JAC Board Solutions : Jharkhand Board TextBook Solutions for Class 12th, 11th, 10th, 9th, 8th, 7th, 6th

themoneytizer

  Jharkhand Board Class 8  Sanskrit  Notes | गीतामृतम्  

JAC Board Solution For Class 8TH Sanskrit Chapter 16


1. देवद्विजगुरूप्राज्ञपूजनं शौचमार्जवम्।
    ब्रह्मचर्यमहिंसा च शारीरं तप उच्यते ।1।
अर्थ : देवता, ब्राह्मण, गुरू, ज्ञानीजन, पवित्रता, सरसता, ब्रह्मचर्य और
अहिंसा शारीरिक तप कहे जाते हैं।

2. अनुद्वेगकरं वाक्यं सत्यं प्रियहितं च यत् ।
    स्वाध्यायाभ्यसनं चैव वाङमयं तप उच्यते ।2।
अर्थ : जो वाक्य उद्वेग नहीं करता, सत्य, प्रिय और कल्याणकारी होता
है। जो स्वाध्याय में रत रहता है, उसे ही वाणी रूपी तप कहा जाता है।

3. मनः प्रसादः सौम्यत्वं मौनमात्मविनिग्रहः ।
    भावसंशुद्धिरित्येतत्तपो मानसमुच्यते ।3।
अर्थ : मन की प्रसन्नता, शांतभाव, मौन मन का निग्रह, भाव की शुद्धता
ये मानस रूपी तप कहे जाते हैं

4. युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु ।
    युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा 141
अर्थ : युक्त भोजन, विहार, अपने कर्मों में सचेष्ट सोने और जागने वाला
योगी ही दु:ख को हरण करनेवाला होता है।

5. तेजः क्षमा धृतिः शौचमद्रोहो नातिमानिता।
    भवन्ति सम्पदं दैवीमभिजातस्य भारत 151
अर्थ : तेज, क्षमा, धैर्य, पवित्रता, और द्रोह को नहीं मानने वाला, दैवी
सम्पदा से युक्त होता है।

6. आयुः सत्त्वबलारोग्य सुखप्रीतिविवर्धनाः ।
     रस्याः स्निग्धाः स्थिराः हृद्याहाराः सात्विकप्रिया: 161
अर्थ : आयु. सात्विक बल, नीरोग, सुख को बढ़ाने वाला, रस युक्त,
चिकना और स्थिर ही सात्विक आहार कहे गये हैं।

                   अभ्यासः

प्रश्न 1,2 तथा 3 शब्दार्थ और उच्चारण है।
4. श्लोकेषु रिक्तस्थानानि पूरयत―
(क) अनुद्वेगकरं ............... सत्यं ..............च यत्।
      ........................चैव वाङ्मय ..................।।
(ख) तेजः क्षमा ................शौचमद्रोहो .............।
       भवन्ति ................दैवीमभिजातस्य ...............।।
उत्तर― (क) अनुद्वेगकरं वाक्यं सत्यं प्रियहितं च यत् ।
                  स्वाध्यायायसनं चैव वाङ्मय तपः उच्यते ।।

           (ख) तेजः क्षमा धृतिः शौचमद्रोहो नीतिमानिता ।
                  भवन्ति सम्पदं दैवीमभिजातस्य भारत ।।

5. श्लोकांशान् योजयत―
ब्रह्मचर्यमहिंसा च                  हद्याहाराः सात्विकप्रिया ।
मनः प्रसादः सौम्यत्वं              योगो भवति दुःखहा।
रस्याः स्निग्धाः स्थिरा              मौनमात्मविनिग्रह।
युक्तस्वप्नावबोधस्य                 शरीरं तप उच्यते ।
उत्तर― ब्रह्मचर्यमहिंसा च        शरीरं तप उच्यते
मनः प्रसादः सौम्यत्वं              मौनमात्मविनिग्रहः
रस्याः स्निग्धाः स्थिरा              हृद्याहाराः सात्विकप्रिया
युक्तस्वप्नावबोधस्य                 योगो भवति दुःखहा

6. प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत―
(क) कीदृशः आहारः सात्विकप्रियाः भवन्ति ?
(ख) कः दुःखहा भवति?
(ग) अनुद्वेगकरं वाक्यं किम् उच्यते ?
(घ) ब्रह्मचर्य किम् उच्यते ?
(ङ) मौनं किम् उच्यते ?
उत्तर―(क) आयुः सत्त्वबलारोग्य सुखप्रीति विवर्धनाः रस्या स्निग्धा
परिपूर्णाः आहारः सात्विकप्रियाः भवन्ति।
(ख) योगी दुःखहा भवति।
(ग) अनुद्वेगकरं वाक्यं वाङ्मयम् उच्यते।
(घ) ब्रह्मचर्य शारीरं तपः उच्यते।
(ङ) मौनं मानसम् उच्यते।

7. अधोलिखितेषु यथापेक्षितं सन्धिं / विच्छेदं कुरुत―
(क) शौचम्    + आर्जवम्         +   ..............
(ख) ...........  + ..............      =    युक्ताहारः
(ग) ............  + ...............     =    नाति
(घ) बल         +   आरोग्य        +  ................
(ङ) ब्रह्मचर्यम्  +  अहिंसा         = ................
(च) .............  + अवबोधस्य     =  स्वप्नावबोधस्य
उत्तर― (क) शौचम्        + आर्जवम्    + शौचमार्जनम्
           (ख) युक्त          + आहारे       =  युक्ताहारः
           (ग) न               + अति         =   नाति
           (घ) बल            + आरोग्य     +  बलारोग्य
           (ङ) ब्रह्मचर्यम्    + अहिंसा      =  ब्रह्मचर्यमहिंसा
           (च) स्वप्न           + अवबोधस्य = स्वप्नावबोधस्य

8. रेखाङ्कितानि पदानि आप्रत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत―
(क) श्रीकृष्णः गीतायाः उपदेशम् अयच्छत् ।
(ख) महर्षिवेदव्यासः 'महाभारतम्' व्यरचयत् ।
(ग) गीतायाम् आत्मतत्त्वम् अस्ति ।
(घ) ब्रह्मचर्यमहिंसा च शारीरं तप उच्यते ।
(ङ) योगी कर्मस कुशलः भवति ।
उत्तर―(क) कः गीतायाः उपदेशम् अयच्छत?
(ख) महर्षि वेदव्यासः किम् व्यरचयोत्?
(ग) कस्मिन्/कुत्र आत्मतत्वम् अस्ति?
(घ) ब्रह्मचर्यमहिंसा च शारीरंकिम् उच्यते?
(ङ) योगी केषु कुशलः भवति।

                                                  ★★★

  FLIPKART

और नया पुराने

themoneytizer

inrdeal