JAC Board Solutions : Jharkhand Board TextBook Solutions for Class 12th, 11th, 10th, 9th, 8th, 7th, 6th

themoneytizer

     Jharkhand Board Class 9TH Hindi Notes | ग्राम श्री ― सुमित्रानंदन पंत  

     JAC Board Solution For Class 9TH Hindi Poem Chapter 6


1. फैली खेतों में दूर तलक
                 मखमल की कोमल हरियाली,
लिपटी जिससे रवि की किरणें
                 चाँदी की सी उजली जाली!
तिनकों के हरे हरे तन पर
                  हिल हरित रुधिर है रहा झलक,
श्यामल भूतल पर झुका हुआ,
                  नभ का चिर निर्मल नील फलक!

(क) कवि ने खेतों में फैली हरियाली का वर्णन किस रूप में किया है ?
उत्तर― कवि ने खेती में फैली हरियाली का वर्णन मखमल के रूप में किया है।
जिसमें सूर्य का प्रकाश अपना जाल फैलाए है।

(ख) हरियाली पर सूर्य की किरणें कैसी लग रही है?
उत्तर― हरियाली पर सूर्य की किरणें फैल रही है। ये किरणें चाँदी के समान
उज्ज्वल एवं चमकीली हैं। ये किरणें चाँदी की जाली सी लगती हैं।

(ग) आकाश के बारे में कवि ने क्या बताया है?
उत्तर― यह नीला निर्मल आकाश भूमितल पर झुका हुआ प्रतीत हो रहा है वह परदे
के समान झुका हुआ लगता है।

2. रोमांचित सी लगती वसुधा
                  आई जौ गेहूँ में बाली,
अरहर सनई की सोने की
                  किंकिणियाँ है शोभाशाली!
उड़ती भीनी तैलाक्त गंध
                  फूली सरसों पीली-पीली
लो, हरित धरा से झाँक रही
                    नीलम की कलि, तीसी नील!

(क) इस समय धरी कैसी लग रही है ?
उत्तर― इस समय धरती रोमांचित-सी लग रही है। 'रोमांचित' होने का अर्थ
है-शरीर के रोएँ (रोंगटे) खड़े हो जाना। यह प्रसन्नता एवं आश्चर्य के
कारण होता है। गेहूँ के पौधे बालियों के आने पर रोमांचित हो रहे हैं।

(ख) अरहर सनई की किंकिणियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर― अरहर सनई की फलियाँ सूख जाती हैं तब हवा के चलने से वे धुँघरूओं
की तरह बजने लगती है। इसी प्रकार सोने की किकिणियाँ (करधनियाँ)
बजती हैं। दोनों में समानता है।

(ग) हवा में कैसी गंध तैर रही है और यह कहाँ से आ रही है?
उत्तर― हवा में तैलीय गंध तैर रही है। यह गंध फुली हुई पीली-पीली सरसों के
फूलों से आयी है।

3. रंग रंग के फूलों में रिलमिल
                     हँस रही सखियाँ मटर खड़ी
मखमली पेटियों सी लटकीं
                      छीमियाँ, छिपाए बीज लड़ी।
फिरती हैं रंग रंग की तितली।
                      रंग रंग के फूलों पर सुंदर,
फूले फिरते हैं फूल स्वयं
                       उड़ उड़ वृंतों से वृंतों पर!

(क) कवि ने मटर की फलियों को किस रूप में चित्रित किया है?
उत्तर― कवि ने मटर की फलियों का मानवीकरण किया है। उन्हें सखियों के साथ
हँसते हुए दर्शाया गया है।

(ख) मटर की लटकी फलियाँ कैसी लग रही हैं?
उत्तर― मटर की लटकती फलियाँ मखमली पेटियों के समान लग रही हैं। इनमें बीज
छिपे हुए हैं।

(ग) फूल स्वयं क्यों वृंतों पर उड़ते-फिरते प्रतीत होते हैं?
उत्तर― फूल स्वयं एक वृंत से दूसरे वृंत पर मंडराते प्रतीत होते हैं। कारण यह है
कि उड़ती हुई तितलियाँ फूलों के समान रंगीन हैं। वे भी फूल जैसी प्रतीत
होती हैं। इसलिए जब वे उड़कर एक वृंत से दूसरे वृंत पर जाती हैं तो यों
लगता है मानो फूल ही इधर-उधर उड़ रहे हों।

4. अब रजत स्वर्ण मंजरियों से
                 लद गई आम तरु की डाली,
झर रहे ढाक, पीपल के दल,
                  हो उठी कोकिला मतवाली!
महके कटहल, मुकुलित जामुन,
                   जंगल में झरबेरी झूली,
फूले आडू, नींबू, दाडिम,
                    आलू, गोभी, बैंगन, मूली!

