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   Jharkhand Board Class 9TH Science Notes | ध्वनि  

   JAC Board Solution For Class 9TH  Science  Chapter 12


1. प्रत्यानयन बल क्या है?
उत्तर― दोलायमान किसी वस्तु पर कार्यरत वह बल जो उसे उसकी माध्य
स्थिति में लाने का प्रयत्न करे, प्रत्यानयन बल कहलाता है।

2. एक सरल लोलक की लम्बाई इसकी प्रारंभिक लम्बाई से चार गुना कर दें
तो उसके आवर्त्त काल में क्या परिवर्तन आयेगा?
उत्तर―आवर्त काल दो गुना हो जाएगा।

3. एक लचीली तरंग क्या है?
उत्तर― वह तरंग जिसे अपने संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता हो,
लचीली तरंग कहलाती है। ध्वनि तरंगें लचीली तरंगें होती हैं।

4. तरंग गति द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान को क्या स्थानांतरित किया जाता
है?
उत्तर―ऊर्जा।

5. ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य हैं या अनुप्रस्थ?
उत्तर― ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें हैं।

6. प्रकाश को एक तंरग-गति माना जाता है। यह अनुदैर्ध्य है या अनुप्रस्थ?
उत्तर― प्रकाश तरंग एक अनुप्रस्थ तरंग है।

7. एक पत्थर तालाब में पानी की सतह पर फेंका जाता है। उत्पन्न तरंगों का
प्रकार बताइए।
उत्तर― जल तरंगें (ऊर्मियों) अनुप्रस्थ तरंगें हैं।

8. अल्प-अवधि की तरंगों को क्या नाम दिया गया है?
उत्तर― स्पंद।

9. उस भौतिक राशि का नाम बताइए जिसका मात्रक हर्ट्स है।
उत्तर― आवृत्ति

10. मूल स्थिति से एक कण के अधिकतम विस्थापन द्वारा वर्णित भौतिक राशि
का नाम बताइए।
उत्तर― आयाम।

11. एक तरंग के तरंगदैर्ध्य का S.I. मात्रक क्या है?
उत्तर― मीटर (m)।

12. 'सोनार' से क्या तात्पर्य है?
उत्तर― सोनार 'साउंड नेविगेशन एंड रेंजिंग' का संक्षिप्त रूप है।

13. 'पराध्वनि चित्रण' क्या है?
उत्तर― ऐसी तकनीक जिसमें पराध्वनि (अल्ट्रासाउंड) के प्रयोग द्वारा शरीर
के आंतरिक अंगों का त्रिविमीय चित्र प्राप्त किया जाता है, पराध्वनि चित्रण
(अल्ट्रासोनोग्राफी) कहलाती है।

14. सेकेण्ड के लोलक को पारिभाषित कीजिए।
उत्तर― एक लोलक जिसका आवर्त्त काल 2 सेकेण्ड हो, उसे सेकेण्ड का
लोलक कहते हैं।

15. प्रत्यानयन बल को पारिभाषित कीजिए।
उत्तर― दोलायमान किसी वस्तु (पिण्ड) पर कार्यरत वह बल जो उसे सकी
माध्य स्थिति में लाने का प्रयत्न करे, प्रत्यानयन बल कहलाता है।

16. तरंग गति क्या है?
उत्तर― किसी माध्यम में दोलायमान वस्तु द्वारा उत्पन्न किया गया आवर्त
कंपन (विक्षोभ) तरंग गति कहलाता है।

17. आपके विद्यालय की घंटी, ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है?
उत्तर : घंटी से निकली तरंगें वायु के माध्यम के द्वारा ध्वनि उत्पन्न करती है।

18. ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगे क्यों कहते हैं?
उत्तर : ध्वनि तरंगें माध्यम के कणों की गति द्वारा अभिलक्षित की जाती है।
अत: यांत्रिक तरंगें कहलाती हैं।

19. मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चंद्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप
अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पाएँगे?
उत्तर : नहीं, क्योंकि ध्वनि के लिए माध्यम का होना आवश्यक है जो कि
सामान्यतयाः वायु होती है। चंद्रमा पर वायु नहीं है।

20. अनुमान लगाइए कि निम्न में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है?
(a) गिटार, (b) कार का हॉर्न।
उत्तर : (b) कार का हॉर्न।

21. वायु, जल या लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि सबसे तेज चलती है?
उत्तर : ध्वनि वायु (346ms), जल (1498 m/s) से अधिक तेज लोह (5950
m/s) माध्यम में चलती है।

22. कंसर्ट-हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं?
उत्तर : कंसर्ट-हॉल की छतें वक्राकार इसलिए बनाई जाती हैं जिससे कि
परावर्तन के पश्चात् ध्वनि हॉल के सभी भागों में पहुँच जाए।

23. सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परास क्या है?
उत्तर : मनुष्यों में ध्वनि की श्रव्यता का परिसार लगभग 20 हर्ट्स से 20.000
हर्ट्स (one Hz = one cycle/s) तक होता है।

24. ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है?
उत्तर : जब ध्वनि तरंगें संचरण करती हैं, तो हवा के अणु तरंग की गति की
दिशा के अनुदिश गति करते हैं। इसीलिए ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें होती हैं।

25. ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र
की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है?
उत्तर : ध्वनि का आयाम वह अभिलक्षण है जो हमें आवाज पहचानने में
सहायता करता है।


                                        लघु उत्तरीय प्रश्न

1. किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे
पहुँचता है?
उत्तर : ध्वनि के माध्यम से कण विस्थापित होते हैं जो कि अपने समीप के
कणों पर एक बल लगाते हैं। अत: समीप के कण विरामावस्था से विस्थापित होते
हैं और प्रारंभिक कण अपने मूल अवस्था में वापस लौट आते हैं। यह प्रक्रिया तब
तक चलती है जब तक ध्वनि हमारे कानों तक नहीं पहुँच जाती। माध्यम में ध्वनि
द्वारा उत्पन्न विक्षोभ (माध्यम के कण नहीं) माध्यम से होता हुआ संचरित होता है।

2. तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है?
(a) प्रबलता, (b) तारत्व।
उत्तर : (a) प्रबलता―ध्वनि प्रबलता अथवा मृदुता मूलत: इसके आयाम से
ज्ञात की जाती है।
तरंग की प्रबलता अधिक ऊर्जा से संबद्ध रखती है। अधिक ऊर्जा से
उत्पादित ध्वनि तरंग प्रबल होती है और दूर तक जाती है।

(b) तारत्व―ध्वनि की आवृत्ति जितनी अधिक होती है उसका तारत्व उतना
ही अधिक होता है।

3. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्ध्य, आवृत्ति, आवर्त काल तथा आयाम से क्या
अभिप्राय है?
उत्तर : (i) तरंगदैर्ध्य —दो क्रमागत संपीडनों (c) अथवा विरलनों (R) के
बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती है। तरंगदैर्ध्य को सामान्यत: λ (लेम्डा) में निरूपित
किया जाता है। इसका SI मात्रक मीटर (m) है।

       (ii) आवृत्ति―आवृत्ति से ज्ञात होता है कि घटना कितनी जल्दी-जल्दी घटित
होती है।
         एकांक समय में दोलनों की कुल संख्या ध्वनि तरंग की आवृत्ति कहलाती है।
इसे सामान्यतया v (न्यू) में प्रदर्शित किया जाता है। इसका SI मात्रक हर्ट्ज (hertz,
प्रतीक Hz) है।
           (iii) आवर्त काल―दो क्रमागत संपीडनों या क्रमागत विरलनों को किसी
निश्चित बिंदु से गुजर में लगे समय को तरंग का आवर्त काल कहते है। इसका SI
मात्रक सेकेण्ड (S) है। आवृत्ति तथा आवर्त काल के संबंध को निम्न प्रकार व्यक्त
करते हैं―
               (iv) आयाम―किसी माध्यम में मूल स्थितिज के दोनों ओर अधिकतम
विक्षोभ को तरंग का आयाम कहते है। ध्वनि के लिए इसका मात्रक दाब या धनत्व
का मात्रक होगा। ध्वनि प्रबलता या मृदुलता मूलत: इसके आयाम से ज्ञात की जाती
है।

8. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्ध्य तथा आवृत्ति उसके वेग से किस प्रकार
संबंधित है?
उत्तर : तरंग के किसी बिंदु जैसे एक संपीडन या एक विरलन द्वारा एकांक
समय में तय की गई दूरी तरंग वेग कहलाती है। हम जानते है―
वेग = दूरी/समय = λ/T           या, v = λ × I/T
यहाँ λ ध्यनि की तरंगदैर्ध्य है जो कि एक आवर्त काल (T) में चली गई
दूरी है।
            v = λv    (∵ I/T = v (n))
  या,      v = λv
अतः वेग = तरंगदैर्ध्य × आवृत्ति

9. ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अन्तर बताइए।
उत्तर : तीव्रता―किसी एकांक क्षेत्रफल से, एक सेकेण्ड में गुजरने वाली ध्वनि
ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते है।
प्रबलता―प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है। उदाहरण
के लिए, दो ध्वनियाँ समान तीव्रता की हो सकती है परन्तु हम एक को दूसरे की
अपेक्षा अधिक प्रबल ध्वनि के रूप में सुन सकते हैं। क्योंकि हमारे कान इसके लिए
अधिक संवेदनशील है।

10. निम्न से संबंधित आवृत्तियों का परास क्या है?
(a) अवनव्य ध्वनि, (b) पराध्वनि।
उत्तर : (a) अवश्रव्य ध्वनि―20 हर्ट्ज़ से कम आवृत्ति की ध्वनियों को
अवश्रव्य ध्वनि कहते हैं, जिन्हें सामान्य व्यक्ति सुन नहीं सकता।
       (b) पराध्वनि―20kHz (20,000 Hz) से अधिक की ध्वनियों को पराध्वनि
या पराश्रव्य ध्वनि कहते है। इनको भी हम सुन नहीं सकते। डॉलफिन, चमगादड़
पॉरपाइँज पराध्वनि उत्पन्न करते हैं।

11. ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है?
उत्तर : (i) ध्वनि ऊर्जा का एक प्रकार है जो सामान्यतः कानों में सुनने की
अनुभूति उत्पन्न करता है, (ii) ध्वनि विभिन्न प्रकार से उत्पन्न की जा सकती है।
ये है―
(a) प्रहार द्वारा―उदाहरण के लिए यदि हम एक स्टेनलेस स्टील की चम्मच
से एक धातु की प्लेट पर प्रहार करें और फिर धीरे से प्लेट को छुएँ, तो हम उसमें
हो रहा कंपन महसूस कर सकते है और ध्वनि भी सुन सकते है।

(b) खीचने द्वारा―जब हम गिटार, सितार या किसी अन्य तन्त्री वाद्य के तार
खींचते है, तो उन तारों में कंपन उत्पन्न होता है, जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है।

(c) फॅकने द्वारा― जय हम मुँह से सीटी बजाते है या बाँसरी बजाते हैं, तो
वायु सांभ में उत्पन्न कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है।

(d) रगड़ द्वारा―जब हम अपनी हथेलियों रगड़ते हैं या फर्श पर रखे टेबल
को घसीटते हैं, तो ध्वनि उत्पन्न होती है।
    इस प्रकार हम देखते हैं कि कोई वस्तु ध्वनि तभी उत्पन्न करती है जब उसमें
कंपन होता है।

