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    Jharkhand Board Class 9TH Science Notes | बल तथा गति के नियम  

 JAC Board Solution For Class 9TH  Science  Chapter 9 


1. निम्न में किसका जड़त्व अधिक है―(a) एक रबड़ की गेद एवं उसी आकार
का पत्थर, (b) एक साइकिल एवं एक रेलगाड़ी, (c) पाँच रुपये का एक
सिक्का एवं एक रुपये का सिक्का।
उत्तर : (a) पत्थर का, (b) रेलगाड़ी का, (c) पाँच रुपये के सिक्के का।

2. किसी बल्लेबाज द्वारा क्रिकेट की गेंद को मारने पर गेंद जमीन पर लुढ़कती
है। कुछ दूरी चलने के पश्चात् गेंद रुक जाती हैं। गेंद रुकने के लिए धीमी
होती है, क्योंकि
(a) बल्लेबाज ने गेंद को पर्याप्त प्रयास से हिट नहीं किया है।
(b) वेग गेंद पर लगाए गए बल के समानुपाती है।
(c) गेंद पर गति की दिशा के विपरीत एक बल कार्य कर रहा है।
(d) गेंद पर कोई असंतुलित बल कार्यरत नहीं है, अत: गेंद विरामावस्था
में आने के लिए प्रयासरत है। (सही विकल्प का चयन करें)
उत्तर : (c) गेंद पर गति की दिशा के विपरीत एक बल कार्य कर रहा है।

3. किसी m द्रव्यमान की वस्तु जिसका वेग है का संवेग क्या होगा?
(a) (mv)² (b) mv² (c) (½) mv²  (d) mv
उपरोक्त में से ही विकल्प चुनें।
उत्तर : (d) mv

4. जब किसी रबड़ की गेंद को दोनों हाथों से दवाया जाता है तब उस पर
किस प्रकार का बल कार्य करता है? वह क्या प्रभाव उत्पन्न करता है?
उत्तर―असंतुलित बल। असंतुलित बल रबड़ की गेंद की आकृति में परिवर्तन
कर देता है।

5. यदि किसी वस्तु की गति की दिशा या चाल में परिवर्तन हो तो उस वस्तु
पर किस प्रकार के बल कार्यरत हैं?
उत्तर―असंतुलित बल।

6. विरामावस्था में घड़ी किसी वस्तु में गति किस प्रकार के बल उत्पन्न
करती है?
उत्तर―असंतुलित बल।

7. संहति तथा भार के Sl मात्रक लिखिए।
उत्तर― संहति का SI मात्रक ―Kg (किलोग्राम)
भार का SI मात्रक ―N (न्यूटन)

8. बल का मात्रक क्या है?
उत्तर―न्यूटन (N)।

9. 1 किग्रा संहति वाली वस्तु में कौन-सा बल 1 मीटर/सेकेण्ड² का त्वरण
उत्पन्न करता है?
उत्तर―न्यूटन बल।

10. गति के जड़त्व का विवरण दीजिए।
उत्तर― कोई वस्तु अपनी गति की अवस्था में तब तक रहती है जब तक उस
पर कोई बल लगाकर उसे रोका न जाए।

11. एक न्यूटन बल को पारिभाषित कीजिए।
उत्तर― वह बल जो 1 किग्रा. संहति वाली किसी वस्तु में 1
मीटर/सेकेण्ड² का त्वरण उत्पन्न करे, एक न्यूटन (1N) बल कहलाता है।

12. संवेग का क्या मात्रक है?
उत्तर― संवेग का मात्रक संहति × वेग का मात्रक है।
अतः उसका मात्रक kg m/s है।

13. रॉकेट कौन-से सिद्धान्त पर कार्य करता है?
उत्तर― रॉकेट न्यूटन की गति के तीसरे नियम पर कार्य करता है।

14. एक स्कूटर तैलीय सड़क पर क्यों फिसलता है?
उत्तर― एक तैलीय सड़क पर टायर के मध्य घर्षण कम होता है। अतः,
स्कूटर ऐसी सड़क पर फिसलने लगता है।

15. बल एक अदिश राशि है या सदिश?
उत्तर― बल एक सदिश राशि है। बल का परिणाम भी होता है और दिशा भी।

16. बल का SI मात्रक लिखिए।
उत्तर― बल का SI मात्रक न्यूटन (N) है। बल को F संकेत से व्यक्त किया
जाता है।

17. बल एवं न्यूटन बल को पारिभापित करें।
उत्तर― बल-बल वह कारण है जो किसी वस्तु की अवस्था को बदल दे
या बदलने का प्रयास करता हो। न्यूटन बल-एक किलोग्राम के द्रव्यमान में एक
मीटर/सेकेण्ड' का त्वरण करने वाला बल एक न्यूटन (N) के बराबर होता है।

