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 Jharkhand Board Class 10  Geography  Notes |  कृषि  

   JAC Board Solution For Class 10TH ( Social science ) Geography Chapter 3

                             (Agriculture)

                        लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. भारतीय किसानों द्वारा कितने प्रमुख प्रकार की कृषि अपनाई
जाती है ? भारत के किन्हीं तीन राज्यों के नाम बताएँ जहाँ यह अपनाई
जाती है।
उत्तर―(i) आत्म निर्वाह कृषि (Subsistence farming)― असम।
(ii) गहन कृषि (Intensive arming)―पंजाब ।
(iii) व्यावसायिक कृषि (Commercial Agriculture)―कर्नाटक ।

प्रश्न 2. कर्तन दहन प्रणाली (Slash and burn agriculture) क्या
है ? राज्य अथवा क्षेत्र का नाम बताकर इसके स्थानीय नाम बताएँ।
                                                               [JAC 2011 (A)]
उत्तर―कर्तन दहन प्रणाली के अंतर्गत किसान जमीन के टुकड़े को साफ
करके कुछ वर्ष के लिए उस पर फसलें उगाता है और फिर दूसरे टुकड़े को ढूंढ
लेता है।
कर्तन दहन प्रणाली के स्थानीय नाम―
(i) झूम―असम, मेघालय, मिजोरम तथा नागालैंड । 
(ii) पामलू―मणिपुर ।
(iii) दीपा―छत्तीसगढ़ तथा अंडमान और निकोबार ।

प्रश्न 3. प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि (Primitive substistence
farming) क्या है ? इसकी किन्हीं चार विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर―प्ररंभिक जीविका निर्वाह कृषि-प्रारम्भिक जीविका निर्वाह कृषि
वह कृषि है जिसमें एक किसान अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए उत्पादन
करता है और बेचने को कुछ नहीं बचता
विशेषताएँ―इस प्रकार की कृषि की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं―
(i) प्रारंभिक जीवन निर्वाह कृषि भूमि के छोटे टुकड़ों पर आदिम कृषि
औजारों जैसे लकड़ी के हल, डाओ (dao) और खुदाई करने वाली छड़ी तथा
परिवार अथवा समुदाय श्रम की मदद से की जाती है।

(ii) इस प्रकार की कृषि प्रायः मानसून मृदा की प्राकृतिक उर्वरता और
फसल उगाने के लिए अन्य पर्यावरणीय परिस्थितियों की उपयुक्तता पर निर्भर
करती है।

(iii) इसके अंतर्गत किसान अपने उपभोग के लिए उत्पादन करते हैं।

(iv) भूमि के प्रति हैक्टेयर उपलब्धता बहुत कम होती है।

प्रश्न 4. स्थानांतरी कृषि (Shifting Agriculture) की कोई चार
विशेषताएँ लिखें।
उत्तर―(i) पेड़ों को काट कर तथा जलाकर भूमि के टुकड़े को साफ किया
जाता है।

(ii) इस प्रकार की कृषि प्रायः मानसून, मृदा की प्राकृतिक उर्वरता तथा
अन्य पर्यावरणीय परिस्थितियों की उपयुक्तता पर निर्भर करता है।

(iii) प्रति हैक्टेयर उत्पादन बहुत कम होता है क्योंकि किसान उर्वरक, खाद
अथवा अन्य आधुनिक तकनीकों का प्रयोग नहीं करते।

(iv) दो-तीन वर्षों के बाद भूमि के उस टुकड़े को छोड़ दिया जाता है
क्योंकि मृदा अपरदन तथा मृदा की उर्वरता के कम होने से उत्पादन भी कम हो
जाता है।

प्रश्न 5. गहन जीविका कृषि (Intensive subsistence farming)
क्या है ? इसके दो लक्षण लिखें।
उत्तर―इस प्रकार की कृषि उन क्षेत्रों में की जाती है जहाँ जोती जाने वाली
भूमि सीमित होती है तथा जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है।
गहन जीविका कृषि के लक्षण―
(i) प्रति हैक्टेयर उत्पादन अधिक होता है।
(ii) किसान आधुनिक तकनीकों जैसे उर्वरकों, कीटनाशकों तथा अच्छी
फसल देने वाले बीजों को अपनाते हैं ताकि अच्छी फसल प्राप्त की जा सके।

प्रश्न 6. व्यापक भूमि विकास कार्यक्रम (Comprehensive Land
Development) क्या था?
उत्तर―व्यापक भूमि विकास कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि उत्पादन को बढ़ाने
के लिए संस्थागत तथा तकनीकी सुधारों को अपनाया गया।
     इस दिशा में उठाए गए कदमों में सूखा, बाढ़, चक्रवात, आग तथा बीमारी
के लिए फसल बीमा के प्रावधन और किसानों को कम दर पर ऋण सुविधाएँ
प्रदान करने के लिए ग्रामीण बैंकों, सहकारी समितियों तथा बैंकों की स्थापना
सम्मिलित थे।

प्रश्न 7. किन्हीं चार कारकों का उल्लेख करें जिन्होंने शस्य प्रारूप
(Cropping Pattern) को बिगाड़ दिया है।
उत्तर―(i) ऊँचा न्यूनतम समर्थन मूल्य, (ii) विभिन्न निवेशों में अधिक
सहायिकी, (iii) एफ० सी० आई० द्वारा शर्तिया खरीद तथा (iv) सिंचाई के
सुनिश्चित साधन ।

प्रश्न 8. रबड़ के उत्पादन में केरल अग्रणी है। दो कारण दें।
उत्तर―रबड़ के उत्पादन में केरल अग्रणी है क्योंकि―
(i) रबड़ की उपज के लिए पूरा वर्ष उच्च तापमान तथा भारी वर्षा की
आवश्यकता होती है।
(ii) इसे सस्ते श्रमिकों की आवश्यकता होती है,जो केरल में उपलब्ध हैं।

प्रश्न 9. गहन कृषि (Intensive farming) तथा विस्तृत कृषि
(Extensive Farming) में दो अंतर लिखें।
उत्तर―
              गहन कृषि                                           विस्तृत कृषि
(1) अधिक निवेश तथा नई तकनीक         (1) अधिक से अधिक क्षेत्र को कृषि
का प्रयोग करके उत्पादन बढ़ाया                   के अधीन लाकर उत्पादन बढ़ाया
जाता है।                                                   जाता है।
(2) ऐसी कृषि सघन जनसंख्या वाले          (2) ऐसी कृषि कम जनसंख्या वाले
क्षेत्रों में भी की जाती हैं, जहाँ                          क्षेत्रों में की जाती है।
अधिक भूमि उपलब्ध न हो।

