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   Jharkhand Board Class 9TH Science Notes | परमाणु की संरचना  

   JAC Board Solution For Class 9TH  Science  Chapter 4


1. केनाल किरणें क्या हैं?
उत्तर : केनाल किरणें, विसर्जन नलिका के एनोड से निकलने वाले धन आवेशी
गों की धारा है, जब बहुत ही कम दाब पर गैस में से विद्युत धारा प्रवाहित की
जाती है।

2. यदि किसी परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन और एक प्रोटॉन है, तो इसमें कोई
आवेश होगा या नहीं?
उत्तर : आवेश नहीं होगा क्योंकि धन आवेश, ऋण आवेश को संतुलन कर
लेगा।

3. परमाणु उदासीन है, इस तथ्य को टॉमसन के मॉडल के आधार पर स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर : परमाणु धन आवेशित गोले का बना होता है और इलेक्ट्रॉन उसमें धंसे
होते हैं। ऋणात्मक और धनात्मक आवेश परिमाण में समान होते हैं। इसलिए परमाणु
वैद्युतीय रूप से उदासीन होते हैं।

4. रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के अनुसार, परमाणु के नाभिक में कौन-सा
अवपरमाणुक कण विद्यमान है?
उत्तर : प्रोटॉन।

5. क्या अल्फा कणों का प्रकीर्णन प्रयोग सोने के अतिरिक्त दूसरी धातु के
पन्नी से संभव है?
उत्तर : नहीं। क्योंकि सोने की पन्नी की बहुत पतली परत होती है। सोने की
पन्नी 1000 परमाणुओं के बराबर मोटी होती है जो अन्य धातुओं में संभव नहीं है।

6. परमाणु के तीन अवपरमाणुक कणों के नाम लिखें।
उत्तर : इलेक्ट्रान, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन।

7. हीलियम परमाणु का परमाणु द्रव्यमान 4u है और उसके नाभिक में दो
प्रोटॉन होते हैं। इसमें कितने न्यूट्रॉन होगे?
उत्तर : परमाणु द्रव्यमान = न्यूट्रॉन की संख्या + प्रोटॉन की संख्या
4 = न्यूट्रॉन की संख्या +2
अथवा, न्यूट्रॉन की संख्या = 4–2 = 2

8. कार्वन और सोडियम परमाणुओं के लिए इलेक्ट्रॉन वितरण लिखिए।
उत्तर : कार्बन परमाणु संख्या =6; इलेक्ट्रॉन वितरण = 2,4
सोडियम (परमाणु संख्या) =11
इलेक्ट्रॉन वितरण = 2,8,1

9. अगर किसी परमाणु का K और L कोश भरा है तो उस परमाणु में इलेक्ट्रॉनों
की संख्या क्या होगी?
उत्तर : 10

10. जे. जे. थॉमसन के परमाणु मॉडल की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर : अन्य वैज्ञानिकों द्वारा किये गये प्रयोगों के परिणाम जे.जे. थॉमसन
मॉडल से नहीं समझाये जा सके।

11. यदि तत्त्व का Z= 3 हो तो तत्त्व की संयोजकता क्या होगी? तत्व का नाम
भी लिखिए।
उत्तर : तत्त्व की परमाणु संख्या 3 है, अत: इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,2,11
इसके बाह्यतम कक्ष में एक इलेक्ट्रॉन होता है अत: यह एक इलेक्ट्रॉन का त्याग
कर सकता है। इसलिए इसकी संयोजकता एक होगी। तत्त्व का नाम लीथियम है।

12. इलेक्ट्रॉन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर : यह एक इकाई ऋण आवेशित कण है जिस पर 1.6 × 10⁻¹⁹ कूलंब
का ऋण आवेश होता है।

13. परमाणु के नाभिक की खोज किसने व कैसे की?
उत्तर : परमाणु के नाभिक (केंद्रक) की खोज रदरफोर्ड नामक वैज्ञानिक ने
अपने प्रसिद्ध प्रयोग अल्फा-कण प्रकीर्णन प्रयोग द्वारा की।

14. परमाणु के विभिन्न कोशों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या सीमित होती है या
असीमित?
उत्तर : परमाणु के विभिन्न कोशों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या निश्चित होती है
असीमित नहीं।

15. परमाणु संख्या तत्व को परिभाषित करने में किस प्रकार सहायक है?
उत्तर : "तत्व ऐसे परमाणुओं से मिलकर बनता है जिनकी परमाणु संख्या
समान हो" इस प्रकार परमाणु संख्या तत्व को परिभाषित करने में सहायक है।

16. एक्स किरणों की खोज किस वैज्ञानिक ने की?
उत्तर : डब्लू; के० रॉटगेन।

17. कैथोड किरणों में पाए जाने वाले कणों के नाम लिखिए।
उत्तर : इलेक्ट्रॉन।

18. किसी तत्व की परमाणु संख्या 17 है तथा उसमें उपस्थित न्यूट्रॉन की संख्या
18 है। उसका परमाणु द्रव्यमान क्या होगा?
उत्तर : परमाणु द्रव्यमान A = z+n=17+18 = 35.