                            लघु उत्तरीय प्रश्न

1. निम्न में किसका जड़त्व अधिक है―
(a) एक रबड़ की गेंद एवं उसी आकार का पत्थर,
(b) एक साइकिल एवं एक रेलगाड़ी,
(c) पाँच रुपये का एक सिक्का एवं एक रुपये का सिक्का।
उत्तर : (a) पत्थर का, (b) रेलगाड़ी का, (c) पाँच रुपये के सिक्के का।

2. नीचे दिए गए उदाहरण में गेंद का वेग कितनी बार बदलता है, जानने का
प्रयास करें―
"फुटबाल का एक खिलाड़ी गेंद पर किक लगाकर गेंद को अपनी टीम के
दूसरे खिलाड़ी के पास पहुँचाता है। दूसरा खिलाड़ी उस गेंद को किक
लगाकार गोल की ओर पहुँचाने का प्रयास करता है। विपक्षी टीम का
गोलकीपर गेंद को पकड़ता है और अपनी टीम के खिलाड़ी की ओर किक
लगाता है।"
इसके साथ ही उस कारक की भी पहचान करें जो प्रत्येक अवस्था में बल
प्रदान करता है।
उत्तर : (i) प्रथम खिलाड़ी गेंद पर बल आरोपित करता है और बल के कारण
गेंद का वेग बढ़ता है।

(ii) दूसरा खिलाड़ी पहले बल आरोपित करके गेंद को रोकता है जिससे गेंद
का वेग घटता है। पुनः वह खिलाड़ी गेंद पर बल आरोपित करता है और उसे गोल
की ओर त्वरित करता है।

(iii) गोल रक्षक गेंद पर बल आरोपित करता है और उसे अपने साथ की तरफ
बढ़ाता है।

3. किसी पेड़ की शाखा को तीव्रता से हिलाने पर कुछ पत्तियाँ झड़ जाती हैं।
क्यों?
उत्तर : पेड़ की शाखा तथा पत्तियाँ विराम में रहती है। जब शाखा को हिलाते
हैं तो शाखा गतिमान हो जाती हैं तथा पत्तियाँ स्थिर जड़त्व के कारण विराम में रहने
की कोशिश करती हैं। अत: पत्तियों पर एक बल लगता है जिसके किारण पत्तियाँ
टूट कर गिर जाती है।

4. जब कोई गतिशील बस अचानक रुकती है तो आप आगे की ओर झुक
जाते हैं और जब विरामावस्था से गतिशील होती है तो पीछे की ओर तो
जाते हैं, क्यों?
उत्तर : गतिशील बस में बैठा हुआ यात्री भी समान गति से बस की दिशा में
गति करता है। जब बस अचानक रुक जाती है तो यात्री का निचला हिस्सा बल के
कारण विरामावस्था में आ जाता है जबकि ऊपरी हिस्सा गति में रहता है।
परिणामस्वरूप हम आगे की ओर झुक जाते है। ऐसा ही विरामावस्था से बस गतिशील
होती है तो हम बल के कारण होता है और हम पीछे की ओर हो जाते है।

5. यदि क्रिया सदैव प्रतिक्रिया के बराबर है तो स्पष्ट कीजिए कि घोड़ा गाड़ी
को कैसे खींच पाता है?
उत्तर : गाड़ी को खींचते समय घोड़ा नीचे पृथ्वी की सतह को अपने पैरों से
पीछे की तरफ धकेलता है न्यूटन के गति के तृतीय नियम के अनुसार पृथ्वी (सड़क)
भी घोड़े के पैरों पर उतना ही प्रतिक्रिया बल विपरीत दिशा में लगाती है जिसके
कारण गाड़ी आगे की तरफ बढ़ती है।

6. एक अग्निशमन कर्मचारी को तीव्र गति से बहुतायत मात्रा में पानी फेंकने
वाली रबड़ की नली को पकड़ने में कठिनाई क्यों होती है? स्पष्ट करें।
उत्तर : जब अग्निशमन कर्मचारी पानी फेंकने वाली रबड़ की नली को पकड़ता
है तो उसे कठिनाई होती है क्योंकि गति के तृतीय नियम के अनुसार तीव्र गति से
निकलने वाला पानी कर्मचारी पर उतना ही प्रतिक्रिया बल विपरीत दिशा में लगाता
है जितने बल से पानी बाहर निकल रहा होता है।

