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 Jharkhand Board Class 10 History Notes | उपन्यास, समाज और इतिहास   

 JAC Board Solution For Class 10TH ( Social science ) History  Chapter 8

                                   (Novels, Society and History)

प्रश्न 1. उपन्यासों की कुछ महत्वपूर्ण प्रवृत्तियों का वर्णन करें, जिनके
कारण इन्हें पाठकों में लोकप्रियता मिली।
उत्तर―(i) उपन्यासों की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि वे
साधारण लोगों के विषय में थे और साधारण लोगों समुदायों की साझा दुनिया
रचता है। इस तरह द्वारा पढ़े जाते थे। वे आम आदमी के दैनिक जीवन से
संबंधित थे।

(ii) अधिकांश उपन्यास आम आदमी के जीवन पर केंद्रित थे ।

(iii) 19वीं सदी में यूरोप औद्योगिक युग में प्रविष्ट कर गया। इससे समाज
का सामाजिक व आर्थिक ढाँचा बदल गया। अधिकतर उपन्यासकारों ने औद्योगीकरण
के लोगों के जीवन पर भयानक प्रभावों को दिखाया है।

(iv) उपन्यास में देशीय भाषा का प्रयोग किया जाता था जो कि आम लोगों
द्वारा बोली जाती थी।

प्रश्न 2. उपन्यास विभिन्न संस्कृतियों को किस प्रकार निकट लाते है।।
उत्तर―उपन्यास आम लोगों की भाषा का प्रयोग करता है। लोगें की
भिन्न-भिन्न बोलियों से निकटता बनाकर उपन्यास एक राष्ट्र के विभिन्न उपन्यास
भाषा की अलग-अलग शैलियों से भी सामग्री लेते हैं। किसी एक ही उपन्यास
में एक साथ शास्त्रीय व सड़क छाप भाषा को उपन्यास की अपनी जनभाषा के
साथ मिलाकर प्रस्तुत किया जा सकता है। राष्ट्र की भाँति उपन्यास भी कई
संस्कृतियों को परस्पर जोड़ते हैं।

प्रश्न 3.शारलॉट मॉण्ट कौन थीं? उन्होंने अपने उपन्यासों में महिलाओं
को किस रूप में चित्रित किया है?
उत्तर―शारलॉट बॉण्ट एक अंग्रेजी उपन्यासकार थीं। उनके उपन्यासों में
ऐसी महिलाओं का वर्णन है जो सामाजिक मानदंडों के साथ तालमेल करने से पूर्व
उन्हें तोड़ फेंकती हैं। इन कहानियों से पाठिकाओं को विद्रोह करने वाली पात्रों
से सहानुभूति हो जाती है। उनके उपन्यास 'जेन आयर' में युवती जेन को स्वतंत्र
विचारों व दृढ़ व्यक्तित्व के रूप में चित्रित किया गया है। यद्यपि उस काल की
स्त्रियों को चुप और शालीन बने रहने का संस्कार दिया जाता था तथापि जेन दस
वर्ष की आयु में ही बड़ों के पाखंड का मुंहतोड़ उत्तर देकर चौंका देती है। यह
बुरा व्यवहार करने वाली अपनी आंट से कहती है-"लोग आपको नेक औरत
समझते हैं, लेकिन वास्तव में आप बुरी हैं............... आप चतुर हैं। इस जीवन
में तो मैं आपको आंट नहीं कह सकूँगी।"

प्रश्न 4. प्रारंभिक उपन्यासों ने उपनिवेशवाद में कैसे योगदान दिया?
उत्तर(i) प्रारंभिक उपन्यासों ने उपनिवेशवाद में इस प्रकार योगदान दिया
कि इनमें पाठकों को अनुभव कराया गया था कि वे औपनिवेशिक भाईचारे
रूप में श्रेष्ठ समुदाय का एक भाग थे।

(ii) डैनियल डेफो के रॉबिन्सन क्रूसो का नायक साहसिक यात्री होने के
साथ-साथ दास-व्यापारी था । वह गैर-गोरे लोगों को इंसान से हीनतर जीव मानता है।

(iii) उस काल के कई लेखक उपनिवेशवाद को प्राकृतिक समझते थे।

(iv) उपनिवेशी-कृत लोगों को आदि और बर्बर माना जाता था उन्हें सम
बनाने के लिए उपनिवेशवाद को जरूरी समझा जाता था।

प्रश्न 5. दक्षिण भारत के उपन्यासों का इतिहास बताएं।
उत्तर(i) भारत की दक्षिण भारतीय भाषाओं में उपन्यास औपनिवेशिक
काल में दिखाई देने शुरू होने लगे।