19. कैथोड किरणें क्या हैं?
उत्तर : ये वास्तव में इलेक्ट्रॉन पुंज होती हैं जो कैथोड से निकलती है।

20. प्रोटॉन क्या है?
उत्तर : यह एक इकाई धन आवेशित कण है जिस पर 1.6 × 10⁻¹⁹ कूलंब का
धन आवेश होता है।

21. परमाणु को परिभाषित कीजिए।
उत्तर : इसमें इलेक्ट्रॉनों व प्रोटॉनों की संख्या बराबर होती है अत: यह उदासीन
होता है।

22. न्यूट्रॉन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर : न्यूट्रॉन एक विद्युत उदासीन कण है, इस पर कोई आवेश नहीं होता
इसका द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के बराबर होता है।

23. नाभिक को परिभाषित कीजिए।
उत्तर : परमाणु में प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन नाभिक में स्थित होते हैं तथा इलेक्ट्रॉन
नाभिक के चारों और कोशों में चक्कर लगाते हैं।

24. अल्फा कण क्या है?
उत्तर : यह धन आवेशित हीलियम (4He₂) कण है। इसका आवेश दो इकाई
तथा द्रव्यमान चार इकाई होता है।

25. परमाणु की संरचना को समझने में, ई. रदरफोर्ड के क्या-क्या आधारभूत
योगदान हैं?
उत्तर : ई. रदरफोर्ड ने सर्वप्रथम परमाणु के केंद्रीय भाग केंद्रक या नाभिक
की खोज की। उसने बताया कि परमाणु का संपूर्ण धन आवेश तथा द्रव्यमान इसी
केंद्रक या नाभिक में होता है। उसने परमाणु की तुलना में केंद्रक के आकार को
10⁵ गुना छोटा बताया।
     रदरफोर्ड ने परमाणु के अधिकतर भाग को रिक्त तथा इलेक्ट्रॉनों को निश्चित
कक्षाओं में नाभिक की परिक्रमा करते हुए भी सर्वप्रथम बताया।

26. कोई परमाणु धन आवेशित या ऋण आवेशित क्यों हो जाता है?
उत्तर : परमाणु इलेक्ट्रॉन खोकर धन आवेशित तथा इलेक्ट्रॉन पाकर ऋण
आवेशित हो जाता है। क्योंकि इलेक्ट्रॉन ऋण आवेशित कण है। इलेक्ट्रॉन खोने पर
परमाणु में धन आवेशों तथा ऋण आवेशों के मध्य संतुलन बिगड़ जाता है।

27. किसी तत्व के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन की संख्या 4 तथा न्यूटॉन की
संख्या 5 है। इस तत्व की परमाणु संख्या तथा परमाणु द्रव्यमान बताइए।
उत्तर : परमाणु संख्या = प्रोटॉन की संख्या (p) = 4
परमाणु द्रव्यमान = p + n = 4 + 5 = 9.

28. कोश अथवा ऊर्जा स्तर से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर : नाभिक के चारों ओर वह मार्ग जिसमें इलेक्ट्रॉन भ्रमण करता है,कक्षा
या ऊर्जा स्तर कहलाता है। प्रत्येक कक्षा या ऊर्जा स्तर की ऊर्जा निश्चित होती है
नाभिक से दूर जाने पर ऊर्जा स्तरों की ऊर्जा बढ़ती जाती है।

29. कोई परमाणु धन आवेशित या ऋण आवेशित क्यों हो जाता है?
उत्तर : परमाणु इलेक्ट्रॉन खोकर धन आवेशित तथा इलेक्ट्रॉन पाकर ऋण
आवेशित हो जाता है। क्योंकि इलेक्ट्रॉन ऋण आवेशित कण है। इलेक्ट्रॉन खोने पर
परमाणु में धन आवेशों तथा ऋण आवेशों के मध्य संतुलन बिगड़ जाता है।

