JAC Board Solutions : Jharkhand Board TextBook Solutions for Class 12th, 11th, 10th, 9th, 8th, 7th, 6th

themoneytizer

     Jharkhand Board Class 9TH Hindi Notes | माटी वाली  

       JAC Board Solution For Class 9TH Hindi Kritika Chapter 4


1. 'पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीजों को हराम के भाव
बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता।'-मालकिन के इस कथन के
आलोक में विरासत के बारे में अपना विचार व्यक्त करें।
उत्तर― आज के भौतिकतावादी युग में व्यक्ति निरंतर आगे बढ़ने की दौड़ में लगा
हुआ है। सभ्यता के विकास में वह संस्कृति और मूल्यों को छोड़ रहा है।
आज वह बाहरी, खोखली चमक के लिए अपने आधारभूत शाश्वत खत्म
और उससे जुड़ी चीजों को छोड़ रहा है। अतः मालकिन के इस कथन की
'पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीजों का हराम के भाव बेचने
को मेरा दिल गवाही नहीं देता।' इससे हमें यह संदेश मिलता है कि हमें
खोखली चमक और क्षणिक सुख के लिए अपनी परंपरागत, ठोस,
मूल्यवान चीजों का त्याग नहीं करना चाहिए, अन्यथा हमारी पहचान ही
धीरे-धीरे धूमिल हो जायेगी।

2. 'आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी।'-इस कथन के
आधार पर माटी वाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर― माटी वाली बुड्ढे को मजबूरी में ही रोटियाँ खिलाती है। जब भी संभव होता
है, वह उसके लिए साग का भी इंतजाम करती है। वह माटी बेचने से हुई
आमदनी में से एक पाव प्याज खरीद लेती है ताकि वह उसे कूटकर तथा
तलकर सब्जी बना दे और बूढ़े को रोटियों के साथ परोस दे। उसकी इस
सोच से उसके हृदय में अपने बूढ़े पति के प्रति प्रेम की भावना का पता
चलता है। वह अपने बूढ़े पति का बहुत ख्याल रखती है। उसे भरपेट खाना
खिलाना चाहती है।

3. 'विस्थापन की समस्या' पर एक अनुच्छेद लिखें।
उत्तर―विस्थापन की समस्या― नदियों पर बड़े-बड़े, ऊँचे-ऊँचे बाँध बनाए जा
रहे हैं। नर्मदा नदी पर भी ऐसा ही बाँध बनाया जा रहा है। इन बाँधों के
बनाए जाने के परिणामस्वरूप सैकड़ों-हजारों परिवारों को अपनी जमीन
गँवानी पड़ती है। वे उजड़ जाते हैं। अब समस्या आती है-उनके वस्थापन
की। सरकार उनकी जमीन तथा रोजी-रोटी तो छीन लेती है, पर विस्थापन
की ओर ध्यान नहीं देती। थोड़ा-बहुत मुआवजा उनके हाथ में थमाकर
अपने कर्तव्य की इतिश्री मान लेती है। देश का सर्वोच्च न्ययालय तथा
राज्यों के उच्च न्यायालयों ने भी इस स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।
विस्थापितों का प्रबंध किया जाना जरूरी है। उनकी मांगों को लेकर
आंदोलन तो चलते हैं, पर किसी-न-किसी दबाव के फलस्वरूप वे बीच
में ही दम तोड़ देते हैं। इस समस्या को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

4. 'माटी वाली' के आधार पर माटी वाली का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर― पति-परायण–माटीवाली पति-परायण स्त्री है। वह स्वयं बहुत गरीब और
लाचार है। नारी होने के नाते उसे किसी सहारे की आवश्यकता होनी
चाहिए, परन्तु वह स्वयं बूढ़े पति का सहारा बनकर जीती हैं दो रोटी पाने
पर वह पहले एक रोटी कर देगी। वह उसके लिए प्याज की पकौड़ियाँ
बनाने का भी प्रबंध करती है। उसकी यह पारिवारिक भावना प्रशंसनीय
है।

कर्मठ एवं साहसी–माटी वाली दिन-रात मिट्टी खोदने और उसे बेचने के
काम में लगी रहती है। उसे वापस लौटते-लौटते अँधेरा हो जाता है। फिर
वह अकेले जंगली इलाके में आती-जाती हैं वह साहसी स्त्री है।

