Jharkhand Board Class 7TH Sanskrit Notes | कालचर्या
JAC Board Solution For Class 7TH Sanskrit Chapter 7
पाठ:― अध्यापकः – भो छात्राः। अद्य कः वासरः? वदत।
अर्थ― अध्यापक– हे छात्रों ! आज कौन-सा दिन है? बोलो।
पाठ:―प्रीतिः – अद्य तु सोमवासरः।
अर्थ― प्रीति – आज तो सोमवार है।
पाठः― अध्यापक:– सप्ताहे कति वासराः भवन्ति इति जानन्ति वा ?
अर्थ―अध्यापक – सप्ताह में कितने दिन होते हैं। जानते हैं, क्या ?
पाठ:― धनञ्जय: – आम् जानामि। सप्ताहे सप्तवासराः भवन्ति ।
अर्थ― धनञ्जय – हाँ जानता हूँ। सप्ताह में सात दिन होते हैं।
पाठ:― अध्यापक:– तेषां नामानि कानि?
अर्थ― अध्यापक – उनके नाम क्या है?
पाठः― शारदा – रविवासरः सोमवासरः भौमवासरः बुधवासरः गुरुवासरः
शुक्रवासरः शनिवासरश्च ।
अर्थ― शारदा – रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरूवार, शुक्रवार
और शनिवार ।
पाठ:― अध्यापक:– रविसोमभौमगुरुवासराणां अपरः नाम किम्?
अर्थ―अध्यापक – रवि, सोम, मंगल और गुरुवार के दूसरे नाम क्या हैं ?
पाठः― शीतांशुः – रविवासरं भानुवासरः सोमवासरं चन्द्रवासरः भौमवासरं
मंगलवासरः गुरुवासरं वृहस्पतिवासरः च कथ्यते ।
अर्थ― शीतांशु– रविवार को भानुवार, सोमवार को चन्द्रवार, भौमवार को
मंगलवार और गुरुवार को वृहस्पतिवार कहा जाता है।
पाठ:― अध्यापक:– यदि अद्य सोमवासरः अस्ति तर्हि कदा रविवारः कदा
वा शनिवासरः?
अर्थ― अध्यापक – यदि आज सोमवार है तो कब रविवार या शनिवार है?
पाठ:― मयंक:– गुरुदेव ! ह्यः रविवासरः परहाः शनिवासरः ।
अर्थ― मयंक – गुरुदेव । कल रविवार और बीता हुआ परसों शनिवार था।
पाठः―अध्यापक:–एवं चेत् कदा भौमवासरः कदा वा बुधवासरः?
अर्थ― अध्यापक – तो कब मंगलवार या बुधवार है?
पाठः― कैलाशः – श्वः भौमवासरः परश्वश्च बुधवासरः ।
अर्थ― कैलाश – आनेवाला कल मंगलवार और आनेवाला परसों बुधवार
है।
पाठः― अध्यापक:– नवाज ! त्वं वद, एकस्मिन् वर्षे कति मासाः भवन्ति ?
अर्थ― अध्यापक – नवाज | तुम बोलो, एक वर्ष में कितने मास होते हैं?
पाठ:― नवाज:– एकस्मिन् वर्षे द्वादशमासाः भवन्ति ।
अर्थ― नवाज – एक वर्ष में बारह मास होते हैं।
पाठः― अध्यापक:– रवे! तेषां नामानि कानि?
अर्थ― अध्यापक – रवि! उनके नाम क्या हैं?
पाठः― रवि:– न जानामि ।
अर्थ― रवि – नहीं जानता हूँ।
पाठः― अंशिका – महोदय ! अहं जानामि । चैत्रः वैशाखः ज्येष्ठः आषाढः
श्रावणः भाद्रपद: आश्विनः कार्तिक: मार्गशीर्षः पौषः माघः फाल्गुनः च।
    अर्थ― अंशिका – महोदय ! मैं जानती हूँ। चैत, बैसाख, जेठ, आषाढ़,
सावन, भादो, अश्विन, कार्तिक, अगहन, पूस, माघ और फाल्गुन ।
पाठ:― अध्यापक:– एकस्मिन् मासे कति पक्षाः भवन्ति ?
