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 Jharkhand Board Class 10  Geography  Notes |  जल संसाधन    

 JAC Board Solution For Class 10TH ( Social science ) Geography Chapter 2

                               (Water Resources)

प्रश्न 1.जल विद्युत क्या है ? यह जैविक ईंधन से किस प्रकार बेहतर है?
उत्तर―गिरते हुए जल से प्राप्त शक्ति को जल विद्युत कहते हैं।
(i) यह स्वच्छ और प्रदूषणरहित है।
(ii) यह जल से प्राप्त की जाती है जो एक नवीकरणीय संसाधन है।

प्रश्न 2. 'नर्मदा बचाओ आन्दोलन' पर एक निबन्ध लिखें।
उत्तर―'नर्मदा बचाओ आन्दोलन' एक गैर-सरकारी संस्था द्वारा चलाया गया
आन्दोलन है जो आदिवासी किसानों, पर्यावरण बचाओ लोगों द्वारा सरदार सरोवर
बाँध के निर्माण के खिलाफ गुजरात में चलाया गया। यह विभिन्न पर्यावरण मुद्दों
पर जोर देता है। इसने गरीब नागरिकों के ऊपर ध्यान केन्द्रित किया था विशेष
विस्थापित लोगों की सुविधाओं के लिये ।

प्रश्न 3. जीवन में जल का महत्व लिखें।
उत्तर―(i) यह विश्वास किया जाता है कि सर्वप्रथम जीव जल में ही आरम्भ
हुआ।

(ii) जल जीवन की प्रथम व अनिवार्य आवश्यकता है।

(iii) जल के उपयोग की माँग बढ़ती जा रही है क्योंकि इसकी आवश्यकता
पीने और घरेलू कार्यों के लिये होती है। 

(iv) यह भिन्न औद्योगिक कार्यों के लिये उपयोग में आता है।

(v) कृषि में इसकी माँग बढ़ती जा रही है क्योंकि जनसंख्या बढ़ रही है।

(vi) आधुनिक जीवन के साथ बढ़ता हुआ नगरीकरण दिन-प्रतिदिन अधिक
पानी की माँग करता है। इस सबके बाद म्यूनिसिपल सीवेज और गंदगी को बहाने
के लिये जल का उपयोग होता है।

(vi) जल के बिना पृथ्वी एक बड़ा मरूस्थल होती जैसे चन्द्रमा है।

प्रश्न 4. पृष्ठीय जल तथा भूमिगत जल में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर―
पृष्ठीय जल                                                भूमिगत जल
(Surface Water)                              (Underground Water)
(1) इसमें नदी, झील, नहर आदि का      (1) इसमें कुएँ तथा नलकूप सम्मिलित
जल सम्मिलित है।                                  हैं। इनसे बाहर जल निकाला जाता है।
(2) यह कहीं भी उपलब्ध हो सकता      (2) यह मुलायम और गहरी मृदा में पाया
       है।                                                   जाता है।
(3) मौसम का इस पर कोई प्रभाव          (3) वर्षा ऋतु में जल स्तर बढ़ जाता है
नहीं पड़ता।                                             और शुष्क ऋतु में कम हो जाता है।
(4) भारतं में 167 मिलियन हेक्टेयर        (4) इसकी मात्रा लगभग 40 मिलियन
मीटर है।                                                    हेक्टेयर मीटर है।

प्रश्न 5. पृथ्वी पर विभिन्न जल स्रोतों की सूची बनाइए।
उत्तर―(i) वर्षा तथा हिम वर्षा (Rain and snowfally)―दो प्राकृतिक,
जल स्रोत वर्षा और हिमवर्षा हैं। हमारे देश में वार्षिक वर्षा 117 सेमी० प्रति वर्ष
है। थार मरुस्थल में 20 सेमी० या इससे भी कम वर्षा होती है। वर्षा का बहुत
कम भाग पृथ्वी के अन्दर सोखा जाता है। अधिकतर भाग या तो वाष्पीकरण हो
जाता है अथवा बह जाता है।

(ii) भूमिगत जल (Ground Water)―भारत के मैदानों में प्रचुर भूमिगत
जल को हम अब तक केवल 37.5% ही उपयोग कर सके हैं।

(iii) पृष्ठीय जल (Surface Water)―हम पृष्ठीय जल तालाब, कुएँ, नदी
आदि से प्राप्त करते हैं। यह अनुमान लगाया जाता है कि लगभग 91.5 जल का
भाग समुद्र में पहुँच जाता है।