प्रश्न 10. फसलों की अदला-बदली (Rotation of crops) तथा
बहु-फसलीय कृषि (Multiple cropping) में अन्तर स्ण्ट करें।
उत्तर―
      फसलों की अदला-बदली                        बहु-फसलीय कृषि
(1) फसलों की अदला-बदली की            (1) एक ही मौसम के दौरान एक ही
प्रक्रिया भूमि की उर्वरता बनाए रखती            खेत में, एक से अधिक फसलों
है। इसमें फसलें क्रम में उगाई                        के उगाने को बहु-फसलीय कृषि
जाती हैं।                                                   कहते हैं।
(2) उदाहरण के लिए एक मौसम में         (2) उदाहरण : गेहूँ तथा सरसों।
गेहूँ उगाया जाता है और दूसरे में
गन्ना।

प्रश्न 11. भारतीय अर्थव्यवस्था में रबड़ का क्या महत्त्व है ?
उत्तर―(i) रबड़ एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक कच्चा पदार्थ है।
(ii) इसका प्रयोग ओटो उद्योग में होता है।
(iii) जूट उद्योग के लिए यह एक प्रमुख साधन है।
(iv) कच्चा रबड़ तथा रबड़ के उत्पादों का निर्यात कर भारत विदेशी मुद्रा
अर्जित करता है।

प्रश्न 12. व्यापारिक कृषि क्या है ? उपयुक्त उदाहरण दें।
उत्तर―भूमिका : व्यापारिक कृषि का उद्देश्य फसलों को बाजार में बेचना
है। इस प्रकार की कृषि में विशेष फसलें बोई जाती हैं। दो प्रकार की व्यापारिक
कृषि फसलें हैं―
(i) व्यापारिक खाद्यान्न कृषि तथा (ii) रोपण कृषि ।
व्यापारिक खाद्यान्न कृषि में गेहूँ प्रमुख फसल है, जो पंजाब, हरियाणा में
उगाया जाता है। रोपण कृषि को अंग्रेजों ने आरम्भ किया था। उन्होंने नील, चाय,
कहवा और तम्बाकू की कृषि आरम्भ की।
            चाय की कृषि आसाम में तथा कहवा नीलगिरि की पहाड़ियों में उत्पन्न
किया जाता है।

प्रश्न 13. डेयरी कृषि का क्या महत्त्व है ? भारत में डेयरी के असंतोषजनक
विकास के दो कारण दीजिए।
उत्तर―डेयरी कृषि का महत्त्व यह है कि यह दूध की आपूर्ति उन क्षेत्रों को
करता है जहाँ दूध की कमी है। इस प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों की मदद होती है। इसके
असन्तोष विकास के दो कारण निम्न हैं―
(i) घटिया तकनीक तथा डेयरी मशीन आदि के लिए पूँजी की कमी।
(ii) अच्छे किस्म के पशुओं की कमी ।
(iii) प्रतिकूल जलवायु। 
(iv) प्रति व्यक्ति दूध का कम उत्पादन ।

प्रश्न 14. भारतीय कृषि में शष्क कृषि की उन्नति क्यों आवश्यक है।
उत्तर―शुष्क कृषि का अर्थ है उन क्षेत्र में फसल उत्पादन करना है,जहाँ
वर्षा बहुत कम होती है और सिंचाई की सुविधा कम है। भारतीय कृषि में शुष्क
कृषि बहुत आवश्यक है। यह उस क्षेत्रों में आवश्यक है जहाँ इन सब सुविधाओं
की कमी है। बंध बनाना और समोच्च जुताई अधिक लाभदायक है जिससे मृदा
में आर्द्रता बनी रहे और मृदा अपरदन न हो।

प्रश्न 15. पंजाब और हरियाणा में कम वर्षा के बावजूद चावल
उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। चार कारण दें।
उत्तर―(i) भाखड़ा नहर सिंचाई के लिए पर्याप्त जल प्रदान करती है।
(ii) सस्ता श्रम उपलब्ध है।
(iii) आर्थिक कारक जैसे बैंक सेवा, परिवहन सेवा का पैमाने पर उपलब्ध है।
(iv) इन राज्यों से चावल के निर्यात को बढ़ावा मिला क्योंकि चावल की
क्वालिटी अच्छी है।

प्रश्न 16. उद्यान कृषि पर एक निबन्ध लिखें।
उत्तर―उद्यान कृषि (Horticulture Crops)-भारत फल तथा सब्जियों
का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारतीय आम तथा केले की माँग देश से बाहर बाहुत
अधिक है। भारत उष्ण और उपोष्ण फलों का उत्पादक है। महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश,
उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बंगाल के आम, नागपुर और मेघालय के संतरा, केरल,
मिजोरम, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के केला, उत्तर प्रदेश का अमरूद, मेघालय के
अनारस, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के अमरुद, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश
के सेब, नाशपाती की मांग है। भारत विश्व का 13% फल का उत्पादन करता
है। यह मटर, गोभी के उत्पादन में प्रथम है। प्याज, पात गोभी, टमाटर, बैंगन के
उत्पादन में दूसरा तथा आलू के उत्पादन में चौथा स्थान रखता है।

प्रश्न 17. भारत की एक खाद्य फसल का नाम बताएँ और जहाँ यह
पैदा की जाती है उन क्षेत्रों का विवरण दें।                   [NCERT]
उत्तर―चावल भारत की खाद्य फसल है। यह पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश,
उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा असम में उगाई जाती है।

प्रश्न 18. दिन-प्रतिदिन कृषि के अन्तर्गत भूमि कम हो रही है। क्या
आप इसके परिणामों की कल्पना कर सकते हैं?         [NCERT]
उत्तर―(i) यह खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करेगी।

(ii) इससे उद्योगों तथा अन्य क्षेत्रों पर दबाव बढ़ेगा क्योंकि लोग कृषि क्षेत्र
से अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित हो रहे हैं।