30. नाभिक (केद्रक) क्या है? परमाणु में इसकी स्थिति तथा इसके संगठन के
विषय में लिखो।
उत्तर : नाभिक (केंद्रक) परमाणु का केंद्रीक भाग है जिसका आयतन कुल
परमाणु की तुलना में बहुत कम (लगभग 10-5 वाँ भाग) होता है। परमाणु में
उपस्थित सभी प्रोटॉन तथा न्यूटॉन नाभिक में स्थित होते हैं अर्थात परमाणु का सारा
धन आवेश तथा सारा द्रव्यमान नाभिक या केंद्र में होता है।

                                        लघु उत्तरीय प्रश्न

1. परमाणु उदासीन है, इस तथ्य को टॉमसन के मॉडल के आधार पर स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर : 1899 में टॉमसन ने प्रस्तावित किया कि (i) परमाणु एक धनात्मक
क्षेत्र से बना है जिसमें ऋणात्मक कण इलेक्ट्रॉन यहाँ-वहाँ बिखरे हुए हैं।

(ii) परमाणु के धनात्मक और ऋणात्मक आवेश एक-दूसरे को संतुलित अथवा
काट देते हैं, इसीलिए परमाणु उदासीन होता है।

2. तीन कक्षाओं वाले बोर के परमाणु मॉडल का चित्र बनाइए।
उत्तर:

3. क्या अल्फा कणों का प्रकोणन प्रयोग सोने के अतिरिक्त दूसरी धातु की
पन्नी से संभव होगा?
उत्तर : सोना सर्वाधिक आघातवर्ध्य धातु है, और इसीलिए -कणों के प्रथम
तल के परमाणुओं से टकराने की संभावना अधिक होती है। साथ ही, सोना सबसे
कम क्रियाशील धातु है। यदि सोने के अलावा किसी अन्य धातु का उपयोग किया
जाए, तो हो सकता है कि वो धातु a-कणों के साथ अभिक्रिया करे, अथवा धातु
के कम आधातवर्ध्य होने के कारण -कण उसकी मोटी पन्नी के परमाणुओं से टकारा
न पाएँ।

4. परमाणु के तीन अवपरमाणुक कणों के नाम लिखें।
उत्तर : परमाणु के तीन अवपरमाणुक कण है―(i) इलेक्ट्रॉन, (ii) प्रोटॉन
और (iii) न्यूटॉन।

5. कार्वन और सोडियम के परमाणुओं के लिए इलेक्ट्रॉन-वितरण लिखिए।
उत्तर:

6. क्लोरीन, सल्फर और मैग्नीशियम की परमाणु संख्या से आप इनकी
संयोजकता कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर : तत्त्व की परमाणु संख्या से इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का पता चलता
है और संयोजकता इलेक्ट्रॉन। परमाणु संख्या में से संयोजकता इलेक्ट्रॉन घटाने पर
उसकी संयोजकता निकालते हैं।

7. यदि किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 8 है और प्रोटॉनों की संख्या
भी 8 है तब, (a) परमाणु की परमाणुक संख्या क्या है? (b) परमाणु का
क्या आवेश है?
उत्तर : (a) परमाणु संख्या = प्रोटॉनों की संख्या = 8
(b) प्रोटॉनों की संख्या = 8, धनात्मक आवेश = 8
इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 8, ऋणात्मक आवेश = 8
कुल आवेश = +8+8(-8) = 0

8. चिह्न H, D और T के लिए प्रत्येक में पाए जाने वाले तीन अवपरमाणुक
कणों को सारणीबद्ध कीजिए।
उत्तर : H,D और T हाइड्रोजन समस्थानिक होते है।

9. समस्थानिक और समभारिक के किसी एक युग्म का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
लिखिए।
उत्तर : (i) समभारिक― ⁴⁰₂₀Ca और  ⁴⁰₁₈Ar
Ca का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2,8,8,2
Ar का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2,8,8

(ii) समस्थानिक ― ¹²₆C और ¹⁴₆C
C का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2,4

10. इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के गुणों की तुलना कीजिए
उत्तर―α-किरणों के अभिलक्षण―(i) ये धनाविष्ट कणों की बनी होती
है। (ii) इन कणों का वेग प्रकाश के वेग का लगभग ¹/₁₀ होता है। (ii) ये जिंक
सल्फाइड में स्फुरदीप्ति उत्पन्न कर देती हैं। (iv) अधिक द्रव्यमान के कारण इनकी
भेदन-क्षमता कम होती है।
             β-किरणों के अभिलक्षण ―(i) ये ऋणाविष्ट कणों की बनी होती है। (ii)
इन कणों का वेग प्रकाश के वेग का लगभग ⁹/₁₀ होता है। (iii) इन काणों की गतिज
ऊर्जा α-कणों से बहुत कम होती है। (iv) इनकी भेदन क्षमता α-कणों से 100 गुना
अधिक होती है।
           γ-किरणों के अभिलक्षण ―(i) ये किरणें विद्युततः उदासीन होती हैं। ये
वस्तुतः कम तरंगदैर्ध्य वाली प्रकाश-तरंगे हैं। (iii) इनकी आयनन-क्षमता बहुत
कम होती है। (iv) इनकी भेदन-क्षमता बहुत अधिक होती है।

11. जे.जे. टॉमसन के परमाणु मॉडल की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर : हालाँकि टॉमसन के परमाणु संरचना मॉडल ने परमाणु की उदासीन
कृति की भली-भाँति व्याख्या दी, परंतु अन्य वैज्ञानिकों द्वारा किए गए प्रयोगों निष्कर्षों
को यह मॉडल नहीं दर्शा पाया।

12. रदरफार्ड के परमाणु मॉडल की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर : रदरफोर्ड के परमाण्विक मॉडल की मुख्य कमी यह थी कि इससे परमाणु
के स्थायित्व का पता नहीं चलता।
      जब कोई आवेशित कण त्वरित होता है, तो वो ऊर्जा को विकिरित करता है।
विकिरण के इस उत्सर्जन द्वारा इलेक्ट्रॉन में ऊर्जा की कमी होगी, जिसके कारण
उसकी कक्षा के आकार का संमुचन होगा। फलस्वरूप, कुछ ही समय में इलेक्ट्रॉन
नाभिक से टकरा जाएगा। रदरफोर्ड यह नहीं समझा पाए कि वास्तव में ऐसा क्यों
नहीं होता।

13. बोर के परमाणु मॉडल की व्याख्या कीजिए।
उत्तर : डैनिश वैज्ञानिक नील्स बोर ने 1912 ई. में एक परमाण्विक मॉडल
प्रस्तावित किया, जिसे बोर परमाण्विक मॉडल कहा जाता है। बोर परमाण्विक मॉडल
की मूल अवधारणाएँ इस प्रकार हैं―
(i) एक परमाणु में, इलेक्ट्रॉन नाभिक के इर्द-गिर्द एक निश्चित चक्रीय पथ
पर घूमते हैं। ये चक्रीय पथ इलेक्ट्रॉन कक्ष या ऑर्बिट (Orbit) कहलाते हैं। इन्हें
ऊर्जा स्तर भी कहते हैं।

(ii) प्रत्येक इलेक्ट्रॉन कक्ष एक निश्चित ऊर्जा से युक्त होता है।
(iii) इलेक्ट्रॉन कक्ष या ऊर्जा स्तरों को (चित्र देखें) 1,2,3,4,... या K,L,M,... आदि से अंकित 
करते हैं। ये पूर्णांक 1,2,3,4,... को कक्षों की क्वान्टम (quantum) संख्या कहते है।

(iv) एक इलेक्ट्रॉन केवल निश्चित व आवश्यक ऊर्जा को खो सकता है प्राप्त
कर सकता है।

14. सभी परमाणु मॉडलों की तुलना कीजिए।
उत्तर:

15. पहले अठारह तत्वों के विभिन्न कक्षों में इलेक्ट्रॉन वितरण के नियम को
लिखिए।
उत्तर : किसी परमाणु में विभिन्न ऊर्जा स्तरों (इलेक्ट्रॉन कक्षो) में इलेक्ट्रॉनों
के वितरण के लिए बोर तथा यरी योजना निम्न नियमों पर आधारित है―
(i) किसी कक्ष में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या 2n² हो सकती है जहाँ n
इलेक्ट्रॉन कक्षों की क्वान्टम संख्या को प्रदर्शित करता है।
अतः विभिन्न कक्षों में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या निम्न है―
प्रथम (K) कक्ष = 2×1² = 2
द्वितीय (L) कक्ष = 2×2² = 8
तृतीय (M) कक्ष = 2×3² = 18
चतुर्थ (N) कक्ष = 2×4² = 32

(ii) बाह्यतम कक्ष (जिसे संयोजकता कक्ष भी कहते है) में अधिकतम 8
इलेक्ट्रॉन हो सकते है और उससे पूर्व वाले कक्ष में अधिकतम 18 इलेक्ट्रॉन हो
सकते हैं।