प्रश्न 6. कई नदी घाटी परियोजनाओं को बहुउद्देशीय परियोजनाएँ क्यों
कहते हैं ? बहुउद्देशीय योजनाओं द्वारा परिपूरित किन्हीं पाँच उद्देश्यों का
उल्लेख कीजिए।
उत्तर―नदियों पर बाँध के निर्माण से संबंधित परियोजना को नदी घाटी
परियोजना कहा जाता है। जब ऐसी परियोजनाओं का निर्माण एक से अधिक
उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है। तो उन्हें बहुउद्देशीय नदी घाटी
परियोजना के नाम से जाना जाता है। भारत में कई ऐसी नदी घाटी परियोजनाओं
का निर्माण किया गया है, जो विविध उद्देश्यों की पूर्ति करती हैं। उन्हें बहुउद्देशीय
परियोजना कहा जाता है।
बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के उद्देश्य―
(i) बाढ़ नियंत्रण और मृदा संरक्षण ।
(ii) जल-विद्युत तैयार करना।
(iii) सिंचाई के लिए नहरें निकालना।
(iv) मत्स्य पालन ।
(v) नगरीय जल आपूर्ति करना।
(vi) जल परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराना ।

प्रश्न 7. बहुउद्देशीय परियोजनाओं के चार लाभ बताएँ।
अथवा, बहुउद्देशीय परियोजनाएँ विवाद का विषय क्यों बन गयी?
उत्तर―यद्यपि बहुउद्देशीय परियोजनाओं का निर्माण विभिन्न प्रकार के लाभों
के लिए किया जाता है, फिर भी इसके कुछ पहलू ऐसे हैं, जिनके कारण ये
परियोजनाएँ विवादों के घेरे में आ गयीं। ये पहलू निम्नलिखित है―
(i) बहुउद्देशीय परियोजनाओं के कारण भारी पैमाने पर स्थानी गरीब लोगों
का विस्थापन होता है। स्थानीय लोगों को अपनी जमीन, आजीविका, संसाधनों
से लगाव एवं नियंत्रण देश की बेहतरी के लिए त्याग देना पड़ता है।

(ii) बहुउद्देशीय परियोजनाओं ने पर्यावरण को भी प्रभावित किया है। बड़े
बाँधों के निर्माण में भारी मात्रा में वनों का क्षरण होता है जिससे पर्यावरण पर बुरा
प्रभाव पड़ता है।

(iii) बाढ़ के मैदान में बनाये जाने वाल जलाशयों में वहाँ मौजूद वनस्पति
और भूमि जल में डूब जाती है तथा कालांतर में अपघटित हो जाती हैं।

(iv) किसी स्थिति में बाँधों के टूट जाने से समीपवर्ती इलाका जलमग्न हो
जायेगा।

(v) बड़े स्तर पर संरचनात्मक विकास के कारण बाहर के कर्मचारियों एवं
व्यवसायियों के बसने से स्थानीय व्यवसाय एवं संस्कृति में असंतुलन पैदा हो
सकता है।

प्रश्न 8. बाँध क्या है ? वे जल संरक्षण एवं प्रबंधन में कैसे सहायक हैं?
उत्तर―बाँध सामान्यतः नदियों में बहते जल को रोकने, दिशा बदलने या
बहाव पर नियंत्रण करने की क युक्ति है। इसके परिणामस्वरूप जलाशय, झील
या जल भरण बनता है जिसके जल का उपयोग आवश्यकता के अनुसार किया
जाता है।
            बाँध में एक ढलवां हिस्सा होता है जिससे होकर जल प्रवाहित होता है।
बाँध का निर्माण नदियों, पर किया जाता है तथा वर्षा जल को निचले मैदानी क्षेत्र
में एकत्रित कर लिया जाता है। इस एकत्रित जल को नहरों के माध्यम से खेतों
तक पहुँचाया जाता है। इस प्रकार बाँध जल संरक्षण एवं प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण
भूमिका निभाते हैं। बाँधों का उपयोग बहुउद्देशीय होता है, जो निम्नलिखित हैं―
(i) बाढ़ नियंत्रण और मृदा संरक्षण। 
(ii) जल-विद्युत तैयार करना ।
(iii) सिंचाई के लिए नहरें निकालना ।
(iv) नगरीय जल आपूर्ति करना।

