JAC Board Solutions : Jharkhand Board TextBook Solutions for Class 12th, 11th, 10th, 9th, 8th, 7th, 6th

themoneytizer

   Jharkhand Board Class 10  Physics  Notes |  विद्युत 

JAC Board Solution For Class 10TH (Science) Physics Chapter 3


1. उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवांतर
बनाए रखने में सहायता करती है? [JAC 2010 (A), 2012 (A)]
उत्तर : बैटरी।

2. विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण कैसे किया जाता है?
                                                                    [JAC 2011(A)]
उत्तर : विद्युत शक्ति द्वारा।

3. विभवातंर का S.I. मात्रक लिखिए।                  [JAC 2019 (A)]
उत्तर : वोल्ट।

4. किसी विद्युत परिपथ में ऐमीटर को किस क्रम में संयोजित किया जाता है ?
                                                                            [JAC 2015 (A)]
उत्तर : श्रेणीक्रम में।

5. किलोवाट-घंटा (kWh) किस राशि का मात्रक है?
                                                          [JAC 2010 (S), 2016 (A)]
उत्तर : विद्युत ऊर्जा।

6. किसी विद्युत परिपथ में दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर मापने के लिए
वोल्टमीटर को किस प्रकार संयोजित किया जाता है? [JAC 2017(A)]
उत्तर : सामांतर क्रम।

7. विद्युत आवेश का S.I. मात्रक लिखिए।
                                      [JAC 2009 (A), 2014 (A), 2020 (A)]
उत्तर : कूलम्ब।

8. विभवांतर मानने वाले यंत्र का नाम लिखिए। [JAC 2013 (A)]
उत्तर : वोल्टमीटर।

9. विद्युत धारा को किस यंत्र से मापा जाता है?            [JAC 2018 (A)]
उत्तर : ऐमीटर।

10. विद्युत ऊर्जा का व्यावसायिक मात्रक क्या है? [JAC 2009 (S)]
उत्तर : किलो वाट घंटा (kWh)।

11. विद्युत धारा का S.I. मात्रक क्या है?
उत्तर : एम्पियर।

12. प्रतिरोध का मात्रक क्या है?
उत्तर : प्रतिरोध का मात्रक ओम (Ω) है।

13. प्रतिरोधकता का S.I. मात्रक क्या है?
उत्तर : प्रतिरोधकता का S.I. मात्रक ओम मीटर (Ω m) है।

14. विद्युत-शक्ति का S.I. मात्रक क्या है?
उत्तर : विद्युत शक्ति का S.I. मात्रक वाट है। वाट = वोल्ट × ऐम्पियर।

15. एम्पियर किसका मात्रक है?
उत्तर : विद्युत धारा का।

16. विद्युत धारा क्या है?
उत्तर : विद्युत आवेश के प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं।

17. 6 V बैटरी से गुजरने वाले हर एक कूलॉम आवेश को कितनी ऊर्जा दी
जाती है?
उत्तर : ऊर्जा = आवेश x वोल्टेज =1× 6 = 6 जूल।

18. 1 इलेक्ट्रॉन का आवेश कितने कूलॉम के तुल्य होता है?
उत्तर : । इलेक्ट्रॉन का आवेश = 1.6 × 10⁻¹⁹ कूलॉम

19. 1 कूलॉम आवेश कितने इलेक्ट्रॉनों के आवेश के तुल्य होता है।
उत्तर : 1 कूलॉम आवेश = 1.6 ×10¹⁸ इलेक्ट्रॉन।

20. ओम किस राशि का मात्रक है?
उत्तर : प्रतिरोध का

21. विद्युत ऊर्जा का व्यावसायिक मात्रक क्या है?
उत्तर : किलोवाट घंटा (kWh)।

22. समानान्तर क्रम में जुड़े तीन प्रतिरोधों RI, R और R3 का तुल्य प्रतिरोध
क्या होगा?
उत्तर: 1/R = 1/R₁ +1/R₂ + 1/R₃

23. एक किलोवाट-घंटा कितने जूल विद्युत ऊर्जा के समान होता है?
उत्तर : एक किलोवाट-घंटा = 36 लाख जूल।

24. विद्युत मोटर किस ऊर्जा को किस ऊर्जा में रूपान्तरित करता है।
उत्तर : विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में।

25. ओम के नियम में किसका मान अचर है?
उत्तर : प्रतिरोध व ताप

26. क्या विभव शून्य हो सकता है?
उत्तर : हाँ, अनावेशित वस्तु का विभव शून्य होता है। 

27. एक इलेक्ट्रॉन पर कितना कूलॉम आवेश होता है?
उत्तर : एक इलेक्ट्रॉन पर -1.6 x 10⁻¹⁹ कूलॉम आवेश होता है।

28. जूल प्रति कूलॉम (J/C) को क्या कहते हैं?
उत्तर : वोल्ट (संकेत V)

29. विद्युत हीटर में तार की कुंडली के लिए किस तत्त्व का व्यवहार किया
जाता है?
उत्तर : नाइक्रोम का

30. एक किलोवाट घंटा कितने जूल के बराबर होता है?
उत्तर : 3.6 x 10⁶ जूल के

31. ऐमीटर तथा वोल्टमीटर में किसका प्रतिरोध अधिक होता है?
उत्तर : वोल्टमीटर का प्रतिरोध अधिक होता है।

32. वाट (W), वोल्ट (V) तथा ऐम्पियर (A) में क्या संबंध है?
उत्तर : वाट= वोल्ट × ऐम्पियर

33. विद्युत ऊर्जा का व्यवसायिक मात्रक (Board of Trade Unit) क्या होता
है?
उत्तर: 1 BOT मात्रक = 1 kWh.

34. दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखें।
उत्तर : सेल, डी. सी. जनित्र।

                          3 अंक स्तरीय प्रश्न

1. विद्युत धारा क्या है? इसका समीकरण एवं मात्रक लिखें।
उत्तर : किसी सतह से प्रति एकांक समय में प्रवाहित कुल आवेश को
विद्युत-धारा कहते हैं। यदि नेट आवेश Q का प्रवाह समय । में होता है, तो
विद्युत-धारा I का मान है―
                                       I = Q/t.
विद्युत धारा का SI मात्रक ऐम्पीयर (A) है।

2. यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 1V है?
उत्तर : यदि 1 कूलम्ब आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में
किया गया कार्य 1 जूल हो तो उन दो बिन्दुओं के बीच का विभवांतर 1 वोल्ट
होता है।
1 वोल्ट = 1 जूल/1 कूलम्ब

3. किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर : किसी चालक का प्रतिरोध निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है-
(i) चालक की लंबाई पर अर्थात् R ∝ l
(ii) चालक के अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल पर अर्थात् R ∝ 1/A
(iii) चालक के प्रतिरोधकता पर अर्थात् R ∝ ρ
इस प्रकार, R = ρ l/A

1. विद्युत टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न
बनाकर किसी मिश्रधातु के क्यों बनाए जाते हैं?
उत्तर : विद्युत टोस्टरों एवं विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव नाइक्रोम का
बना होता है। नाइक्रोम एक मिश्रधातु है जिसमें Ni = 60%, Cr = 12%, Mn =
2%, Fe = 26% उपस्थित रहता है।
ये तापन अवयव मिश्रधातु के बनाये जाते हैं, क्योंकि-
(i) मिश्रधातु की प्रतिरोधकता प्रायः उसके अवयवी धातु से अधिक
होता है।
(ii) इस मिश्रधातु का गलनांक अधिक होता है।
(iii) यह लाल तप्त 800°C होने पर भी ऑक्सीकृत नहीं होता है।

5. श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत युक्तियों को पार्यक्रम में
बैटरी से संयोजित करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर : जब अनेक युक्तियों को पार्यक्रम संयोजन में संयोजित किया
जाता है तो प्रत्येक युक्ति समान विभवांतर प्राप्त कर लेता है। इसलिए यदि
कभी एक युक्ति बन्द या खराब भी हो जाती है तो अन्य युक्ति कार्य करती
रहती है।
      लेकिन यदि उन सभी युक्तियों को श्रेणीक्रम संयोजन में संयोजित किया
जाए तो सभी युक्तियाँ एक समान धारा प्राप्त कर लेती है। यदि एक भी युक्ति
कार्य करना बन्द कर देता है तो परिपथ ही बन्द हो जाता है एवं सभी युक्तियाँ
कार्य करना बन्द कर देती है।
अतः समांतर क्रम संयोजन में संयोजित करना लाभप्रद है।

6. किसी विद्युत हीटर की डोरी क्यों उत्तप्त नहीं होती जबकि उसका तापन
अवयव उत्तप्त हो जाता है?
उत्तर : विद्युत हीटर में लगे तापन अवयव का प्रतिरोध, विद्युत हीटर की
डोरी के प्रतिरोध की अपेक्षा काफी अधिक होता है। चूंकि किसी चालक में
विद्युत धारा के प्रवाह के कारण चालक में उत्पन्न ऊष्मा, चालक के प्रतिरोध के
समानुपाती होती है (H∝R, I तथा t नियत रहने पर), इसलिए हीटर का तापन
अवयव तो उत्तप्त हो जाता है, परंतु हीटर की डोरी उत्तप्त नहीं होती है।

7. विद्युत लैंपों के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एकमात्र टंग्स्टन का ही
उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर : टंगस्टन की प्रतिरोधकता उच्च है इसलिए यह विद्युत आवेश के
कारण बिना बहुत अधिक गर्म हुए प्रकाश उत्पन्न कर सकता है। इसलिए प्रकाश
देने वाले बल्बों में उनका प्रयोग किया जाता है। इसकी प्रतिरोधकता बहुत
अधिक है और गलनांक 3300°C है। विद्युत धारा प्रवाहित करने से इसका
तापमान 2700°C तक पहुँच जाता है।

8. विद्युत तापन युक्तियों जैसे ब्रेड-टोस्टर तथा विद्युत इस्तरी के चालक
शुद्ध धातओं के स्थान पर मिश्रधातुओं के क्यों बनाए जाते हैं?
उत्तर : किसी मिश्रधातु की प्रतिरोधकता शुद्ध धातु की अपेक्षा अधिक होती
है तथा तापमान के परिवर्तन के साथ मिश्रधातुओं की प्रतिरोधकता कम बदलती
है। उनका शीघ्र ऑक्सीकरण नहीं होता और वे उच्च तापमान को सह सकते हैं।
इन्हीं कारणों से टोस्टर और विद्युत प्रेस जैसे गर्म होने वाले उपकरणों में प्रयुक्त होने
वाले चालकों में मिश्रधातुओं का प्रयोग किया जाता है।

9. घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया
जाता है?
उत्तर : श्रेणीक्रम संयोजन में विद्युत-धारा के प्रवाह के लिए केवल एक ही
पथ (परिपथ) होता है। यदि ऐसे परिपथ में लगे उपकरणों में से कोई एक
उपकरण खराब हो जाए, तो परिपथ में विद्युत-धारा का प्रवाह रुक जाएगा। यही
कारण है कि घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग नहीं किया
जाता है।