(क) वसंत के आने पर आम के वृक्षों की शोभा कैसी हो जाती है?
उत्तर― वसंत ऋतु के आने पर आम के पेड़ बौर से लद जाते हैं। आम का बौर
ऐसा लगता है मानो वृक्षों पर सोना-चाँदी बिखेर दिया हो। आम के पेड़
पर बैठकर कोयल जब पंचम स्वर में गाती है तो वह सबके मन को मोह
लेती है।

(ख) इस काव्यांश में किन-किन पेड़ फूलों एवं सब्जियों का वर्णन किया
है?
उत्तर― इस काव्यांश में आम, ढाक, पीपल, कटहल, जामुन, झरबेरी, आडू, नींबू,
अनार, आलू, गोभी एवं बैंगन का वर्णन हुआ है।

(ग) कोयल के मतवाली होने का क्या कारण है?
उत्तर― जब आम के वृक्षों पर बौर आता है तो सारा वातावरण मदहोश कर देने
वाली खुशबु से महक उठता है। इस वातावरण में कोयल अपने को रोक
नहीं पाती है। वह मतवाली होकर पंचमस्वर में गाने लगती है।

5. पीले मीठे अमरूदों में
                  अब लाल लाल चित्तियाँ पड़ी,
पक गए सुनहले मधुर बेर
                    अवली से तरु की डाल जड़ी।
लहलह पालक, महमह धनिया,
                    लौकी औ' सेम फली, फैली
मखमली टमाटर हुए लाल,
                      मिरचों की बड़ी हरी थैली !

(क) अमरूदों के बारे में क्या कहा गया है?
उत्तर― अब तक अमरूद पीले और मीठे थे। अब उनमें लाल-लाल चित्तियाँ पड़
गई हैं।

(ख) बेर और अँवली के बारे में क्या कहा गया है ?
उत्तर― सुनहले मीठे बेर अब पूरी तरह पक गए हैं। अब वे खाने योग्य हो गए
हैं। पेड़ की डाली भी आँवलों से पूरी तरह लद गई है।

(ग) पालक, धनिया, सेम और मिरचों की किस विशेषता का वर्णन किया
गया है?
उत्तर― पालक, धनिया, सेम तथा मिरचों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये
बहुत अधिक मात्रा में फले-फूले हैं पालक की फसल लहलहा रही है।
लौकी और सेम की फलियाँ दूर तक फैल गई हैं। मिरचा की थैलियों-सी
उग आई हैं।

6. बालू के साँपों से अंकित
                 गंगा की सतरंगी रेती
सुंदर लगती सरपत छाई
                  तट पर तरबूजों की खेती;
अँगुली की कंघी के बगुले
                   कलँगी संवारते हैं कोई,
तिरते जल में सुरखाब, पुलिन पर
                    मगरौठी रहती सोई।

(क) गंगा की रेती को किस रूप में दर्शाया गया है?
उत्तर― गंगा के तट की रेत सतरंगी दर्शाया गया है। इस रेत के कण चमकते
है। इस रेत पर जब प्रात:काल सूर्य किरणें पड़ती हैं तब इसकी शोभा
देखते ही बनती है। रेत पर पड़ी आड़ी तरछी रेखाएँ साँपों जैसी लगती
हैं।

(ख) बगुले क्या कर रहे हैं ?
उत्तर― जब बगुले अपने पाँव की उँगलियों को सिर पर मारते हैं तब ऐसा लगता
है कि वे अपनी उँगलियों से सिर की कलगी सजा रहे हैं।

(ग) गंगा के जल की शोभा कैसी है?
उत्तर― गंगा के जल में चकवे तैर रहे हैं। किनारे पर मगरौठी (जलमुर्गी) तथा
अन्य पशु-पक्षी सोए रहते हैं।

7. हँसमुख हरियाली हिम-आतप
                    सुख से अलसाए-से सोए,
भीगी अँधियाली में निशि की
                     तारक स्वप्नों में-से खोए-
मरकत डिब्बे सा खुला ग्राम-
                     जिस पर नीलम नभ आच्छादन-
निरुपम हिमांत में स्निग्ध शांत
                      निज शोभा से हरता जन मन!