(ii) चंदू मैनन ने बेंजामिन डिजरायली के अंग्रेजी उपन्यास का अनुवा
मलयालम में करना शुरू किया तो उन्हें अनुभव हुआ कि केरल के अनेक पाठक
अंग्रेजी उपन्यासों के चरित्रों के रहन-सहन आदि से परिचित नहीं थे। अतः उन्होंने
1889 में मलयालम में इंदुलेखा उपन्यास लिखा ।

(iii) कांडुकुरी वीरेशलिंगम ने भी ओलिवर गोल्डस्मिथ के 'विकार और
वेकफील्ड का अनुवाद शुरू किया परन्तु अपने लेखन को 1878 में नेता
उपन्यास 'राजशेखर चरितम्' के रूप में समाप्त किया।

प्रश्न 6. हिन्दी उपन्यास में देवकीनंदन खत्री के योगदान पर विचार को
उत्तरदेवकी नंदन खत्री-वे भारत में रहस्यात्मक उपन्यास के जनक
जाते हैं। उनके लेखन ने हिन्दी उपन्यास के लिए पाठक वर्ग को तैयार किया
माना जाता है कि उनको हाथों-हाथ बिकी रचना 'चंद्रकांता संतति', जो फंतान
के तत्त्वों से बुनी रूमानी कृति थी, ने उस समय के शिक्षित वर्ग में हिन्दी भा
और देवनागरी लिपि को लोकप्रिय बनाने में मुख्य भूमिका निभाई थी। यद्यपि
'पढ़ने के आनंद' के उद्देश्य से लिखा गया था, फिर भी इससे पाठक-वर्ग में
चाहत और उनके भय के बारे में भी दिलचस्प सुराग मिलता है।

प्रश्न 7. उपन्यासों की कुछ महत्वपूर्ण प्रवृत्तियों का वर्णन करें, जिनके
कारण इन्हें पाठकों में लोकप्रियता मिली।
उत्तर―(i) उपन्यासों की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि वे
साधारण लोगों के विषय में थे और साधारण लोगों समुदायों की साझा दुनिया
रचता है । इस तरह द्वारा पढ़े जाते थे। वे आम आदमी के दैनिक जीवन से
संबंधित थे।

(ii) अधिकांश उपन्यास आम आदमी के जीवन पर केंद्रित थे।

(iii) 19वीं सदी में यूरोप औद्योगिक युग में प्रविष्ट कर गया । इससे समाज
का सामाजिक व आर्थिक दाँचा बदल गया। अधिकतर उपन्यासकारों ने औद्योगीकरण
के लोगों के जीवन पर भयानक प्रभावों को दिखाया है।

(iv) उपन्यास में देशीय भाषा का प्रयोग किया जाता था जो कि आम लोगों
द्वारा बोली जाती थी।

प्रश्न 8. इनकी व्याख्या करें―
प्रश्न (क) ब्रिटेन में आए सामाजिक बदलावों से पाठिकाओं की संख्या
बढ़ी थी।                                     [JAC 2011 (A); 2016 (A)]
उत्तर―(i) 18वीं सदी के उपन्यासों का सबसे रोमांचक पहलू यह था कि
उन्हें महिलाओं ने भी पढ़ना लिखना शुरू कर दिया था। इस सदी में मध्य वर्ग
अधिक समृद्ध बन गए थे। महिलाओं को उपन्यास पढ़ने और लिखने के लिए
अधिक समय मिलने लगा था। इन उपन्यासों ने महिलाओं के संसार, उनकी
भावनाओं, पहचान, अनुभवों तथा समस्याओं के विषय में खोज करनी शुरू कर
दी थी।
            (ii) कई उपन्यास घरेलू जीवन से संबंद्ध धे-ऐसा कथ्य जिसके विषय में
नारियों को आधिकारिक तौर पर कुछ कहने की सामर्थ्य थी। उन्होंने अपने
अनुभवों से सीखा, घरेलू जीवन के विषय में लिखा और पाठकों में अपनी पहचान
बनाई।

   (iii) जेन ऑस्टिन के उपन्यासों में 19वीं सदी के प्रारंभिक ब्रिटेन के ग्रामीण
कुलीन समाज की झलक मिलती है। इनसे ऐसे समाज के विषय में सोचने की
प्रेरणा मिलती है जहाँ महिलाओं को धनी या संपत्ति वाले दूल्हे खोजकर 'अच्छी'
शादियाँ करने के लिए उत्साहित किया जाता था। उनके उपन्यास प्राइड एंड
प्रेज्युडिस का प्रथम वाक्य है, यह एक सार्वभौम सत्य है कि कोई अकेला आदमी
यदि संपन्न है तो उसे एक पत्नी की चाहत अवश्य होगी।