10. विद्युत बल्ब में क्यों निष्क्रिय गैस भरी जाती है?
उत्तर : यदि विद्युत बल्ब में लगे फिलामेंट (तंतु) से हवा-माध्यम में
विद्युत-धारा प्रवाहित की जाए तो यह हवा के ऑक्सीजन से ऑक्सीकृत होकर
भंगुर हो जाएगा और टूट जाएगा। इसलिए फिलामेंट को टूटने से बचाने के
लिए काँच के बल्ब के अंदर की हवा को निकालकर निष्क्रिय गैस भर दी जाती
है। गैसों को निम्न दाब पर भरा जाता है जिससे कि संवहन द्वारा ऊष्मा की हानि
न्यूनतम हो।

11. किसी सेल के विद्युत-वाहक बल और विभवांतर में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर : एकांक धनात्मक आवेश को बंद परिपथ का एक पूरा चक्कर
लगाने के लिए सेल द्वारा किए गए कार्य (या दी गई ऊर्जा) को सेल का
विद्युत-वाहक बल कहते हैं, जबकि बाह्य प्रतिरोध से होकर एकांक धनात्मक
आवेश को भेजने में सेल द्वारा किए गए कार्य (या व्यय की गई ऊर्जा) को सेल
का विभवांतर कहते हैं। विद्युत-वाहक बल और विभवांतर के मात्रक समान हैं।
इनका SI मात्रक वोल्ट (volt, V) है।

12. विभव और विभवांतर में क्या अंतर है?
उत्तर : किसी आवेश के कारण उत्पत्र विद्युत-क्षेत्र में एकांक धनात्मक
आवेश को अनंत (जहाँ पर विभव शून्य माना जाता है) से किसी बिंदु तक लाने
में किए गए कार्य को उस बिंदु पर विभव कहते हैं। विभव का SI मात्रक वोल्ट
(V) होता है।
किसी आवेश के कारण उत्पत्र विद्युत-क्षेत्र में एकांक धनात्मक आवेश को
एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक लाने में किए गए कार्य को उन दो बिंदुओं के बीच
विभवांतर कहते हैं। विभवांतर का भी SI मात्रक वोल्ट (V) होता है जो जूल प्रति
कूलॉम (J/C) के बराबर होता है।

13. प्रतिरोध क्या है? इसका सूत्र (मान) एवं मात्रक लिखें।
उत्तर : किसी चालक के सिरों के विभवांतर एवं प्रवाहित धारा का अनुपात
प्रतिरोध कहलाता है। यह धारा-प्रवाह के विरोध की माप होती है। यदि चालक के
सिरों के बीच विभवांतर V तथा प्रवाहित धारा । हो, तो चालक के प्रतिरोध R का
सूत्र (मान) है
                  R = V/l

इसका SI मात्रक ओम (Ω) होता है।

1Ω =1 V/1A

14. किसी विद्युत-परिपथ में लघुपथन कब होता है?
उत्तर : जब विद्युत परिपथ में तारों के ऊपर के विद्युतरोधी परत खराब या
क्षतिग्रस्त हो जाते हैं तब वे आपस में संपर्क में आ जाते हैं। ऐसा होने पर परिपथ
का प्रतिरोध लगभग शून्य हो जाता है और विद्युत-परिपथ में बहुत अधिक धारा
प्रवाहित होने लगती है जिससे स्पार्क उत्पन्न हो सकता है। इसे लघुपथन कहते हैं।

15. विद्युत-परिपथ में अतिभारण का क्या अर्थ है?
उत्तर : यदि किसी विद्युत-परिपथ में लगे उपकरणों द्वारा खींची गई
विद्युत-धारा, उस परिपथ में उपयोग में लाए गए तारों के महत्तम धारा प्रवाहित
करने की क्षमता से अधिक हो जाती है तो अतिभारण उत्पन्न होता है। अतिभारण
के कारण तार गर्म हो जाता है।

16. फ्यूज किस मिश्रधातु का बना होता है ? इसकी क्या विशेषता होती है?
उत्तर : फ्यूज (तार) जस्ता या लेड (सीसा) और टिन की मिश्रधातु का
बना होता है।
इसकी विशेषता ―फ्यूज़ (तार) की विशेषता यह होती है कि इसकी
प्रतिरोधकता अधिक और गलनांक कम होता है। इसलिए, जब विद्युत परिपथ
में अचानक विद्युत-धारा की प्रबलता आवश्यकता से अधिक बढ़ जाती है तब
विद्युत-धारा से उत्पन्न अत्यधिक ऊष्मा फ्यूज के तार को पिघला देती है और
विद्युत परिपथ टूट जाता है। इससे परिपथ में लगे विभिन्न उपकरण जलने से
बच जाते हैं।

17. घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया
जाता है?
उत्तर : श्रेणीक्रम संयोजन में विद्युत-धारा के प्रवाह के लिए केवल एक ही
पथ (परिपथ) होता है। यदि ऐसे परिपथ में लगे उपकरणों में से कोई एक
उपकरण खराब हो जाए, तो परिपथ में विद्युत-धारा का प्रवाह रुक जाएगा। यही
कारण है कि घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग नहीं किया
जाता है।

18. घरेलू परिपथों में तारों की पार्श्व व्यवस्था का उपयोग क्यों किया जाता
है?                                                                 [JAC 2018 (A)]
उत्तर : घरेलू परिपथों में तारों की पार्श्व व्यवस्था का उपयोग करते हैं क्योंकि
(i) यह क्रमबद्ध एवं संतोषप्रद व्यवस्था है। (ii) प्रवाह अलग-अलग नहीं बँटता
एवं सभी का अलग स्वीच होता है। विभवांतर बराबर होता है। (iii) कहीं तार
गल या टूट जाती है तो संबद्ध स्विच ही काम नहीं करेगा। सारे स्विच काम करते
रहते हैं।