(iii) कच्चे पदार्थ की कमी के कारण कृषि-आधारित उद्योगों को नुकसान होगा।

(iv) इससे भूमि का निम्नीकरण होगा।

प्रश्न 19. सोपान अथवा सीढ़ीदार कृषि किस प्रकार मृदा अपरदन को
रोकती है?
उत्तर―ढाल वाली भूमि पर समोच्च रेखाओं के समानांतर हल चलाने से
ढाल के साथ जल बहाव की गति घटती है। इसे समोच्च जुताई कहा जाता है।
ढाल वाली भूमि पर सोपान अर्थात् सीढ़ीदार खेत बनाये जा सकते हैं। पश्चिमी
और मध्य हिमालय में इस प्रकार की कृषि काफी विकसित है। बड़े खेतों की
पट्टियों में वर्गीकृत यिका जाता है। फसलों के बीच में घास की पट्टियाँ उगाई
जाती हैं। ये पवनों द्वारा जनित बल को कमजोर करती हैं। कृषि के इस प्रकार
को पट्टी कृषि कहते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सोपान कृषि मृदा
अपरदन को नियंत्रित करती है।

प्रश्न. 20. पहाड़ी क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव की रोकथाम के लिए।
क्या-क्या कदम उठाने चाहिए?                 [JAC 2010 (A)]
उत्तर―पहाड़ी क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव की रोकथाम के लिए निम्नांकित
कदम उठाना चाहिए―
(i) वृक्षारोपण―पहाड़ी ढालों पर एवं बंजर भूमि में वृक्षारोपण करना चाहिए।
(ii) सीढ़ीदार खेत―पहाड़ी क्षेत्रों में एवं ढलानों पर सीढ़ीनुमा खेती करनी चाहिए।
(iii) बाँध निर्माण―जलप्रवाह को रोकने के लिए ढलानों पर बाँध निर्मित
करना चाहिए।
(iv) पशुचारण पर नियंत्रण―पहाड़ी ढलानों पर नियंत्रित पशुचारण से
मृदा कटाव पर अंकुश संभव है।
उपर्युक्त विधियाँ अपनाने से ही पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा कटाव पर नियंत्रण
संभव है।

                     दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोतर

प्रश्न 1. कृषि को भारतीय अर्थ-व्यवस्था का मुख्य आधार क्यों माना
जाता है ?                                                    [JAC 2011 (A)]
अथवा, भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का क्या महत्त्व है ?
उत्तर―(i) कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार इसलिए कहा
गया है, क्योंकि 67% जनसंख्या प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में कृषि पर निर्भर है।
(ii) इस उद्योगों को कच्चा माल मिलता है।
(iii) कृषि उत्पादों का निर्यात करके भारत विदेशी मुद्रा अर्जित करता है।
(iv) राष्ट्रीय आय में इसका योगदान 29% है।
(v) यह हमारी 1027 मिलियन जनसंख्या को भोजन प्रदान करती है।

प्रश्न 2. जीविका निर्वाह कृषि (subsistence ngriculture) क्या है ?
इस कृषि की कोई चार विशेषताएँ बताएँ ।
उत्तर―(i) जीविका निर्वाह कृषि में किसान मुख्यतः अपने परिवार के
भरण-पोषण के लिए उत्पादन करता है।
(ii) यह खेती छोटे-छोटे खेतों में की जाती है तथा किसानों के पास
अलग-अलग स्थानों पर बिखरी हुई जोतें होती हैं।
(iii) अधिकतर किसान गरीय होते हैं तथा वे उर्वरक तथा अच्छी फसल देने
वाले बीजों का प्रयोग नहीं करते।
(iv) कुल मिलाकर उत्पादकता बहुत कम होती है।

प्रश्न 3. श्रम-गहन खेती क्या है ? श्रम-गहन खेती की कुछ विशेषताएँ लिखें।
उत्तर―इस प्रकार की कृषि में बेहतर कृषि साधनों तथा वैज्ञानिक तकनीक
को अपनाकर कृषि उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
विशेषताएँ―(i) उत्पादन बढ़ाने के लिए अधिक फसल देने बाले बीजों तथा
आधुनिक साधनों की आवश्यकता होती है।
(ii) एक वर्ष में एक से अधिक फसल उगाई जा सकती है।
(iii) ऐसी कृषि सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों में की जाती है।
(iv) प्रति हैक्टेयर उपज बहुत अधिक होती है।

प्रश्न 4. चावल से खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों का
वर्णन करें।                                [JAC 2012 (A); 2016 (A)]
उत्तर―(i) तापमान―यह एक खरीफ फसल है जिसे उच्च तापमान तथा
अधिक नमी की आवश्यकता होती है। इस पौधे के वर्धन के लिए 25° से०
तापमान की आवश्यकता होती है जिसमें उगाने के समय तथा काटने के समय
कुछ विभिन्नताओं की आवश्यकता होती है।

(ii) वर्षा―चावल को अत्यधिक वर्षा की आवश्यकता होती है अर्थात् 100
सेमी० से अधिक । इसे कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है, परन्तु
जहाँ सुनिश्चित सिंचाई की व्यवस्था हो । सिंचाई की सहायता से हरियाणा तथा
पंजाब में भी चावल उगाया जाता है।

(iii) मृदा―चावल को विभिन्न मृदाओं में उगाया जा सकता है। जैसे―सिल्ट,
दुम्मट आदि परन्तु अभेद्य चिकनी मिट्टी वाली जलोढ़ मृदा में यह बेहतर उगाया
जाता है।

(iv) उत्पादन के क्षेत्र-चावल भारत के लगभग सभी राज्यों में उगाया जाता
है परन्तु अधिकतर यह नदी घाटियों, डेल्टाई प्रदेशों तथा तटीय मैदानों में उगाया
जाता है।
      चावल उत्पादक प्रमुख राज्य हैं-पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश,
बिहार, पंजाब, उड़ीसा, कर्नाटक, असम तथा महाराष्ट्र ।

प्रश्न 5. गेहूँ की कृषि के लिए किस प्रकार की जलवायु की आवश्यकता
होती है ? भारत के किन्हीं चार महत्त्वपूर्ण गेहूँ उत्पादक राज्यों के नाम
लिखें।
उत्तर―(i) तापमान―गेहूँ की फसल उगाने के लिए शीत तथा नमी वाले
मौसम और पकने के समय गर्म तथा शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है।

(ii) वर्षा―इसके लिए 50-75 सेमी० वर्षा वर्षा की आवश्यकता होती है। 
15 दिन बीजने के बाद तथा 15 दिन पकने के पहले वर्षा आवश्यक तथा
लाभदायक होती है। सर्दियों की हल्की बौछारों अथवा सुनिश्चित सिंचाई से बम्पर
फसल होती है।

