JAC Board Solutions : Jharkhand Board TextBook Solutions for Class 12th, 11th, 10th, 9th, 8th, 7th, 6th

themoneytizer

 Jharkhand Board Class 8  Hindi  Notes | मित्रता  

  JAC Board Solution For Class 8TH Hindi Chapter 3

                                        3. मित्रता

पाठ परिचय : 'मित्रता' शीर्षक पाठ रामचंद्र शुक्ल रचित विचार प्रधान
निबंध है। इस पाठ में लेखक ने मित्रता के विभिन्न पक्षों पर सूक्ष्मता से विचार
किया है। इसमें बताया गया है कि मित्रता मानव जीवन की प्रमुख आवश्यकता
है। मित्रता मनुष्य की सहज प्रवृत्ति भी है। सच्चा मित्र हमारा अच्छा
पथ-प्रदर्शक, सहयोगी और हमें प्रेरणा देने वाला होता है। मित्र के चुनाव में
काफी सतर्क रहने की आवश्यकता है। कुसंगत वाले मित्र मनुष्य को उत्थान
की जगह पतन की राह पर अग्रसारित करते हैं, गर्त में मिला देते हैं।
          लेखक परिचय : रामचंद्र शुक्ल का जन्म 1884 ई० में उत्तर प्रदेश के
बस्ती जिले में हुआ था। ये हिन्दी साहित्य के प्रख्यात इतिहासकार, आलोचक
एवं साहित्य चिंतक थे। इन्होंने काशी नागरी प्रचारणी सभा में हिन्दी शब्द
सागर के निर्माण कार्य में सहायक संपादक की भूमिका का निर्वाह किया।
ये काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक पद पर भी रहे। इन्होंने
विभिन्न विषयों पर व्यापक लेखन, संपादन एवं अनुवाद का कार्य सफलता
पूर्वक सम्पादित किया। शुक्ल जी ने हिन्दी साहित्य के इतिहास को नया एवं
व्यवस्थित रूप प्रदान किया।
      इनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार है―
निबंध– चिंतामणि भाग-1 एवं 2 ।
कविता– मधुस्रोत।
कहानी– ग्यारह वर्ष का समय।
इतिहास–हिन्दी साहित्य का इतिहास।
    इन्होंने आलोचनात्मक कई पुस्तकों का लेखन कार्य किया। अंग्रेजी एवं
बंगला की अनेक पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद भी किया।
            इनकी मृत्यु 1941 ई० में हुई थी।

                                       □  पाठ से

1. आप किस प्रकार से कह सकते हैं कि मित्रों के चुनाव की
उपयुक्तता पर हमारे जीवन की सफलता निर्भर करती है ?
उत्तर― मित्रों के चुनाव की उपयुक्तता पर हमारे जीवन की सफलता
निर्भर करती है। संगति का गुप्त प्रभाव हमारे आचरण पर बड़ा भारी पड़ता
है। मित्र हमें सद्मार्गी बनाता है। वहीं कुमित्र हमें कुमार्ग गामी बना देता है।
संगति के कारण ही हमारे संस्कार सही एवं कुसंगति से हमारे लक्षण कुलक्षण
में परिवर्तित हो जाते हैं। अत: जीवन में सच्चे मित्र हों तभी हमारा जीवन सफल
हो पाता है।

2. 'विश्वासपात्र मित्र जीवन की एक औषध है।' आशय स्पष्ट करें।
उत्तर― जिस प्रकार हम किसी चीज की खरीददारी काफी सोच-विचार
कर करते हैं, उसी तरह मित्रता भी काफी सोच-विचार कर करनी चाहिए।
मैत्री का उद्देश्य, उसका मूल्य आदि बातों को ध्यान में रखकर मित्रता करनी
चाहिए। रंग, रूप एवं व्यवहार से मित्र नहीं बनाना चाहिए। विश्वासपात्र मित्र
सदा हमें सहयोग करता है. अच्छा विचार देता है. अच्छे मार्ग पर चलने की
सलाह देता है। अत: विश्वास पात्र मित्र जीवन की औषधि है। इस औषधि
के सेवन से लाभ ही लाभ हैं।