19. 2Ω,3Ω तथा 6Ω के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे
कि संयोजन का कुल प्रतिरोध (a) 11Ω, (b) 1Ω, (c) 4Ω हो?
                                                                          [JAC 2016 (A)]
हल : माना R₁= 2Ω, R₂ =3Ω,R₃ =6Ω
(a) श्रेणीक्रम में संयोजन से कुल प्रतिरोध (R)
R= R₁+ R₂ + R₃ = 2+3+6 =11Ω

(b) समांतर क्रम में,
 R = 1/R₁+ 1/R₂ + 1/R₃ = 1/2+1/3+1/6 = 3+2+1/6 = 6/6 = 1
∴  R =1Ω

(c) R₂ तथा R₃ समांतर क्रम में तथा R₁ एवं (R₂ एवं R₃) श्रेणीक्रम
माना R₂ तथा R₃ का समतुल्य प्रतिरोध R₄ है।
∴     1/R₄ = 1/R₂ + 1/R₃ = 1/3+1/6 = 2+1/6       ∴  R₄ = 2Ω
R₁+R₄ = 2+2= 4Ω.

20. 4Ω,8Ω, 12Ω तथा 24Ω प्रतिरोध की चार कुंडलियों को किस प्रकार
संयोजित करें कि संयोजन से (a) अधिकतम (b) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त
हो सके?                                                    [JAC 2009 (A)]
हल : (a) अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त होने के लिए उन सभी प्रतिरोधों को
श्रेणीक्रम संयोजन में जोड़ना होगा-
R = 4Ω+8Ω + 12Ω + 24Ω        ∴   Rₛ = 48Ω.

(b) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त होने के लिए उन सभी प्रतिरोधों को समांतर
क्रम में जोड़ना होगा-
1/Rₚ = 1/4+1/8+1/12+1/24 = 6+3+2+1/24 = 1/Rₚ = 12/24
∴      Rₚ = 2 Ω

21. 3Ω,6Ω तथा 9Ω प्रतिरोध के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित
करेंगे कि संयोजन का कुल प्रतिरोध (a) 18Ω (b)18/11 Ω हो?
हल : यहाँ, R₁ =3Ω, R₂ =6Ω एवं R₃ = 9Ω
श्रेणीक्रम में, R=R₁ + R₂ + R₃ = 3 +6 + 9 =18Ω
पार्श्वक्रम में, 1/R = 1/3 + 1/6 +1/9 = 6+3+2/18 = 11/18
∴ R = 18/11Ω.

22. कोई विद्युत बल्ब 220 V के जनित्र से संयोजित है। यदि बल्ब से 0.50A
विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो बल्ब की शक्ति क्या है ? [JAC 2012(A)]
हल : विद्युत बल्ब का प्रतिरोध, R = V/I = 220/0.50 = 22000/50
∴ R = 440Ω
∴ बल्ब की शक्ति, p = V²/R = 220 × 220/440 = 110W.

23. 40 तथा 162 के दो प्रतिरोधों को समांतर क्रम में जोड़ने पर समतुल्य
प्रतिरोध की गणना कीजिए।                  [JAC 2017(A)]
हल : माना R₁ =4Ω तथा R₂ =16Ω
समांतर क्रम में जोड़ने पर,  1/R = 1/R₁+ 1/R₂ = 1/4+1/16 = 4+1/16 = 5/16
∴     समतुल्य प्रतिरोध  = 16/5 3.2Ω

24. एक घर में 12W के 10 LED बल्ब एवं 75W के 5 पंखे लगे हैं।
प्रतिदिन 10 घंटा उपयोग में लाये जाते हैं। फरवरी, 2020 का बिल तैयार
कीजिए, यदि दर 6 रु. प्रति यूनिट हो।
हल : कूल वाट = 12 × 10 + 75 × 5 = 120 + 375 = 495 w
एक दिन में उपयुक्त विद्युत ऊर्जा = 495 × 10 = 4950 Wh
तो फरवरी 2020 में उपयुक्त विद्युत ऊर्जा
= 4950 × 29 = 143,550 Wh
143550/1000 kWh = 143.55 kWh
फरवरी माह का कुल बिल = 143.55 × 6 = 861.3 रु.

25. एक घंटे में 50 V विभवांतर से 96000 कूलॉम आवेश को स्थानांतरित
करने में उत्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए।
हल : दिया गया है―Q = 96000 C
t = 1h = 60 × 60 = 3600 sec,V =50 volt
उत्पन्न ऊष्मा, W = V × Q
                       = 50 × 96000 = 4800000 = 48 × 10⁵J.

26. कोई विद्युत मोटर 220V के विद्युत स्रोत से 5.0 A विद्युतधारा लेता है।
मोटर की शक्ति निर्धारित कीजिए तथा 2 घंटे में मोटर द्वारा उपभुक्त
ऊर्जा परिकलित कीजिए।
हल : यहाँ l = 5 A,V=220 volt,
t = 2 h = 2× 60 × 60 = 7200 sec
विद्युत शक्ति (P) =V × J = 220 × 5=1100 watt
उपभुक्त विद्युत ऊर्जा (W) =V × l × t
                                    = 1100 × 2 × 60 × 60 = 7920000 J.