(iii) मृदा―हल्की दुम्मट मृदा की आवश्यकता होती है। इसे काली मृदा में
भी उगाया जा सकता है।
महत्त्वपूर्ण उत्पादक―पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा मध्य
प्रदेश गेहूँ के प्रमुख उत्पादक हैं।

प्रश्न 6. मक्के की उपज के लिए तीन भौगोलिक आवश्यकताओं
तापमान, वर्षा तथा मृदा का वर्णन करें। भारत के तीन मक्का उत्पादक
राज्यों का वर्णन करें।
उत्तर―(i) तापमान―इसके लिए 21° से० 27° से० तक के तापमान की
आवश्यकता होती है।

(ii) वर्षा―यह 50-100 सेमी० वर्षा वाले क्षेत्रों में उगाया जाता है तथा
सुनिश्चित सिंचाई होने पर कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है।

(iii) मृदा―इसके लिए अच्छे जल निकास वाले जलोढ़ उपजाऊ मृदा अथवा
लाल दुम्मट की आवश्यकता होती है।
प्रमुख उत्पादक―कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा आन्ध्र प्रदेश प्रमुख
उत्पादक हैं।

प्रश्न 7. गन्ने की कृषि के लिए आवश्यक तापमान तथा जलवायविक
दशाओं का वर्णन करें। दो प्रमुख उत्पादकों के नाम भी बताएँ।
अथवा, गन्ना की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों का
वर्णन करें।                                                 [JAC 2013 (A)]
उत्तर―(i) तापमान―गन्ने की कृषि के लिए उष्ण तथा आई जलवायु की
आवश्यकता है। इसके लिए 21 से० से 27° से. तापमान की जरूरत है। बहुत
अधिक तापमान इसके वर्धन के लिए नुकसानदायक होता है और कम तापमान
इसके विकास को रोकता है। यह फसल पाले को सहन नहीं कर पाती । पकने
पर इसे कम तापमान की आवश्यकता होती है।

(ii) वर्षा―75 सेमी० से 100 सेमी० वर्षा वाले क्षेत्रों में इसका वर्धन सबसे
बेहतर होता है। बहुत अधिक वर्षा होने पर इसकी मिठास की मात्रा कम हो
जाती है।

(iii) मृदा―इस पौधे को हल्की दुम्मट तथा लाल दुम्मट जैसी विभिन्न
मृदाओं में उगाया जा सकता है। परन्तु सबसे बेहतर मृदा गंगा के मैदानों की
जलोढ़ मृदा तथा दक्षिणी भारत की काली मृदा है। गन्ना मृदा की उर्वरता को
समाप्त कर देता है। इसलिए अधिक उपज के लिए खाद का प्रयोग आवश्यक
होता है।
उत्पादन के क्षेत्र―उत्तर प्रदेश गन्ने का प्रमुख उत्पादक है। गंगा के मैदान
में अन्य राज्य हैं-बिहार, पंजाब तथा हरियाणा।

प्रश्न 8. भारत में उत्पादित किन्हीं चार तिलहनों के नाम बताएँ । उनका
आर्थिक महत्त्व क्या है?
उत्तर―भारत में उत्पादित किए जाने वाले चार तिलहन हैं―
(i) मूंगफली, (ii) सरसों, (iii) नारियल तथा (iv) तिल ।
तिलहनों का आर्थिक महत्त्व―
(i) इनमें से अधिकतर खाद्य तेल हैं तथा खाना बनाने में प्रयोग किए जाते हैं।
(ii) इनमें से निकाले गए तेल का प्रयोग अनेक प्रकार की वस्तुएँ तैयार करने
के लिए कच्चे माल के रूप में किया जाता है। जैसे―पेंट, वार्निश, साबुन,
प्रसाधन, उबटन आदि।
(iii) खेती, जो कि तिलहनों में से तिल निकाल कर बचा हुआ उप-उत्पाद
होता है, पशुओं के लिए चारे के रूप में प्रयोग होता है।
(iv) खली का प्रयोग खाद के रूप में होता है।

प्रश्न 9. भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण फसलों नाम बताएँ । इनके
वर्धन के लिए आवश्यक उपयुक्त जलवायविक (भौगोलिक) दशाओं का
वर्णन करें। इस फसल को उत्पादित करने वाले प्रमुख राज्यों के नाम
बताएँ।                                                        [JAC 2014(A)]
उत्तर―चाय तथा कहवा ।

जलवायविक दशाएँ―
(i) तापमान―चाय का पौधा उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु में
भली-भाँति उगाया जा सकता है। चाय की झाड़ियों को उगाने के लिए वर्ष भर
ऊष्ण, नम और पालारहित जलवायु की आवश्यकता होती है। चाय की झाड़ियों
को 25° सेमी० से अधिक तापमान की आवश्यकता होती है।

(ii) वर्षा―चाय के पौधे को 150 सेमी० से 250 सेमी० के बीच भारी वर्षा
की आवश्यकता होती है। वर्ष भर समान रूप से होने वाली वर्षा इसके विकास
में सहायक होती है।

(iii) मृदा―इस पौधे को हल्की दुम्मट मृदा की जरूरत होती है। मृदा रामस
तथा लौह-मात्रा में संपन्न होनी चाहिए। चाय मृदा की उर्वरता समाप्त कर देती
है इसलिए रासायनिक उर्वरकों तथा खाद की अवश्यकता होती है।
उत्पादक―प्रमुख चाय उत्पादक राज्य हैं-असम, पश्चिम बंगाल, (दार्जिलिंग
की पहाड़ियाँ जलपायगुड़ी जिले) तमिलनाडु तथा केरल । इनके अतिरिक्त
हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, मेघालय, आंध्रप्रदेश तथा त्रिपुरा भी चाय उत्पादक
राज्य है।

प्रश्न 10. रबड़ के उत्पादन के लिए आवश्यक अनुकूल जलवायविक
दशाओं का उल्लेख करें। रबड़ उत्पादक राज्यों के नाम भी बताएँ।
उत्तर―(i) तापमान―यह उष्ण कटिबंधीय वनों के पेड़ हैं तथा इन्हें 25° से०
से अधिक तापमान की लगातार आवश्यकता होती है। इसलिए इस पेड़ को बहुत
ऊँचाई वाले स्थानों पर नहीं उगाया जा सकता।

(ii) वर्षा―इसे भारी तथा पूरा वर्ष समान रूप से होने वाली वर्षा की
आवश्यकता होती है। इस पेड़ को 200 सें० मी० से अधिक वर्षा की आवश्यकता
होती है।

