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   Jharkhand Board Class 7TH Sanskrit Notes | बुद्धिर्यस्य बलं तस्य  

   JAC Board Solution For Class 7TH Sanskrit Chapter 2


पाठ― एकस्मिन् वने भासुरकः नाम सिंहः वसति स्म। सः वने प्रतिदिनम्
अनेकान् पशून् मारयित्वा खादति स्म। एकदा सर्वे पशवः मिलित्वा
सिंहस्य समीपं गत्वा अवन – स्वामिन्! भवतः भोजनस्य कृते तु
एकस्य पशोः एव आवश्यकता भवति परन्तु भवान् प्रतिदिनं अनेकान्
पशून् मारयति। अतः भवान् गृहे एवं तिष्ठतु। वयं क्रमेण प्रतिदिनम् एक
पशुं भवतः सेवायां प्रेषयिष्यामः। सिंहः सर्वेषां निवेदन स्वीकृत्य
गच्छति।

अर्थ― एक वन में भासुरक नाम का सिंह रहता था। वह वन में प्रतिदिन
अनेक पशुओं को मारकर खाता था। एक बार सभी मिलकर सिंह
के पास जाकर बोले- स्वामी ! आप के भोजन के लिए तो एक पशु
की ही आवश्यकता है, परन्तु आप प्रतिदिन अनेक पशुओं को मारते
हैं। इसलिए आप घर में ही रहे। हमलोग क्रम से प्रतिदिन एक पशु
आपकी सेवा में भेजेंगे। सिंह सभी का निवेदन स्वीकार कर चला
जाता है।

पाठ― ततः सिंहस्य समीपम् एकः पशुः प्रतिदिनं गच्छति। सिंह: तं खादति।
एकदा एकस्य शशकस्य क्रमः आगतः। शशकः चिन्तामग्नः भूत्वा
सिंहस्य सेवायां गच्छति । मार्गे सः एकम् उपायं चिन्तयित्वा विलम्बेन
सिंहस्य समीपं गच्छति । सिंहः पृच्छति – अरे अधम! त्वं किमर्थं
विलम्बेन आगतः? शशकः वदति – महोदय! भवतः सेवायाम्
आगमनसमये अहम् एकम् अपरं सिंहम् अपश्यम्। सः मां खादितुम्
उद्यतः आसीत्। अहं तं सिंहम् अवदम् यत् अहं वनराज – भासुरकस्य
सेवायां गच्छामि। अतः मां मोचयतु। सः अवदत् यत् अहम् एवं
वनराजः न तु भासुरकः। गच्छ, भासुरकम् आनय तं हत्वा अहं त्वां
खादिष्यामि।

अर्थ– उसके बाद सिंह के समीप एक पशु प्रतिदिन चला जाता है। सिंह
उसको खा जाता है। एक बार एक खरहे की बारी आई। खरहा
चिन्तामग्न होकर सिंह की सेवा में जाता है। रास्ते में एक उपाय
सोचकर देर से सिंह के समीप जाता है। सिंह बोला– अरे नीच । तू
देर से क्यों आया? खरहा बोला– महोदय ! आपकी सेवा में आते
समय मैंने एक दूसरे सिंह को देखा। वह मुझको खाने के लिए तैयार
हो गया। मैंने उस सिंह से कहा कि मैं वनराज भासुरक की सेवा में
जा रहा हूँ। इसलिए मुझको छोड़ दो। उसने कहा कि मैं ही वन का
राजा हूँ। भासुरक नहीं। जाओ, भासुरक को लाओ उसको मारकर मैं
तुम्हें खाऊँगा।

पाठ― शशकस्य वार्ता श्रुत्वा भासुरकः क्रुद्धः भूत्वा वदति – शशक! कुत्र
अस्ति स: दुष्ट ? मां तत्र शीघ्रं नया शशकः तं नीत्वा एकस्य कूपस्य
समीपं गच्छति। शशकः वदति – महोदया स: दुष्टः अस्मिन् एव कूपे
अस्ति। भासुरकः कूपे पश्यति। तत्र स्वकीयं प्रतिबिम्बं दृष्ट्वा उच्चैः
गर्जति। कूपात् तस्य एवं गर्जनस्य प्रतिध्वनिः आगच्छति। सः कूपे
स्वकीयां छायाम् एव अपरं सिंह मत्वा तं मारयितुम् अकूर्दत्। कूपे बहु
जलम् आसीत्। अतः सिंहः तस्मिन् एवं निमज्ज्य मृतः। शशक: बुद्धि
बलेन स्वकीयम् अन्येषां च जन्तूनां जीवनम् अरक्षत्। अतएव उक्तम्
–"बुद्धिर्यस्य बलं तस्य।

अर्थ― खरहे की बात सुनकर भासुरक क्रोधित होकर बोला–खरहे! वह दुष्ट
कौन है? मुझको वहाँ शीघ्र ले चलो। खरहा उसको लेकर एक कुएँ
के पास जाता है। खरहा बोला– महोदय! वह दुष्ट इस कुएँ में ही
है। भासुरक कुएँ में देखता है। वहा अपना प्रतिबिम्ब देखकर जोर से
गरजता है। कुएँ से उसके ही गरजने की प्रतिध्वनि आती है। वह कुएँ
में अपनी छाया को ही दूसरा सिंह मानकर उसको मारने के लिए कूद
पड़ा। कुएँ में काफी जल था। इसलिए सिंह उसमें ही डूबकर मर
गया। खरहा ने अपनी बुद्धि रूपी बल से अपना और दूसरे जीवों की
रक्षा की। इसलिए कहा गया है–"जिसके पास बुद्धि है उसी के पास
 बल है।"