27. किसी ताँबे के तार का व्यास 0.5mm तथा प्रतिरोधकता 1.6 × 10⁻⁸Ωm
है। 10Ω प्रतिरोध का प्रतिरोधक बनाने के लिए कितने लंबे तार की
आवश्यकता होगी? यदि इससे दो गुने व्यास का तार लें तो प्रतिरोध में
क्या अंतर आएगा?
हल : तार का व्यास, D= 0.5 mm = 0.5 × 10⁻³ m
कॉपर का प्रतिरोधकता, ρ =1.6 × 10⁻⁸Ωm
इच्छित प्रतिरोध, R=10Ω


28. 9V की किसी बैटरी को 0.2Ω, 0.3Ω, 0.4Ω, 0.5Ω तथा 12Ω के
प्रतिरोधकों के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है। 12Ω के
प्रतिरोधक से कितनी विद्युतधारा प्रवाहित होगी?
हल : यहाँ, R₁ = 0.2Ω, R₂ = 0.3Ω R₃ = 0.4Ω, R₄ = 0.5Ω. R₅ = 12Ω
तथा V=9V.
चूँकि सभी प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में जुड़े हैं,
अतः इनका समतुल्य प्रतिरोध R = R₁ + R₂+ R₃ + R₄ + R₅
या, R= 0.2Ω+0.3Ω+ 0.4Ω+0.5Ω+ 12Ω= 13.4Ω.
बैटरी से ली गई विद्युत-धारा यदि l हो, तो
सूत्र V = IR से, l = V/R   या, l = 9V/13.4Ω= 0.67A.
चूँकि सभी प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में संयोजित है, इसलिए प्रत्येक प्रतिरोधक
से समान, अर्थात 0.67A की धारा प्रवाहित होगी।
अतः, 12Ω के प्रतिरोधक से प्रवाहित विद्युत-धारा = 0.67 A.

29. 176Ω प्रतिरोध के कितने प्रतिरोधकों को पांवक्रम में संयोजित करें कि
220 V के विद्युत स्रोत से संयोजन से 5A विद्युतधारा प्रवाहित हो?
हल : प्रतिरोधक में उत्पन्न ऊष्मा का मान जूल के तापन नियम,
H = I²Rt, से प्राप्त होता है।
प्रश्नानुसार, I =  5 A, R = 20Ω तथा t = 30 s. H = ?
मान रखने पर, H = (5 A)²(20Ω)(30s)
= 25×20×30 जूल = 15000 जूल
= 1.5 किलोजूल (kJ).
इस्तरी में उत्पन्न ऊष्मा 1.5 kJ है।

30. 220V की विद्युत लाइन पर उपयोग किए जाने वाले बहुत से बल्बों का
अनुमतांक 10W है। यदि 220V लाइन से अनुमत अधिकतम विद्युतधारा
5A है, तो इस लाइन के दो तारों के बीच कितने बल्व पार्श्वक्रम में
संयोजित किए जा सकते हैं?



31. किसी विद्युत भट्टी की तप्त प्लेट दो प्रतिरोधक कुंडलियों A तथा B की
बनी है जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोध 24Ω है तथा इन्हें पृथक्-पृथक्
श्रेणीक्रम में अथवा पार्श्वक्रम में संयोजित करके उपयोग किया जा
सकता है। यदि वह भट्टी 220 V विद्युत लाइन से संयोजित की जाती है
तो तीनों प्रकरणों में प्रवाहित विद्युतधाराएँ क्या हैं?


32. निम्नलिखित परिपथों में प्रत्येक में 2Ω प्रतिरोधक द्वारा उपभुक्त
शक्तियों की तुलना कीजिए : (i) 6V की बैटरी से संयोजित 1Ω तथा
2Ω श्रेणीक्रम संयोजन (ii) 4V बैटरी से संयोजित 12Ω तथा 2Ω का
पार्श्वक्रम संयोजना
हल : (i) क्योंकि 60 की बैटरी को 1Ω तथा 2Ω के प्रतिरोध के साथ
श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है इसलिए इसमें प्रवाहित विद्युत धारा
I = 6V/1Ω+2Ω = 6V/3Ω = 2A


33. किसमें अधिक विद्युत ऊर्जा उपभुक्त होती है-
250W का TV सेट जो एक घंटे तक चलाया जाता है अथवा 120 W का
विद्युत हीटर जो 10 मिनट के लिए चलाया जाता है?
हल : 250 w के TV सेट द्वारा 1 घंटे में उपभुक्त ऊर्जा,
=250 w ×1h= 250 Wh
120 W के विद्युत हीटर द्वारा 10 मिनट में उपभुक्त ऊर्जा,
= 120 w × 1/6 h = 20 Wh
250 W के TV सेट में अधिक विद्युत ऊर्जा उपयुक्त होती है।

34. 8Ω प्रतिरोध का कोई विद्युत हीटर विद्युत मेंस से 2 घंटे तक 15A
विद्युतधारा लेता है। हीटर में उत्पन्न ऊष्मा की दर परिकलित कीजिए।
हल : यहाँ, विद्युत हीटर का प्रतिरोध R= 8Ω. विद्युत धारा का मान I =
15A तथा धारा-प्रवाह का समय t = 2 घंटा =2×60×60ₛ = 7200s.
हीटर में उत्पन्न ऊष्मा की दर = ?
सूत्र से, उत्पन्न ऊष्मा H = I²Rt =15²×8×7200J.
∴     उत्पन्न ऊष्मा की दर =H/t= 225×8×7200J/7200ₛ= 1800w.
अतः, हीटर में उत्पन्न ऊष्मा की दर = 1800 W.