लोकप्रिय–माटी वाली का स्वभाव इतना कोमल विनम्र है कि सब लोग
उसे स्वयं चाय-रोटी दे देते हैं। वह सबकी चहेती है। वह सबको बहुत कम
दाम पर मिट्टी दे जाती है।

                                    लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

1. 'शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी अच्छी तरह
पहचानते हैं।' आपकी समझ से वे कौन से कारण रहें होंगे, जिनके
रहते 'माटी वाली' को सब पहचानते थे?
उत्तर― 'शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी अच्छी तरह
पहचानते हैं।' लेखक के इस कथन से स्पष्ट है कि माटी वाली का स्वरूप
सधा हुआ था। उसकी पहचान उसके ऊपर से कटे कनस्तर से ही थी।
शहर वाले उसे इसलिए अच्छी तरह पहचानते थे, क्योंकि शहर वालों को
रोज दीवारें-चूल्हा-चौका लीपने के लिए मिट्टी की आवश्यता पड़ती थी
और इस क्षेत्र में केवल वही एक बुढ़िया मिट्टी ढोकर लाती थी। वास्तव
में शहरवासियों की जरूरत ही बुढ़िया को याद रखती थी।

2. 'भूख मीठी कि भोजन मीठा' से क्या अभिप्राय है?
उत्तर― भूख मीठी कि भोजन मीठा?' से लेखक का यह अभिप्राय है कि कोई
भी भोजन अच्छा खराब नहीं होता है। कोई भोजन मीठा या कड़वा नहीं
होता है। वास्तव में भूख ही भोजन को मीठा या कड़वा, बासी या ताजा,
अच्छा या खराब बनाती है। भूखे के लिए रोटी ही प्रधान होती है। चाहे
वह किसी की घर की हो, चाहे कैसी भी हो। भोजन की अपेक्षा भूख
मीठापन लाती है। जिनके पेट भरे होते हैं.. जिन्हें भूख नहीं लगती उन्हें
पकवान भी कड़वे लगते हैं। अत: भोजन नही भूख मीठी होती है।

3. माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने
का समय क्यों नहीं था?
उत्तर― माटीवाली का कोई बच्चा नहीं था। परिवार के नाम पर एक बूढ़ा बीमार
पति था। उसका कोई घर भी नहीं था। मिट्टी ही उसका एकमात्र सहारा
था। उसका कोई प्रतिद्वंद्वी तक भी नहीं था। उसके लिए दो समय की रोटी
ही प्रधान थी। अतः उसके पास अच्छे-बुरे सोचने का समय ही नहीं था।

4. माटीवाली का रोटियों का इस तरह हिसाय लगाना उसकी किस
मजबूरी को प्रकट करता है?
उत्तर― माटीवाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी घोर दरिद्रता को
प्रकट करता है। उसके सामने अपना तथा अपने पति के पेट भरने का
सवाल हर समय उपस्थिति रहता है। वह रोटियाँ जुटाने में असमर्थ रहती
है। उसे जहाँ से भी रोटियाँ मिलती है, उनमें से कुछ रोटियाँ बचाकर बूढ़े
के लिए रख लेती है ताकि दोनों भरता रहे, चाहे अधूरा ही भरे।

5. 'गरीब आवमी का शमशान नहीं उजड़ना चाहिए।' इस कथन का
आशय स्पष्ट करें।
उत्तर― टिहरी बाँध की सुरंगों के बंद होने से शहर में पानी भर गया लोगों के
घर तो बाढ़ में डूबे ही, साथ में सारे शमशान घाट तक डूब गए। इस पर
माटी वाली औरत का कहना है-"गरीब आदमी का शमशान नहीं उजड़ना
चाहिए।" इस कथन का आशय यह है कि बाढ़ जैसी आपदाओं से गरीब
का झोंपड़ा नष्ट नहीं होना चाहिए। उनके आवास तो वैसे ही शमशान की
तरह हैं जहाँ वे रोज मर-मर कर जीते हैं। इनके उजड़ जाने पर भला उन्हें
कहाँ शरण मिलेगी।
                                                ■■

  FLIPKART

और नया पुराने

themoneytizer

inrdeal