प्रश्न 9. भारत में सिंचाई क्यों आवश्यक है ? भारत में सिंचाई के प्रमुख
साधन कौन-से हैं ?
उत्तर―भारत में निम्नलिखित कारणों से सिंचाई की आवश्यकता है―
(i) जल का असमान वितरण ।
(ii) मानसून का अनियमित, अपर्याप्त तथा कमजोर होना।
भारत में सिंचाई के प्रमुख साधन―
(i) नहरें 
(ii) कुएँ 
(iii) नलकूप 
(iv) तालाब ।

प्रश्न 10. जल संसाधनों का संरक्षण एवं प्रबंधन क्यों आवश्यक है ?
इसके लिए क्या करना होगा ?
अथवा, प्राकृतिक साधन के रूप में जल का क्या महत्त्व है ? जल
संरक्षण की विधियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर―जल जीवन का आधार है। पृथ्वी पर जल की उपलब्धता सीमित
है। अत: जल का संरक्षण एवं प्रबंधन आवश्यक है। जल का संरक्षण और
प्रबन्धन इसलिए भी आवश्यक है कि जल की जो सीमित मात्रा उपलब्ध है
विभिन कारणों से प्रदषित हो रही है। वर्तमान में जल संकट एक गंभीर समस्या
बन गयी है जिसका समाधान जल स्रोतों के उचित संरक्षण और प्रबंधन के माध्यम
से किया जा सकता है। इसके लिए निम्नांकित कदम उठाये जाने चाहिए।
(i) अधिक जल संग्रह के लिए अधिक जलाशयों का निर्माण,
(ii) भूमिगत जल में वृद्धि करना,
(iii) नदी जल ग्रिड बनाना,
(iv) वर्षा जल का संग्रहण करना,

प्रश्न 11. व्याख्या कीजिए कि जल किस प्रकार नवीकरण योग्य
संसाधन हैं?
अथवा, जल किस प्रकार एक पुनर्नवीकरण योग्य साधन है ? स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर―जल का नवीकरण और पुनर्भरण जलीय चक्र द्वारा होता रहता है।
सम्पूर्ण जल नवीकरण योग्य है और जल चक्र में गतिशील रहता है। इसलिए
नवीकरण सुनिश्चित होता है।
      सूर्य की गर्मी के कारण जल का वाष्पीकरण होता है। जलवाष्प हवा में
संघनित होकर बादलों में बदल जाता है।
      इस प्रकार जलीय चक्र सदैव गतिशील रहता है।

प्रश्न 12. राजस्थान के अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण किस
प्रकार किया जाता है?
उत्तर―(i) राजस्थान का एक बड़ा भाग मरुस्थल है जहाँ पानी का अभाव
सदा बना रहता है। पश्चिमी राजस्थान में पीने का जल एकत्रित करने के लिए
'छत वर्षा जल संग्रहण' की पारंपरिक विधि अत्यंत सफल है।

(ii) राजस्थान के अर्द्ध-शुष्क और शुष्क क्षेत्रों में घर में पीने का पानी
संगृहित करने के लिए भूमिगत टैंक होते हैं। वे घरों की ढलवां छतों से पाइप द्वारा
जुड़े हुए होते हैं।

(iii) छत से वर्षा का पानी इन नलों से होकर भूमिगत टैंक तक पहुँचता
है जहाँ इसे एकत्रित किया जाता है।

(iv) वर्षा का पहला जल छत और नलों को साफ करने में प्रयुक्त होता
और उसे संगृहित नहीं किया जाता है। इसके बाद होने वाले वर्षा के जल का
संग्रह किया जाता है।

(v) पानी की कमी को पूरा करने के लिए अनेक बावलियों का निर्माण
राजस्थान के अनेक नगरों एवं कस्बों में देखा जाता है। कुछ बावलियाँ अनेक
मंजिलोंवाली होती हैं।

