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   Jharkhand Board Class 9TH Hindi Notes | यमराज की दिशा ― चंद्रकांत देवताले  

    JAC Board Solution For Class 9TH Hindi Poem Chapter 9


1. माँ की ईश्वर से मुलाकात हुई या नहीं
कहना मुश्किल है
पर वह जाती थी जैसे
ईश्वर से उसकी बातचीत होती रहती है
और उससे प्राप्त सलाहों के अनुसार
जिंदगी जीने और दुख बरदाश्त करने के
रास्ते खोज लेती है।

(क) कवि की माँ ईश्वर से की गई बातचीत के बारे में क्यों जताती थी?
उत्तर― ईश्वर भय का दूसरा नाम है। जब हम कुछ गलत करते हैं तो ईश्वर नामक
सत्ता-भय के रूप में हमें उस गलत काम को करने से रोकता है। अतः
माँ जो साक्षात् ईश्वर का रूप होती है। वह अपने बच्चे को सही मार्ग पर
लाने, और उसे विश्वास दिलाने के लिए यह जताती है कि उसकी ईश्वर
से सीधे बात होती है। जिससे बच्चा उसकी बात मान जाए।

(ख) माँ की सलाह क्या काम करती है?
उत्तर― माँ अनजाने में ही सही अपने बच्चों के लिए जो काम करती है, जो सलाह
देती है जो निर्णय लेती है वे सही होते हैं। अत: माँ की सलाह बच्चे को
जिंदगी जीने और दुःख सहन करने की शक्ति देती है।

(ग) ईश्वर से माँ को क्या सलाह मिलती थी?
उत्तर― ईश्वर से माँ को जिंदगी जीने और दुःख बरदाश्त करने की सलाह मिलती
थी।

2. माँ ने एक बार मुझसे कहा था-
दक्षिण की तरफ पैर करके मत सोना।
वह मृत्यु की दिशा है
और यमराज को क्रुद्ध करना
बुद्धिमानी की बात नहीं
          तब मैं छोटा था
          और मैंने यमराज के घर का पता पूछा था
          उसने बताया था-
          तुम जहाँ भी हो वहाँ से हमेशा दक्षिण में

(क) माँ ने बच्चों को क्या सलाह दी और क्यों?
उत्तर― माँ ने बच्चों को दक्षिण दिशा में पैर करके सोने को मना किया, क्योंकि
माँ की धारणा थी कि दक्षिण में यमराज का घर है।

(ख) यमराज कौन है और उसका घर कहाँ है?
उत्तर― यमराज मृत्यु का देवता है और हिन्दू-मान्यतानुसार उसका निवास दक्षिण-दिशा
में है।

(ग) यमराज को क्रुद्ध करने का आशय है?
उत्तर― यमराज को क्रुद्ध करने का आशय है-अपनी मृत्यु या विनाश को निमंत्रण
देना।

3. माँ की समझाइश के बाद
दक्षिण दिशा में पैर करके मैं कभी नहीं सोया
और इससे इतना फायदा जरूर हुआ
दक्षिण दिशा पहचानने में
मुझे कभी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा
            मैं दक्षिण में दूर-दूर तक गया
            और मुझे हमेशा माँ की याद आई
            दक्षिण को लाँघ लेना सम्भव नहीं था
             होता छोर तक पहुँच पाना
              तो यमराज का घर देख लेता।

(क) बड़े होने पर कवि क्या यमराज का घर देख पाया? क्यों?
उत्तर― नहीं, बड़े होने पर भी कवि यमराज का घर नहीं देख पाया, क्योंकि वह
दक्षिण के किनारे-किनारे घूम आया, पर वह दक्षिण को लाँघ न सका।

(ख) इन पंक्तियों के आधार पर कवि के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालें।
उत्तर― पंक्तियों से स्पष्ट है कि कवि जिज्ञासु और कर्मठ है।

(ग) कवि को कब माँ की याद आई और क्यों?
उत्तर― जब कवि दक्षिण दिशा के खतरों को जानने के लिए दूर-दूर तक गया
तो उसने देखा कि वहाँ सचमुच विनाश के सब षड्यंत्र थे। तब उसे माँ
की वह सीख बहुत याद आई जिसमें उसने कहा था कि कभी दक्षिण दिशा
में पैर करके मत सोओ। उसे लगा कि माँ ने बचपने में ही इन खतरों के
प्रति सावधान कर दिया था।

4. पर आज जिधर भी पैर करके सोओ
वही दक्षिण-दिशा हो जाती है
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं।
माँ अब नहीं है
और यमराज की दिशा भी वह नहीं रही
जो माँ जानती थी।

(क) कवि को सब तरफ यमराज क्यों दिखाई देता है?
उत्तर―कवि वर्तमान-युग में व्याप्त त्रास, हिंसा, मृत्यु के वातावरण से अवगत है
और यह वातावरण हो यमराज का साक्षात् प्रतिरूप है। अत: कवि को हर
ओर वही यमराज दिखाई देता है।

(ख) 'आलीशान महल' में निहित-व्यंग्य पर विचार करें?
उत्तर― 'आलीशान महल' बड़े-बड़े नेताओं, भ्रष्टाचारी अफसरो, दहशतगो,
हिंसकों, अमानवीय ताकतों और पूंजीपतियों के घर का प्रतीक है।

(ग) सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल होने का क्या आशय है।
उत्तर― 'यमराज के आलीशान महल' का अर्थ है-शोषणकर्ताओं को स्थापित
व्यवस्था। कवि कहना चाहता है कि आज जीवन के सभी क्षेत्रों में
शोषणकर्ताओं ने अपना जाल फैला लिया है। आम आदमी शोषण से बच
नहीं सकता।

                                      लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

1. कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल क्यों नहीं हुई?
उत्तर― माँ के द्वारा यह बताए जाने पर कि मृत्यु के देवता यमराज का घर दक्षिण
दिशा में है, लेखक को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल नहीं हुई।

2. कवि ने ऐसा क्यों कहा कि दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था?
उत्तर― चूँकि दक्षिण की दिशा मृत्यु की दिशा है और मृत्यु को समझ पाना उसके
लिए हर बार असंभव सा रहा इसलिए कवि ने एसा कहा कि दक्षिण को
लाँघ पाना संभव नहीं था।

3. कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा क्यों हो गई है?
उत्तर― सभ्यता के अंधाधुंध विकास की होड़ में मनुष्य के भीतर व्याप्त चेतना मर
सी गई है। चारों तरफ युद्ध और विनाश-लीलाएँ हो रही हैं। मृत्यु अब
चतुर्दिक अपने पाँव पसारे हुए है। इसलिए कवि ने कहा है कि आज हर
दिशा दक्षिण दिशा हो गई है।

4. कभी-कभी उचित-अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना
आवश्यक हो जाता है, इसके क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर― मानव-मन में शुभ-अशुभ दोनों भाव हैं। कभी-कभी उसका अशुभ
मनोभाव बहुत अधिक जाग्रत हो उठता है। तब वह खून, हत्या जैसे घिनौने
कार्य भी कर बैठता है। इस स्थिति से बचाने के लिए ईश्वर का भय
दिखाना बहुत आवश्यक होता है। ईश्वर से भयभीत व्यक्ति मन से ही
मर्यादित हो जाता है। वह अहिंसक, निष्पाप और भला इंसान बन जाता है।

                                                  ■■

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