(iii) मृदा―इस पेड़ के लिए जलोढ़ अथवा लेटराइट मृदा की आवश्यकता
होती है।

उत्पादक क्षेत्र―प्राकृतिक रबड़ के उत्पादन में भारत को विश्व का पांचवा
स्थान प्राप्त है। रबड़ उत्पादन में केरल अग्रणी है। रबड़ उत्पादन के अधीन कुल
क्षेत्र का लगभग 91% क्षेत्र केरल के हिस्से में है। तमिलनाडु, कर्नाटक तथा
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा हिमालय की गारो पहाड़ियाँ प्रमुख रबड़
उत्पादक हैं।

प्रश्न 11. कपास के उत्पादन के लिए आवश्यक जलवायविक (भौगोलिक)
दशाओं का उल्लेख करें। भारत के प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों का वर्णन
भी करें।
उत्तर―(i) तापमान―कपास को उष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है।
पौधे के वर्धन के समय 21° से० से 27 सें० तापमान तथा खिली धूप की
आवश्यकता होती है। पौधे को तैयार होने के लिए कम से कम पाला रहित दिनों
की एक लम्बी वर्धन अवधि की जरूरत होती है।

(ii) वर्षा―मध्यम से हल्की वर्षा की जरूरत होती है। 50 सेमी० से 80
सेमी० के बीच की वर्षा पर्याप्त होती है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सिंचाई की
सहायता से इस फसल को सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है।

(iii) मृदा―कपास विभिन्न मृदाओं में उगाई जा सकती हैं परन्तु डक्कन
पठार की काली मृदा, जिसमें नमी बनाए रखने की क्षमता होती है, सबसे अधिक
उपयोगी होती है। यह सतलुज-गंगा के मैदान की जलोढ़ मृदा में भी भली-भाँति
उगाई जा सकती है।

उत्पादन का क्षेत्र―प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्र हैं-गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र
प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा मध्य प्रेदश ।
पंजाब तथा हरियाणा में लंबी स्टेपल किस्म उगाई जाती है।

प्रश्न 12. रोपण कृषि (Plantation agriculture) क्या है ? रोपण
कृषि की कुछ विशेषताएँ लिखें।
उत्तर―इस प्रकार की कृषि में एकल नगदी फसल उगाई जाती है। इसका
उत्पादन केवल बेचने के उद्देश्य से किया जाता है। रबड़, चाय, कहवा, मसाले,
     नारियल तथा फूल कुछ महत्त्वपूर्ण फसलें हैं जो रोपण कृषि के अन्तर्गत आती है।
विशेषताएँ―
(i) यह एक एकल फसल कृषि है।
(ii) इसमें बड़ी अधिक मात्रा में पूँजी की आवश्यकता होती है।
(iii) इसके लिए विस्तृत क्षेत्र, कुशल प्रबन्ध, तकनीकी ज्ञान, वैज्ञानिक
मशीनरी, उर्वरक, परिवहन के अच्छे साधनों की सुविधा तथा माल तैयार करने के
लिए कारखानों की आवश्यकता होती है।
(iv) इस प्रकार की खेती का विकास उत्तर-पश्चिमी भारत, हिमालय के
क्षेत्रों, पश्चिमी बंगाल तथा नीलगिरि में हुआ है।

प्रश्न 13. स्थानांतरी कृषि (Shifting agriculture) क्या है ? इस
कृषि को निरुत्साहित क्यों किया जा रहा है ?
उत्तर―इस प्रकार की कृषि में किसान वनों को साफ करके उसे फसलें बोने
के काम में लाते हैं । यहाँ दो-तीन साल तक फसल उगाई जाती है और जब भूमि 
की उर्वरता कम होती है तो किसान नई भूमि को अपना लेते हैं। शुष्क धान,
मक्का, बाजरा तथा सब्जियाँ इस प्रकार की खेती में साधारणतया उगाई जाती हैं।
इसका प्रति हैक्टेयर उत्पादन बहुत कम होता है।
(i) इससे वनोन्मूलन होता है।
(ii) प्रति हेक्टेयर उपज बहुत कम होती है।

प्रश्न 14. जीविका निर्वाह कृषि अभी भी देश के कुछ भागों में अपनाई 
जा रही है। चार कारण दें।
उत्तर―(i) भूमि के छोटे टुकड़े―भारत में भूमि के टुकड़ों का आकार बहुत
छोटा है। जनसंख्या के बढ़ने के कारण भूमि की प्रति हैक्टेयर उपलब्धता बहुत
कम हुई है। भूमि भी बिखरी हुई है।

(ii) साधनों की कमी―वाणिज्यिक तथा विस्तृत कृषि को अनेक साधनों की
आवश्यकता होती है। परन्तु सिंचाई, बीजों, उर्वरकों तथा मशीनरी जैसे साधनों की
कमी है।

(iii) गरीब किसान―भारत के अधिकतर किसान गरीब हैं। विभिन्न प्रकार 
के साधनों को खरीदने के लिए उनके पास धन नहीं है।

(iv) बड़े परिवार―अधिकतर किसानों के परिवार बड़े होते हैं इसलिए
बाजार में बेचने के लिए उनके पास बहुत कम उत्पाद बचता है।

प्रश्न 15. कौन-से राज्य निम्नलिखित बागवानी फसलों के प्रमुख
उत्पादक हैं?
(i) आम (ii) अंगूर (iii) केला (iv) सेब तथा खुबानी।
उत्तर―(i) आम―महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल।
(ii) केला―केरल, मिजोरम, महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु ।
(iii) अंगूर―आंध्र प्रदेश तथा महाराष्ट्र ।
(iv) सेब तथा खुबानी―जम्मू तथा कश्मीर और हिमाचल प्रदेश ।

प्रश्न 16. कृषि उत्पादन में वृद्धि लाने के लिए सरकार द्वारा किये गये
उपाय सुझाएँ।
उत्तर―(i) भूमि सुधार―कृषि को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने जमींदारी
प्रथा समाप्त कर दी। खेतों की चकबंदी कर दी गई। भूमिहीन मजदूरी को
सरकार ने जमीनें दी हैं।

(ii) सिंचाई योजनाओं का निर्माण―किसानों को ऊर्जा तथा सिंचाई
सुविधाएँ प्रदान करने के लिए अनेक बहु-उद्देशीय योजनाओं की स्थापना की।

(iii) आर्थिक सहायता―कृषि निवेश पर भारत सरकार बड़ी मात्रा में
आर्थिक सहायता देती है। अब सर्वाधिक आर्थिक सहायता उर्वरकों पर दी जा
रही है।