अर्थ― अध्यापक – एक महीने में कितने पक्ष होते हैं?
पाठ:― सङ्गीता – एकस्मिन् मासे द्वौ पक्षौ भवतः - कृष्णपक्षः शुक्लपक्षश्च।
अर्थ― संगीता – एक महीने में दो पक्ष होते हैं- कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष ।
पाठ:― अध्यापक:– एकस्मिन् पक्षे कति तिथयः भवन्ति?
अर्थ― अध्यापक – एक पक्ष में कितनी तिथियाँ होती हैं?
पाठः― महेन्द्रः – पञ्चदशतिथयः ।
अर्थ―महेन्द्र – पंद्रह तिथियाँ।
पाठ:― अध्यापक:– पूर्णिमा अमावस्या च कदा भवतः?
अर्थ― अध्यापक – पूर्णिमा और अमावस्या कब होती है?
पाठ:― सविता – शुक्लपक्षे प्रथमा द्वितीया तृतीया चतुर्थी इति क्रमेण चतुर्दशी
पर्यन्तं तिथयः भवन्ति । अन्तिमायां तिथौ पूर्णिमा भवति ।
       अर्थ― सविता – शुक्लपक्ष में प्रथमा, द्वितीया. तृतीया, चतुर्थी इस प्रकार
चतुर्दशी तक तिथियाँ होती हैं। अंतिम तिथि में पूर्णिमा होती है। वैसे
ही कृष्णपक्ष में अन्तिम तिथि अमावस्या होती है।
पाठः― अध्यापक:– कति ऋतवः भवन्ति ?
अर्थ― अध्यापक – कितनी ऋतुएँ हैं?
पाठः― महेशः – षड्ऋतवः भवन्ति । वसन्तः ग्रीष्मः वर्षा शरद् हेमन्तः
शिशिरः चेति ।
    अर्थ― महेश – छः ऋतुएँ होती हैं । वसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त और
शिशिर।
पाठ:―अध्यापकः – विभिन्नेषु ऋतुषु भिन्नानि प्राकृतिकदृश्यानि मनोहराणि
सम्याणि च भवन्ति । सरस्वतीपूजनं कदा भवति?
     अर्थ― अध्यापक – विभिन ऋतुओं में भिन प्राकृतिक दृश्य मनोहर और
सुन्दर होते हैं। सरस्वती पूजा कब होती है।
पाठः― आरवः – वसन्तस्य पञ्चम्यां तिथौ सरस्वतीपूजनं भवति । इमं
उत्सवं वसन्तपञ्चमी अपि कथ्यते ।
   अर्थ― आरव – वसन्त के पंचमी तिथि को सरस्वती पूजा होती है। इस
उत्सव को वसंत पञ्चमी भी कहा जाता है।
पाठ:―अध्यापक:– श्वः यूयम् कालचर्यायाः विषये परियोजनाकार्यम् निर्माय
आनयत ।
    अर्थ― अध्यापक – कल तुमलोग कालचर्या के विषय में परियोजना कार्य
निर्माण कर लाओ।
                         अभ्यासः
प्रश्न संख्या 1 और 2 शब्दार्थ एवं उच्चारण है।
3. प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत ―
(क) सप्ताहे कति वासराः भवन्ति ?
(ख) यदि ह्यः रविवासरः पराः कः?
(ग) वर्षे कति मासाः भवन्ति ?
(घ) एकस्मिन् मासे कति पक्षाः भवन्ति ?
(ङ) द्वादशमासानां नामानि लिखत?
(च) कति ऋतवः भवन्ति?