12. तड़ित की चमक, तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं। लेकिन चमक दिखाई
देने के कुछ सेकेण्ड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है?
          उत्तर : तड़ित की चमक व गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं। लेकिन पहले
चमक दिखाई देती है गर्जन की आवाज बाद में सुनाई देती है। ऐसा इसलिए होता
है क्योंकि वायु में प्रकाश का वेग ध्वनि के वेग से अधिक होता है अत: ध्वनि कुछ
सेकेण्ड बाद सुनाई देती है।

13. क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश
की तरंगें करती हैं? इन नियमों को बताइए।
   उत्तर : हाँ, ध्वनि भी परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका
प्रकाश की तरंगें करती है। ये नियम इस प्रकार हैं (i) अविलम्ब तथा ध्वनि के
आपतन होने की दिशा तथा परावर्तन होने की दिशा के बीच बने कोण आपस में
बराबर होते है। (ii) इन तीनों की दिशाएँ एक ही तल में होती हैं।

14. ध्वनि का एक स्रोत किसी परावर्तक सतह के सामने रखने पर उसके द्वारा
प्रदत्त ध्वनि तरंग की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। यदि स्रोत तथा परावर्तक
सतह की दूरी स्थिर रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी―
(i) जिस दिन तापमान अधिक हो? (ii) जिस दिन तापमान कम हो?
उत्तर : समय = दूरी/वेग
अर्थात् समय और वेग में प्रतिलोम अनुपात है। किसी भी माध्यम का ताप
बढ़ाने से उसमें ध्वनि का वेग बढ़ जाता है। इसीलिए, गर्म दिन में अधिक तापमान
के कारण ध्वनि का वेग बढ़ जाएगा और हमें प्रतिध्वनि ठंढे दिन की अपेक्षा शीघ्र
सुनाई देगी।

15. ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखिए।
उत्तर : ध्वनि तरंगों के परावर्तन के उपयोग―(i) श्रवण सहायक यंत्र ध्वनि
के परावर्तन की प्रक्रिया पर ही आधारित है। (ii) ध्वनि के एक समान वितरण के
लिए प्रयोग किया जाने वाला ध्वनि पर परावर्तन के सिद्धांत पर आधारित है।

16. अनुरणन क्या है? इसे कैसे कम किया जा सकता है?
उत्तर : ध्वनि के बार-बार दीवारों से टकराकर बार-बार परावर्तन जिसके कारण
ध्वनि निबंध होता है। इसे अनुरणन कहते हैं।
        अनुरणन को कम करने के लिए सभा भवन की छतों तथा दीवारों पर ध्वनि
अवशोषक पदार्थों जैसे संपीड़ित फाइबर बोर्ड खुरदरे प्लास्टर अथवा पर्दे लगा देते
है।

17. ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है? यह किन कारकों पर निर्भर करती
है?
     उत्तर : किसी ध्वनि की प्रबलता उसकी तीव्रता है। यह उसके आयाम पर
निर्भर करती है। ऐसी ध्वनि को जिसमें अधिक ऊर्जा होती है उसकी प्रबलता कहते है।
कारक-यह निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है―(i) आयाम पर (ii)
ऊर्जा पर (iii) तीव्रता पर (iv) तरंग के वेग पर
          इकाई क्षेत्र से 1 सेकेण्ड में गुजरने वाली ध्वनि को प्रबलता कहते हैं।

18. चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार
करता है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर : चमगादड़ों की आँखें कमजोर होती हैं, इसीलिए वे अपना शिकार देख
नहीं पाते। अपनी उड़ान के दौरान वे उच्च आवृत्ति वाली पराश्रव्य तरंगे छोड़ते है।
ये तरंगे अवरोध या शिकार द्वारा परावर्तित होकर चमगादड़ के कान तक वापस
पहुँचती हैं। इन परावर्तित तरंगों की प्रकृति से चमगादड़, अवरोध या शिकार की
स्थिति व आकार जान लेते है।

