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   Jharkhand Board Class 8 History Notes | उपनिवेशवाद और आदिवासी समाज  

    JAC Board Solution For Class 8TH (Social Science) History Chapter 4


□ आइए जानें:
प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
(क) झूम खेती को ............. भी कहा जाता है।
(ख) मुद्रा की सुविधा नहीं होने के कारण ............ प्रचलित था।
(ग) चरवाहे ............ के अनुसार अपने स्थान व जानवर बदलते
रहते थे।
(घ) आदिवासी इलाकों में .............. का महत्वपूर्ण स्थान होता है।
उत्तर―(क) घुमंतु खेती   (ख) वस्तु-विनिमय   (ग) मौसम
(घ) मुखिया।

प्रश्न 2. निम्न प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए।
(क) झूम खेती कैसे की जाती है ?
उत्तर―आदिवासी समाज की घुमंतु जातियाँ वन प्रदेश के एक हिस्से
को काट कर, साफकर और खर-पतवार को जलाकर खेत तैयार करते हैं।
राख को खेत में ही मिला देते हैं। पारम्परिक औजारों और तरीकों से खेती
की जाती है। दो तीन वर्षों में जगह बदल जाती है।

(ख) अंग्रेज काश्तकारों को स्थायी रूप से क्यों बसाना चाहते
थे?
उत्तर―अंग्रेजों को यहाँ-वहाँ भटकने वाले जन-जाति समूहों से
काफी परेशानी होती थी। उसने स्पाड राजस्व वसूली संभव नहीं हो पाती
थी। स्थायी रूप से एक जगह रहने वाले किसानों को नियंत्रित करना
आसान था तथा उससे कंपनी को नियमित आमदनी हो सकती थी। इसलिए
अंग्रेज काश्तकारों को स्थायी रूप से बसाना चाहते थे।

(ग) महाजनी प्रथा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर―जनजातीय ग्रामीण क्षेत्रों में सूदखोर सेठों और व्यापारियों का
एक नया वर्ग आकर बसने लगे। ये आदिवासियों को ऊंचे व्याज दरों पर
ऋण देते थे जिसे वे कभी चुका नहीं पाते थे और उनकी जमीन छिन जाती
थी। कर्ज के बदले महाजनों के लिए बेगार भी करनी पड़ती थी। कर्ज की
लेन-देन की इस व्यवस्था को ही महाजनी प्रथा कहा जाता है।

(घ) सिद्धो-कान्हू कौन थे ?
उत्तर― सिद्धों-कान्हू दोनों सहोदर भाई थे, जिन्होंने संथाल विद्रोह का
नेतृत्व किया था। ये गैर-आदिवासी व अंग्रेजों को अपने क्षेत्र से भगाना
चाहते थे।

(ङ) खखार बिद्रोह क्यों हुआ था ?
उत्तर― राँची और हमारीबाग क्षेत्र में हुए आदिवासी आन्दोलन से
प्रभावित होकर पलामू क्षेत्र में खखार क्षेत्र के आदिवासियों ने विद्रोह कर
दिया था।

□ आइए चर्चा करें:
प्रश्न 3. बिरसा मुंडा ने अपने अनुयायियों के सामने क्या घोषणा
की?
उत्तर― बिरसा मुंडा ने अपने अनुयायियों के सामने घोषणा की कि वे
अपने गौरवपूर्ण अतीत को पुनजीवित करने का संकल्प लें और आंदोलन
द्वारा छीकू और यूरोपीय लोगों को बाहर निकालकर मुंडा राज स्थापित करे।
उसने काल्पनिक प्राचीन स्वर्णयुग लाने की घोषणा की। उन्होंने स्वयं को
देवता का प्रतिनिधि (देवदूत) घोषित कर अपने अनुयायियों को विद्रोह के
लिए प्रेरित किया।

प्रश्न 4. कंपनी शासन के दौरान आदिवासी इलाके में क्या
बदलाव हुए?
उत्तर―कंपनी शासन के दौरान आदिवासी देश की मुख्य सामाजिक
जीवन धारा का अंग बनने लगे थे। उनकी विशिष्ट संस्कृति, भौगोलिक
अलगाव, पिछड़ापन और आदि स्वरूप में स्पष्ट रूपान्तरण हुआ। अंग्रेजों
ने उनकी जमीन छीन ली। वन संपदा जो जीवन का मूल आधार था छिन
गया। आदिवासी अपनी जमीन खोकर कृषि और औद्योगिक मजदूर के रूप
में देश के विभिन्न भागों में चले गये। ईसाई धर्म के प्रभाव में आकर उनके
खान-पान, वेश-भूषा, प्रसाधन, आभूषण, खेत, शिक्षा, भाषा आदि भी
बदल गई।

प्रश्न 5. वन कानूनों में बदलाव का आदिवासी समाज ने विरोध
क्यों किया?
उत्तर―ब्रिटिश सरकार ने सारे जंगलों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर
राज्य की संपत्ति घोषित कर दिया। कुछ जंगलों को आरक्षित वन घोषित
कर दिया गया। आरक्षित वन में घुमंतु खेती करने, फल इकट्ठा करने,
शिकार करने, पशु चराने व लकड़ी काटने आदि पर प्रतिबंध लगा दिया
गया। आदिवासियों का सम्पूर्ण जीवन वन पर ही आधारित था। इन कानूनों
से उन्हें बेरोजगार होना पड़ा। ठेकेदारों के पास कम मजदूरी पर काम करना
पड़ा। उनकी स्थिति दयनीय हो गयी। इन्हीं कारणों से आदिवासी समाज ने
औपनिवेशिक वन कानूनों का विरोध किया।

प्रश्न 6. बिरसा मुंडा ने उलगुलान क्यों किया था ?
उत्तर―बिरसा मुंडा आदिवासी समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर
करना चाहते थे। उन्होंने मुंडाओं से आह्वान किया कि वे शराब पीना छोड़
दें, गाँव को साफ रखें और डायन व जादू-टोने में विश्वास न करें। अपने
गौरवपूर्ण अतीत को पुनर्जीवित करने के लिए संकल्प लें। वे मिशनरियों,
महाजनों, हिन्दू भूस्वामियों, जमींदारों और सरकार को बाहर निकालना
चाहते थे क्योंकि इनकी वजह से आदिवासी संस्कृति के जीवन-यापन के
तरीके नष्ट हो गए थे। लोग भूमिहीन हो गये थे। वे मजदूरी करने को विवश
थे। बिरसा मुण्डा ने इस शोषण से मुक्ति के लिए उलगुलान किया था।

प्रश्न 7. संथाल विद्रोह के क्या परिणाम हुए
उत्तर―जनजातीय विद्रोहों में संथाल विद्रोह सबसे जबदरस्त था। यह
विद्रोह गैर आदिवासियों को भगाने और उनकी सत्ता समाप्त कर अपनी
सत्ता स्थापित करने के लिए हुआ था। इसे विद्रोह ने ब्रिटिश सरकार को
आतंकित कर दिया था। इस आंदोलन को आँच हजारीबाग और राँची पहुँच
गई और वहाँ भी जनजातियों ने विद्रोह का विगुल फूंक दिया। इस आंदोलन
के कारण संथालपरगना को स्वायत्तता दी गयी। वहाँ जमीनों की खरीद-बिक्री
पर रोक लगा दी गयी।

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