7. कोई वस्तु शून्य बाह्य असंतुलित बल अनुभव करती है। क्या किसी भी वस्तु
के लिए अशून्य वेग से गति करना संभव है? यदि हाँ, तो वस्तु के वेग के
परिमाण एवं दिशा पर लगने वाली शर्तों का उल्लेख करें। यदि नहीं तो
कारण स्पष्ट करें।
उत्तर : इस प्रश्न की दो स्थितियाँ है―(i) यदि वस्तु विराम की स्थिति में
है, तो इस प्रश्न का उत्तर है 'नहीं' क्योंकि न्यूटन की गति के प्रथम नियम से,
असंतुलित बल की अनुपस्थिति में कोई वस्तु अपनी प्रारंभिक स्थिति में ही रहती
है। (ii) दूसरी स्थिति में, यदि किसी गतिमान वस्तु पर कार्यरत सभी बलों का
परिणामी बल शून्य है, तो वस्तु का कुल प्रारंभिक वेग होता है। अतः इस स्थिति
में प्रश्न का उत्तर है 'हाँ'।

8. जब किसी छड़ी से एक दरी (कार्पेट) को पीटा जाता है, तो धूल के कण
बाहर आ जाते हैं। स्पष्ट करें।
उत्तर : जब दरी को झाड़ा जाता है या छड़ी से पीटा जाता है, तब दरी को
गतिशील बना दिया जाता है। विराम जड़त्व के कारण, धूल के कण विराम अवस्था
में ही रहते हैं और नीचे गिर जाते है।

9. वस की छत पर रखे सामान को रस्सी से क्यों बाँधा जाता है?
उत्तर : जब सामान को बस की छत पर रखते हैं, तो ये बस के साथ जुड़े
हुए नहीं होते हैं। इस स्थिति में, बस जब अचानक चलना शुरू करती है, तो कुछ
हल्के सामान बस की छत से पीछे की ओर गिर भी सकते है। यदि चलती हुई बस
अचानक रुकें, तो समान आगे की ओर गिर सकता है। इसीलिए, बस की छत के
ऊपर सामानों को बाँधकर रखने के लिए कहा जाता है।

10. गति के तृतीय नियम के अनुसार जब हम किसी वस्तु को धक्का देते हैं,
तो वस्तु उतने ही बल के साथ हमें भी विपरीत दिशा में धक्का देती है।
यदि वह वस्तु एक ट्रक है जो सड़क के किनारे खड़ा है। संभवतः हमारे
द्वारा बल आरोपित करने पर भी गतिशील नहीं हो पाएगा। एक विद्यार्थी
इसे सही साबित करते हुए कहता है कि दोनों बल विपरीत एवं बराबर हैं
जो एक-दूसरे को निरस्त कर देते हैं। इस तर्क पर अपने विचार दें और
बताएँ कि ट्रक गतिशील क्यों नहीं हो पाता?
उत्तर : एक ट्रक का द्रव्यमान अधिक होता है, जिसके कारण ट्रक का जड़त्व
अधिक होता है। अत्यधिक जड़त्व के कारण यह विराम में रहता है। हमारे द्वारा
आरोपित बल अपेक्षाकृत कम होने के कारण वह ट्रक में गति नहीं उत्पन्न कर
पाता है।

11. अख्तर, किरण और राहुल किसी राजमार्ग पर बहुत तीव्र गति से चलती
हुई कार में सवार हैं, अचानक उड़ता हुआ कोई कीड़ा, गाड़ी के सामने के
शीशे से आ टकराया और वह शीशे से चिपक गया। अखर और किरण
इस स्थिति पर विवाद करते हैं। किरण का मानना है कि कीड़े के संवेग
परिवर्तन का परिमाण कार के संवेग परिवर्तन के परिमाण की अपेक्षा बहुत
अधिक है। (क्योंकि कीड़े के वेग में परिवर्तन का मान कार के वेग में
परिवर्तन के मान से बहुत अधिक है। अख्तर ने कहा कि चूंकि कार का
वेग बहुत अधिक था अतः कार ने कीड़े पर बहुत अधिक बल लगाया
जिसके कारण कीड़े की मौत हो गई। राहुल ने एक नया तर्क देते हुए कहा
कि कार तथा कीड़ा दोनों पर समान बल लगा और दोनों के संवेग में बराबर
परिवर्तन हुआ। इन विचारों पर अपनी प्रतिक्रिया दें।
उत्तर : राहुल का उत्तर सही था क्योकि संवेग संरक्षण के सिद्धांत के अनुसार,
टक्कर के समय तंत्र का कुल संवेग संरक्षित रहता है, इसलिए दोनों ही में एकसमान
संवेग परिवर्तन होगा। किन्तु कीड़ा का द्रव्यमान कम है, इसलिए उसके वेग में
अधिक परिवर्तन होगा एवं कार का द्रव्यमान अधिक होने के कारण, उसके वेग में
अपेक्षाकृत कम परिवर्तन होगा।