प्रश्न (ख) राबिंसन क्रूसो के वे कौन से कृत्य हैं, जिनके कारण यह
हमें ठेठ उपनिवेशकार दिखाई देने लगता है ?          [NCERT]
उत्तर―डैनियल डेफो कृत रॉबिन्सन क्रूसो (1719) का नायक साहसिक
यात्री होने के साथ-साथ दास-व्यापारी है। एक द्वीप पर जहाजी दुर्घटना के बाद
पड़ा हुआ वह गैर-गोरे लोगों को बराबर का मानव नहीं बल्कि हीनतर जीव मानता
है। वह एक 'देसी' को मुक्त कराकर उसे अपना दास बनाता है। वह उससे
उसका नाम पूछना भी जरूरी नहीं समझता, बस अपनी ओर से उसे फ्राइडे कहता
है। पर उस समय क्रूसो का व्यवहार अमान्य या असामान्य नहीं समझा गया,
क्योंकि उस दौर में अधिकतर लेखक उपनिवेशवाद को एक कुदरती परिघटना
मानते थे। उपनिवेशवाद को एक कुदरती परिघटना मानते थे। उपनिवेशीकृत
लोगों को आदिमानव, बर्बर और मनुष्य से क्षुद्र माना जाता था और उन्हें सभ्य व
पूर्ण मनुष्य बनाने के लिए उपनिवेशवाद जरूरी है।

प्रश्न (ग) 1740 के बाद निर्धन लोग भी उपन्यास पढ़ने लगे।
                                       [NCERT; JAC 2015 (A)]
उत्तर―(i) 1740 में पुस्तकालयों की स्थापना के बाद लोगों के लिए पुस्तकें
सुलभ हो गई।

(ii) तकनीकी सुधार से छपाई की लागत में कमी आ गई और बाजारीकरण
के नए तरीकों ने पुस्तकों की बिक्री बढ़ा दी।

(iii) फ्रांस में प्रकाशकों को लगा कि उपन्यासों को घंटे के हिसाब से किराए
पर चलाने से अधिक लाभ होता है। उपन्यास बृहद स्तर पर उत्पादित और बेची
जाने वाली सर्वप्रथम वस्तुओं में से एक था।

(iv) उपन्यासों में रची जा रही दुनिया विश्वसनीय दिलचस्प और सच लगती थी।

(v) इन्हें अकेले भी पढ़ा जा सकता था और मित्रों-संबंधियों के साथ
मिल-बैठकर बोलकर भी चर्चित किया जा सकता था।

(iv) ग्राम्य क्षेत्रों में प्रायः इकट्ठे होकर बड़े ध्यान से किसी एक को
उपन्यास पढ़ते और दूसरों को सुनते देखा जा सकता था तथा वे पात्र के जीवन
के साथ गहरी पहचाना बना लेते थे।

प्रश्न (घ) औपनिवेशिक भारत के उपन्यासकार एक राजनीतिक उद्देश्य
के लिए लिख रहे थे।
उत्तर―(i) परीक्षागुरु नवोदित मध्यवर्गों के भीतरी व बाहरी संसार को
प्रतिबिंबित करता है। उपन्यास के पात्र एक ओर औपनिवेशिक समाज से
अनुकूलन में कठिनाई अनुभव कर रहे थे तो दूसरी ओर अपनी संस्कृति और
परंपराओं को भी संरक्षित करना चाह रहे थे।

(ii) प्रेमचंद का 'सेवासदन' वस्तुतः समाज में नारी की दुर्दशा पर केंद्रित
उपन्यास है। बाल विवाह तथा दहेज-प्रथा के मुद्दे भी उपन्यास के कथानक का
अंग हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि उच्चवर्ग ने, औपनिवेशिक शासकों से
स्वशासन के जो भी थोड़े बहुत अवसर मिले, उनका उन्होंने किस प्रकार उपयोग
किया।

(iii) उत्तरी केरल की 'निम्न' जाति के लेखक पोथेरी कुंजाम्बु ने 1892 में
सरस्वतीविजयम नाम उपन्यास लिखा, जिसमें जाति दमन की कड़ी निंदा की गई।

(iv) बंगाल में भी 1920 के आसपास एक नयी किस्म का उपन्यास
साहित्य आने लगा जिसमें किसानों और निम्न जातियों से जुड़ी समस्याएँ थीं।
अद्वैत मल्ला बर्मन (1914-51) ने तीताश एकती नदीर नाम (1956) के रूप में
तीताश नदी में मछली मारकर जीने वाले मल्लाहों के जीवन पर एक महाकाव्यात्मक
उपन्यास लिखा।