प्रश्न 13. परंपरागत वर्षा जल संग्रहण की पद्धतियों को अपनाकर
आधुनिक काल में जल संरक्षण एवं भंडारण किस प्रकार किया जा रहा
है?
अथवा, वर्षा के जल को किस प्रकार छतों से संग्रहित किया जाता
है?
उत्तर―परंपरागत वर्षा जल संग्रहण की पद्धतियों में कुएँ, झील, तालाब,
बावलियाँ आदि प्रमुख हैं। गाँवों में इन पद्धतियों को अपनाकर जल संरक्षण एवं
भंडारण किया जा रहा है। पश्चिमी राजस्थान में पीने का जल एकत्रित करने के
लिए 'छत वर्षा जल संग्रहण' की पारंपरिक विधि अत्यंत सफल है।
          शहरों में आज जब जल-स्तर तेजी से घटता जा रहा है, छत वर्षा
जल-संग्रहण अत्यावश्यक हो गया है। वर्षा का जल छतों से बह कर नालों
नदियों से होता हुआ समुद्र में चला जाता है। छतों पर पड़ने वाले वर्षा जल को
अगर अपनी भूमि में संग्रहित कर लिया जाय तो जल स्तर के गिरने की समस्या
से निजात पाया जा सकता है।
वर्षा के जल को छतों से निम्नांकित प्रकार से संग्रहित किया जा सकता है―
(i) वर्षा जल को एकत्र करने के लिए पी.वी.सी. पाइपों का इस्तोमल किया
जाता है।
(ii) एकत्रित जल को, भूमिगत पाइपों के द्वारा टैंकों, होजों या गड्डों तक
ले जाया जाता है। अतिरिक्त जल जमा होने पर उसे कुओं में संग्रहीत किया जाता
है।
    शिलांग एवं तमिलनाडु में छत वर्षा जल संग्रहण विधि सफलतापूर्वक काम
कर रही है।

प्रश्न 14. वर्षा जल संग्रहण के क्या लाभ हैं ?
उत्तर- वर्षा जल संग्रहण के लाभ―
(i) इसे पेय जल के रूप में साफ करके प्रयोग में लाया जा सकता है।
(ii) इससे भौम जल स्तर में वृद्धि होती है तथा जल का एक विशाल भंडार
तैयार होता है।
उत्तर―जल दुर्लभता अथवा जल से अभिप्राय है―आवश्यकता के अनुसार
जल की प्राप्ति न हो पाना । स्वीडन के एक विशेषज्ञ के अनुसार जल के अभाव
की समस्या तब उत्पन होती है जब जल की प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन उपलब्धता
1,000 घन से कम हो।
          जल अभाव के कारण―जल अभाव के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं―
(i) वर्षा की कमी―वर्षा की कमी-वाले क्षेत्रों में प्रायः जल का अभाव रहता है।
मानूसनी वर्षा से कम वर्षा होने पर भी जल की मौसमी दुर्लभता उत्पन्न हो जाती है।

(ii) अधिक जनसंख्या―अधिक जनसंख्या के कारण विभिन्न कार्यों के
लिए जल की माँग बढ़ जाती है, जिसकी आपूर्ति नहीं हो पाती । इससे जल की
समस्या पैदा हो जाती है।

(iii) जल का अधिक शोषण-कृषि तथा उद्योगों के विस्तार से जल का
अत्यधिक शोषण होने लगा है। फलस्वरूप जल के अभाव की समस्या पैदा हो
जाती है।

(iv) जल का प्रदूषण―आज मानव के क्रिया-कलापों तथा सूझ-बूझ की
कमी से प्रयोग में आ सकने वाला बहुत-सा जल प्रदूषित हो चुका है। इससे भी
जलापूर्ति की समस्या बढ़ गई है।

(v) जल तक पहुँच―देश के सभी समुदायों की जल भंडारों तक पहुँच एक
समान नहीं है। कुछ समुदाय जल भंडारों के निकट रहते हैं, तो कुछ मीलों दूर।
जल मंडारों से दूर रहने वाले लोगों को जल प्राप्त करने में भारी कठिनाई का
सामना करना पड़ता है।

(vi) बाढ़ें―अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में कभी-कभी भयंकर बाढ़ें आती हैं।
बाढ़ों का जल स्वच्छ जल के भंडारों में गंदगी डाल कर उसे प्रदूषित कर देता है।

(vii) जल का व्यर्थ बह जाना―अभी हमारे देश में वर्षा-जल के संग्रहण
की तकनीकें प्राथमिक चरण में हैं। अत: वर्षा का अधिकांश जल व्यर्थ ही बह
जाता है। इस प्रकार लोगों की उपलव्य भौम जल पर ही निर्भरता बनी रहती है।
यह जल निरन्तर उपयोग तथा पुनर्भरण हो पाने के कारण कम होता रहता है। इस
प्रकार जल के अभाव की स्थिति का सामना करना पड़ता है।

                                             ◆◆◆
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