12. एक वस्तु की गति की अवस्था में दूरी समय सारणी निम्नवत है―
समय (सेकेण्ड)              दूरी (मीटर)
0                                     0
1                                     1
2                                     8
3                                     27
4                                     64
5                                     125
6                                     216
7                                     343

(a) त्वरण के बारे में आप क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं? क्या यह नियत
है? बढ़ रहा है? घट रहा है? शून्य है?
(b) आप वस्तु पर लगने वाले बल के बारे में क्या निष्कर्ष निकाल सकते
हैं?
उत्तर:
समय (सेकेण्ड में)          दूरी (मीटर में)         चाल (m/s)
0                                     0                         Rest
1                                     1                            1
2                                     8                            4
3                                     27                          9
4                                     64                         16
5                                     125                       25
6                                     216                       36
7                                     343                       49

(a) उपर्युक्त टेबल दर्शाता है कि वेग परिवर्तन की दर बढ़ रही है अत: वस्तु
का त्वरण लगातार बढ़ रहा है।
(b) चूँकि बल, वस्तु में उत्पन्न त्वरण के समानुपाती होता है, इसलिए वस्तु
पर लगने वाला बल भी लगातार बढ़ रहा है।

13. एक ट्रक और एक कार ॥ वेग से गतिशील हैं, दोनों एक-दूसरे से
आमने-सामने संघट्ट करते हैं तथा कुछ समय बाद दोनों रुक जाते हैं। अगर
संघट्ट का समयांतराल 1s है, तो
(a) कौन-सी गाड़ी पर बल का सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा?
(b) किस गाड़ी के संवेग में सबसे अधिक परिवर्तन होगा?
(c) किस गाड़ी का त्वरण सबसे अधिक होगा?
(d) ट्रक की अपेक्षा कार को अधिक नुकसान क्यों होगा?
उत्तर : (a) कार पर टक्कर का अधिक प्रभाव पड़ेगा।
(b) दोनों ही सवारियों में संवेग परिवर्तन एक समान रहेगा।
(c) कार की गति में उत्पन्न त्वरण का मान अधिक होगा।
(d) कार में अधिक क्षति होगी, क्योंकि उसमें उत्पन्न त्वरण का मान अधिक
होगा।

14. जब किसी समय अचानक हमारा पैर केले के छिलके पर पड़ जाता है तो
हमारे लिए अपने शरीर का संतुलन बनाए रखना कठिन क्यों हो जाता है?
उत्तर― केले के छिलके फिसलन पैदा करने वाले होते हैं। केले के छिलके
और सड़क के बीच घर्षण बहुत कम होता है। अतः जब केले के छिलके पर पैर
रखा जाता है तो यह जूते की तली एवं सड़कों के बीच फिसलनयुक्त सतह का
कार्य करता है। यही कारण है कि जब कभी हमारा पैर केले के छिलके पर पड़ जाता
है तो घर्षण के अभाव में हमारे शरीर का संतुलन बनाए रखना कठिन हो जाता है।

15 तेल टैंकरों को भरते समय उनके ऊपर कुछ खाली स्थान क्यों छोड़ दिया
जाता है।
उत्तर―अब चलता हुआ टेकर अचानक रुकता है तो तेल अपनी गति में ही
रहता है। अतः गति जड़त्व के कारण यह छलकता है। इसी तरह जब टैंकर अचानक
चलना शुरू करता है तो इसके अन्दर उपस्थित तेल विराम जड़त्व के कारण मूल
स्थिति में रहना चाहता है जिससे पता लगता है कि वह पीछे की ओर गति करता
है। अतः अगर ऊपरी हिस्से में खाली जगह नहीं छोड़ी जाए। जड़त्व के परिणामतः
तो तेल बाहर निकल जाएगा। जिससे तेल की बर्बादी होती रहेगी।

16. वसों अथवा कारों की छतों पर रखे सामान को रस्सी से बाँधना बुद्धिमानी
क्यों है?
उत्तर―बसो की छत पर रखा हुआ सामान छत से जुड़ा नहीं होता है। बस
अब अचानक चलती है तो विराम जड़त्व के कारण छत पर रखा सामान विरामावस्था
में ही रहना चाहता है। अतः, कुछ सामान बस के पीछे गिर सकता है। इसी तरह
जब चलती हुई बस अचानक रुकती है तो सामान गतिज जड़ता के कारण गति में
रहना चाहता है। अतः सामानों के बस के आगे गिर जाने की संभावना होती है।
अतः जड़त्व के कारण सामान को नीचे गिर जाने से बचाने के लिए सामानों को
रस्सी से बांध दिया जाता है ताकि ये भी बस के हिस्से के रूप में कार्य करें।

