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    Jharkhand Board Class 7TH Hindi Notes | फिर-फिर उठती है माटी की लौ  

  JAC Board Solution For Class 7TH Hindi Chapter 12


पाठ का सारांश : हम आधुनिकता की चकाचौंध में ग्रसित हैं। प्रस्तुत
पाठ में आज के वैज्ञानिक युग में भी हम अपनी माटी में रची बसी संस्कृति
से लगाव रखते हैं। माटी की आकर्षक कलात्मक, सज्जात्मक वस्तुएँ और
शिल्पकला के अद्भुत नमूने इत्यादि माटी के साथ हमारे गहरे रिश्तों को
उजागर करते हैं। इस पाठ में लेखक यह उम्मीद करता है कि लोक कलाकारों
की कला के सौंदर्य की सराहना करने, उन्हें प्रोत्साहन देने और अनेक
सांस्कृतिक अवसरों पर माटी का दीप प्रज्वलित करने के कारण भविष्य में
भी माटी के साथ हमारा संबंध अक्षुण्ण रहेगा।
               लेखक परिचय : प्रयोग शुक्ल का जन्म 1940 ई० में कोलकाता में
हुआ था। ये हिन्दी के प्रख्यात कवि, कहानीकार, उपन्यासकार थे। इन्होंने बाल
साहित्य का भी सृजन किया। इनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं―
कविता संग्रह– अकेली आकृतियाँ, इसके बाद, छायाएँ तथा अन्य
कहानियाँ, काई।
उपन्यास– गठरी, आज और कल, लौटकर आनेवाले दिन ।
निबंध–घर और बाहर, हाट और समाज ।
संस्मरण–साझा समय, स्मृतियाँ बहुतेरी आदि ।

                                        अभ्यास प्रश्न
□ पाठ से:
1. कुंभकारों की नई पीढ़ियाँ कुंभकारी के पेशे को क्यों नहीं अपनाना
चाहती?
उत्तर―आज के विज्ञान युग में मिट्टी के बर्तनों की महत्ता नई पीढ़ी नहीं
समझ पा रही है। अब कूलर, फ्रिज, आदि मशीनों ने मिट्टी के वर्तनों की
उपयोगिता कम कर दी है। कुंभकारों की कला की अब पूछ नहीं रही। अतः
कुंभकारी के पेशे को कुभकारों की नई पीढ़ियाँ पेशा नहीं मानतीं।
इस पेशे से पेट चलाना मुश्किल है।

2. माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौदे मोय ।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोय ।। – आशय स्पष्ट करें।
उत्तर―आशय यह है कि जो मनुष्य मिट्टी को रौंदते चलता है। वही
मनुष्य जब मरता है तो इसी मिट्टी में मिलकर विलीन हो जाता है।

3. कुंभकार ने माटी के साथ कैसा संबंध जोड़ना चाहा है?
उत्तर―कुंभकार ने माटी के साथ अपना संबंध अहंकार रहित बनाया है।
इसका रिश्ता माटी से गहरे लगाव और प्रेम का रहा है। इसी प्रेम के कारण
वह रचना करता है।

4. मिट्टी के बरतनों की कीमतें बहुत ज्यादा क्यों नहीं बढ़ पाई ?
उत्तर―विज्ञान युग में बरतनों के रूप में प्लास्टिक और स्टील प्रयुक्त होने
लगे हैं। इसलिए मिट्टी के बरतनों की कीमतें नहीं बढ़ पाई।

5. लेखक ने माटी से नई-नई वस्तुओं के बनने को शुभ लक्षण क्यों
माना है?
उत्तर― इसी चमत्कार एवं शुभ लक्षणों से प्रेरित होकर बंगाल के
विष्णुपुर के टोराकोटा का मंदिर, बाँकुड़ा के घोड़े या दुर्गा, काली की
प्रतिमाओं का निर्माण हुआ है जो शुभ लक्षण के संकेत हैं।

6. किस कारण लेखक माटी के कुल्हड़ को अन्य चीजों से बेहतर
मानता है?
उत्तर―कुल्हड़ टूटकर गंदगी नहीं फैलाते हैं। ये मिट्टी में मिल जाते हैं।
अतः माटी के कुल्हड़े अन्य चीजों से बेहतर है।

7. लेखक को अपने मित्र की बेटी की कौन-सी बात पसंद आई और
क्यों?
उत्तर―लेखक के मित्र गमले खरीदते समय दाम कम करा रहे थे।
उनकी बेटी ने उन्हें ऐसा करने से रोका। इसपर लेखक को यह बात पसंद
आई कि सच्ची मिहनत का मूल्य कग नहीं करना चाहिए। उसे पैसा देन्स
चाहिए।

8. पर्यावरण के दृष्टिकोण से कुल्हड़ और प्लास्टिक के गिलासों के
प्रयोग में कौन-सा उपयुक्त है ? तर्क वीजिए?
उत्तर―कुल्हड़ टूटकर मिट्टी में मिल जाते हैं जबकि प्लास्टिक के
गिलास वर्षों तक सड़ते नहीं। अतः कुल्हड़ ज्यादा पर्यावरण के उपयुक्त हैं।
प्लास्टिक के गिलास नहीं।

□ पाठ से आगे:
1. मिट्टी के वियों में हमारी संस्कृति सुरक्षित है-इसपर कक्षा में
चर्चा करें।
उत्तर― स्वयं करें।

2. माटी से जुड़े लोग जैसे- कुंभकारों तथा शिल्पकारों के सम्मान या
हितों की रक्षा के लिए कौन-कौन से कदम उठाए जाने चाहिए ?
उत्तर― कुछ उपाय–
(i) उनके द्वारा निर्मित चीजों का बाजिव मूल्य देकर खरीदना चाहिए।
(ii) इनकी प्रदर्शनी लगाकर प्रोत्साहन दिया जाए । (iii) दिवाली में मिट्टी के
दिए खरीदने के लिए जागरूकता फैलाई जाए। (iv) पर्यावरणीय प्रदूषण
रोकने के लिए भी यह कदम आवश्यक है।

                                                 ★★★

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