35. यदि एक बल्य से 2 मिनट तक 3A की विद्युत-धारा प्रवाहित की जाए,
तो उसमें कितना आवेश प्रवाहित होगा?
हल : यहाँ, विद्युत-धारा I = 3A
तथा धारा के प्रवाह का समय t = 2 मिनट
= 2 × 60 सेकंड = 120 सेकंड,
प्रवाहित होनेवाला आवेश Q= ?
सूत्र Q = It से, Q= 3 A ×120 s = 360C.
अतः, प्रवाहित आवेश का परिमाण = 360C.

36. एक विद्युत-परिपथ में लगे ऐमीटर का पाठ्यांक 25A है। इस विद्युत-
परिपथ में 12 C आवेश प्रवाहित होने में कितना समय लगेगा?
उत्तर : यहाँ, विद्युत-धारा I = 2.5A
तथा प्रवाहित आवेश का परिमाण Q= 12C.
समय t = ?
सूत्र Q= It  से, t = Q/t=12C/2.5A = 4.8ₛ               [∵ 1C/1A=1ₛ]
अतः, अभीष्ट समय = 4.8s.

37. 12 ओम तथा 4 ओम के दो चालकों को समांतरक्रम में जोड़ा गया है।
इनके समतुल्य प्रतिरोध का मान निकालें।
उत्तर : यहाँ, R₁ = 12 ओम तथा R₂=4 ओम।
यदि चालकों को समांतरक्रम में जोड़ने पर समतुल्य प्रतिरोध R हो, तो

अतः, चालकों का समतुल्य प्रतिरोध = 3Ω.

38. निम्न चित्र में दर्शाए गए परिपथ के आधार पर निम्नलिखित को
परिकलित कीजिए।

(a) प्रत्येक प्रतिरोधक में प्रवाहित धारा का मान।
(b) परिपथ में प्रवाहित कुल धारा का मान।
(c) परिपथ का कुल प्रभावी प्रतिरोधा [JAC 2014(A), 2010 (A)]
हल : (a) दर्शाए गए परिपथ में तीनों प्रतिरोधों का संयोजन समांतर (पार्श्वक्रम)
है। अतः प्रत्येक प्रतिरोध के लिए विभवान्तर का मान समान (V =12V) होगा।
∴   R₁ = 5Ω के प्रतिरोध में प्रवाहित विद्युत धारा


39. दिए गए चित्र के परिपथ आरेख में मान लीजिए प्रतिरोधकों R₁, R₂
तथा R₃ के मान क्रमशः 5Ω,10Ω, 30Ω हैं तथा इन्हें 12V की बैटरी से
संयोजित किया गया है। गणना करें-

(a) प्रत्येक प्रतिरोधक से प्रवाहित विद्युत धारा
(b) परिपथ में प्रवाहित कुल विद्युत धारा
(c) परिपथ का कुल प्रतिरोध।                   [JAC 2012 (A)]
हल : (a) प्रत्येक प्रतिरोध के लिए विभवांतर का मान समान (V) होगा
क्योंकि प्रतिरोधों का संयोजन समानान्तर क्रम में है।
(i) LM में जुड़े प्रतिरोध से प्रवाहित धारा, I₁ = V/R₁

(ii) PQ में जुड़े प्रतिरोध से प्रवाहित धारा, I₂ = V/R₂

(iii) ST में जुड़े प्रतिरोध से प्रवाहित धारा, I₃ = V/R₃


40. प्रतिरोध किसे कहते हैं ? 1Ω, 2Ω तथा 3Ω प्रतिरोध के तीन प्रतिरोधी
श्रेणीक्रम में संयोजित हैं। इनका समतुल्य प्रतिरोध कितना होगा?
उत्तर : प्रतिरोध पदार्थ का वह गुण है जो धारा के प्रवाह में रुकावट डालन
है। प्रतिरोध का SI मात्रक ओम (Ω) है।
श्रेणीक्रम संयोजन में R= R₁ + R₂ + R₃ = 1Ω+2Ω+3Ω = 6Ω
इसलिए, समतुल्य प्रतिरोध = 6Ω

41. 100 W के 5 विद्युत बल्य प्रतिदिन 6 घंटा जलते हैं। 20 दिन में कितनी
विद्युत ऊर्जा खर्च होगी?
हल : बल्ब का वाट = 100 W, बल्ब की संख्या = 5
∴     कुल वाट = 100 × 5 = 500W
एक दिन में उपभुक्त विद्युत ऊर्जा = 500 × 6Wh = 3000 Wh
∴  20 दिन में उपभुक्त विद्युत ऊर्जा
              =  20 × 3000 Wh= 60000 Wh
60000/1000 kWh = 60 kWh= 60 यूनिट।

42. एक विद्युत परिपथ में निम्नलिखित को किस क्रम में जोड़ा जाता है―
(i) ऐमीटर (ii) वोल्टमीटर (iii) गैल्वेनोमीटर।
उत्तर : (i) ऐमीटर         ―  श्रेणीक्रम में।
(ii) वोल्टमीटर             ―  समानान्तर क्रम में।
(ii) गैल्वेनोमीटर           ―  श्रेणीक्रम में।

43. विद्युत ऊर्जा, प्रतिरोध, विद्युत धारा एवं समय में संबंध दर्शाइए।
उत्तर : मान लीजिए कि समय तक प्रतिरोध वाले चालक से धारा,I
को प्रवाहित होने दिया जाता है तथा इसका विभवांतर V है।
किया गया वैद्युतिक तापन कार्य, H=I²Rt जूल तथा H=VIt

44. विद्युत शक्ति क्या है? इसके मात्रक को लिखें।
उत्तर : विद्युत ऊर्जा जिस दर से क्षय अथवा व्यय होती है उसे विद्युत
शक्ति कहते हैं। विद्युत शक्ति P इस प्रकार व्यक्त की जाती है―
विद्युत शक्ति (P) = व्यय हुई विद्युत ऊर्जा द्वारा किया गया कार्य/(W)
अर्थात् विद्युत शक्ति = धारा × विभवांतर
विद्युत शक्ति का मात्रक 'वाट' है। वाट = वोल्ट × एम्पियर।