(v) बंगाल में कई उपन्यास मराठों व राजपूतों को लेकर लिखे गए जिनसे
अखिल भारतीयता की अनुभूति होती है।

(vi) बंकिम कृत आनंदमठ (1882) मुसलमानों से लड़कर हिंदू-साम्राज्य
स्थापित करने वाले हिंदू सैन्य संगठन की कहानी कहता है। इस अकेले उपन्यास
ने तरह-तरह के स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित किया था।

(vii) प्रेमचंद के उपन्यासों में समाज के प्रत्येक वर्ग से आए अनेक सशक्त
पात्र हैं। इनमें जमींदार, नवाब, किसान, भूमिहीन मजदूर, मध्यवर्गीय कर्मचारी और
समाज के हाशिए पर खड़े लोग पात्रों के रूप में मिलेंगे।

प्रश्न 9. तकनीक और समाज में आए उन बदलावों के बारे में बताइए
जिनके कारण 18वीं सदी के यूरोप में उपन्यास पढ़ने वालों की संख्या में
वृद्धि हुई।                                                        [JAC 2009 (A)]
उत्तर―18वीं सदी में यूरोप में उपन्यास पढ़ने वालों की संख्या में वृद्धि हुई।
इससे तकनीक एवं समाज में भी बदलाव आये। इसके निम्नलिखित कारण थे―
(i) 18वीं सदी में मुद्रण के आविष्कार ने उपन्यास को लोकप्रिय बना दिया
क्योंकि अब उपन्यासों का थोक उत्पादन सुगम था । प्राचीन काल में पांडुलिपियाँ
हस्तलिखित होती थीं अत: उनकी उपलब्धता सीमित होती थी।

(ii) उपन्यासों में कई सामाजिक पहलू चित्रित होते थे जैसे प्रेम और विवाह,
नर-नारी के लिए उपयुक्त आचरण आदि । फलत: आम आदमी इनकी ओर
आकर्षित हुआ।

(iii) उपन्यास मध्यवर्गीय लोगों, जैसे-दुकानदार और क्लर्क, के साथ-साथ
अभिजात तथा भद्र समाज-दोनों के लिए आकर्षण बिंदु बने ।

(iv) उपन्यासों में न केवल सामाजिक बुराइयों पर हमले किए गए परंतु उनसे
मुक्ति पाने के लिए उपाय भी सुझाए गए ताकि उन्हें सभी प्रकार के लोग पसंद
कर सकें।

(v) उपन्यास मध्यवर्ग में मनोरंजन का एक लोकप्रिय माध्यम बन गए।

(vi) अधिकतर उपन्यासकारों ने जनभाषा अर्थात् लोगों द्वारा प्रयुक्त भाषा का
प्रयोग किया।

प्रश्न 10. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखें―
(क) उड़िया उपन्यास       [JAC 2009 (S); 2014(A); 2017 (A)]
उत्तर―(क) 1877-78 में नाटककार रामशंकर राय ने 'सौदामिनी' नामक
प्रथम उड़िया उपन्यास का धारावाहिक प्रकाशन शुरू किया । परन्तु वे इसे पूरा न
कर सके। 30 वर्ष के अंदर उड़ीसा में फकीर मोहन सेनापति (1843-1918) के
रूप में एक बड़ा उपन्यासकार पैदा हुआ। उनके एक उपन्यास का नाम छह माणों
आठौ गुंठौ (1902) था जिसका शाब्दिक अर्थ है-छह एकड़ और बत्तीस गढ़े
जमीन । इस उपन्यास के साथ एक नए किस्म के उपन्यास की धारा शुरू हुई जो
जमीन और उस पर अधिकार के प्रश्न से संबंद्ध थी। उपन्यास में रामचंद्र मंगराज
की कहानी है जो एक जमींदार के मैनेजर की नौकरी करता है। यह मैनेजर अपने
आलसी और पियक्कड़ मालिक को ठगता है और नि:संतान बुनकर पति-पली
भगिया और सारिया की उर्वर जमीन को हथियाने की युक्ति सोचता रहता है।
मंगराज बुनकर दंपत्ति को बेवकूफ बनाकर उन्हें ऋण में दबा लेता है जिससे
जमीन उसकी हो जाए। यह उपन्यास मील का पत्थर सिद्ध हुआ और इसने
सिद्ध कर दिया कि उपन्यास द्वारा ग्राम्य मुद्दों को भी गहरी सोच का अहम
हिस्सा बनाया जा सकता है। यह उपन्यास लिखकर उन्होंने बंगाल तथा अन्य
स्थानों पर बहुत से लेखकों के लिए मार्ग खोल दिया था ।