(क) कवि ने गाँव की तुलना किससे की है और क्यों?
उत्तर― कवि ने गाँव की तलना मरकत-मणि के डिब्बे से की है, क्योंकि
मरकत-मणि का रंग हरा होता है और उसका सौंदर्य अद्वितीय होता है।
इसी प्रकार गाँव भी हरा-भरा है। हरियाली गाँव के सौंदर्य में वृद्धि कर
रही है।

(ख) जन-मन को कौन हर रहा है?
उत्तर― ग्राम का अद्भुत सौंदर्य लोगों के मन को बरबस अपनी ओर आकर्षित कर
रहा हैं हरियाली और खिले हुए फूलों के कारण गाँव के सौंदर्य की तुलना
किसी से नहीं की जा सकती है। वह निरुपम है।

(ग) तारों-भरी रात का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर― ठंडी रात है। वातावरण में ओस है। लगता है अँधेरा भीग गया है। इधर
आकाश में तारे ऐसे टिमटिमा रहे हैं मानों सपनों में खोए हुए हों।

                                    लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

1. कवि ने गाँव को 'हरता जन-मन' क्यों कहा है?
उत्तर― गाँव का सौंदर्य अद्वितीय है। गाँव में चारों ओर हरियाली छाई है। कहीं
फलदार वृक्ष हैं तो कहीं फूलों से लदे पेड़-पौधे। गाँव में प्रदूषण नहीं है,
इसलिए आकाश भी निर्मल है। गाँव में प्रकृति ने अपना सम्पूर्ण खजाना लूटा
रखा है। कवि ने इसलिए गाँव को जन-मन हरता कहा है, क्योंकि जो भी
गाँव को देखता है। गाँव का सौंदर्य उसके मन को अपनी ओर खींच लेता
है।

2. कविता में किस मौसम के सौंदर्य का वर्णन है?
उत्तर― कविता में सर्द-ऋतु के अंतिम दिनों एवं वसंत ऋतु के आगमन का वर्णन
है।

3. गाँव को 'मरकत डिब्बे-सा खुला' क्यों कहा गया है?
उत्तर― मरकत एक प्रकार का कीमती रल होता हैं मरकत का विशेष हरा रंग
होता है। इसे 'पन्ना' के नाम से जाना जाता हैं गाँव में चारों ओर खूब
हरियाली छाई हुई है। इस हरियाली के कारण ही कवि ने इसकी तुलना
मरकत-मणि अर्थाते पन्ने से की है। गाँव भी अपने में सारा सौंदर्य समेटे
है 'गाँव चारों ओर से खुला है।

4. अरहर और सनई के खेत कवि को कैसे दिखाई देते हैं?
उत्तर― अरहर और सनई के खेत कवि को चित्ताकर्षक लग रहे हैं। अरहर और
सनई की फलियाँ स्वर्ण-जड़ित-सी लग रही हैं।

5. 'बालू के साँपों से अंकित, गंगा की सतरंगी रेती' का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर― कवि कहना चाहता है कि गंगा नदी के किनारे रेत स्वतः ही ऐसा बन गया
है मानो इस पर किसी ने साँप का चित्र अंकित कर दिया हो। हवा के चलने
से रेत पर आड़ी तिरछी रेखाएँ नजर आने लगती हैं, जिनको देखकर चलते
हुए साँप की आकृति का आभास होता है।

6. 'हँसमुख हरियाली हिम आतप, सुख से अलसाए से सोए' का भाव
स्पष्ट करें।
उत्तर― सर्दी की धूप में हरयाली का सौंदर्य अद्भुत होता है, वह सुखपूर्वक
अलसाई-सी नजर आती है। भाव यह है कि सर्दी की धूप सुखदायक होती
है।

7. इस कविता में जिस गाँव का चित्रण हुआ है वह भारत के किस
भू-भाग पर स्थित है।
उत्तर― इस कविता में गंगा के तट पर बसे गाँव का चित्रण हुआ है।

8. कवि ने किस प्रकार वसुधा को रोमांचित-सा दिखाया है?
उत्तर― कवि ने वसुधा को रोमांचित नायिका के समान दिखाया है। खुशी के मारे
गेहूँ और जौ में बालियाँ उग आई हैं। अरहर और सनई की सुनहरी फलियाँ
धुंघरुओं वाली करघनी के रूप में सज गई हैं। रंगबिरंगे फूलों पर मँडराती
तितलियों से वसुधा का रोमांच पूरी तरह प्रकट हो गया है।

9. शिशिर ऋतु में सूर्य की किरणों का प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर― शिशिर ऋतु में सूर्य की किरणों में हरियाली में चमक आ जाती हैं वह
और अधिक कोमल तथा मखमली प्रतीत होने लगती है। ऐसा लगता है मानो
हरियाली पर उजली चाँदनी छा गई हो। तिनके ऐसे सजीव हो उठते हैं मानो
उनकी नसों में हरा खून बह रहा हो।

                                                ■■

  FLIPKART

और नया पुराने

themoneytizer

inrdeal