17. यदि कोई व्यक्ति नाव के किनारे पर कूदे तो नाव विपरीत दिशा में चली
जाती है, क्यों? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर―नाव से कूदने हेतु व्यक्ति को कुछ संवेग की आवश्यकता होती है।
इस संवेग को प्राप्त करने हेतु व्यक्ति आगे को ओर बल लगाता है। इसी बल के
प्रतिक्रिया के रूप में नाव पीछे की ओर चलती है। अतः आगे की ओर गति करने
के लिए आवश्यक संवेग प्राप्त करने हेतु व्यक्ति जो बल आरोपित करता है उसके
विपरीत दिशा में प्रतिक्रियात्मक बल के कार्य करने के कारण नाव पीछे की ओर
दलती है।

18. तीव्र वेग से गतिशील किसी केकड़ के लगने से खिड़की का कांच टूट जाता
है. क्यों?
उत्तर―फेंके गए कंकड़ में बहुत अधिक संवेग होता है। शीशे से टकराने पर
कंकड़ अपना संवेग शीशे पर आरोपित कर देता है फलतः संवेग को संरक्षित रखने
के क्रम में काँच में उत्पन्न संवेग के प्रभाव से खिड़की का काँच टूट जाता है।

19. यदि फायर बिग्रेड के किसी पाइप से तीव्र गति से अत्यधिक मात्रा में उच्च
वेग से पानी निकल रहा हो तो अग्निशामक कर्मचारियों के लिए, उस पाइप
को सँभालना क्यों कठिन होता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर―जब पाइप से पानी निकलता है तो पानी की धारा बहुत अधिक वेग
से आगे की ओर बढ़ती है। इस बल के प्रतिक्रिया के रूप में फायरमैन को पीछे
हटना पड़ता है। यही कारण है कि फायरमैन के लिए नली को पकड़े रहना मुश्किल
होता है।

20. पानी से भरा मग, पानी के भीतर हल्का क्यों लगता है?
उत्तर―पानी से भरा मग, पानी में इसलिए हल्का हो जाता है कि जब इसे
पानी में डालते है तो एक उत्प्लावक बल उर्ध्वदाब के रूप में मग पर कार्य करने
लगता है। जिसके कारण गुरुत्व बल का परिणामी प्रभाव कम हो जाता है।

21. किसी पिण्ड पर बल के आरोपित होने से क्या-क्या प्रभाव दिखाई देते हैं?
उत्तर―किसी पिण्ड पर बल के आरोपित होने से निम्न वर्णित प्रभाव दिखाई
देते हैं।
(i) पिण्ड धकेलने, खींचने या दबाने जैसी क्रिया का अनुभव करता है। (ii)
पण्ड यदि विरामावस्था में होता है तो वह गति प्राप्त कर सकता है। (iii) गतिमान
पण्ड की गति का मान घट-बढ़ सकता है। (iv) पिण्ड की गति की दिशा बदल
सकती है। (v) पिण्ड की आकृति बदल सकती है। (vi) कुछ विशिष्ट पिण्डों
(खासकर गैसीय अवस्था वाले) में संकुचन भी देखा जा सकता है। (vii) पिण्ड में
कार्य करने के अतिरिक्त क्षमता उत्पन्न हो जा सकती है।

22. जड़त्व से क्या समझते हैं?
उत्तर―यह सामान्य अनुभव है कि यदि कोई पिण्ड विराम अवस्था में है तो
वह विराम अवस्था में बना रहता है। यह भी कल्पना करना कठिन नहीं है कि
घर्षणमुक्त तल पर एक पिण्ड एक ही वेग से हमेशा चलता रहेगा। इस तरह, किसी
पिण्ड के वेग में परिवर्तन अर्थात् त्वरण के लिए बाहर से बल लगाना आवश्यक
है। जिस गुण के कारण कोई पिण्ड अपने विराम की अवस्था अथवा एक सरल रेखा
में अचर वेग के साथ गति की अवस्था को बनाए रखना चाहता है, उसे जड़त्व
हते है।

23. गति के जड़त्व और विराम के जड़त्व से क्या समझते हैं? एक उदाहरण
दें।
उत्तर―गति का जड़त्व हमेशा पिण्ड को गति की अवस्था में रखना चाहता
है अर्थात् गतिशील पिण्ड में गतिशील जड़त्व पाया जाता है। विराम का जड़त्त्व
पिण्ड को विरामावस्था को कायम रखता है। स्थिर वस्तु में विराम जड़त्त्व रहता है।
टेबुल पर रखी किताब में विराम जड़त्त्व पाया जाता है।

24. संतुलित बलों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर―जब किसी वस्तु पर लगाए गए कुछ बलों का परिणामी बल शून्य हो
तो वे बल संतुलित बल कहलाते है।
संतुलित बल―(क) विरामावस्था में पड़ी वस्तु को गतिमान नहीं करते। (ख)
गतिशील वस्तु की चाल/वेग में परिवर्तन नहीं करते। (ग) वस्तु की आकृति को
साधारणतया परिवर्तित करते हैं।