(ख) उपन्यास परीक्षा-गुरू में चित्रित दर्शायी गई नए मध्य वर्ग की
तस्वीर।                                                    [JAC 2017(A)]
उत्तर―परीक्षा गुरू (1882) उपन्यास में नवोदित मध्यवर्गीय भीतरी व बाहरी
दुनिया का परिचय दिया गया है। उसके चरित्रों को औपनिवेशिक शासन से कदम
मिलाने में कैसी कठिनाइयाँ आती हैं और वे अपनी सांस्कृतिक पहचान को लेकर
क्या सोचते हैं, यही उपन्यास का कध्य है। औपनिवेशिक आधुनिकता की दुनिया
उनको एक साथ भयानक तथा आकर्षक दिखाई देती है। उपन्यास पाठक को
जीने के 'सही तरीके' बताता है और हर विवेकशील व्यक्ति से आशा करता है
कि वे समाज-चतुर और व्यावहारिक बनें पर साथ ही अपनी संस्कृति व परंपरा
में जमे रहकर सम्मान व गरिमा का जीवन जिएँ।
      उपन्यास के पात्र अपने कर्म से दो अलग संसारों के मध्य की दूरी कम करने
का प्रयास करते हैं : वे नयी कृषि तकनीक अपनाते हैं, व्यापार-कर्म को आधुनिक
बनाते हैं, भारतीय भाषा के प्रयोग बदलते हैं ताकि वे पाश्चात्य विज्ञान व भारतीय
बुद्धि दोनों को अभिव्यक्त करने में सक्षम हो सकें। युवाओं से अखबार पढ़ने की
'स्वस्थ आदत' डालने की अपील की जाती है। परन्तु उपन्यास में इस बात पर
जोर है कि यह सब मध्यवर्गीय गृहस्थी के पारंपरिक मूल्यों से समझौता किए बिना
हो। यह उपन्यास अधिक पाठक न जुटा सका क्योंकि शायद इसकी शैली बहुत
उपदेशात्मक थी।

प्रश्न 11.19वीं सदी के यूरोप और भारत, दोनों जगह उपन्यास पढ़ने
वाली महिलाओं के विषय में जो चिंता पैदा हुई, उसे संक्षेप में लिखें । इन
चिंताओं से इस बारे में क्या पता चलता है कि उस समय औरतों को किस
प्रकार देखा जाता था?                                                  [NCERT]
उत्तर―(i) जब महिलाओं ने उपन्यास पढ़ना और लिखना शुरू किया तो
अनेक लोगों को भय था कि अब वे अपने घर में पली, माता तथा अन्य परंपरागत
भूमिकाओं को त्याग देंगी तथा परिवार ध्वस्त हो जाएँगे ।

(ii) यह विस्मय की बात नहीं कि कई पुरुषों ने उपन्यास पढ़ने और लिखने
वाली महिलाओं पर संदेह किया। यह संदेह पूरे समुदाय में फैला था। ईसाई धर्म
 प्रचारक और संभवत: बंगला के प्रथम उपन्यास करुणा ओ फूलमनीर बिबरण
(1852) की लेखिका हाना मूलेन्स अपने पाठकों को बताती हैं कि वे गुप्त रूप
से लिखा करती थीं। 20वीं सदी में शैलबाला घोश जया इसलिए लिख पाईं कि
उन्हें उनके पति का संरक्षण प्राप्त था। जैसा कि हमें दक्षिण भारत के उदाहरण
से पता है, यहाँ भी लड़कियों व महिलाओं को उपन्यास पढ़ने से निरुत्साहित
किया जाता था।

प्रश्न 12. उपन्यासों की लोकप्रियता के कुछ महत्वपूर्ण कारण बताइए।
उत्तर―मुद्रण की प्रौद्योगिकी में सुधारों से पुस्तकों के दाम नीचे आ गए और
बाजारीकरण के नवाचारों ने बिक्री बढ़ा दी।
(i) उपन्यासों में दिखाए गए स्वप्न ग्राहय तथा विश्वसनीय लगते थे और वे
वास्तविक दिखाई देते थे।

(ii) उपन्यास पढ़ते समय पाठक किसी दूसरे व्यक्ति के संसार में विलीन हो
जाता था और ऐसा अनुभव करने लगता मानो उपन्यास के पात्र जैसा उसके मनाने
अपने जीवन में कुछ घट रहा है।