19. वस्तुओं को साफ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं?
उत्तर : पराध्वनि का उपयोग ऐसे भागों को साफ करने के लिए किया जाता
है जो पहुँच से परे होती है जैसे―सर्पिलाकार नली, विषम आकार के पुर्जे आदि।
इन्हें साफ करने के लिए उन्हें साफ करने वाले मार्जन विलयन में रखते हैं। इस
विलयन में पराध्वनि की तरंगे भेजी जाती है। उच्च आवृत्ति के कारण, धूल, चिकनाई
तथा गंदगी के कण अलग होकर नीचे गिर जाते है। इस प्रकार वस्तु पूर्णतया साफ
हो जाती है।

20. किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग
उत्तर : पराध्वनि का उपयोग धातुओं से बने ब्लॉकों के दोषों का पता लगाने
के लिए किया जाता है। धातु के ब्लॉकों में विद्यमान दरार या छिद्र जो बाहर से
दिखाई नहीं देते हैं। पराध्वनि तरंगें धातु के ब्लॉक से गुजारी जाती है और प्रेषित
गों का पता लगाने के लिए संसूचकों का उपयोग किया जाता है। यदि जरा-सा
भी दोष आता है तो पराध्वनि तरंगे परावर्तित हो जाती है जो दोष की उपस्थिति को
दर्शाती है।

21. मानव के सुनने की आवृत्ति सीमा क्या है?
अथवा, श्रव्यता सीमा क्या है?
उत्तर―मानव के कान केवल ऐसी ही ध्वनि-कंपन के प्रति संवेदनशील होते
है, जिनकी आवृत्ति 20 हर्ट्स (Hz) एवं 20 किलो हट्ज के बीच होती है। सुनने
को यह आवृत्ति सीमा (20Hz-20,000 Hz) श्रव्यता सीमा कहलाती है। 20 हर्ट्ज
से कम या 20,000 हर्ट्ज से अधिक आवृत्ति वाली ध्वनि तरंग सामान्य मानव-कान
को नहीं सुनाई पड़ती।

22. अवश्रव्य तरंग क्या है?
उत्तर―20 हर्ट्ज से कम आवृत्ति वाली ध्वनि तरंग, अवनव्य तरंग कहलाती
है। भूकंप ज्वालामुखी विस्फोट तथा खेल जैसे जीवो के द्वारा उत्पन्न ध्वनि तरंग
आवृत्ति सीमा 20 हर्ट्ज से कम होती है, अवश्रष्य तरंग के उदाहरण है।

23. परात्रव्य तरंग (पराश्रव्य ध्वनि) क्या है?
उत्तर―20 किलो हर्ट्ज (20KHz) से अधिक की आवृत्ति वाली ध्वनि तरंग,
पराश्रव्य तरंग कहलाती है। ये तरंग मानव की श्रव्यता सीमा से बाहर होती है।
चमगादड़, कुत्ते, बिल्लियों, पक्षी एवं कीड़े आदि जैसे जीव पराश्रव्य ध्वनि तरंग
उत्पन्न करते हैं। इन जीवों में पराश्रव्य ध्वनि तरंगों को सुनने की भी क्षमता होती है।

23. पराध्वनिक वेग क्या है?
उत्तर―जब किसी वस्तु का वेग ध्वनि के वेग से अधिक होता है तो कहा
जाता है कि इसने पराध्वनिक वेग प्राप्त कर लिया है।

25. 'ध्वनि गर्जन' क्या है?
उत्तर―ध्वनि वेग से अधिक गति से चलने वाले हवाई जहाजों द्वारा वायुमंडल
में विक्षोभ तरंग उत्पन्न की जाती है। इन विक्षोभ तरंगों में ऊर्जा की विशाल मात्रा
संचित रहती है जिसके द्वारा हवा के दबाव में व्यापक परिवर्तन आता है। दबाव में
इस अचानक परिवर्तन के कारण हवा में बादल फटने जैसी आवाज उत्पन्न होती
है, जिसे ध्वनि गर्जन कहते हैं।

