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   Jharkhand Board Class 6TH History Notes | आरंभिक किसान एवं चरवाहे  

    JAC Board Solution For Class 6TH (Social Science) History Chapter 3


1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए―
(क) आदिमानव ने सर्वप्रथम ................... को पालतू बनाया।
(ख) बुर्जहोम ............... में स्थित एक पुरास्थल है।
(ग) .................. में चावल की खेती का अवशेष मिला है।
(घ) गड्ढ़े के नीचे बने घर को .............. कहा जाता है।
(ङ) सिंहभूम के लोटा पहाड़ पर .................... कालीन औजार
मिले हैं।
(च) ....................संजय एवं सोन नाला के संगम पर स्थित है।
उत्तर― (क) जंगली कुत्तों  (ख) कश्मीर  (ग) उत्तर-प्रदेश
(घ) गर्तवास   (ड) नवपाषाण

2. सही कथन के आगे (✓) का एवं गलत कथन के आगे (×)
का चिन्ह लगायें—
(क) आखेटक-खाद्य संग्राहक झुंड में रहा करते थे।     [      ]
(ख) कृषि की शुरुआत पुरापाषाण काल में हुई थी।     [      ]
(ग) चिरांद बिहार में स्थित एक पुरास्थल है।               [      ]
(घ) मेहरगढ़ में चार या अधिक कमरों के घर का अवशेष मिला
है।                                                                       [      ]
उत्तर— (क) ✓ (ख) × (ग) ✓ (घ) ✓

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए।
(क) किसान एक स्थान पर क्यों रहा करते थे ?
उत्तर―कृषि की शुरूआत से आदि मानव के जीवन में बड़ा बदलाव
आया । हम जानते हैं कि बोने से फसल तैयार होने तक में वक्त लगता
है। उसकी उचित देखभाल करनी पड़ती है। यही कारण है कि वे अब
एक ही स्थान पर रहने लगे।

(ख) पशुपालन से आदिमानव को क्या लाभ हुए ?
उत्तर― पशुपालन से इनके जीवन में बहुत प्रभाव पड़ा । भोजन के
रूप में वे जानवरों से दूध एवं मांस प्राप्त कर सकते थे। इस प्रकार जानवर
उनके लिए चलते-फिरते भोजन के भंडार थे।

(ग) 'बसने की प्रक्रिया' से पालतू जानवरों में क्या परिवर्तन
पाए गए?
उत्तर―बसने की प्रक्रिया में सबसे पहले जंगली कुत्ता को पालतू
बनाया गया । धीरे-धीरे गाय, बैल, भेड, बकरी एवं सुअर आदि का पालन
करने लगे अब वे पशुपालक कहलाने लगे । पशु पालन का उनके जीवन
में बड़ा प्रभाव पड़ा। भोजन के रूप में वे जानवरों से दूध एवं माँस प्राप्त
कर सकते थे । इस प्रकार के प्राप्त कब्रों में पालक कुत्ते को मालिक के
साथ दफनाये जाने का साक्ष्य मिला है।

(घ) पुरातत्वविद् कैसे पता करते हैं कि कोई स्थल पुरास्थल
है?
उत्तर― पुरातत्वविद् सर्वप्रथम चिन्हित क्षेत्र का खनन करवाते हैं तथा
प्राप्त सामग्रियों का अध्ययन कर बताते हैं कि यह स्थान किस काल का
था तथा उस काल के लोगों का जीवन कैसा रहा होगा।

(ङ) बानघाट से नवपाषाण कालीन कौन-कौन से औजार
प्राप्त हुए है?
उत्तर― कुल्हाड़ियाँ चार वलय प्रस्तर, एक प्रस्तर की थापी और काले
रंग की मृदभांड के टुकड़े बानघाट से नवपाषण काल के समय के प्रापत
हुए हैं।

4. पुरापाषाण काल के लोगों के जीवन एवं नवपाषाण काल के
लोगों के जीवन में क्या भिन्नताएँ मिलती हैं।
उत्तर― आज हम कृषि या पशुपालन का जो स्वरूप देखते हैं, वह
हमेशा से ऐसा नहीं रहा है। मनुष्य ने अपने उत्पत्ति काल से एक लंबे
समय तक शिकारी-जीवन व्यतीत किया है। अपने भोजन व जीवनयापन
नार के लिए जंगली जानवरों को मारना तथा जंगलों से कंद-कूल इकट्ठा
करना ही उसके जीवन का लक्ष्य था । उस समय वह झुंड में रहता था।
झुंड में पुरुष, स्त्री एवं बच्चे रहा करते थे। इतिहासकारों ने उन लोगों को
आखेटक एवं खाद्य संग्राहक कहा है । इनका ऐसा जीवन आज से लगभग
10000 वर्ष पहले तक रहा । इसके बाद उन्होंने पशुपालन एवं कृषि करना
सीखा।

5. नवपाषाण काल में स्त्रियों का जीवन कैसा रहा होगा?
उत्तर― जैसा की हम जानते हैं। नवपाषाण काल में स्त्री-पुरुष एवं
बच्चे एक झुंड में रहते थे तो जैसे मनुष्यों का जीवन सरल व कष्ट में भी
उसी प्रकार रहता था। बाद में जब मानव विकसित होने लगा तब स्त्री
पुरुषों के कार्यों में हाथ बटाने लगी। जैसे कृषि के कार्यों में, पशुपालन
में, पहिए को बनाने में गाँवों की स्थापना में, जानवरों में या पशुपालन में,
इन सभी वर्गों में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

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