(iii) यह आवश्यक नहीं है कि किसी कक्ष में इलेक्ट्रॉनों की संख्या उससे प्रथम
कक्ष में इलेक्ट्रॉन भरने से पूर्ण हो जाए।

16. सिलिकॉन और ऑक्सीजन का उदाहरण लेते हुए संयोजकता की परिभाषा
दीजिए।
उत्तर : किसी तत्व के परमाणु की संयोगात्मक क्षमता को उसकी संयोजकता
कहते हैं। परमाणु अपने बाह्यतम कोश को पूर्ण करने के लिए जितने इलेक्ट्रॉन खोता,
पाता या बाँटता है, वही उसकी संयोजकता कहलाते हैं।
ऑक्सीजन की संयोजकता 2 है क्योंकि वो 2 इलेक्टॉन प्राप्त कर अपना
बाह्यतम कोश पूर्ण कर सकता है। सिलिकन की संयोजकता 4 है क्योंकि वो इलेक्ट्रॉन
खोकर, पाकर या बाँटकर अपना बाह्यतम कोश पूर्ण कर सकता है।

17. Na⁺ के पूरी तरह से भर हुए K व L कोश होते हैं, व्याख्या कीजिए।
उत्तर : इलेक्ट्रॉन खोने से धनायन बनता है। एक इलेक्ट्रॉन खोने से Na⁺
बनता है।

18. दो परमाणु स्पीशीज के केद्रकों का संघटन नीचे दिया गया है―
                          X                          Y
प्रोटॉन                 6                          6
न्यूटॉन                 6                          8
x और Y की द्रव्यमान संख्या ज्ञात कीजिए। इन दोनों स्पीशीज में क्या
संबंध है?
उत्तर : द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या
X की द्रव्यमान संख्या = 6+6 = 12
Yकी द्रव्यमान संख्या = 6+8=14
परमाणु संख्या = प्रोटॉनों की संख्या
X की परमाणु संख्या = 6
Yकी परमाणु संख्या = 6
चूँकि X और Y की परमाणु संख्या एक है किंतु द्रव्यमान संख्या भिन्न है,
इसीलिए ये दोनों समस्थानिक है।

19. निम्नलिखित वक्तव्यों में गलत के लिए F और सही के लिए T लिखें।
(a) जे. जे. टॉमसन ने यह प्रस्तावित किया था कि परमाणु के केंद्रक में
केवल न्यूक्लीयॉन्स होते हैं।
(b) एक इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन मिलकर न्यूट्रॉन का निर्माण करते हैं इसलिए
यह अनावेशित होता है।
(c) इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन से लगभग 1/2000 गुणा होता है।
(d) आयोडीन के समस्थानिक का इस्तेमाल टिंक्चर आयोडीन बनाने में होता
है। इसका उपयोग दवा के रूप में होता है।
उत्तर : (a)x (b)x (c)x (d)x (e)✓

20. निमलिखित सारणी को पूरा कीजिए―
उत्तर:

21. परमाणु की सरचना को समझने में, ई. रदरफोर्ड के क्या-क्या आधारभूत
योगदान है?
उत्तर―परमाणु के संरचना को समझाने में ई- रदरफोर्ड के निम्न आधारभूत
योगदान है―(i) परमाणु के केन्द्र में परमाणु के सभी धनावेशित प्रोटॉन रहते है
और इसलिए परमाणु का लगभग सम्पूर्ण भार सकेन्द्रित रहता है, जिसे 'केन्द्रक'
या 'नाभिक (Nucleus) कहा जाता है। (ii) केन्द्रक की त्रिज्या (10¹² सेमी से
10⁻¹³ सेमी) परमाणु की त्रिज्या (10⁻⁸ सेमी) के करीब एक सौ हजार (10⁵) गुना
कम है। अतः परमाणु की तुलना में केन्द्रक का आकार बहुत ही छोटा है। (iii)
परमाणु के अन्दर अधिकांशतः खाली स्थान है।

22. परमाणु संख्या को पारिभाषित कीजिए। क्या यह आवर्त सारणी में परमाणु
के स्थान से संबंधित है? यदि हाँ, तो कैसे?
उत्तर―परमाणु के सभी प्रोटॉन और न्यूट्रॉन उसके नाभिक में समाए रहते है।
किसी तत्त्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन की संख्या को उस तत्त्व की
परमाणु-संख्या कहते हैं। आवर्त सारणी के तत्त्व बढ़ते हुए परमाणु संख्या के आधार
पर व्यवस्थित होते हैं। आवर्त सारणी में किसी तत्त्व का स्थान इलेक्ट्रॉन की संख्या
से पता चलता है।

