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    Jharkhand Board Class 6TH History Notes | सम्राट अशोक : एक महान शासक  

  JAC Board Solution For Class 6TH (Social Science) History Chapter 8


1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए―
(क) अशोक के ज्यादातर अभिलेख...............भाषा में है।
(ख) उत्तरा पथ प्रांत की राजधानी.….............थी।
(ग) कलिंग युद्ध..............व ................के बीच लड़ा गया था।
(घ) अशोक के 13वें शिलालेख में..................युद्ध के भयानक
परिणामों का उल्लेख है।
उत्तर― (क) संस्कृत     
(ख) तक्षशिला
(ग) कलिंग अशोक के शासन 
(घ) कलिंग

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
(क) सम्राट अशोक का साम्राज्य किन-किन क्षेत्रों तक फैला
हुआ था?
उत्तर― सम्राट अशोक के राज्य का विस्तार पूरे भारत में काफी
विस्तृत क्षेत्र में था। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी। इसके अलावा
साम्राज्य में बहुत से नगर थे। जिनमें उज्जैन और तक्षशिला जैसे नगर
प्रमुख थे, तक्षशिला वर्तमान पाकिस्तान में है। यहाँ से उत्तर-पश्चिम और
मध्य एशिया जाया जा सकेता था। दूसरी तरफ उज्जैन उत्तरी-भारत से
दक्षिणी भारत जाने वाले रास्ते में पड़ता था। मध्य भारत जैसे इलाकों में
ज्यादातर हिस्सा जंगलों से भरा हुआ था।

(ख) अशोक ने अपने साम्राज्य को कितने प्रांतों में बाँटा था,
उनके नाम लिखिए?
उत्तर― अशोक ने अपने साम्राज्य को पांच प्रांतों में बाँटा था। उनके
नाम निम्नलिखित हैं―
उत्तर― शपथ, अवन्ति राष्ट्र, कलिंग, दक्षिणा पथ, प्राथी ।

(ग) अशोक का 'धम्म' क्या था ? धम्म प्रचार के लिए किस
पदाधिकारी की नियुक्ति की गयी थी?
उत्तर― इतिहास में अशोक की प्रसिद्धि के कारण उनकी राज विस्तार
की नीति नहीं अपितु 'धम्म' है। अपने दूसरे तथा सातवें स्तंभ लेखों में
अशोक ने धम्म की व्याख्या इस प्रकार की है―"धम्म है साधुता, बहुत
से कल्याणकारी अच्छे कार्य, पाप रहित होना, मृदुता, दूसरों के प्रति
व्यवहार में मधुरता, दया, दान तथा सुचिता । प्राणियों का वध न करना,
जीव हिंसा न करना, माता-पिता तथा बड़ों की आज्ञा मानना, गुरुजनों के
प्रति आदर, मित्र, परिचितों, संबंधियों, ब्राह्मणों तथा श्रमणों के प्रति
दानशीलता तथा उचित व्यवहार भी धर्म के अंतर्गत आते हैं । धम्म प्रचार
के लिए महामात्र नामक अधिकारियों की नियुक्ति की थी।

(घ) अशोक के बारे में हमें जानकारी किस प्रकार मिलती है ?
उत्तर― अशोक के धर्मोपदेश आज भी हमसे एक ऐसी भाषा में बात
करते हैं, जिन्हें हम समझ सकते हैं और जिनसे हम बहुत कुछ सीख सकते
हैं। इसी तरह के संदेशों से हमें अशोक के बारे में जानकारी मिलती है।

3. सम्राट अशोक की प्रशासनिक व्यवस्था कैसी थी?
उत्तर― सम्राट अशोक ने अलग-अलग हिस्सों पर अलग-अलग ढंग
से शासन किया जाता था । पाटलिपुत्र और उसके आसपास के इलाकों पर
सम्राट का सीधा नियंत्रण था। राजा के द्वारा अधिकारियों की नियुक्ति की
जाती थी। ये किसानों, पशुपालकों, शिल्पकारों और व्यापारियों से कर
इकट्ठा करते थे। इनमें में कई अधिकारियों को वेतन भी दिया जाता था।
राजा के जासूस अधिकारियों के कार्य-कलाप पर नजर रखते थे। इन
सबके ऊपर सम्राट था जो राज परिवार एवं वरिष्ठ मंत्रियों की सहायता
सब पर नियंत्रण रखता था।
  प्रशासन की सुविधा के लिए मौर्य साम्राज्य कई छोटे क्षेत्रों या प्रांतों
में विभक्त था। अशोक के समय इनकी संख्या पाँच थी। यहाँ प्रांतीय
राजधानियों से शासन किया जाता था। अक्सर राजकुमारों को वहाँ का
राज्यपाल बना कर भेजा जाता था। मौर्य शासक प्रांतों में आवागमन के
लिए महत्वपूर्ण मार्गों और नदियों पर भी नियंत्रण रखने की कोशिश करते
थे। यहाँ से मिलने वाले संसाधन 'कर' को एकत्रित किया जाता था।
कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में लिखा है कि उत्तर-पश्चिम क्षेत्र कंबल और
दक्षिण भारत सोने के कीमती पत्थरों के लिए जाना जाता था।
           जंगली इलाकों में रहनेवाले लोग काफी हद तक स्वतंत्र थे। उनसे
यह आशा की जाती थी कि वे मौर्य पदाधिकारियों को हाथी, लकड़ी, मधु
और मोम जैसी चीजें लाकर दें।

4. सम्राट अशोक के जीवन में कलिंग युद्ध का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर― सम्राट अशोक कलिंग राज्य को जीत कर अपने साम्राज्य में
मिलाने में सफल रहा, लेकिन इस युद्ध ने सम्राट अशोक के हृदय को
परिवर्तित कर दिया । उसका हृदय दया एवं करुणा से उद्वेलित हो उठा तथा
उसने भविष्य में कभी युद्ध न करने की प्रतिज्ञा कर ली। यह विश्व इतिहास
में एक अभूतपूर्व घटना थी। इसके बाद वह बौद्ध बन गया तथा उसने
अपने साम्राज्य के सभी उपलब्ध साधनों को जनता के भौतिक एवं नैतिक
कल्याण में नियोजित कर दिया।

5. अशोक एक लोकप्रिय एवं महान शासक था, आप क्या
सोचते हैं?
उत्तर― अशोक विश्व के महानतम राजाओं में से एक था। अशोक
के निर्देश पर कई स्तंभ और पत्थरों पर अभिलेख उत्तीर्ण किये गए हैं।
अशोक ही एक ऐसा राजा था जो किसी भी चीज को करने के बारे में
सोचता था। उसे वह पूर्णतः हासिल करता था। अशोक अखण्ड भारत का
निर्माण करना चाहता था जिसमें वह पूर्णतः सफल रहा। युद्ध से मन हटने
के बाद उसका हृदय पूर्णतः परिवर्तित हो गया और वह बौद्ध धर्म का
सफल प्रचारक भी बना।

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