45. विद्युत संचारण के लिए प्राय: कॉपर तथा ऐलुमिनियम के तारों का
उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर : कॉपर तथा ऐलुमिनियम विद्युत के अच्छे चालक हैं। कॉपर तथा
ऐलुमिनियम की प्रतिरोधकता कम है। जब ताँबे तथा एलुमिनियम तारों में
विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो ऊष्मा के रूप में विद्युत ऊर्जा का ह्रास बहुत
कम होता है। ये भार में हल्की भी होती हैं। कॉपर हवा तथा जल से साधारण ताप
पर बहुत कम क्रियाशील है। ऐलुमिनियम के तार के ऊपर ऐलुमिनियम
ऑक्साइड की परत इसे हवा तथा पानी से अभिक्रिया करने से रोकती है।
फलतः कॉपर तथा एलुमिनियम के तार अधिक दिनों तक कार्य कर सकते हैं।

                                            
                              5 अंक स्तरीय प्रश्न

1. ओम का नियम क्या है ? इसे कैसे सत्यापित किया जाता है ?
                 [JAC 2010 (S), 2009 (S),2015 (A), 2017(A)]
उत्तर : ओम का नियम―नियत ताप पर किसी चालक से प्रवाहित धारा
(I) चालक के आड़े विभवांतर (V) के समानुपाती होती है। .

गणितीय रूप में, I ∝ V अथवा, I = V/R

जहाँ I/R समानुपाती नियतांक है। इस राशि को चालक का प्रतिरोध कहा
जाता है।
ओम के नियम की जाँच―चित्रानुसार परिपथ तैयार करते हैं। इसमें एक
प्रतिरोधक तार XY, एक ऐमीटर A, एक वोल्टमीटर V तथा 1.5 V के चार सेल
चित्रानुसार जोड़ते हैं।

क्रियाविधि―कुंजी K को डालकर केवल एक सेल को परिपथ में लाते हैं
(संयोजन ।)। इस समय ऐमीटर का पठन I तथा अनुरूपी वोल्टमीटर का पठन
V लेते हैं एवं सारणी में अंकित करते हैं। अब K को निकालकर दो सेलों को
परिपथ में लाते हैं (संयोजन 2) एवं K को डालकर ऐमीटर का पठन I' एवं
बोल्टमीटर का पठन V' लेते हैं एवं सारणी में अंकित करते हैं। इसी तरह तीन
एवं चार सेलों को परिपथ में लाकर पठनों को सारणी में अंकित कर लेते हैं।
ग्राफ―यह मूलबिंदु से गुजरती एक सरल रेखा होती है।


2. तीन प्रतिरोधों क्रमश: R₁, R₂, एवं R₃ को समानान्तर क्रम में जोड़ने पर
समतुल्य प्रतिरोध ज्ञात करें।      [JAC 2009 (A); 2011 (A),2020 (A)]
उत्तर : चित्र में तीन प्रतिरोधक जिनके प्रतिरोध क्रमशः R₁, R₂ तथा R₃
हैं पार्श्वक्रम में संयोजित हैं। सेल से दी
गई कुल धारा । है जो तीनों प्रतिरोधकों में
बँट जाती है। चित्र से,

यदि इन तीन प्रतिरोधकों का समतुल्य प्रतिरोध R हो, तो R प्रतिरोधक के
सिरों के बीच V विभवांतर लगाने पर उससे । विद्युत-धारा प्रवाहित होगी, जहाँ

I = V/R... (iii)

समीकरण (ii) और (iii) से, 1/R = 1/R₁ + 1/R₂ + 1/R₃

3. तीन प्रतिरोधों क्रमश: R₁, R₂ एवं R₃ को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर तुल्य
प्रतिरोध ज्ञात करें।
उत्तर : तुल्य प्रतिरोध वह एकल प्रतिरोध है जिससे एक सेल उतनी ही
धारा भेजता है जितनी श्रेणीबद्ध प्रतिरोधकों से।

ओम का नियम प्रत्येक प्रतिरोध पर लगाने पर,
R₁ पर विभवपतन = IR₁,
R₂ पर विभवपतन = IR₂,
R₃ पर विभवपतन = IR₃
अब कुल विभवपतन V के तुल्य है।
V=V₁+V₂+V₃ = IR₁+ IR₂ + IR₃
= I(R₁+R₂ + R₃)                           ..........(i)
तुल्य प्रतिरोध Rₛ हो, तो समान धारा I इससे प्रवाहित होगी। ।
ओम के नियम से,V= IRₛ                    .........(ii)
समीकरण (i) एवं (ii) से,
IRₛ = I(R₁+R₂+₃)    या,  Rₛ = R₁+ R₂ + R₃ .......... (iii)
इस प्रकार, तुल्य प्रतिरोध श्रेणीबद्ध प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है।

4. SI मात्रक के साथ विद्युत-धारा, विभवांतर और प्रतिरोध को परिभाषित
करें, इनमें संबंध स्थापित करें एवं संबंधित नियम की व्याख्या करें।
उत्तर : विद्युत-धारा―किसी स्थान को प्रति एकांक समय में पार करते
नेट आवेश का परिमाण विद्युत धारा कहलाता है। इसका SI मात्रक ऐम्पीयर
(A) है जो । कूलॉम प्रति सेकड के तुल्य है।