25. असंतुलित बल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर―जब किसी वस्तु पर लगाए गए कुछ बलों का परिणामी बल शून्य न
हो तो बल असंतुलित बल कहलाते है।
असंतुलित बल―(क) वस्तु की चाल में परिवर्तन कर सकते हैं। (ख) गति
की दिशा में परिवर्तन कर सकते हैं।

26. संवेग और आवेग में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर―संवेग और आवेग में अन्तर―
संवेग                                                 आवेग
(i) संवेग वस्तु का द्रव्यमान और         (i) आवेग आरोपित बल तथा बल के
उसके वेग का गुणनफल है।                  कार्य करने के समय का गुणनफल
संवेग = द्रव्यमान × वेग                         है।
                                                          आवेग = बल × समय
(ii) यह एक सदिश राशि है।                  (ii) यह भी एक सदिश राशि है।
(iii) इसका मात्रक किया मीटर/सेकेण्ड   (iii) इसका भी मात्रक किग्रा मीटर/
है।                                                          सेकेण्ड है।

27. इनके वैज्ञानिक कारण बताइए―
(i) चलती गाड़ी से उतरना क्यों खतरनाक है?
अथवा, चलती गाड़ी या बस से उतरते समय गाड़ी या बस के गति की
दिशा में कुछ दूर क्यों दौड़ना चाहिए।
उत्तर―ऐसा जड़त्व के कारण होता है। चलती गाड़ी में सवार व्यक्ति गाड़ी
के साथ ही गति की अवस्था में रहता है। परन्तु जब वह व्यक्ति गाड़ी से उतरता
है तो उसके पैर विराम में आ जाते हैं जबकि उसके शरीर का ऊपरी भाग गति के
जड़त्त्व के कारण गति की अवस्था में रहता है। अतः, वह गाड़ी की गति की दिशा
में गिर पड़ता है और घायल हो जाता है जो खतरनाक भी है। गिरने से बचने के
लिए उसे गाड़ी की गति की दिशा में कुछ दूर तक दौड़ना चाहिए।

अथवा, जब गाड़ी या बस अचानक चल पड़ती है तो यात्री पीछे की ओर
क्यों गिर पड़ते हैं।
उत्तर―जब गाड़ी या बस अचानक चल पड़ती है तब उसमें सवार यात्री का
निचला भाग गाड़ी या बस के साथ गतिमान हो जाता है जबकि विराम के जड़त्त्व
के कारण यात्री के शरीर का ऊपरी भाग विराम में रहता है। इसलिए गाड़ी या बस
के अचानक चल पड़ने से यात्री पीछे की ओर गिर जाते हैं।

(ii) चलती हुई गाड़ी के एकाएक रुक जाने से उसमें बैठा यात्री आगे की
ओर क्यों झुक जाता है। क्यों?
उत्तर―जड़ता के नियम के अनुसार, "अगर कोई पिण्ड गतिशील है तो वह
गतिशील ही रहना चाहती है।" जब गाड़ी गतिशील रहती है तब उसमे बैठा पात्री
भी गतिशील रहता है। गाड़ी के एकाएक रुक जाने से उसमें बैठा यात्री पूर्वावस्था
में रहना चाहता है। फलतः, वह आगे की ओर झुक जाता है।

(ii) दौड़ते हुए घोड़े को एकाएक रूक जाने पर सवार आगे की ओर फेंका
जाता है। क्यों?
उत्तर―जड़ता के नियम के अनुसार, "अगर कोई पिण्ड गतिशील है तो वह
गतिशील ही रहना चाहता है।" जब घोड़ा गतिशील रहता है तब उसपर बैठा यात्री
भी गतिशील रहता है। घोड़ा के एकाएक रुक जाने पर उसपर बैठा यात्री पूर्वावस्था
में रहना चाहता है। फलतः, वह आगे की ओर फेंका जाता है।

28. घर्षण क्या है?
उत्तर―सम्पर्क तलों वाले दो पिण्डों की गति का विरोध करने वाला वह बल
जो किसी एक वस्तु की गति को दूसरी वस्तु की सतह पर रोके, घर्षण या घर्षण
बल कहलाता है।

29. घर्षण से लाभ तथा हानि बताएँ।
उत्तर―लाभ―(i) घर्षण के ही कारण हम चल सकते हैं तथा रुक सकते
हैं। (ii) घर्षण के ही कारण कील, पेंच आदि लकड़ी के पटरों में टिकती हैं। (iii)
घर्षण के ही कारण हम कील ईंट में ठोंक सकते हैं। (iv) घर्षण के ही कारण हम
लिखते हैं।
            हानि―(i) मशीनों के कल-पुर्जे घिस जाते हैं। (ii) इसके कारण ऊर्जा की
हानि होती है। (iii) खुरदरे मार्ग में चलने पर अधिक बल की आवश्यकता होती है।
(iv) इसी के कारण स्पर्शक तल घिस जाते हैं।

