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   Jharkhand Board Class 6TH Hindi Notes |  बसंती हवा  

  JAC Board Solution For Class 6TH Hindi Chapter 14


कवि परिचय : केदारनाथ अग्रवाल का जन्म 1 अप्रैल सन् 1911
ई० में तथा मृत्यु 2000 ई० में हुई। सुप्रसिद्ध हिन्दी कवि केदारनाथ
अग्रवाल का जन्म बांदा जनपद (उ०प्र०) में कमासिन गाँव में हुआ था।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान ही इन्होंने लिखने की
शुरूआत की। इनकी रचनाओं में फूल नहीं रंग बोलते हैं, युग की गंगा,
नींद के बादल, लोक और आलोक, आग का आईना, पंख और पतवार,
अपूर्वा, बोले बोल अनमोल, आत्मगंध आदि।
        पाठ सारांश : वसंती हवा कवि केदारनाथ अग्रवाल द्वारा लिखित है।
इसमें कवि ने वसंत ऋतु के आगमन का सजीव चित्र खींचा है। इस कविता
में वसंती हवा को संदेशवाहक बनाया गया है। वह बड़ी मस्तमौला है।
मतवाली है। प्रकृति के अंग-अंग को सहलाने वाली है। इस ऋतु के
आगमन पर मानव, वृक्ष, पशु, पक्षी सभी में नई ऊर्जा का संचार हो जाता
है। हवा भी इससे वंचित नहीं रह पाती है। कविता में अग्रवाल जी ने वसंती
हवा की बेफिक्री, निडरता, मस्तमौलापन और इसके शरारतीपन का रोचक
चित्रण किया है।

                                 अभ्यास प्रश्न

□ पाठ से:
1. वसंती हवा ने स्वयं को मस्तमौला क्यों बताया है?
उत्तर― वसंती हवा जिधर चाहती है उधर जाती है, बहती है। इस
प्रकार वह मस्तमौला है। मस्तमौला व्यक्ति की तरह बसंती हवा निडर और
बेफिक्री से जीती है।

2. महुआ, आम, अलसी और सरसों के साथ बसंती हवा ने
क्या-क्या किया?
उत्तर― वसंती हवा जब महुआ के पेड़ पर चढ़ी तो महुआ के फल
टप-टप चूने लगे। आम के पेड़ों को झकझोरा जहाँ कोयल बैठी मीठे स्वर
में कू-कू कर गाती है। खेतों में खड़ी अलसी के दानें गिरे नहीं जबकि
वसंती हवा ने उसे खूब झकझोरा। यह उसकी हार थी। इसलिए उसने सरसों
को नहीं छुआ।

3. आशय स्पष्ट कीजिए― (क) खड़ी देख अलसी लिए शीश
कलसी। (ख) वसंती हवा में हँसी, सृष्टि सारी (ग) चढ़ी पेड़
महुआ, थपाथप मचाया।
उत्तर― (क) खेतों में खड़ी तीसी के पौधों को बसंती हवा ने खूब
झकझोरा पर उसके माथे पर रखी अलसी के दानों की कलसी नहीं गीरी।
यह मेरी हार थी।
        (ख) अपनी हार से लजाकर मैंने सरसों के पौधों को न छुआ। मैंने
उसे न झकझोरा, न हिलाया।
        (ग) महुआ के पेड़ों पर जब मैं चढ़ी तो महुआ के फल टप-टप
चूने लगे अर्थात् वसंती हवा के थपेड़ों को महुआ के फूल बर्दाश्त नहीं कर
पाए एवं जमीन पर गिरने लगे।

4. कविता पढ़कर आपके मन में जो चित्र उभरता है, उस चित्र
को कागज पर उकेरिए।
उत्तर― इस पाठ में हवा का मानवीकरण किया गया है। यू तो हवा
जीवन के लिए अत्यावश्यक है। इसके बिना जीवन असंभव है। इस कविता
को पढ़ने के बाद बसंती हवा के प्रति लगाव एवं आत्मीय भाव मन में पैदा
होता है। हवा की सर्वव्यापकता ही मानव और जीवन का आधार है।

5. इस कविता के आधार पर बताइए कि बसंती हवा ने किन्हें
झुमा दिया?
उत्तर― वसंती हवा ने महुआ के पेड़ को झुमा दिया। आम का वृक्ष
भी झूमने लगा। अलसी को भी इसने झुला दिया। वसंती हवा ने अरहर को
भी नहीं छोड़ा अर्थात् उसने जीवन को नए संचार सृष्टि के कण-कण में
पहुँचा दिया।

6. कविता में वसंती हवा एक जगह हार मान लेती है। आप उन
पंक्तियों को खोज कर लिखिए।
उत्तर― खड़ी देख अलसी लिए शीश कलसी !
मुझे खूब सूझी–
हिलाया-झुलाया गिरी पर न कलसी !
इसी हार को पा,
हिलाई न सरसों, झुलाई न सरसों !
हवाई, हवा मैं, बसंती हवा हूँ !

□ पाठ से आगे:
1. हवा भी प्रदूषित हो रही है। वायु प्रदूषण के कारणों की
सूची बनाइए और इसके निराकरण के उपाय सुझाइए।
उत्तर― वायु प्रदूषण के कारण―
(i) कल कारखानों एवं वाहनों से उत्सर्जित धुआँ
(ii) यत्र-तत्र आगजनी
(iii) परमाणु परीक्षण करने से
निराकरण के उपाय―
(i) चिमनियों में स्क्रबर लगाकर
(ii) आगजनी पर रोक लगाकर
(iii) परीक्षणों पर नियंत्रण लगाकर

2. आपको इस कविता का कोई और शीर्षक देना हो तो क्या
दीजिएगा?
उत्तर― हवा का झोंका।

3. वसंत ऋतु में मिलने वाले फल-फूल एवं फसलों के नाम
लिखिए।
उत्तर― सरसों, तीसी-फसल, कटहल, फूलगोभी, परवल
फल― सेव, केला, अनार, संतरा
फूल― उड़हुल, गुलदावदी, फूलगोभी पत्ता गोभी।

                                           ★★★

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