(iii) उपन्यासों ने निजी रूप से पढ़कर आनन्द मनाने का साधन उपलब्ध कराया।

(iv) उन्होंने व्यक्ति को सार्वजनिक रूप में भी पढ़ने का अवसर प्रदान किया।

(v) उपन्यासों की कहानियाँ घरों, बैठकों या दफ्तरों में भी विवेचित होती थीं।

(vi) वे ग्राम्य लोगों के लिए भी मनोरंजन का साधन बन गये।

प्रश्न 13. हिन्दी उपन्यास में प्रेमचंद के योगदान का वर्णन करें।
उत्तर―(i) प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी व उर्दू साहित्य के महानतम साहित्यक
व्यक्तियों में से एक थे। प्रेमचंद के लेखन ने हिन्दी उपन्यास को गरिमा तथा
प्रौढ़ता प्रदान की।

(ii) वे उर्दू में लिखते थे परन्तु शीघ्र ही हिन्दी में लिखने लगे। उन्होंने
किस्सा-गोई (कहानी-कहना) की परंपरागत कला को मंडित किया ।

(iii) प्रेमचंद से पूर्व हिन्दी उपन्यास चमत्कार, तिलिस्म, जुदाई शक्तियों तथा
ऐसी ही पलायनवादी फंतासी के रूप में प्रचलित था। उनका उपन्यास सेवासदन 
(सेवा का केन्द्र) 1916 में छपा था। यह उपन्यास मुख्यतः समाज में स्त्री की
शोचनीय दशा से संबंधित है।

(iv) प्रेमचंद ने अपने समय के यथार्थ मुद्दों पर लिखा । जैसे―सांप्रदायिकता,
भ्रष्टाचार, जमींदारी, ऋण, गरीबी, उपनिवेशवाद आदि ।

प्रश्न 14. वैकोम मुहम्मद बशीर कौन थे? उनके लेखन की कुछ
विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर―बेकोम मुहम्मद बशीर (1908-96) मलयालम में प्रसिद्ध होने वाले
प्रारंभिक मुस्लिम उपन्यासकोरों में से थे।
         बशीर की औपचारिक शिक्षा नाममात्र ही थी। उनकी अधिकतर रचनाएँ
उनके निजी अनुभवों पर आधारित थीं न कि पुस्तकीय ज्ञान पर । पाँच वर्ष की
आयु में स्कूल की पढ़ाई करते समय उन्होंने नमक सत्याग्रह में भाग लेने के लिए
घर छोड़ दिया था। बाद में वर्षों तक भारत के विभिन्न भागों में घूमने के बाद
अरब गए, जहाज पर काम किया, सूफी और हिन्दू संन्यासियों की संगति की ओर
पहलवानी भी सीखी।
         बशीर की उपन्यास और कहानियाँ आम बोलचाल की भाषा में हैं। उनके
उपन्यास मुस्लिम घरों के दैनिक जीवन को चुटीली शैली में चित्रित करते हैं।
उन्होंने अपने लेखन में निर्धनता, पागलपन और बंदी जीवन पर ऐसे कथानक रचे
जो मलयालम में उस काल में दुर्लभ थे।

प्रश्न 15. स्पष्ट कीजिए कि प्रेमचंद के लेखन ने भारतीयों में राष्ट्रवादी
भावना किस प्रकार पैदा की थी?
उत्तर―(i) प्रेमचंद के उपन्यासों में समाज के हर वर्ग से आए अनेक प्रकार
के शक्तिशाली चरित्र हैं। वहाँ एक ओर जमींदार और नवाब हैं तो दूसरी ओर
किसान और भूमिहीन मजदूर, मध्यवर्गीय नौकरी-पेशा लोग मिलेंगे और समाज के
हाशिए पर पड़े लोग भी दिखाई देंगे।

(ii) उनकी महिलाएँ, विशेषतः निचले वर्ग की गैर-आधुनिक महिलाएँ भी
शक्तिशाली व्यक्ति रखती हैं।

(iii) उनके उपन्यासों में अतीत के महत्व को न भूलते हुए भविष्य की ओर
देखने की पहल दिखाई देती है।

(iv) समाज के विभिन्न स्तरों से आते प्रेमचंद के पात्र जनवादी मूल्यों पर
आधारित समाज बनाते दिखाई देते हैं। 'रंगभूमि' का मुख्य पात्र सुरदास तथाकथित
अछूत जाति का नेत्रहीन भिखारी है। हम सूरदास को तंबाकू फैक्ट्री के लिए कब्जे
से अपनी भूमि को बचाने के लिए संघर्षरत पाते हैं।

(v) गोदान (गाय का दान) 1936 में प्रकाशित उनका बहुचर्चित उपन्यास
है। यह भारतीय किसानों पर लिखा गया महान उपन्यास है। इस उपन्यास में होरी
किसान और उसकी पत्नी धनिया की कथा है। जो समाज में सत्ता के मालिक
लोग-जमींदार, महाजन, पुजारी और औपनिवेशिक नौकरशाही का विरोध करते हैं।

