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     Jharkhand Board Class 8  Sanskrit  Notes | यक्षयुधिष्ठिरः संवाद  

JAC Board Solution For Class 8TH Sanskrit Chapter 4


                                               श्लोकार्थ

1. यक्ष उवाच―
          किं नु हित्वा प्रियो भवति किं नु हित्वा न शोचति ।
          किं नु हित्वाऽर्थवान्भवति किं नु हित्वा सुखी भवेत ।।1।।
अर्थ : क्या छोड़कर प्रिय होता है ? क्या छोड़कर मनुष्य नहीं सोचता
है? क्या छोड़कर अर्थवान् होता है ? और क्या छोड़कर मनुष्य सुखी होता है?

2. युधिष्ठिर उवाच―
             मानं हित्वा प्रियो भवति क्रोधं हित्वा न शोचति ।
             कामं हित्वाऽर्थवान्भवति लोभं हित्वा सुखी भवेत् ।।2।।
अर्थ :मान को छोड़कर मनुष्य प्रिय होता है, क्रोध को छोड़कर नहीं
सोचता है, आसक्ति को छोड़कर अर्थवान् होता है और लोभ को छोड़कर
सुखी होता है।

3. यक्ष उवाच―
          केन स्विदावृतो लोक : केन स्विन्न प्रकाशते ।
          केन त्यजति मित्राणि केन स्वर्ग न गच्छति ।।3।।
अर्थ : संसार किससे ढका हुआ है? किससे प्रकाश नहीं होता है, मित्र
किसे छोड़ता है और स्वर्ग किससे नहीं जाता है ?

4. युधिष्ठिर उवाच―
                 अज्ञानेनावृतो लोकस्तमसा न प्रकाशते।
                  लोभात् त्यजति मित्राणि सङ्गात् स्वर्ग न गच्छति ।।4।।
अर्थ : अज्ञान से संसार ढका हुआ है, अंधकार से प्रकाश नहीं होता है,
लोभ से मित्र त्याग दिये जाते हैं, और संगति से स्वर्ग नहीं जाता है।

5. यक्ष उवाच―
             मृतः कथं स्यात् पुरुषः कथं राष्ट्र मृतं भवेत् ।
              श्राद्धं मृतं कथं वा स्यात् कथं यज्ञो मृतः भवेत् ।।5।।
अर्थ : कैसा पुरुष मरा हुआ है ? कैसा राष्ट्र मरा हुआ है ? कैसा श्राद्ध
मरा हुआ है और कैसा यज्ञ मरा हुआ है ?

6. युधिष्ठिर उवाच―
                      मृतो दरिद्रः पुरुषो मृतः राष्ट्रमराजकम् ।
                      मृतमश्रोत्रियं श्राद्धं मृतो यज्ञस्त्वदक्षिणः ।।6।।
अर्थ : दरिद्र पुरुष मरा हुआ है, अराजकता से पूर्ण राष्ट्र मरा हुआ है,
वेदज्ञ पण्डितों के बिना किया गया श्राद्ध मरा हुआ है और दक्षिणा के बिना
किया गया यज्ञ मरा हुआ है।

                           अभ्यासः

प्रश्न 1,2 तथा 3 शब्दार्थ और उच्चारण है।
4. श्लोकांशेषु रिक्तस्थानानि पूरयत―
(क) केन स्विदावृतो ..................।   (शोकः / लोक:)
(ख) केन स्वर्ग न.................. ।      (गच्छति / यच्छति)
(ग) ................ हित्वा प्रियो भवति ।   (प्राणं । मानं)
(घ) ................... यज्ञस्त्वदक्षिणः।     (मृतो / सुप्तो)
(ङ) तमसा न .............. ।             (ज्ञायते । प्रकाशते)
उत्तर―(क) लोकः (ख) गच्छति (ग) मानं (घ) मृतो (ङ) प्रकाशते

5. प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत―
(क) नरः किं हित्वा प्रियो भवति?
(ख) किं हित्वा सुखी भवेत् ?
(ग) कथं पुरुषः मृतः भवति ?
(घ) कथं श्राद्धं मृतं भवति?
(ङ) केन मित्राणि त्यजति?
उत्तर―(क) मानं (ख) लोभं (ग) दरिद्रः (घ) अश्रोत्रियं (ङ) लोभात्

6. पूर्णवाक्येन उत्तरत―
(क) कथं राष्ट्र मृतं मन्यते ?
(ख) अदक्षिणः यज्ञः कथं भवति?
(ग) अज्ञानेन कः आवृतः अस्ति ?
(घ) केन स्वर्ग न गच्छति ?
(ङ) लोक : केन न प्रकाशते ?
उत्तर―(क) अराजक राष्ट्रं मृतं मन्यते।
(ख) अदक्षिणः यज्ञः मृतो भवति।
(ग) अज्ञानेन लोकः आवृतः अस्ति।
(घ) संगात् स्वर्ग न गच्छति।
(ङ) अज्ञानेनावृतः लोकः तमसा न प्रकाशते।

7. रेखाङ्कितानि पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत―
(क) कामं हित्वाऽर्थवान् भवति ।
(ख) लोभं हित्वा सुखी भवेत् ।
(ग) तुमसा लोक: न प्रकाशते ।
(घ) मृतं राष्ट्रम् अराजक भवति ।
(ङ) मानं हित्वा प्रियो भवति ।
उत्तर―(क) किं हित्वाऽर्थवान् भवति?
(ख) किं हित्वा सुखी भवेत्?
(ग) केन लोक: न प्रकाशते?
(घ) मृत राष्ट्र कथं भवति?
(ङ) मानं हित्वा कीदृशः भवति?

8. अधोलिखितेषु वाक्येषु कर्तृपदं क्रियापदं च चित्वा वाक्यानि लिखत―
वाक्यानि                                            कर्ता        क्रियापदम्
यथा― क्रोधं हित्वा नर: न शोचति ।          नरः        शोचति
(क) मानं हित्वा नरः प्रियः भवति
(ख) लोभात् सः मित्राणि त्यजति
(ग) अज्ञानेन लोक: न प्रकाशते
(घ) स्द्रिः पुरुषः मृतः भवति
(ङ) अश्रोत्रियं श्राद्धं मृतं भवति
उत्तर― कर्ता                क्रियापदम्
(क) नरः                      भवति
(ख) सः                       त्यजति
(ग) लोक:                    प्रकाशते
(घ) पुरुषः                    भवति
(ङ) श्राद्धं                     भवति

                                       ★★★
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