23. द्रव्यमान संख्या को पारिभाषित कीजिए। द्रव्यमान संख्या परमाणु के नाभिक
में उपस्थित प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों से कैसे संबंधित है?
उत्तर―तत्त्व की द्रव्यमान-संख्या (massnumber) उसके परमाणु के नाभिक
में उपस्थित प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की संख्याओं के योगफल के बराबर होती है।
तत्त्व की द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या
                                  = परमाणु संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या
या,                           A = P+n
या,                           A = Z+n.

24. संयोजकता को पारिभाषित कीजिए। यह परमाणु संरचना से कैसे संबंधित
उत्तर―किसी तत्त्व की संयोजकता वह संख्या है जो बतलाती है कि उसका
एक परमाणु हाइड्रोजन के कितने परमाणु या परमाणुओं के समतुल्य अन्य तत्त्वों के
परमाणुओं से संयोग करता है। किसी तत्त्व की संयोजकता को नीचे दिए गए सम्बन्ध
बनाती है।
             धातु की संयोजकता = संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या।
             अधातु की संयोजकता = 8–संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या।

 25. समस्थानिकों की परिभाषा दीजिए। समस्थानिकों के मुख्य अभिलक्षण
क्या-क्या हैं?
उत्तर ―परिभाषा―किसी तत्त्व के वे परमाणु जिनकी परमाणु-संख्या समान,
किंतु परमाणु-द्रव्यमान भिन्न-भिन्न हैं, समस्थानिक कहलाते हैं। उदाहरणार्थ, ¹²₆C
या ¹⁴₆C कार्बन के दो समस्थानिक है।
          मुख्य अभिलक्षण ―(i) तत्त्वों के सभी समस्थानिकों के नाभिक के अन्दर
प्रोटॉन की संख्या समान होती है। (ii) तत्त्वों के सभी समस्थानिकों के नाभिक के
अन्दर न्यूट्रॉन की संख्या असमान होती है। (iii) किसी तत्त्व के सभी समस्थानिकों
की रासायनिक अभिक्रिया समान होती है।

26. समस्थानिकों के मुख्य अनुप्रयोग क्या-क्या हैं?
उत्तर― समस्थानिको के मुख्य अनुप्रयोग निम्नलिखित है―(i) पुरातत्त्ववेत्ता
द्वारा प्राप्त अवशेषों का काल निर्धारण, (ii) रेडियोएक्टिव समस्थानिकों का कैंसर
के इलाज में प्रयोग।

27. एक विसर्ग-नली में धन किरणों के उत्पत्ति के लिए एक रेखांकित चित्र
खींचें।
उत्तर―

28. इलेक्ट्रॉन क्या है?
उत्तर― ऋण आवेश ये युक्त कण, जो सभी पदार्थों के परमाणुओं में उपस्थित
रहते हैं इलेक्ट्रॉन कहलाते हैं। एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के
द्रव्यमान का लगभग ¹/₁₈₄₀ होता है। इस पर इकाई ऋण आवेश (-1) रहता है
जिसका निरपेक्ष मान 1.6x10⁻¹⁹ कूलॉम होता है।

29. प्रोटॉन क्या है?
उत्तर―प्रोटॉन परमाणु का एक मौलिक करण है जो परमाणु के नाभिक में
रहता है। इसका द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता
है। इस पर इकाई धन आवेश (+1) रहता है। इसका निरपेक्ष मान 1.6 x 10⁻¹⁹
कूलॉम होता है। इसका सापेक्ष द्रव्यमान इकाई और निरपेक्ष द्रव्यमान
1.676x10²⁴ ग्राम होता है।

30. नील्स बोर द्वारा प्रस्तावित परमाणु के मॉडल में उसके द्वारा कौन-सी नई
संकल्पना स्थापित की गई?
उत्तर : नील्स बोर ने सर्वप्रथम परमाणु के स्थायित्व को समझा था। उसके
द्वारा प्रस्तावित मॉडल के अनुसार इलेक्ट्रॉन एक निश्चित कक्षा में नाभिक की परिक्रमा
करते समय न तो ऊर्जा का उत्सर्जन करता है और न ही अवशोषण। अर्थात् प्रत्येक
इलेक्ट्रॉन कक्षा निश्चित ऊर्जा से संबंधित होती है तथा इन्हें ऊर्जा स्तर कहते हैं।
इलेक्ट्रॉन निश्चित ऊर्जा का अवशोषण करके अगली उच्च कक्षा में परिक्रमा कर
सकता है।