प्रश्न 16. 19वीं सदी के ब्रिटेन में आए कुछ सामाजिक परिवर्तनों की
चर्चा कीजिए, जिनके विषय में टॉमस हाड़ी ने लिखा था। [NCERT]
                                                                  [JAC 2012 (A)]
उत्तर―(i) टॉमस हार्डी एक अंग्रेजी उपन्यासकार थे जिन्होंने औद्योगीकरण
के कारण गायब होते ग्राम्य समुदायों के विषय में लिखा।

(ii) उन्होंने उस समय के ग्रामीण कृषक समुदायों के विषय में लिखा जब
अंग्रेजी ग्राम्य समाज तेजी से बदल रहा था। औद्योगीकरण के कारण किसान जो
अपने हाथों से कठोर परिश्रम किया करते थे, गायब हो रहे थे जबकि बड़े किसानों
ने अपनी जमीनों की बाड़ाबंदी कर दी थी, मशीनें खरीदी और मजदूर लगाकर
बाजार के लिए उत्पादन शुरू कर दिया।

(iii) अपने उपन्यासों में हार्डी ने लिखा था कि किस प्रकार औद्योगीकरण
की प्रक्रिया ने ग्राम्य समुदायों को तोड़ डला और कैसे ग्रामीण संस्कृति के मूल्य
पर एक नयी नगरीय संस्कृति विकसित हो गई है।

(iv) 'फॉर फ्राम द मैडनिंग क्राउड' हार्डी का अति प्रसिद्ध उपन्यास था।
इस उपन्यास में उन्होंने लुप्त हो रही ग्राम्य संस्कृति के विषय में अपनी भावनाएँ
व्यक्त की हैं और गैबरियल ओक नामक पात्र के माध्यम से इसका समाज पर
पड़ने वाला प्रभाव दिखाया है।

प्रश्न 17. उपन्यासों की क्या महत्ता थी?
अथवा, औपनिवेशिक भारत में उपन्यास किस प्रकार उपनिवेशकारों
तथा राष्ट्रवादियों के लिए उपयोगी थे?
उत्तर―(i) सूचना-स्रोत–औपनिवेशिक सरकार को उपन्यासों में देशी जीवन
व रीति-रिवाज से जुड़ी जानकारी का बहुमूल्य स्रोत दिखाई दिया। अनेक प्रकार
के समुदायों और जातियों वाले भारतीय समाज पर शासन करने के लिए ऐसी
जानकारी उपयोगी थी। इससे उन्हें भारतीय घरों के भीतर तक की जानकारियाँ
मिल जाती थीं। भारतीय भाषाओं के नए उपन्यासों में गृहस्थी का विस्तृत वर्णन
था। उसे पढ़कर लोगों के पहनने-ओढ़ने, पूजा-पाठ, विश्वासों और आचार आदि
का सहज पता चल जाता था। इनमें से कुछ पुस्तकों का अंग्रेजी में अनुवाद भी
हुआ, जिसके पीछे प्रायः ब्रिटिश प्रशासकों या ईसाई मिशनरियों का हाथ था।

(ii) सामाजिक तथा आर्थिक समस्याएँ : भारतीयों ने अपने समाज में
उपस्थित बुराइयों की आलोचना करने और उपचार सुझाने के लिए उपन्यासों का
उपयोग किया। वीरेशलिंगम जैसे लेखकों ने उपन्यास का उपयोग मूलतः अपने
विचारों को अधिकाधिक लोगों तक पहुँचाने के लिए किया ।

(iii) राष्ट्रवाद का प्रसार : उपन्यासों की सहायता से अतीत के साथ रिश्ता
भी कायम किया गया। अनेक उपन्यास गुजरे युग की शौर्य और षड्यंत्र की
रोमांचक कहानियों पर आधारित थे। प्राचीन काल का महिमागायन करके उन
उपन्यासों ने अपने पाठकों में राष्ट्रीय गौरव की भावना का संचार किया ।

प्रश्न 18. यह बताएँ कि जातिवाद का मुद्दा भारतीय उपन्यासों में
किस प्रकार उभरने लगा था?                               [NCERT]
उत्तर―(i) इंदिराबाई और इंदुलेखा जैसे उपन्यास सवर्ण जाति के लेखकों
ने लिखे थे और उनमें वर्णन भी सवर्ण चरित्रों का ही था। तथापि सभी उपन्यास
ऐसे नहीं थे।