26. प्रतिध्वनि क्या है?
उत्तर―किसी अवरोध से टकराने के बाद परावर्तित ध्वनि का बार-बार सुनाई
पड़ना प्रतिध्वनि कहलाती है। प्रतिध्वनि स्पष्ट सुनाई दे, इसके लिए आवश्यक है
कि ध्वनि के स्रोत से अवरोधक की दूरी कम-से-कम 17.2 मीटर हो।

27. सोनार क्या है?
उत्तर―सोनार (Sonar) साउंड "निविगेशन एंड रेजिंग' का संक्षिप्त नाम है।
सोनार का प्रयोग पानी के नीचे न दिखने वाली वस्तुओं तथा डूबी हुई पनडुब्धियों,
जहाज, समुद्री चट्टानों या हिमखंडों का पता लगाने के लिए किया जाता है।

28. अनुदैर्ध्य तथा अनुप्रस्थ तरंगों में दो अन्तर बताइए।
अथवा, अनुप्रस्थ तथा अनुदैर्ध्य तरंगों में विभेद कीजिए।
उत्तर―अनुदैर्ध्य एवं अनुप्रस्थ तरंगों में अन्तर निम्न है―
अनुदैर्ध्य तरंगें                                            अनुप्रस्थ तरंगे
(i) एक अनुदैर्ध्य तरंग में, माध्यम के          (i) एक अनुप्रस्थ तरंग में, माध्यम के
कण तरंग की दिशा लम्बवत है।                     कण तरंग की दिशा में गति करते
                                                                कंपन करते है।
(ii) अनुदैर्ध्य तरंगें ठोस, तथा गैसों से        (ii) अनुप्रस्थ तरंगें ठोस से तथा द्रव्यों
संचरित हो सकती हैं।                                   की ऊपरी तरह पर से ही संचरित
                                                                 हो सकती है।
(ii) अनुदैर्ध्य तरंगों में संपीड़न तथा           (iii) अनुप्रस्थ तरंगों में श्रृंग तथा गर्त
विरलन होते हैं।                                            होते है।

                                        दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि स्रोत के निकट हवा में
संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं।
उत्तर : ध्यनि सबसे अधिक हवा के माध्यम में गमन करती है। कोई कंपित
वस्तु जब आगे बढ़ती है, तो वो अपने सामने वाली हवा पर बल लगाकर उसे
सपीड़ित करती है, जिससे कि उच्च दबाव का क्षेत्र बनता है। यह क्षेत्र सम्पीड़न (C)
कहलाता है (चित्र देखें)। यह क्षेत्र कंपित वस्तु से दूर जाने लगता है। तभी कंपित
वस्तु पीछे की ओर हटती है, जिससे निम्न दवाव का क्षेत्र बनता है। यह क्षेत्र विरलन
(R) कहलाता है (चित्र देखे) जैसे-जैसे वस्तु कंपित होता है, अर्थात् तीव्रता से
आगे-पीछे हिलती है, वैसे-वैसे हवा में सम्पीड़नों और विरलनों की शृंखला बनती
चली जाती है। इससे हवा में ध्वनि का संचरण होता है।

2. किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संरचना के लिए एक
द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है।
उत्तर : स्विच को दबाने पर हम घंटी की आवाज सुनते है। बेल जार से
धीरे-धीरे हवा निकालने पर घंटी की आवाज धीमी हो जाती है, हालाँकि अभी-भी

उसमें उतनी ही विद्युत प्रवाहित हो रही है। बेल जार के अंदर थोड़ी-सी हवा बचने
पर घंटी की आवाज बहुत धीमी सुनाई पड़ती है। हवा के पूरी तरह निकल जाने पर
घंटी की आवाज बिल्कुल सुनाई नहीं देती। इस प्रयोग से हम यह निष्कर्ष निकाल
सकते हैं कि ध्वनि को गमन के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।
         एक इलेक्ट्रॉनिक घंटी और एक वायुरुद्ध बेल जार लीजिए। निर्वात पम्प से
जुड़े बेल जार के अंदर इलेक्ट्रॉनिक घंटी लगा दीजिए। (चित्र में दर्शाए तरीके