3. मित्र का चुनाव करते समय हमें किन बातों का ध्यान रखना
चाहिए?
उत्तर―मित्र का चुनाव करते समय हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान
रखना चाहिए―
(i) मित्र उत्तम संस्कार पुका हो एवं हमें भी ऐसे संस्कार से दृढ़ करे।
(ii) मित्र दोष एवं त्रुटियों से बचाए।
(iii) कुमार्ग पर जाने से रोकने वाला हो।
(iv) उत्तमतापूर्वक जीवन निर्वाह करने में सहायक हो।
(v) मित्र में उत्तम वैद्य की निपुणता और परख हो, माँ के धैर्य सी
कोमलता हो। उपर्युक्त गुणयुक्त को ही अपना मित्र बनाना चाहिए।

4. "सच्ची मित्रता में उत्तम वैद्य की-सी निपुणता और परय होती
है, अच्छी-से-अच्छी माता का-सा धैर्य और कोमलता होती है।" इस पंक्रि
के आधार ए अच्छे मित्र की विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर- उपर्युक्त पक्ति के आधार पर अच्छे मित्र की निम्नांकित
विशेषताएँ है―
(i) उत्तम संकल्पों से इद हो।
(ii) दोष और त्रुटियों से दूर हो।
(iii) सत्य. मर्यादा, पवित्रता एवं प्रेम जैसे मानवीय गुणों से युक्त हो।
(iv) उत्तमतापूर्वक जीवन निर्वाह में सहयोगी हो।
(v) उसके दृष्टिकोण में धैर्य एवं परख हो।
(vi) कुमार्ग पर पैर रखने के पूर्व ही सचेत कर देने वाला हो।

5. हमारा विवेक कुठित न हो, इसके लिए हमें क्या-क्या प्रयास
करना चाहिए?
उत्तर― हमारा विवेक कुंठित न हो इसके लिए हमें पूरी तरह चौकस रहना
चाहिए। ऐसे लोगों को मित्र बनाना चाहिए जिनका विचार सात्विक हो। उनका
चरित्रबल बलिष्ठ हो। वैसी भावनाओं, बातों, या चीजों से दूर रहना चाहिए जो
हमारे चित्त पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। अपने चरित्र को धारदार रखना
चाहिए। सदा बुरी संगति, बुरी सोच एवं बुरे कार्यों से दूर रहना चाहिए।

6. लेखक ने युवा पुरुष के लिए कुसंगति और अच्छी संगति को
किस-किस के समान माना है? उसने ऐसा क्यों माना है ?
उत्तर―लेखक ने युवा पुरुष के लिए कुसंग का ज्वर सबसे भयानक
माना है। कुसंगति से बुद्धि का क्षय हो जाता है। कुसंगति सदैव अवनति के
गड्ढे में ले जाती है।
        वहीं लेखक ने अच्छी संगति को पथ-प्रदर्शक माना है। अच्छी संगति पर
हम पूरा विश्वास करें। ऐसे मित्र भाई समान होत ह। अच्छी संगति से आत्मबल
बढ़ता है। अच्छी संगति से हृदय शुद्ध, मृदुल एवं पुरुषार्थी बनता है। इससे शिष्टता,
सत्यनिष्ठा आती है। हमारा चरित्र महान बनता है।

                                □ पाठ से आगे:

1. आप किस तरह के लोगों से मित्रता करना चाहेंगे? कारण सहित
लिखें।
उत्तर― हम उत्तम संकल्पों से युक्त एवं दृढ़ लोगों से मित्रता करना
चाहेंगे। जो हमें दोषों और त्रुटियों से बचाएंगे। हमारे सत्य, पवित्रता और मर्यादा
के प्रेम को पुष्ट करेंगे। जब हम कुमार्ग पर पैर रखेंगे तब वे हमें सचेत करेंगे।
जब हम हतोत्साहित होंगे, तब हमें उत्साहित करेंगे। तात्पर्य यह है कि हम उस
तरह के लोगों से मित्रता करना चाहेंगे जो हमें उत्तमता पूर्वक जीवन निर्वाह
करने में हर तरह से सहायता देंगे।