(iv) मुफ्त बिजली―कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए कुछ राज्य किसानों को
मुफ्त बिजली की सुविधा प्रदान कर रहे हैं।
(v) अच्छी उपज देने वाले बीज तथा कृषि विश्वविद्यालय―उत्पादन में
वृद्धि लाने के लिए सरकार किसानों को अच्छी उपज देने वाले बीज प्रदान कर
रही है। विशेष सेमिनार किए जाते हैं। अनेक नए कृषि विश्वविद्यालयों की
स्थापना की जा रही है।

(vi) सार्वजनिक खरीद प्रणाली तथा कृषि मूल्य आयोग―कृषि मूल्य
आयोग की स्थापना की गई, जो पहले से ही कृषि उत्पादों के मूल्य निर्धारित
करता है ताकि किसानों को पता चल सके कि उन्हें अपने उत्पादों का क्या मूल्य
मिलेगा। सरकारी एजेन्सियाँ जैसे–भारतीय खाद्य-निगम किसानों से उनके कृषि
उत्पादों को खरीद लेती है।

(vii) फसल बीमा तथा कृषि के लिए धन―जैसा कि हमें ज्ञात है कि
भारतीय कृषि मुख्यतः प्रकृति पर निर्भर है। अत्यधिक जोखिम होने के कारण
फसलों का बीमा किया जाता है। सरकार ने किसानों को कृषि ऋण देने के लिए
नाबार्ड जैसे बैंकों की स्थापना की।
             कृषि उत्पादन में वृद्धि करने के लिए अच्छे बीज देने वाले बीजों तथा
मशीनों का महत्त्व―
(i) अच्छी उपज देने वाली किस्में―अच्छी उपज देने वाले बीजों ने अनेक
फसलों के उत्पादन को बढ़ा दिया है, जैसे–1950-51 ई० में गेहूँ का उत्पादन
26.47 करोड़ टन था तथा अच्छी उपज देने वाले बीजों के कारण यह 1988-
99 ई० में बढ़कर 65.9 करोड़ टन हो गया।
(ii) अच्छी उपज देने वाले बीज उगने में कम समय लेते हैं इसलिए एक
मौसम में दो फसलें भी ली जा सकती हैं।
मशीनों का महत्त्व―
(i) मशीनें बीजों तथा पौधों को बेहतर ढंग से लगाने में मदद करती हैं,
जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है।
(ii) मशीनें कार्य को जल्दी पूरा कर देती हैं, जिससे समय की बचत होती
है तथा बर्बादी की संभावना कम हो जाती है।

प्रश्न 17. वाणिज्यिक कृषि (Commercial Agriculture) तथा जीविका
निर्वाह कृषि (Subsistence Agriculture) में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर―
वाणिज्यिक कृषि                                          जीविका निर्वाह कृषि
(1) इसमें व्यापार करने के लिए फसलों       (1) इसमें किसान तथा उसका परिवार
को उगाया जाता है।                                       अपने घर के उपभोग के लिए
                                                                   फसलें उगाता है।
(2) यह खेती बड़े-बड़े खेतों में की              (2) यह खेती छोटे-छोटे खेतों में की
जाती है।                                                      जाती है।
(3) यह पूँजी गहन है।                               (3) यह श्रम गहन है।
(4) इसमें आधुनिक तकनीक तथा               (4) पुरानी तकनीक तथा पुराने
उपकरणों का प्रयोग होता है।                           उपकरणों का प्रयोग होता है।
जैसे–उत्तर प्रदेश में गन्ने का                              जैसे–भारत के कुछ क्षेत्रों में गेहूँ
उत्पादन।                                                        का उत्पादन ।

प्रश्न 18. भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने के लिए सरकार द्वारा
उठाए गए चार कदमों का वर्णन करें।
उत्तर―(i) सरकार ने कृषि अनुसंधान तथा विकास की गतिविधियों को
प्रोत्साहन देने के लिए भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद, कृषि विश्वविद्यालय,
पशुओं की नस्ल सुधारने के केन्द्रों को स्थापित किया है।
(ii) सरकार ग्रामीण बाजारों का अन्तर्राष्ट्रीय बाजार से संबंध बनाने के लिए
ग्रामीण अघिसंरचना में निवेश कर रही है।
(iii) किसान क्रेडिट कार्ड, व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना भी शुरू की है।
(iv) व्यापक भूमि विकास कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

प्रश्न 19.अंतर स्पष्ट करें―
(i) शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि में अन्तर अथवा, शुष्क कृषि तथा आई कृषि
की कोई दो विशेषताएँ लिखें। (ii) रबी तथा खरीफ फसलें।
उत्तर―(i)
शुष्क कृषि                                               आर्द्र कृषि
(1) शुष्क कृषि में विशेष प्रकार की         (1) आई कृषि प्रमुखतः वर्षा पर आधारित
फसलों को उगाकर नमी को बनाए                होती है।
रखा जाता है।
(2) यह देश के शुष्क क्षेत्रों में अपनाई       (2) इस प्रकार की कृषि उत्तर-पश्चिम,
जाती है। जैसे उत्तर-पश्चिमी                         पश्चिमी भारत तथा पश्चिमी घाट की
भारत।                                                     पश्चिमी ढलानों में की जाती है।
(3) चना तथा मटर मुख्य फसलें हैं।          (3) चावल, जूट, गन्ना आदि ।

उत्तर―(ii)

          रबी फसल                                                खरीफ फसल
(1) रबी की फसल को सर्दियों के           (1) मानसून के आरम्भ होने पर अर्थात्
आरम्भ में अर्थात् अक्तूबर-नवम्बर                जून-जुलाई में खरीफ की फसलें
के महीने में बोया जाता है तथा                     बोई जाती हैं तथा सर्दियों के आरम्भ
मार्च-अप्रैल के महीने में काया                       में अर्थात् अक्तूबर-नवम्बर में फसलें
जाता है।                                                   काटी जाती हैं।
(2) गेहूँ, जौ, चना तथा तिलहन रबी        (2) चावल, मक्का, मोटा अनाज,
फसले हैं।                                                 कपास, मूंगफली प्रमुख खरीफ की
                                                               फसले हैं।