अनुसार)।

3. सोनार की कार्यविधि तथा उसके उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर : सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसे जल में स्थित पिंडों की दूरी, दिशा
तथा चाल मापने के लिए किया जाता है। सोनार में एक प्रेषित्र तथा एक रांसूचक
होता है। प्रेषित्र पराध्वनि उत्पन्न व प्रेषित करता है, ये तरंगें जल में चलती हैं तथा
जल तल से टकराकर संसूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती है। संसूचक पराध्वनि तरंगों
को विद्युत संकेतों में बदल देता है। जिसकी उचित व्याख्या करके अनेक चीजों की
जानकारी हासिल की जाती है।
   सोनार का उपयोग —
(i) सोनार का उपयोग समुद्र की गहराई ज्ञात करने में किया जाता है।

(ii) इसका उपयोग जल के अन्दर स्थित चट्टानों या भाटियों को ज्ञात करने में
किया जाता है।

(iii) इसका उपयोग डूबी हुई बर्फ या डूबे हुए जहाज आदि की जानकारी प्राप्त
करने में किया जाता है।

4. मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है? विवेचना कीजिए।
उत्तर : हमारा बाह्य कर्ण आस-पास की ध्वनियों ग्रहण करता है। यह ध्वनि
फिर श्रवण तंत्रिका से गुजरती है। प्रवण तंत्रिका के अंत में एक पतली झिल्ली होती
है, जिसे कान का पर्दा या कर्णपट्ट कहते है। जब वस्तु मे उत्पन्न विक्षोभ के द्वारा
माध्यम का संपीडन कर्णपट्ट कहत तक पहुंचता है, तो ये कर्णपट्ट को अंदर की ओर
धकेलता है। इसी प्रकार, विरलन कर्णपट्ट को बाहर की ओर खींचता है। इस प्रकार
कर्णपट्ट में कंपन उत्पन्न होता है। ये कंपन मध्यवर्ती कान में स्थित तीन हड्डियों
(हथौड़ा, निधात और वलयक) की सहायता से कई गुना प्रवर्धित किया जाता है।
फिर ये प्रवर्धित दबाव मध्यवर्ती कान द्वारा अंदरूनी कान तक पहुंचाया जाता है।
अदरूनी कान में ये प्रवर्धित दबाव कर्णावर्त के द्वारा विद्युत संकेतों में परिवर्तित
किया जाता है। फिर श्रवण नाड़ी के द्वारा ये विद्युत संकेत मस्तिष्क तक पहुँचते है
और मस्तिष्क इन्हें ध्वनि के रूप में परिवर्तित करता है।

5. तरंग वेग, आवृत्ति तथा तरंगदैर्ध्य में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
अथवा, तरंगदैर्ध्य को पारिभाषित कीजिए तथा तरंग के वेग व आवृत्ति से
सम्बन्ध निरूपित कीजिए।
उत्तर—परिभाषा से,
T सेकंड में उत्पन्न तरंगों की संख्या = 1

1 सेकंड में उत्पन्न तरंगों की संख्या = 1/T
1
अतः आवृत्ति (v) = 1/Ts⁻¹
हम जानते हैं कि एक तरंग में तय की गई दूरी = λ
तरंग में लिया गया समय = T सेकंड
∴ 1 सेकेण्ड में तय की गई दूरी = λ/T
परन्तु 1 सेकेण्ड में तय की दूरी वेग = (v)
अर्थात् V = λ/T = λv (∵ 1/T = v)
अतः V = λv
        तरंग वेग = तरंगदैर्ध्य × आवृत्ति
समीकरण V= λv तरंग समीकरण कहलाती है।



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