                                        दीर्घ उतरीय प्रश्न

1. उदाहरण के साथ व्याख्या कीजिए―(i) परमाणु संख्या, (ii) द्रव्यमान
संख्या, (iii) समस्थानिक और (iv) समभारिक समस्थानिकों के कोई दो
उपयोग लिखिए।
उत्तर : (i) किसी तत्व के एक परमाणु के नाभिक में मौजूद प्रोटॉनों की संख्या
को उसकी परमाणु संख्या कहते है।
हाइड्रोजन के लिए, Z = 1 क्योकि हाइड्रोजन परमाणु के नाभिक में केवल एक
प्रोटॉन होता है।
कार्बन के लिए Z = 6 क्योंकि कार्बन परमाणु के नाभिक में 6 पोटॉन होते है।

(ii) किसी तत्व के एक परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों औरर न्यूटॉनो
की कुल संख्या उसकी द्रव्यमान संख्या कहलाती है। उदाहरण के लिए,
      कार्बन की द्रव्यमान संख्या 12 है क्योंकि उसमें 6 प्रोटॉन और 6 न्यूट्रॉन होते
है (6 + 6 = 12) इसी प्रकार, ऐलुमिनियम की द्रव्यमान संख्या 27 (13 प्रोटान +14
न्यूट्रॉन) होती है।

(iii) किसी तत्व के ऐसे परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान हो परन्तु
द्रव्यमान संख्या भिन्न-भिन्न हो, उस तत्व के समस्थानिक कहलाते है।
      समस्थानिकों को निम्न प्रकार भी परिभाषित किया जा सकता है―
किसी तत्व के परमाणु जिनमें प्रोटॉनों कइ समान संख्या हो परन्तु न्यूट्रॉनों की
संख्या भिन्न हो, उस तत्व के समस्थानिक कहलाते हैं।
(i) हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक होते हैं―

(ii) क्लोरीन के दो समस्थानिक होते है-

(iii) तत्वों के ऐसे परमाणु जिनकी द्रव्यमान संख्या तो एक हो परंतु परमाणु
संख्या भिन्न हो, उन तत्वों के समभारिक परमाणु कहलाते है। उदाहरण के लिए,
तत्व का नाम         द्रव्यमान संख्या            परमाणु संख्या                
कैल्सियम            40                              28
आर्गन-40           18

समस्थानिकों के कुछ उपयोग हैं―
(i) यूरेनियम का एक समस्थानिक परमाणु रिएक्टर में ईंधन के रूप में उपयोग
किया जाता है।

(ii) कोबाल्ट का एक समस्थानिक कैंसर के इलाज में प्रयुक्त होता है।

(iii) आयोडीन का एक समस्थानिक घेधा रोग के इलाज में प्रयुक्त होता है।

2 कैथोड किरणों और कैनाल किरणों की मुख्य विभिन्नताओं का वर्णन करें।
कैनाल किरणों को 'कैनाल किरणें' क्यों कहते हैं?
उत्तर―कैथोड किरणें―
(i) इसके विचलन से ज्ञात होता है कि ये ऋण आवेश युक्त है।

(ii) प्रयोग इन कणों के e/m का मान निम्नतम प्राप्त हुआ है। एनोड किरणों
छिद्रित कैथोड के छिद्रों में से होकर निकलती है, इसलिए इन किरणों को कैनाल
करण (canal rays) कहते है।

कैनाल किरणे―
(i) इसके विचलन से शात होता है कि ये धन आवेशयुक्त कण है।


(ii) प्रयोग से इन कणों के (e/m) का मान उच्चतम प्राप्त हुआ है।
कैनाल किरणे को कैनाल किरणे कहा गया बयोंकि ये किरणे कैथोड के छिद्रों
या कैनाल से निकलती है।

3. रेडियाऐक्टिव समस्थानिकों के प्रायोगिक अनुप्रयोगों को विशिष्ट उदाहरणों
सहित समझाइए।
उत्तर―समस्थानिको का आविष्कार रसायनशास्त्र के विकास में मदद पहुँचाया
है। इनके अनुप्रयोग निम्नलिखित है―(i) समस्थानिक भिन्नांक परमाणु भारों की
व्याख्या करते है। (ii) समस्थानिक आवर्त सारणों के विकास में मदद करते है। (iii)
समस्थानिक यह दर्शाने में मदद करते है कि स्थिर संघटन का नियम (law of
onstant composition) सामान्यतः लागू नहीं होता है। (iv) इनका उपयोग
अभिक्रिया की क्रियाविधि (mechanism) ज्ञात करने में होता है। (v) इनका उपयोग
आयु ज्ञात करने में होता है।