विभवांतर―दो बिंदुओं के बीच विभवांतर, एकांक आवेश को एक से
दूसरे बिंदु तक ले जाने में वैद्युत क्षेत्रबल द्वारा किए गए कार्य के तुल्य होता है।
इसका SI मात्रक वोल्ट है जो । जूल प्रति कूलॉम के तुल्य होता है।

प्रतिरोध―किसी चालक का प्रतिरोध इसके सिरों के बीच आरोपित
विभवांतर एवं प्रवाहित धारा के अनुपात को कहा जाता है। इसका SI मात्रक
ओम (Ω) है जो 1 वोल्ट प्रति ऐम्पियर के तुल्य होता है।

संबंध की स्थापना―किसी चालक के सिरों एवं के बीच विभवांतर
मापने के लिए एक वोल्टमीटर V लेते हैं तथा प्रवाहित विद्युत धारा की माप के
लिए ऐमीटर A का उपयोग करते हैं। 1.5 वोल्ट के चार सेलों को चित्रानुसार
सजाते हैं।
सबसे पहले एक सेल को परिपथ में लाते हैं (संयोजन-1)
एवं XY के आड़े विभवांतर V तथा धारा I मापते हैं। इनका अनुपात
V/I ज्ञात करते हैं। यह क्रिया परिपथ में दो या अधिक सेलों को लाकर
दुहराते हैं। हम पाते हैं कि प्रत्येक दशा में V/I का मान अचर आता है। अर्थात,
विभवांतर/विद्युत-धारा   = अचर।

परिभाषा से यह अचर प्रतिरोध R है। अत:, किसी चालक के सिरों का
विभवांतर एवं उससे प्रवाहित धारा का अनुपात (प्रतिरोध के तुल्य) अचर होता
है। अर्थात,V/I = R यही अभीष्ट संबंध है।

संबंधित नियम ―1827 में ओम ने बताया कि किसी धातु के तार में
प्रवाहित होनेवाली धारा (I) उस तार के सिरों के बीच विभवांतर के अनुक्रमानुपाती
होती है बशर्ते तार का ताप अधर रहे। इसे ओम का नियम कहा जाता है।
व्याख्या―अचर ताप रहने के कारण प्रतिरोध अचर हो जाता है।
परंतु, प्रतिरोध = विभवांतर/विद्युत-धारा।
अतः, विभवांतर/विद्युत-धारा = अचर, जो ओम के नियम का कथन है।

5. (a) विद्युत आपूर्ति में अतिभारण एवं लघुपथन से क्या तात्पर्य है?
(b) भूसंपर्क तार का क्या कार्य है? धात्विक उपकरणों का क्या
रंग होता है?
उत्तर : (a) अतिभारण' : किसी परिपथ में प्रयोग होने वाले तारों के लिए
धारा का सर्वाधिक परिमाण निश्चित होता है। यदि परिपथ में प्रयोग होने वाले
उपकरणों की शक्ति इस सीमा से बढ़ जाती है तो इसे अतिभारण कहते हैं।

लघुपथन : कभी-कभी खराब तथा क्षतिग्रस्त होने पर, विद्युतन्मय और
उदासीन तार आपस में बिना किसी प्रतिरोधक के सम्पर्क में आ जाते हैं और
परिपथ का प्रतिरोध शून्य हो जाता है और उसमें अत्यधिक धारा प्रवाहित होने
लगती है। इसे लघुपथन कहते हैं। इससे परिपथ में लगे उपकरण क्षतिग्रस्त हो
सकते हैं तथा लघुपथन के स्थान पर चिनगारी उत्पन्न होने से आग भी लग
सकती है।

(b) घरेलू वायरिंग में तीन तार होते हैं, ठंडा अथवा उदासीन, गर्म अथवा
जीवित, और अर्थ तार। प्रभावतः स्रोत से प्रत्यावर्ती धारा गर्म तार से प्रवाहित
होती हुई ठंडे तार से लौटती हुई मानी जाती है और अर्थ तार जो जमीन के अंदर
पाँच मीटर नीचे गड़ी धातु की प्लेट से जुड़ा रहता है, अनावश्यक प्रवाह को
प्रवाहित कर देता है।

6. (a) विद्युत परिपथ किसे कहते हैं? विद्युत सेल, विद्युत बल्ब, ऐमीटर
एवं स्विच को दर्शाते हुए एक विद्युत परिपथ का आरेख बनावें।
(b) श्रेणीक्रम में संयोजन के स्थान पर वैद्युत युक्तियों को
पार्श्वक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ हैं?
(c) प्रतिरोधकता का S.I. मात्रक लिखें।
उत्तर : (a) विद्युत परिपथ एक ऐसा मार्ग है जिसमें विद्युतधारा को एकांक
समय में किसी विशेष क्षेत्र से प्रवाहित आवेश के परिमाण द्वारा व्यक्त किया
जाता है।
विद्युत परिपथ का आरेख―


(b) पार्यक्रम में संयोजित करने के लाभ होते हैं―(i) प्रतिरोधों को
पार्श्वक्रम में जोड़ने से किसी भी चालक में स्विच की सहायता से विद्युत धारा
स्वतंत्रतापूर्वक भेजी अथवा रोकी जा सकती है। (ii) ऐसा करने के सभी समांतर
शाखाओं के सिरों के बीच का विभवांतर बराबर होता है। इसलिए लैंप, बिजली
की इस्तरी, रेफ्रिजरेटर, रेडियो आदि को एक ही विभव पर प्रचलन के योग्य
बनाया जा सकता है।

(c) ओम-मीटर (Ω - m)

                                             ■■■

  FLIPKART

और नया पुराने

themoneytizer

inrdeal