(ii) 'पोथेरी कुंजाम्बु' उत्तरी केरल की 'निम्न' जाति के लेखक ने 1892
में सरस्वतीविजयम नामक उपन्यास लिखा जिसमें जाति-दमन की कड़ी निंदा की
गई थी। इसका 'अछूत' नायक ब्राह्मण जमींदार के अत्याचार से बचने के लिए
शहर भाग जाता है। इस तरह सरस्वतीविजयम निम्न जाति के लोगों की उन्नति
के लिए शिक्षा के महत्त्व को रेखांकित करता है।

(iii) 1920 के दशक में बंगाल में भी एक नए प्रकार के उपन्यास का
आगमन शुरू हुआ जिनमें किसानों और निम्न जातियों से जुड़े मसले उठाए गए।
अद्वैत मल्ला बर्मन (1914-15) ने तीताश एकटी नदीर नाम (1956) के रूप में
तीताश नदी में मछली मार कर जीने वाले मल्लाहों के जीवन पर एक महाकाव्यात्मक
उपन्यास लिखा।
 
(iv) तीताश इसलिए खास है क्योंकि लेखक अद्वैत स्वयं भी 'निम्न' जाति
के मल्लाह समुदाय के थे, हालाँकि इससे पहले भी उपन्यासकारों ने 'निम्न जाति'
पर उपन्यास लिखे थे।

प्रश्न 19. बताएँ कि किस प्रकार उपन्यासों ने भारत में अखिल भारतीय
संबद्धता को पल्लवित किया ?
अथवा, बताइए कि भारतीय उपन्यासों में एक अखिल भारतीय जुड़ाव का
अहसास पैदा करने के लिए किस तरह कोशिश की गई।
                                   [JAC 2010 (C); 2013 (A)]
उत्तर―(i) बंगाल में कई उपन्यास मराठों व राजपूतों को लेकर लिखे गए।
इनसे अखिल भारतीयता का अहसास पैदा हुआ। उनका कल्पित राष्ट्र रूमानी,
साहस, वीरता और त्याग से ओत-प्रोत था। ये ऐसे गुण थे जिन्हें 19वीं सदी के
दफ्तरों और सड़कों पर पाना कठिन था। गुलाम जनता ने ऐसे उपन्यासों में अपनी
चाहत को साकार करने का माध्यम दूँढा।

(ii) भूदेव मुखोपाध्याय (1827-94) कृत अँगुरिया बिनिमॉय (1857) बंगाल
में लिखा जाने वाला पहला ऐतिहासिक उपन्यास था। इसके नायक शिवाजी धूर्त
और कुटिल औरंगजेब से कई बार लोहा लेते हैं। उनके साहस और जीवन का
प्रेरणास्रोत यह विश्वास है कि वे हिंदुओं की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले
राष्ट्रवादी हैं।

(iii) बंकिम का आनंदमठ (1882) मुस्लिमों से लड़कर हिंदू साम्राज्य
स्थापित करने वाले हिंदू सैन्य संगठन की कहानी कहता है। इस एक उपन्यास
ने तरह-तरह के स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित किया।

(iv) साहस और शौर्यसंपन्न अतीत के स्मरण के माध्यम से उपन्यास को
एक साझे राष्ट्र की अनुभूति को लोकप्रिय बनाने में मदद मिली । साझा समाज
दिखाने का एक और तरीका यह था कि उपन्यास में हर वर्ग या स्तर के चरित्र
गढ़े जाएँ। प्रेमचंद के उपन्यासों में समाज के हर स्तर से आए नानाविध
शक्तिशाली चरित्र हैं।

प्रश्न 20. उपन्यास 'परीक्षा गुरु' में दर्शायी गयी मध्य वर्ग की तस्वीर पर
संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर―'परीक्षा गुरु' हिन्दी भाषा का पहला उपन्यास था। इसके लेखक
श्रीनिवास दास थे उपन्यास में नव-निर्मित मध्य वर्ग की अंदरूनी एंव बाहरी
दुनिया का चित्रण किया गया है। देशी संस्कृति और औपनिवेशिक शासन के
बीच तालमेल की समस्या इस उपन्यास का मूल कथ्य है।
      उपन्यास में नये मध्यवर्ग को पश्चिमी सभ्यता की अच्छी चीजों को ग्रहण
करते हुए अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक दिखया गया है।
    उपन्यास में वर्णित मध्यवर्ग नयी कृषि तकनीक की अपनाता है, व्यापार को
आधुनिक बनाता है तथा भारतीय भाषा के प्रयोग को बदलता है ताकि पश्चिमी
विज्ञान और भारतीय वृद्धि की समन्वित अभिव्यक्ति हो सके।
            मध्यवर्ग, यद्यपि पश्चिमी आधुनिकता को स्वीकार करता है, परन्तु वह
अपनी मूल संस्कृति से समझौता नहीं करता है।

                                            ◆◆◆ 
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