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    Jharkhand Board Class 6TH Hindi Notes | खेती-बारी के शिक्षक  

 JAC Board Solution For Class 6TH Hindi Chapter 16


लेखिका का परिचय- प्रस्तुत पाठ की लेखिका तेत्सुको कुरोयानागी
का जन्म जापान में 9 अगस्त, 1933 ई० में हुआ था। इन्होंने टोक्यो
कॉलेज ऑफ म्यूजिक से शिक्षा ग्रहण की। ये यूनिसेफ की सद्भावना दून
रह चुकी हैं। जापान में टेलीविजन की कलाकार और बच्चों की पुस्तक
की ये प्रख्यात लेखिका हैं। इन्हें जापान रिकार्ड अवार्ड फॉर प्लानिंग का
पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुका है। इनकी प्रमुख पुस्तके हैं– तात्पो-
चान, द लिटिल शलं एट द विंडो आदि।

        पाठ का सारांश : प्रस्तुत पाठ में जापान में अद्भुत पाठशाला और
उसमें पढ़ने वाले बच्चों के बारे में बताया गया है। वहाँ रेल के डिब्बे में
कक्षाएँ बनी थीं। गहरी जड़ों वाले पेड़, पाठशाला का मुख्य द्वार और उसकी
शाखाएँ बच्चों के खेलने के स्थान होते थे। इस अद्भुत एवं अनोखे
विद्यालय की स्थापना श्री कोबायाश ने की थी। लेखिका इसी स्कूल की
छात्रा थी। इस पाठ में यह बताया गया है कि एक किसान ही बच्चों को
खेती-बारी का सच्चा एवं व्यावहारिक ज्ञान प्रदान कर सकता है।

                                 अभ्यास प्रश्न

□ पाठ से:
1. हेडमास्टर ने स्कूल में नए शिक्षक को क्यों बुलाया ?
उत्तर― हेडमास्टर ने स्कूल में तोत्तो-चान को इसलिए बुलाया कि वे
एक मेहनती एवं सफल किसान थे। बच्चों को कृषि कार्य की जानकारी
देने के लिए उन्होंने उन्हें बुलाया था।

2. क्या नए शिक्षक की पोशाक शिक्षकों जैसी थी ? उनकी
पोशाक शिक्षकों की पोशाक से भिन्न कैसे थी?
उत्तर― नहीं नए शिक्षक की पोशाक शिक्षकों जैसी नहीं थी।
उनकी पोशाक शिक्षकों की पोशाक से भिन्न थी। उनका चेहरा धूप
में तपा था। बेल्ट की जगह रस्सी बंधी थी। रस्सी के छोर पर एक
काली रस्सी बँधी थी।

3. खेती-बारी के शिक्षक बच्चों को कहाँ ले गए और क्यों ?
उत्तर― खेती-बारी की शिक्षा के लिए शिक्षक उन्हें (बच्चों को)
कुहीन्बुत्सु ताल के पास पेड़ों की छाया में ले गये जहाँ हेडमास्टर जी ने
रेल के डिब्बे का हिस्सा पहले ही भिजवा दिया था। उसमें खेती-बारी के
औजार रखे थे।

4. हाथों से वे खर-पतवार उखाड़ने जा रहे थे। बच्चे भी उनका
देखा-देखी सब ओर खरपतवार उखाड़ने लगे।' खरपतवार फसलों
को कैसे हानि पहुँचाते हैं ? लिखिए।
उत्तर― खरपतवार फसलों को इस प्रकार हानि पहुँचाते हैं―
(i) धरती का पोषक तत्व स्वयं जल्दी से सोख लेते हैं।
(ii) खरपतवारों पर तना छेदक कीड़े घर बनाकर रहने लगते हैं जो
फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं।
(iii) इनकी उपस्थिति से मुख्य पादप की जड़ें फैल नहीं पाती हैं
जिससे फसल का उत्पादन कम हो जाता है।
(iv) ये बड़ी बेशर्मी से उगते हैं एवं इतने बड़े हो जाते हैं कि मुख्य
फसल को सूर्य का प्रकाश नहीं मिल पाता है जिससे फसल पीली होकर
सूखने लगती है।

□ पाठ से आगे:
1. "मैं टीचर-वीचर नहीं हूँ, मैं किसान हूँ।" खेती-बारी के
शिक्षक ने ऐसा क्यों कहा? आप उनके बारे में क्या सोचते हैं ?
लिखिए।
उत्तर―किसान सरल, मेहनती एवं स्पष्टवादी होते हैं। इसीलिए
उन्होंने कहा मैं किसान हूँ, टीचर-वीचर नहीं हूँ। यह विश्व के मेहनती
कृषक वर्ग की विशेषता है कि वे जो होते हैं उसे भी कहने में संकोच
महसूस करते हैं।

2. 'यहाँ के सौंप जहरीले नहीं हैं। जब तक आदमी तंग न करे,
वे भी नुकसान नहीं पहुँचाते ।' आप साँप के संबंध में क्या सोचते
हैं? साँप को किसानों का मित्र भी क्यों कहा जाता है ?
उत्तर― किसानों की फसलों को कीड़े-मकोड़े, चूहे आदि नष्ट करते
हैं। साँप इन पीड़कों को अपना आहार बनाते हैं। इससे जीवों की संख्या
नियंत्रित रहती है एवं फसल का नुकसान रूकता है। अतः साँप किसानों
के मित्र हैं।

                                                   ★★★

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