30. इनके कारण बताएँ―
                पीपे को सरकाने की अपेक्षा लुढ़काना क्यों आसान होता है ?
उत्तर―जब पीपे को सरकाया जाता है तब उसके गति का विरोध सी घर्षण
करता है। जब उसे लुढ़काया जाता है तब उसकी गति का विरोध लोटनिक घर्षण
करता है। चूंकि सी घर्षण से लोटनिक घर्षण बहुत कम होता है, इसलिए पीपे को
सरकाने की अपेक्षा लुढ़काना अधिक आसान है।

31. उर्ध्वदाब (उत्प्लावक बल) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर―जब किसी वस्तु को हम किसी तरल (गैस या द्रव) में डुबोते हैं तो
उसकी सतह पर ऊपर की ओर एक विरोधी बल कार्य करता है जिसे उर्ध्वदाब कहते
हैं। उर्ध्वदाब को 'उत्प्लाबक बल' के नाम से भी जाना जाता है।
          यदि किसी बंद मुँह वाले टिन के खाली डिब्बे को पानी में डुबोया जाए तो
आप इसके विरुद्ध उदग्र रूप से कार्य करते एक बल को महसूस करेंगे, यही बल
उर्ध्वदाब कहलाता है।

32. उत्प्लावन किसे कहते हैं?
उत्तर―तरल पदार्थों (गैस/द्रव) का वह गुण जिसके कारण जब किसी वस्तु
को उसमें डुबोया जाता है तो तरल पदार्थ द्वारा डुबोए जाने वाली वस्तु पर ऊपर
की ओर एक विरोधी बल कार्य करता है, उत्प्लावन कहलाता है।

33. आर्किमिडीज के सिद्धान्त को लिखिए।
उत्तर―आर्किमिडीज के सिद्धान्त के अनुसार, "जब किसी वस्तु को किसी
तरल में पूर्णतः या अंशतः डुबाया जाता है तो वस्तु पर एक उर्ध्वदाब आरोपित
होता है जो वस्तु के डूबे हुए हिस्से द्वारा विस्थापित तरल के भार के बराबर होता है।"

                                         दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

1. न्यूटन के गति नियमों को लिखें तथा समझावें? द्वितीय नियम की सहायता
से बल मापने का व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर―न्यूटन के गति के तीन नियम निम्नलिखित हैं―

(1) न्यूटन के गति का प्रथम नियम ―प्रत्येक वस्तु अपनी विरामावस्था में
या सरल रेखा पर एकसमान गति की अवस्था में तब तक रहती है जब तक कि
उस पर लगे हुए बाह्य बल द्वारा वह अपनी अवस्था में परिवर्तन के लिए बाध्य न
कर दिया जाता हो। इनमें दो कथन निहित हैं―(i) कोई वस्तु विरामावस्था में तब
तक रहती है जब तक कि बाह्य बल नहीं लगाया जाता है। (ii) एक सरल रखा पर
एकसमान वेग से गतिशील वस्तु उसी वेग से चलती रहती है जब तक कि उस पर
कोई बाह्य बल नहीं लगाया जाता है।

(2) न्यूटन के गति का द्वितीय नियम―किसी वस्तु पर कार्यरत बल उस
वस्तु की मात्रा तथा त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है अथवा किसी वस्तु पर
आरोपित बल संवेग परिवर्तन की दर के समानुपाती होता है।
       न्यूटन के गति के द्वितीय नियम के अनुसार किसी वस्तु पर असंतुलित बल
लगाए जाने पर वस्तु में उत्पन्न त्वरण, बल के समानुपाती तथा वस्तु की मात्रा के
व्युत्क्रमानुपाती होता है तथा त्वरण की दिशा बल की दिशा होती है।
      न्यूटन के गति के द्वितीय नियम से बल की माप होती है।

(3) न्यूटन के गति का तृतीय नियम ― प्रत्येक क्रिया बराबर तथा विपरीत
प्रतिक्रिया होती है। जैसे―मेज पर रखी किताबें, बन्दूक से गोली छोड़ी जाने पर
स्थिति, नाव खेना, पृथ्वी पर चलना इत्यादि।