पाठ– (उपर्युक्तपाठः विष्णुशर्मणा रचितं पञ्चतन्त्रस्य मित्रभेदात् संकलितः
अस्ति। अस्यां कथायां एकः शशकः स्वविवेकेन सिंहात् स्वप्राणान्
अरक्षत्। बुद्धयाः महत्ता अस्थाः कथायाः विशेषता अस्ति।)

अर्थ― (उपर्युक्त पाठ विष्णुशर्मा द्वारा रचित पंचतंत्र के मित्रभेद से संकलित
है। इस कथा में एक खरहे ने अपने विवेक से सिंह से अपने प्राणों
की रक्षा की। बुद्धि की महत्ता इस कथा की विशेषता है।)

                                             अभ्यासः

प्रश्न संख्या 1 शब्दार्थ है।
2. 'आम्' अथवा 'न' माध्यमेन उत्तरत―
(क) शशक: कूपे अकूर्दत् ।
(ख) सिंहः प्रतिदिनम् एकं पशुं मारयति स्म।
(ग) कूपे अपर: सिंहः आसीत् ।
(घ) अपरः सिंहः एव गर्जति स्म ।
(ङ) शशकः बुद्धिबलेन सिंहम् अमास्यत् ।
उत्तर― (क) न (ख) न (ग) न (घ) न (ङ) आम्

3. पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत―
(क) सिंहस्य किं नाम आसीत् ?
उत्तर―सिंहस्य नाम भासुरकः आसीत् ।

(ख) सिंहः प्रतिदिनं किम् अकरोत् ?
उत्तर―सिंहः प्रतिदिनं अनेकान् पशून मारयति।

(ग) के दृष्ट्वा सिंहः उच्चैः अगर्जत् ?
उत्तर―स्वकीय प्रतिविम्बं दृष्ट्वा सिंहः उच्चैः अगर्जत्।

(घ) कूपे कः वसति स्म?
उत्तर―कूपे कोऽपि न वसति स्म।

(ङ) अन्ते कः मृतः?
उत्तर―अन्ते भासुरकः (सिंहः) मृतः।

4. रेखांकितपवानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत―
यथा–सः मां खादितुम् उद्यतः आसीत्–
क: मां खादितुम् उद्यतः आसीत् ?

(क) वने भासुरकः नाम सिंहः वसति स्म ।
उत्तर―वने कः नाम सिंहः वसति स्म?

(ख) शशकस्य वार्ता श्रुत्वा भासुरकः क्रुद्धः अभवत् ।
उत्तर―कस्य वार्ता श्रुत्वा भासुरकः क्रुद्धः अभवत ?

(ग) कूपात तस्य एव गर्जनस्य प्रतिध्वनिः आगच्छति।
उत्तर―कुतः तस्य एव गर्जनस्य प्रतिध्वनिः आगच्छति?

(घ) शशक बुद्धिबलेन स्वजीवनम् अरक्षत्।
उत्तर―शशकः केन स्वजीवनम् अरक्षत् ?

(ङ) सिंहः सर्वेषां निवेदनं स्वीकृत्य गच्छति।
उत्तर―सिंहः केषां निवेदनं स्वीकृत्य गच्छति ?

5. अधोलिखितानां वर्तमानकालिकपदानां स्थाने भूतकालिक रूपाणि
लिखत―
अ                                     आ
यथा―पठति                     अपठत्
(क) भ्रमति                       ...........
(ख) पृच्छति                     ...........
(ग) हसति                        ...........
(घ) भवति                        ...........
(ङ) चरति                         ...........
उत्तर― (क) भ्रमति             अभ्रमत्
(ख) पृच्छति                      अपृच्छत्
(ग) हसति                         अहसत्
(घ) भवति                         अभवत्
(ङ) चरति                          अचरत्

6. अधोलिखित भूतकालिकपदानां स्थाने 'स्म' इति अव्ययस्य प्रयोग
कुरुत―
यथा―वदति                      वदति स्म।
(क) अखादत्                    ...........
(ख) अवसत्                     ...........
(ग) अगच्छत्                    ...........
(घ) अपिबत्                      ...........
(ङ) अकूदत्                      ...........
(च) अमारयत्                    ...........
उत्तर―(क) अखादत्           खादति स्म ।
(ख) अवसत्                      वसति स्म ।
(ग) अगच्छत्                     गच्छति स्म ।
(घ) अपिवत्                      पिबति स्म ।
(ङ) अकूदत्                      कूर्दति स्म ।
(च) अमारयत्                    मारयति स्म ।

7. पर्यायपदानि योजयत―
समीपम्                 निकटम ।
प्रतिदिनम्               प्रत्यहम् ।
अपरम्                   अन्यम् ।
अवदत्                   अकथयत् ।
क्रुद्धः                      कुपितः।
उत्तर― समीपम्        निकट्म्।
प्रतिदिनम्                प्रत्यहम्।
अपरम्                    अन्यम्।
अवदत्                   अकथयत् ।
क्रुद्धः                     कुपितः।

8. समुचितपदैः रिक्तस्थानानि पूरयत―
यथा―सिंहस्य       सिंहयोः           सिंहानाम्
......….........       शशकयोः          .......…...
......…........         सर्वयोः             ............
कूपस्य                ...........            ............
तस्य                   …........            तेषाम्
भासुरकस्य          ...........            ...........
उत्तर―सिंहस्य      सिंहयोः            सिंहानाम्
शशकस्य             शशकयोः         शशकानाम्
कूपस्य                कूपयोः            कूपानाम्
तस्य                   तयोः               तेषाम्
भासुरकस्य         भासुरकयोः        भासुरकानाम्

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