उत्तर―(क) सप्ताहे सप्तवासराः भवन्ति ।
(ख) यदि ह्यः रविवासर, पराः शनिवासरः आसीत् ।
(ग) वर्षे द्वादशमासाः भवन्ति ।
(घ) एकस्मिन् मासे द्वौ पक्षौ भवतः ।
(ङ) द्वादशमासाः सन्ति- चैत्रः वैशाख: ज्येष्ठ: आषाढ़ः, श्रावण:
भाद्रपद: आश्विनः, कार्तिकः, मार्गशीर्षः, पौषः, माघ, फाल्गुनः
च।
(च) षड्ऋतवः भवन्ति ।
4. भिनवर्गस्य पदं चिनुत―
                                                                  भिनं पदम्
यथा–सूर्यः           चन्द्रः       अम्युदः        शुक्रः     अम्बुदः
(क) श्रावणः         पौषः       रविवासरः     माघः      ..........
(ख) मासाः          रम्यम्        वर्षम्         दिवसाः    ..........
(ग) वसन्तः          ग्रीष्मः       शरद्          द्वादश     ..........
(घ) अहम्            तदा           यदा           कदा       ..........
(ङ) पुस्तिका       अध्यापिका   कक्षा        शुक्ल:     ..........
उत्तर―(क) रविवासरः (ख) रम्यम् (ग) द्वादश (घ) अहम् (ङ) शुक्ल:
5. मञजूषातः पदानि चित्या रिक्तस्थानानि पूरयत ―
सप्ताहे  पूर्णिमा  ऋतवः  अमावस्या
(क) .............. सप्तवासराः भवन्ति ।
(ख) षड् ................ भवन्ति ।
(ग) कृष्णपक्षे अन्तिमा तिथि: .............. भवति ।
(घ) शुक्लपक्षे अन्तिमायां तिथौ ..............भवति ।
उत्तर―(क) सप्ताह (ख) ऋतवः (ग) अमावस्या (घ) पूर्णिमा
6. कोष्ठकात् उचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानि पूरयत―
(क) ................. सोमवासरः अस्ति ।      (अद्य/मम)
(ख) श्वः मम गणितपरीक्षा ...........।        (भविष्यति/भवति)
(ग) ............... सः दुग्ध अपिबत् ।          (हाः/श्व:)
(घ) ह्यः रविवासरः ......... ।                   (अस्ति/आसीत्)
(ङ) अद्य बुधवासरः तदा ........ शुक्रवासरः। (परश्व:/पराः)
उत्तर― (क) अद्य (ख) भविष्यति (ग) ह्यः (घ) आसीत् (ङ) परश्वः
7. कोष्ठकात् उचित संख्यावाचकपदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत―
यथा― नवदश        अश्वाः           (चत्वारि/नवदश)
(क) ..............       खगा:            (एकादश/द्वौ)
(ख ...............       वृक्षाः            (एक:/अष्टादश)
(ग) ...............      बालकाः         (षड्चतस्रः)
(घ) ..............मोदकाः         (एवम्/चत्वारः)
(ङ) ............... पादपाः       (पञ्च/त्रीणि)
(च) ............... नार्यः (तिस्र:/चत्वारि)
उत्तर―(क) एकादश      (ख) अष्टादश
(ग) षड्                      (घ) चत्वोर:
(ङ) पञ्च                    (च) तिस्रः
                           पूरणवाचकशब्दाः
पुंलिङ्गे              स्त्रीलिङ्गे              नपुंसकलिङ्गे
1. प्रथमाः          प्रथमा                 प्रथमम्
2. द्वितीयः         द्वितीया               द्वितीयम्
3. तृतीयः          तृतीया                तृतीयम्
4. चतुर्थः           चतुर्थी                चतुर्थम्
5. पञ्चमः           पञ्चमी              पञ्चमम्
6. षष्ठः              पष्ठी                  षष्ठम्
7. सप्तमः         सप्तमी               सप्तमम्
8. अष्टमः          अष्टमी               अष्टमम्
9. नवमः            नवमी                नवमम्
10. दशमः         दशमी                दशमम्
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