प्रश्न 20. जूट के उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाओं की
तुलना करें।
उत्तर―जूट उत्पादन के लिए निम्नलितिखत भौगोलिक दशाओं की आवश्यकता
होती है―
(1) जूट को 30° से० से अधिक तापमान की आवश्यकता होती है।
(2) लगभग 150° सेमी० वर्षा की जरूरत होती है।
(3) उच्च तापमान तथा आई जलवायु की आवश्यकता होती है।
(4) अच्छे जल निकास वाली उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी की आवश्यकता होती है।
(5) देश के पश्चिमी राज्य जूट की उपज के लिए उपयुक्त हैं।

प्रश्न 21. भारत की दो प्रमुख खाद्यान्न फसलें कौन-सी हैं? इनमें
किसी एक के लिए आवश्यक जलवायु तथा मिट्टी की तुलना करें।
                                                                        [NCERT]
उत्तर―(1) गेहूँ बोने तथा काटने के समय अलग-अलग जलवायु की
आवश्यकता होती है। बोने के समय कम तापमान तथा काटने के समय अधिक
तापमान, औसतन 21° से० की आवश्यकता होती है।
(2) गेहूँ के लिए 50-75 सेमी० वर्षा पर्याप्त है।
(3) इसके लिए उपजाऊ दुम्मट तथा काली मिट्टी की आवश्यकता
होती है।

प्रश्न 22. सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार
कार्यक्रमों की सूची बनाएँ।                                        [NCERT]
उत्तर―(i) भूमि सुधार―कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए तथा भूमि का
समान वितरण करने के लिए सरकार ने जमींदारी प्रथा समाप्त कर दी। इसने जोतों
की चकबंदी कर दी।

(ii) व्यापक भूमि विकास कार्यक्रम―सन् 1980 ई० तथा 1990 ई० के
दशकों में व्यापक भूमि विकास कार्यक्रम शुरू किया गया जो संस्थागत और
तकनीकी सुधारों पर आधारित था । इस दिशा में उठाए गए कुछ महत्त्वपूर्ण कदमों
में सूखा, बाढ़, चक्रवात, आग तथा बीमारी के लिए फसल बीमा के प्रावधान और
किसानों को कम दर पर ऋण सुविधाएँ प्रदान करने के लिए ग्रामीण बैंकों,
सहकारी समितियों और बैंकों की स्थापना सम्मिलित थे।
अन्य कदम―कृषि के महत्व को समझते हुए भारत सरकार ने इसके
आधुनिकीकरण के लिए भरसक प्रयास किए हैं। भारतीय कृषि में सुधार के लिए
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् व कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना, पशु
चिकित्सा सेवाएँ और पशु प्रजनन केन्द्र की स्थापना, बागवानी विकास, मौसम
विज्ञान और मौसम के पूर्वानुमान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास की वरीयता
दी गई।

प्रश्न 23. भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव पर टिप्पणी लिखें।
                              [JAC 2009 (S): 2010 (A); 2015 (A)]
उत्तर―भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण का प्रभाव (Impactof globalisation
on Indian agriculture) ―
(i) ब्रिटिश शासन में भारतीय कृषि वैश्वीकरण से प्रभावित थी। भारतीय
किसान दक्षिण भारत में मसाले और कपास उत्पन्न करने के लिए प्रोत्साहित किये
गये। वे व्यापारिक फसलें जैसे नील, चाय, कहवा, तम्बाकू आदि पैदा करने के लिए
भी प्रोत्साहित किये गये क्योंकि इन उत्पादों की यूरोप के बाजार में भारी माँग थी।

(ii) बिहार किसान नील की खेती करने के लिए बाध्य किये गये । भारतीय
किसान अपने लिए खाद्यान्न नहीं उगा सकते थे।

(iii) आधुनिक समय में 1990 ई० के बाद वैश्वीकरण का युग आया और
उसने विश्व के आर्थिक परिवेश को ही बदल दिया। इसमें भारत भी सम्मिलित
था। भारत चावल, कपास, रबर, चाय, कहवा, मसाले का विश्व में प्रमुख
उत्पादक है। विश्व बाजार में कड़ी प्रतियोगिता है। इसलिए भारतीय किसान
अपने उत्पाद की लागत (खर्च) भी नहीं प्राप्त कर पाते जबकि विकसित देशों ने
अपने किसानों को गेहूँ और अन्य फसलें उगाने के लिए आर्थिक सहायता दी है।
इसलिए वे कृषि उत्पाद कम मूल्य पर निर्यात करते हैं। 

(iv) उच्च उत्पाद वाली किस्मों के बीज, रासायनिक खाद और कीटनाशक,
सिंचाई सुविधाएँ फसलों के उत्पादन के लिये आधारभूत सुविधाएँ हैं। भारतीय
कृषि में पिछले दशकों में काफी परिवर्तन हुए हैं। सबसे अधिक परिवर्तन 1960
ई० में उच्च उत्पाद वाली किस्मों के बीजों से हुआ। इससे कई गुना निवेश साधनों
व बाजार आदि सुविधाओं में बढ़ गया । इस विकास ने कृषि उत्पादकता को बढ़ा
दिया तथा बाजार में खाद्यान्न की आपूर्ति बढ़ गई। हरित क्रान्ति के बाद श्वेत
क्रान्ति आयी फिर पीली और नीली क्रान्ति आई जिससे दूध, तिलहन और मछली
उत्पादन में वृद्धि हुई।

(v) जहाँ तक बाह्य व्यापार का सम्बन्ध है, 1990 ई० के दशक में कृषि
व्यापार में कुछ नियमों में ढील दी गई जो 1991 ई० के सुधार के बाद भी लागू
रही। इसके बाद उदारीकरण के अंतर्गत अनेक सुधार हुए । अब कुछ मदों जैसे
कपास, प्याज आदि को छोड़कर सभी कृषि उत्पादों का निर्यात किया जाने लगा।

प्रश्न 24. व्यापारिक कृषि और रोपण कृषि में क्या अन्तर है ?
उत्तर―
व्यापारिक कृषि                                       रोपण कृषि
(Commercial Agriculture)           (Plantation Agriculture)
(1) फसलें व्यापार की दृष्टि से बोई         (1) केवल एक प्रकार की फसल
जाती हैं।                                                 वैज्ञानिक और व्यापारिक स्तर पर
                                                             फैक्टरी उत्पादन के रूप में उत्पन्न
                                                             की जाती है।
(2) अधिक उपज लेने के लिये वैज्ञानिक    (2) बड़े क्षेत्र पर बड़ी मात्रा में पूँजी
विधि और तकनीक का प्रयोग किया               लगाकर आधुनिक ढंग से कृषि
जाता है।                                                   की जाती है। सस्ता श्रम, परिवहन,
                                                                सुविधा, संयुक्त प्रणाली तथा
                                                               अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार इसकी प्रमुख
                                                                विशेषताएँ हैं।
(3) चावल, गेहूँ, ज्वार, बाजरा, मसाले,        (3) रबर, चाय, कहवा, कोक, गन्ना
कपास, जूट आदि प्रमुख फसले हैं।                   आदि प्रमुख फसले हैं।

