार पर ............. को दंडनीय
अपराध घोषित किया गया है।
(vii) अनुच्छेद .............. के अन्तर्गत सभी नागरिकों का यह
कर्त्तव्य है कि भारत की संप्रभुता, एकता व अखंडता की रक्षा
करे।
उत्तर― (i) 26 जनवरी, 1950
(ii) नहीं देता
(iii) लोकतांत्रिक
(iv) 16
(v) 19
(vi) छूआछूत
(vii) 51(क)

प्रश्न 2. निम्न प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए―
(i) पंथ निरपेक्षता से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर― पंथ निरपेक्षता का शाब्दिक अर्थ है– धर्म के प्रति निरपेक्ष
भाव का होना। अर्थात् राज्य धार्मिक मामले में तटस्थ रहेगा। धर्म को राज्य
से अलग रखने की अवधारणा को ही पंथनिरपेक्षता कहते हैं।

(ii) भारत में लोकतंत्र है, कैसे?
उत्तर― लोकतंत्र का तात्पर्य है जनता द्वारा राजशक्ति का प्रयोग।
भारत में जनता सर्वोच्च है और बहुमत के निर्णय द्वारा शासन संचालित
होता है। सार्वभौम वयस्क मताधिकार द्वारा जन-प्रतिनिधि चुनकर शासन
संचालित होता है। जनता 5 वर्ष बाद शासन को बदल सकती है। इस प्रकार
स्पष्ट है कि भारत में लोकतंत्र हैं।

(iii) न्याय का क्या अर्थ है?
उत्तर― न्याय का तात्पर्य है, किसी भी प्रकार का भेद-भाव नहीं होना।
सामाजिक न्याय का अर्थ है जाति, लिंग, धर्म, जन्म-स्थान आदि के
आधार पर भेद-भाव नहीं करना। धार्मिक, न्याय का तात्पर्य है उत्पादन की
समुचित वितरण, सबों को समान रूप जीविका उपलब्ध कराना और समान
कार्य के लिए समान मजदूरी देना। राजनीतिक न्याय का अर्थ है सबको
समान रूप से नागरिक और राजनीतिक अधिकार प्राप्त होना।

(iv) व्यक्ति की गरिमा की रक्षा के लिए संविधान में क्या
प्रावधान किए गए हैं?
उत्तर― व्यक्ति की गरिमा की रक्षा के लिए संविधान में कई प्रावधान
किए गए हैं। बंधुता, स्वतंत्रता, समानता आदि मूल अधिकार दिए गए हैं।
सभी नागरिकों को जीविका के पर्याप्त साधन, काम की न्यायसंगत एवं
मानोवोचित दशाएँ उपलब्ध कराना सरकार का दायित्व बनाया गया है।
अनुच्छेद 17 तथा 32 भी व्यक्ति की गरिमा की अभिवृद्धि में सहायक है।

(v) भारतीय संविधान में कौन-से आधारभूत मूल्य निर्धारित
किए गए हैं?
उत्तर― भारतीय संविधान में संपूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी,
धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, गणतंत्र, सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय, राजनीतिक
न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की समानता, व्यक्ति की गरिमा, राष्ट्र की एकता व
अखण्डता, बंधुता आदि आधारभूत मूल्य निर्धारित किए गए हैं।

□ आइए चर्चा करें:
प्रश्न 3. राष्ट्र की अखंडता को कैसे बनाये रखा जा सकता है?
कोई तीन सुझाव दीजिए।
उत्तर― राष्ट्र की अखंडता को बनाये रखने के निम्न उपाय किए जा
सकते हैं―
(i) एकता व अखण्डता के लिए खतरा पैदा करने वाले मामलों से
डटकर मुकाबला करना चाहिए।
(ii) स्वार्थी व देशद्रोही तत्वों पर सख्त कार्रवायी होनी चाहिए।
(iii) बंधुत्व और भाईचारा बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।

प्रश्न 4. प्रस्तावना “हम भारत के लोग" वाक्यांश से शुरू होती
है। इस वाक्यांश से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर― 'हम भारत के लोग' वाक्यांश यह बताने का प्रयास है कि
हमारा संविधान जनप्रतिनिधि या संविधान सभा मात्र द्वारा ही निर्मित और
नियमित नहीं है। वल्कि यह सम्पूर्ण भारत की जनता का संविधान है।
जनप्रतिनिधि के साथ-साथ सामान्य जनता की सहभागिता और विचार
अभिव्यक्ति संविधान के निर्माण में लगी थी अर्थात् यह संविधान सभी
भारतीयों का, सभी भारतीयों के लिए है।

प्रश्न 5. संविधान में भारत को एक पंथनिरपेक्ष गणराज्य घोषित
किया गया है। इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं ?
उत्तर― भारत विविध धर्मावलम्बियों का देश है। यहाँ अनेकों उपासना
पद्धति प्रचलित हैं। व्यक्ति की गरिमा को सुरक्षित रखना अनिवार्य है।
स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व आदि आदर्श राजकीय धर्म रहने पर संभव नहीं
है। यह राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए भी खतरा है। इन्हीं सब
कारणों से संविधान में भारत को एक पंथनिरपेक्ष गणराज्य घोषित किया
गया है।

प्रश्न 6. "भारत एक संप्रभु राष्ट्र है।" स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- संप्रभु राष्ट्र का तात्पर्य है उस राष्ट्र के आंतरिक और विदेश
मामलों में किसी अन्य राष्ट्र का दखल नहीं होना चाहिए। आंतरिक तथा
विदेश मामलों में भारत सरकार सार्वभौम और स्वतंत्र है। विधि की दृष्टि
से भारत के ऊपर न तो किसी आंतरिक शक्ति का दबाव है और न किसी
बाहरी शक्ति का। भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित होते ही 15 अगस्त
1947 को भारत एक सम्प्रभु राष्ट्र बन गया।

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