4. सिलिकॉन और ऑक्सीजन का उदाहरण लेते हुए संयोजकता की परिभाषा
दीजिए।
उसर : किसी तत्व के परमाणु की संयोगात्मक क्षमता को उसकी संयोजकता
कहते हैं। परमाणु अपने बाह्यतम कोश को पूर्ण करने के लिए जितने इलेक्ट्रॉन खोता,
पाता या बाँटता है, वही उसकी संयोजकता कहलाते है।
ऑक्सीजन की संयोजकता 2 है क्योकि वो 2 इलेक्टॉन प्राप्त कर अपना
बाह्यतम कोश पूर्ण कर सकता है। सिलिकन की संयोजकता 4 है क्योंकि वो इलेक्ट्रॉन
खोकर, पाकर या बॉडकर अपना बाह्यतम कोश पूर्ण कर सकता है।

5. एक तत्व x का परमाणु द्रव्यमान 16.24 है तो इसके किसी एक नमूने में
समस्थानिक ¹⁶₈x और ¹⁸₈x का प्रतिशत क्या होगा?

6. विभिन्न कोशों में इलेक्ट्रॉन वितरण के क्या नियम है?
अथवा, परमाणु में इलेक्ट्रॉन विभिन ऊर्जा स्तरों में किस प्रकार वितरित
होते हैं।
उत्तर : किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन वितरण के लिए निम्न नियम है-
(1) किसी भी कक्षा (ऊर्जा स्तर) में अधिक-से-अधिक आ सकने वाले
लेक्ट्रॉनों की संख्या 2n² होती है जहाँ कि उस ऊर्जा स्तर की क्रम संख्या है
अर्थात्
K ऊर्जा स्तर या पहली कोश के लिए (n = 1) या 2n² = 2 × 1² = 2
L ऊर्जा स्तर या दूसरी कोश के लिए (n = 2) या 2n² =2×2² = 8
M ऊर्जा स्तर या तीसरी फोश के लिए n = 3) या 2n² = 2×3² = 18
Nऊर्जा स्तर या चौधी कोश के लिए (n = 4) या 2n² = 2×4² = 32
अर्थात् पहली कोश में अधिकतम 2, दूसरी में 8 तीसरी में 18 तथा चौथी में
32 इलेक्ट्रॉन समा सकते है।

(2) किसी परमाणु की सबसे बाहरी (बाह्यतम) कोश में 8 इलेक्ट्रॉन से अधिक
नहीं आ सकते तथा उसके अंदर वाली कोश में 18 इलेक्ट्रॉन से अधिक नहीं हो
सकते।

7. नील्स बोर द्वारा प्रस्तुत मॉल की विवेचना कीजिए।
उत्तर : नील्स बोर नामक वैज्ञानिक ने परमाणु का नाभिकीय मॉडल दिया।
इसकी मुख्य बातें निम्न प्रकार है―
(1) परमाणु के केन्द्र में उसका समस्त धन आवेश स्थित होता है। परमाणु के
केन्द्रीय भाग को नाभिक या केन्द्रक कहते हैं।

(2) सभी प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन परमाणु के नाभिक में स्थित होते है।

(3) नाभिक का व्यास परमाणु के व्यास का 1/100000वाँ भाग होता है।

(4) इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर केन्द्रक केवल विशेष स्थायी कक्षाओं में घूमते हैं
जिन्हें ऊर्जा स्तर कहते हैं।

(5) किसी इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा उस कक्षा पर निर्भर करती है जिसमें वह घूम
रहा है, इसलिए कक्षाओं को ऊर्जा स्तर भी कहते है।

(6) उर्जा स्तरों को पूर्णाको (n) 1,2,3,4 अथवा अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों
K,L,M,N से प्रदर्शित करते है

(7) जब कोई इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा स्तर में आता है तो
ऊर्जा मुक्त होती है तथा जब कोई इलेक्ट्रॉन निम्न ऊर्जा स्तर से उच्च ऊर्जा स्तर
में जाता है तो ऊर्जा अवशोषित होती है।
          परमाणु के नाभिकीय मॉउल को चित्र में प्रदर्शित किया गया है।

                                                   ◆◆

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