2. लेखक ने विश्वासपात्र मित्र के संबंध में कहा है कि "ये उत्तम
संकल्पों से हमें दृढ़ करेंगे, दोषों और बेटियों से हमें बचाएँगे, हमारे सत्य
पवित्रता और मर्यादा के प्रेम को पुष्ट करेंगे, जब हम कुमार्ग पर पैर रखो
तब वे हमें सचेत करेंगे, जब हम हतोत्साहित होंगे, तब हमें उत्साहित
करेंगे।" क्या आपने कभी अपने मित्र को प्रोत्साहित किया है अथवा कमी
गलत काम करने से उसे रोका है? दोनों स्थितियों में मित्र की प्रतिक्रिया
कैसी रही है?
उत्तर―मेरे मित्र रवि का पढ़ने में मन नहीं लगता था। वह घर से रोज
स्कूल तो आता था पर क्लास से भाग कर घूमता रहता था। मुझे जब उसकी
इस आदत का पता चला तो मैंने उसे समझाना शुरू किया। पहले तो उसपर
असर नहीं पड़ा, अनसुना करता रहा। जब छ: माही का रिजल्ट आया तो उसके
अंक काफी कम थे। उसके गार्जियन बुलाए गए। पता चला कि वह विद्यालय
ही नहीं आता है। वह काफी लज्जित हुआ। इसके बाद वह मेरी बातों पर गम्भीर
होने लगा। आज वह हमारे विद्यालय का होनहार छात्र बन गया है।

                                       □ क्या करेंगे आप:

1. यदि आपका मित्र गलत रास्ते पर जा रहा हो?
उत्तर―यदि मेरा मित्र गलत रास्ते पर जा रहा है तो मैं उसे समझाऊँगा।
सदा उसे प्रोत्साहित करूँगा कि अच्छे रास्ते पर चलें। इसके लिए मैं अपने छात्र
मंडली, उसके गार्जियन, शिक्षकों सभी को विश्वास में लेकर उसके आचरण
को सुधारने का प्रयास करूंगा। उसकी सोच को सदैव मार्जित करूँगा।

2. यदि आपका मित्र बात-बात में अपशब्दों का प्रयोग करता हो?
उत्तर―प्रथम तो मैं उसे प्यार से समझाऊंगा कि अपशब्द न बोलें। यदि
वह नहीं मानता है तो पूरे छात्रों को उसकी आदत के बारे में जानकारी दूँगा।
छात्र इसे रोकने का प्रयास करेंगे। इसके बाद भी न माना तो उसके गार्जियन
से मिलकर उसकी शिकायत करूंगा। इसपर भी वह नहीं मानता है तो शिक्षक
महोदय से बात कर इसका सटीक इलाज कराऊंगा। उम्मीद है उसकी आदत
सुधर जाएगी।

3. यदि आपका मित्र आपको गलत रास्ते पर जाने से रोके ?
उत्तर― अगर मेरा मित्र मुझे गलत रास्ते पर जाने से रोके तो मैं उसकी
बात मान लूँगा। गलत रास्ते का परित्याग कर दूंगा। साथ ही उससे गाढ़ी मित्रता
कर लूँगा। ऐसे मित्र आज की दुनियाँ में मिलते कहाँ है?

4. यदि आपका मित्र आपको स्कूल छोड़कर फुटबॉल का मैच देखने
के लिए साथ चलने को कहे ?
उत्तर― अगर मेरा मित्र ऐसा कहता है तो मैं उसे स्कूल जाने के लिए
बाध्य करूँगा। अगर वह नहीं मानता है तो मैं उसे छोड़कर स्कूल चला
जाऊँगा। क्योंकि मैं घर से पढ़ने के लिए निकला हूँ. मैच देखने के लिए नहीं।

                                               ★★★

  FLIPKART

और नया पुराने

themoneytizer

inrdeal