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  Jharkhand Board Class 6TH Geography Notes | पृथ्वी के प्रमुख स्थल रूप  

   JAC Board Solution For Class 6TH (Social Science) Geography Chapter 6


1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए―
(क) समतल भूमि के विस्तृत क्षेत्र को .......... कहते हैं।
(ख) हिमालय और आल्पस ......... पर्वतों के उदाहरण है।
(ग) ........... क्षेत्रों में खनिज की प्रचुरता होती है।
(घ) .................. पर्वत प्रायः शंकु के आकार के होते हैं।
उत्तर― (क) मैदान (ख) वलित (ग) पठारी (घ) ज्वालामुखी

2. सही कथन के आगे (✓) का एवं गलत कथन के आगे (×)
का चिन्ह लगायें—
(क) हिमालय ग्रंशोत्थ पर्वत है।                    [        ]
(ख) चट्टानों की काट-छाँट की प्रक्रिया निक्षेपण कहलाती है।       [        ]
(ग) तिब्बत का पठार विश्व का सबसे ऊंचा पठार है।            [        ]
(घ) पर्वतीय क्षेत्रों में खनिज की प्रचुरता होती है।         [        ]
(ङ) मैदानी क्षेत्रों में परिवहन के साधनों का विकास सुगमतापूर्वक
होता है।                                                      [        ]
उत्तर— (क) × (ख) × (ग) ✓ (घ) ✓ (ङ) ✓

3. अति लघुत्तरीय प्रश्न―
(क) प्रमुख स्थल रूप कौन-कौन से हैं?
उत्तर― पहला आंतरिक, दूसरा बाह्य।

(ख) अपरदन कार्य के मुख्य चरण कौन-कौन से हैं?
उत्तर― चट्टानों की ऊपरी परत का टूटना और घिसना।

(ग) विश्व की सबसे ऊँची पर्वतमाला कौन-सी है?
उत्तर― विश्व की सबसे ऊंची पर्वतमाला हिमालय पर्वत है।

(घ) दर्रा किसे कहते हैं?
उत्तर― वह मार्ग जिससे किसी पर्वत श्रृंखला को पार किया जा
सकता है। जैसे–नाथूला।

(ङ) झारखंड के दो प्रमुख जल-प्रपातों के नाम लिखिए?
उत्तर― हुंडरू, दशम्।

4. लघु उत्तरीय प्रश्न―
(क) पर्वत और पठार में क्या अंतर है?
उत्तर― पर्वत पृथ्वी की सतह की प्राकृतिक ऊँचाई है, जो समुद्रतल
से 900 मीटर या उससे अधिक ऊँची होती है।
पठार धरातल का वह विशिष्ट रूप होता है जो अपने आस-पास
के स्थल से पर्याप्त ऊँचाई पर होने के साथ-साथ जिसका शीर्ष भाग चौड़ा
चपटा होता है।

(ख) पर्वतमाला किसे कहते हैं?
उत्तर― पर्वतमाला या पर्वत श्रृंखला पहाड़ों की उस शृंखला को
कहते हैं, जहाँ एक पर्वत दूसरे पर्वत से सूटा रहता है।

(ग) पर्वत कितने प्रकार के होती है? उदाहरण दीजिए।
उत्तर― पर्वत चार प्रकार के होते हैं।
(i) वलित पर्वत
(ii) भ्रंशोत्थ पर्वत 
(iii) ज्वालामुखी पर्वत
(iv) अवशिष्ट पर्वत

(घ) भ्रंशोत्य पर्वत का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर― जब धरातल का एक बहुत बड़ा हिस्सा पृथ्वी के आंतरिक
बलों के कारण टूट कर ऊपर विस्थापित हो जाता है तो भ्रंशोत्थ पर्वत का
निर्माण होता है।

(ङ) मैदानी भागों में जनसंख्या अधिक होती है। क्यों?
उत्तर― मैदानी भागों में जनसंख्या अधिक होती है क्योंकि–
(i) मैदान काफी उपजाऊ होते हैं। इस कारण ये कृषि के लिए
काफी उपयुक्त होती है।
(ii) मैदानी भाग में परिवहन के साधनों को विकसित करना काफी
आसान होता है।
(iii) यहाँ सालों भर जल की प्रचुरता रहती है।

5. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न―
(क) पर्वत, पठार और मैदान की उपयोगिता का विस्तृत
वर्णन कीजिए।
पर्वत―
(i) पर्वत जल के संग्रहागार होते हैं। बहुत सी नदियों का स्रोत
पर्वत में स्थित हिमानियाँ होती हैं।
(ii) पर्वतीय जल का प्रयोग सिंचाई तथा पनबिजली उत्पादन के
लिए किया जाता है।
(iii) पर्वतों में विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ पायी जाती हैं, जिनसे
हमें ईंधन, चारा, गोंद तथा अन्य कई उत्पाद प्राप्त होते हैं।
(iv) पर्वतों की ठंडी जलवायु पर्यटकों को आकर्षित करती है।
जिससे पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटन व्यवस्था फलती-फूलती है।
(v) पर्वतीय क्षेत्रों में कई प्रकार के खनिज पाए जाते हैं?

पठार―
(i) पठारों में खनिज की प्रचुरता होती है। छोटानागपुर के पठार
में लोहा, कोयला, मैगनीज, बॉक्साइट आदि बहुमूल्य खनिज
के भंडार हैं।
(ii) पठारी क्षेत्रों में अनेक जलप्रपात होते हैं, क्योंकि यहाँ नदियाँ
ऊँचाई से गिरती है। ये जलप्रपात अच्छे, मनोरम पर्यटन स्थल
होते हैं।
(iii) लावा पठारों में काली मिट्टी पायी जाती है, जो बहुत
उपजाऊ होती है।
(iv) पठारों की छतों पर विश्व के कई बड़े नगर बसे हुए हैं।
मेक्सिको सिटी, बगोटा, राँची इसके उदाहरण हैं।

मैदान―
(i) मैदान काफी उपजाऊ होते हैं। इस कारण ये कृषि के लिए
काफी उपयुक्त होते हैं।
(ii) मैदानी भाग में परिवहन के साधनों को विकसित करना काफी
आसान होता है।
(iii) यहाँ सालों भर जल की प्रचुरता होती है।

(ख) पृथ्वी के स्थल-रूपों के निर्माण की प्रक्रियाओं का
वर्णन कीजिए।
उत्तर― विभिन्न प्रकार के स्थल-रूपों के अनुरूप मानव जीवन
यापन करता है। पहाड़ी क्षेत्रों में जीवन कठिन है। जल, परिवहन, उपजाऊ
भूमि के कारण मैंदानों में जीवन अपेक्षाकृत सरल होता है। खनिजों की
उपलब्धता के कारण पठारी क्षेत्रों में उद्योगों का विकास हुआ है एवं
नए-नए औद्योगिक नगर बसे हैं। प्रत्येक स्थल-रूप में रहने वाले लोगों के
रहन-सहन में कुछ अंतर होता है।
             ये स्थल-रूप मानव को प्रकृति द्वारा प्रदत्त एक वरदान है। मनुष्य
अपने क्रियाकलापों से इसे प्रदूषित कर रहा है, जिसके कारण हमारी आने
 वाली पीढ़ियों के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। अत: हमारा कर्त्तव्य है
 कि हम अपनी इस सुंदर धरती को हरा-भरा, साफ-सुथरा, बनाए रखने
में सहयोग करें।

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