प्रश्न 25. स्थायी कृषि और स्थानान्तरित कृषि में अन्तर बताएँ ।
उत्तर―स्थायी कृषि (Settled agriculture)―कृषि का कोई भी प्रकार
(प्राथमिक और आधुनिक) जो छोटे या बड़े खेतों में किया जाता है इसे स्थायी
कृषि कहते हैं।

स्थानान्तरित कृषि (Shifting agriculture)―कृषि का वह रूपमा एक
स्थान से दूसरे स्थान को बदलता रहता है को स्थानान्तरित कृषि कहते।
स्थानान्तर कृषि में भूमि के एक भाग को साफ किया जाता है या तो पौधा को
जलाकर या काटकर उसे साफ किया जाता है और उस पर कृषि की जाती।
फिर यह टुकड़ा घासपात से ढक जाता है या निक्षालन से खराब हो जाता है तो
छोड़ दिया जाता है।

प्रश्न 26. निम्नलिखित फसलों की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक
परिस्थितियों तथा प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों का वर्णन करें।
(i) चावल (ii) गेहूँ (iii) मक्का (iv) चाय (v) कॉफी
(vi) कपास (vii) गन्ना (viii) रबर।
उत्तर―


प्रश्न 27. लाल और पीली मिट्टी के निर्माण, विशेषाओं तथा वितरण
के बारे में व्याख्या कीजिए।
उत्तर―निर्माण–लाल मिट्टी दक्कन पठार के पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों में 
रवेदार आग्ने चयनों पर कम वर्षा वाले भागों में विकसित हुई है।
लाल और पीली मिट्टी की विशेषताएँ―
(i) इन मिट्टयों का लाल रंग रवेदार आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों में लौट
धातु के प्रसार के कारण होता है।
(ii) ये हल्की, पतली और कंकरीली होती है।
(iii) इनमें फॉस्फोरस और वनस्पति का अंश कम होता है।
वितरण : लाल और पीली मिट्टियाँ उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य गंगा-मैदान के
दक्षिणी छोर पर और पश्चिमी घाट में पहाड़ी पद पर पायी जाती हैं।

प्रश्न 28. भारत में जलोढ़ और काली मृदाओं के वितरण संक्षेप में
लिखें।                                                      [JAC 2010 (C)]
उत्तर―जलोढ़ मृदा की विशेषताएँ निम्नांकित हैं―
(i) यह बहुत उपजाऊ होती है। 
(ii) यह बहाकर लाई गई मृदा होती है। 
(iii) इस मृदा में पोटाश, फॉस्फोरस तथा चूने का सही अनुपात होता है।
काली मृदा की विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं―
(a) यह मृदा 'लावा' से बनी होती है।
(a) यह चिकनी होती है।
(c) इस मृदा में कैल्शियम कार्बोनेट, मैगनीशियम, पोटाश और चूना पाए
जाते हैं।
जलोढ़ मृदा―जलोद मृदा भारत के अधिकांश भागों में पाई जाती है। यह
छिद्रदार मृदा होती है, यह मृदा मुख्यतः नदी द्वारा बहाकर लाई जाती है तथा बहुत
उपजाऊ होती है। इस मृदा में सूखने पर दरार नहीं पड़ती । गेहूँ की फसल के
लिए यह बहुत उपयुक्त है।

         काली मृदा―यह रंग में काली होती है। इसके कण बहुत महीन होते हैं।
यह मृदा चिकनी तथा अछिद्रगदार होती है, सूखने की स्थिति में इसमें दरार पड़
जाती है। दक्कन के पठार के उत्तरी पश्चिमी भागों में यह मुख्यतः पाई जाती है
तथा लावा से बनी होती है। यह मिट्टी कपास की फसल के लिए पूर्णरूपेण
उपयोगी है।

प्रश्न 29. 'न्यूनतम सहायता मूल्य' से क्या अभिप्राय है?
उत्तर―'न्यूनतम सहायता मूल्य' सरकार द्वारा घोषित वह मूल्य है जिस मूल्य
पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है। न्यूनतम सहायता मूल्य, किसानों को
उनके उत्पाद का उचित मूल्य है। सरकार द्वारा इसे किसानों के हित में लागू
किया जाता है।

प्रश्न 30. सरकार इनमें से कौन-सी घोषणा फसलों को सहायता देने के
लिए करती है?
(क) अधिकतम सहायता मूल्य 
(ख) न्यूनतम सहायता मूल्य
(ग) मध्यम सहायता मूल्य 
(घ) प्रभावी सहायता मूल्य
उत्तर―(ख) न्यूनतम सहायता मूल्य

प्रश्न 31. भारत में खाद्य सुरक्षा का विवरण दें।
उत्तर―(i) सभी लोगों के लिए भोजन की उपलब्धता तथा उसे प्राप्त करने
के सामर्थ्य को खाद्य सुरक्षा के नाम से जाना जाता है।

(ii) खाद्य सुरक्षा के तीन पहलू हैं-खाद्य पदार्थों की उपलब्धता, खाद्य पदार्थों
की सुलभता तथा लोगों के पास खाद्य पदार्थ को प्राप्त करने की सामर्थ्य ।

(iii) भारत में खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली का गठन किया गया है। इसके दो मुख्य आधार हैं-
बफर स्टॉक तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली । ये दोनों घटक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा
नीति के क्रियान्वयन में मुख्य भूमिका निभाते हैं।

(iv) भारतीय खाद्य सुरक्षा नीति का उद्देश्य कम कीमत पर खाद्यान्नों की
उपलब्धता को सुनिश्चित करना है। इससे निर्धन भोजन प्राप्त करने में समर्थ
हुए हैं।

(v) भारती खाद्य निगम सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर
किसानों से खाद्यान्न प्राप्त करती है। फूड कॉरपोरेशन ऑफ इण्डिया प्राप्त
खाद्यानों का भंडारण करती है तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से
खाद्यान्नों का वितरण सुनिश्चित किया जाता है।

                                             ◆◆◆
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