वल मापने का व्यंजक―माना m द्रव्यमान वाले पिण्ड पर बल Fआरोपित
होने से उत्पन्न त्वरण का मान है।
           न्यूटन के द्वितीय नियम के आधार पर,
a ∝ F तथा  a ∝ F/m या a = k (F/m) जहाँ k एक नियतांक है।
यदि बल की इकाई इस बल को माना जाए तो इकाई द्रव्यमान वाले पिण्ड पर
आरोपित होकर पिण्ड में इकाई त्वरण उत्पन्न कर दे, तो
a = 1,m =1 होने पर F = 1
∴ 1 = k(1/1)  या k =1
अतः k =1 का उपयोग करने पर, a = k(F/m) या, a(F/m)
या, F = ma (बल = द्रव्यमान × त्वरण)
अतः द्रव्यमान और त्वरण के गुणनफल के द्वारा बल की माप की जा
सकती है।

2. संवेग क्या है? सिद्ध करें कि संवेग परिवर्तन की दर लगाए बल के बराबर
होती है। अथवा, वल तथा संवेग में सम्बन्ध स्थापित करें।
उत्तर―संवेग―किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा वेग का गुणनफल उस वस्तु
का संवेग कहलाता है।
सूत्र―संवेग = मात्रा × वेग; इकाई―किलोग्राम-मीटर/सेकेण्ड

अतः किसी वस्तु का संवेग-परिवर्तन की दर वस्तु पर लगे बाह्य बल के बराबर
होती है तथा संवेग में परिवर्तन हमेशा बल की दिशा में होती है।

3. संवेग-संरक्षण का सिद्धान्त (नियम) क्या है? समझावें?
उत्तर―दो या दो से अधिक वस्तुओं में केवल पारस्परिक क्रियाएँ होने पर
बाह्य बल की अनुपस्थिति में किसी भी दिशा में उसके संवेग का बीजीय योगफल
अचर होता है।

माना कि m₁ तथा m₂ द्रव्यमानों के A तथा B वस्तुएँ एक ही दिशा में क्रमशः
u₁ तथा u₂ वेग से गतिशील है।
              तो A वस्तु का संवेग = m₁u₁
तथा B वस्तु का संवेग = m₂u₂
∴ टक्कर के पहले A तथा B वस्तुओं का कुल संवेग
                        = m₁u₁ + m₂u₂
फिर माना कि वस्तुएँ अल्प समय t के लिए टकराती है जिससे उसके वेग
क्रमशः v₁ तथा v₂ हो जाते हैं। न्यूटन के गति के तृतीय नियमानुसार, टक्कर के
दौरान A वस्तु B पर बल F₁ लगती है तथा प्रतिक्रिया स्वरूप B भी A पर F₂
बल लगती है।
∴  न्यूटन के गति के तृतीय नियम से हम पाते हैं कि F₁ = –F₂
∴ F₁ = m₂(v₂ – u₂)/t   F₂ = m₁(v₁ – u₁)/t
या,   m₂(v₂ – u₂) = –m₁(v₁ – u₁)
या,   m₂v₂– m₂u₂ = –m₁v₁ + m₁u₁
 या,  m₂v₂ + m₁v₁ = m₁u₁ + m₂u₂
अतः टक्कर के पूर्व संवेग = टक्कर के बाद संवेग

4. एक प्रयोग द्वारा आर्किमिडीज के सिद्धान्त की प्रमाणिकता की जाँच करें।
उत्तर―एक छोटा पत्थर या धातु का टुकड़ा लिया। एक पतले धागे की
सहायता से इस टुकड़े को कमानीदार तुला के काँटे से लटका दिया तथा पैमाने पर
इसके भार का पठन ज्ञात कर लिया।
अब एक टोटी युक्त बरतन लेकर उसमें टोटी तक पानी भर दिया। इसे अब
कमानीदार तुला के नीचे रख दिया तथा टोंटी के नीचे एक जल मापने हेतु चिह्नित
बरतन रख दिया।
             अब उस धातु या पत्थर के टुकड़े को पानी से भरे बरतन में डाला तथा
जलमापक बरतन में इसके द्वारा विस्थापित जल को जमा कर लिया। अब टुकड़े
द्वारा विस्थापित जल का आयतन तथा टुकड़े का भार (कमानीदार तुला द्वारा) ज्ञात
कर लिया।
वस्तु का भार (हवा में) = w₁ ग्राम
वस्तु का भार (पानी में) = w₂ ग्राम
अतः, वस्तु के भार में कमी = (w₁ – w₂) ग्राम
दिए गए तापक्रम पर जल का घनत्त्व = d ग्राम/मिली.
अतः, विस्थापित जल की मात्रा = आयतन × घनत्त्व
                                           = v मिली. × d ग्राम/मिली.
                                           = vd ग्राम।
प्रयोग से यह देखा जा सकता है कि पत्थर या धातु के टुकड़े की भार में कमी
= विस्थापित जल का भार।
                                                  ◆◆

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