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 Jharkhand Board Class 10 Hindi Notes | जार्ज पंचम की नाक ― कमलेश्वर  Solutions Chapter 2


प्रश्न 1.अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत
किया?                                           [JAC 2014 (A); 2016 (A)]
उत्तर―अखबारों ने जॉर्ज पंचम की नाक की जगह जिंदा नाक लगाने की खबर
को बड़ी कुशलता से छिपा लिया। उन्होंने बस इतना ही छापा-'नाक का मसला
हल हो गया है। राजपथ पर इंडिया गेट के पास वाली जॉर्ज पंचम की लाट के
नाक लग रही है।

प्रश्न 2. "नयी दिल्ली में सब था.... सिर्फ नाक नहीं थी।" इस कथन के
माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है ?
उत्तर―इस कथन के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि आजाद भारत में
किसी प्रकार की सुख-सुविधा में कोई कमी नहीं थी। सब कुछ था। परंतु अब
भी भारतीयों में आत्मसम्मान की भावना नहीं थी। यदि जॉर्ज पंचम ने उन्हें गुलाम
बनाकर उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई थी तो उसे गलत ठहराने की हिम्मत
नहीं थी।

प्रश्न 3. जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों
थे?                                                                  [JAC 2011 (A)]
उत्तर―उस दिन सभी अखबार इसलिए चुप थे क्योंकि भारत में न तो कहीं
कोई अभिनंदन कार्यक्रम हुआ, न सम्मान-पत्र भेंट करने का आयोजन हुआ। न ही
किसी नेता ने कोई उद्घाटन किया, न कोई फीता काटा गया, न सार्वजनिक सभा
हुई। इसलिए अखबारों को चुप रहना पड़ा । यहाँ तक कि हवाई अड्डे या स्टेशन
पर स्वागत समारोह भी नहीं हुआ। इसलिए किसी नेता का ताजा चित्र नहीं छप
सका।

प्रश्न 4.रानी एलिजाबेथ द्वितीय के आगमन की कैसी खबरें अखबारों में
छपी?
उत्तर―रानो एलिजाबेथ द्वितीय के आगमन पर सभी अखबारों में उनके शाही
दौरे की तैयारियों की खबरें छपी। रानी कहाँ-कहाँ जाएँगी, कब कौन-सा सूट
पहनेंगी, उस सूट का कपड़ा कहाँ से आया है, उस पर कितना खर्चा आया है,
आदि-आदि खबरें प्रमुखता से छपी। साथ ही उनकी जन्मपत्री छपी। उनके पुत्र
फिलिप के कारनामे छपे । उनके नौकरों, रसोइयों, खानसामों और अंगरक्षकों तक
की जीवनियाँ छपी। हद तो तब हो गई, जब रानी के कुत्तों की फोटो भी अखबार
में छपी।

प्रश्न 5. इंग्लैंड और भारत में अब तक राजतंत्र का प्रभाव हावी है-सिद्ध
कीजिए।
उत्तर―इंग्लैंड में राजतंत्र की परंपराएँ अब तक जीवित हैं। अब भी
राजा-रानी-राजकुमारों की परंपरा चली आ रही है। वहाँ के लोग उन्हीं के
रहन-सहन, खान-पान आदि को देखकर अनुकरण करते हैं। भारत के लोग राजतंत्र
से कम इंग्लैंड से अधिक प्रभावित रहे हैं। भारत की जनता राजा-रानी की वेशभूषा
और जीवन-शैली को जानने के लिए उत्सुक रही है। तभी अखबार वाले ऐसी खबरें
छापते रहे हैं।

प्रश्न 6. नई दिल्ली की कायापलट क्यों होने लगी?
उत्तर―नई दिल्ली में इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ द्वितीय अपने पति-सहित दौरा
करने वाली थीं। भारत के शासक उनका शाही सम्मान करना चाहते थे। इसलिए
नई दिल्ली को पूरी तरह राजसी सज-धज से संवारा जाने लगा। यहाँ तक कि
उसकी कायापलट हो गई।

प्रश्न 7. रानी एलिजाबेथ के भारत-आगमन पर कौन-सी मुसीबत आ खड़ी
हुई?
उत्तर―रानी एलिजाबेथ के भारत-आगमन पर जॉर्ज पंचम की नाक-कटी मूर्ति
समस्या का कारण बन गई। रानी अपने जॉर्ज का अपमान देखेंगी तो इसमें भारत
की नाक कटेगी। यह सोचकर भारतीय सरकार असमंजस में पड़ गई कि वह जॉर्ज
पंचम की नाक को वापस मूर्ति पर कैसे लगाए।

प्रश्न 8. जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर आंदोलन कब हुए थे और क्यों ?
उत्तर―आजादी के बाद जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर राजनीतिक दलों ने
आंदोलन किए थे। किसी दल का मत था कि जॉर्ज की नाक काट देनी चाहिए।
कोई दल उसे सुरक्षित रखना चाहता था। इस पर सभी दलों के लोग पक्ष और विपक्ष
में बैठे हुए थे। इसलिए वे किसी निर्णय पर नहीं पहुँच सके।

प्रश्न 9. जॉर्ज पंचम की नाक किसने काटी ?
उत्तर―पाठ को पढ़कर ऐसा लगता है कि किसी उम्र एवं स्वाभिमानी भारतीय
ने जॉर्ज पंचम की नाक काटकर गुलामी के अपमान का बदला लिया होगा ।

प्रश्न 10. राजनीतिक आंदोलनों और बहसों पर लेखक की क्या राय है ?
उत्तर―लेखक स्पष्ट कहना चाहता है कि राजनीतिक आंदोलन और बहसें प्रायः
व्यर्थ होती हैं। उनमें हर बात पर बहस होती है। लोग पक्ष-विपक्ष में बुरी तरह बँट
जाते हैं। मुट्ठी भर लोग पक्ष में और जरा-से लोग-विपक्ष में होते हैं। अधिकतर
लोग खामोश होते हैं। प्रायः राजनीतिक बहसों का कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाता।

प्रश्न 11. 'खामोश रहने वालों की ताकत दोनों तरफ थी'-व्यंग्य स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर―सभी राजनीतिक लोग इतने चतुर होते हैं कि वे खामोश रहने वाले लोगों
को अपने पक्ष में गिनकर अपने मत को मजबूत बनाने की कोशिश करते हैं।

प्रश्न 12. इस पाठ में सरकारी सुरक्षा-तंत्र की मजाक उड़ाई गई है-कैसे ?
उत्तर―इस पाठ में सरकारी सुरक्षा-तंत्र की खुली मजाक उड़ाई गई है। कैसा
आश्चर्य है कि जॉर्ज पंचम की मूर्ति के इर्द-गिर्द उनकी नाक की सुरक्षा के लिए
हथियारबंद पहरेदार तैनात हैं। लगातार गश्त चल रही है। फिर भी जॉर्ज की नाक
कट जाती है और किसी को खबर नहीं होती। इससे भारतीय सुरक्षा-तंत्र की पोल
खुल जाती है।

प्रश्न 13. इस पाठ में सरकारी खैरख्वाह किन्हें कहा गया है ? उन पर क्या
व्यंग्य है?
उत्तर―इस पाठ में सरकार के शुभचिंतकों को सरकारी खैरख्वाह कहा गया
है। उन पर यह व्यंग्य है वे जैसे-तैसे सरकार को चलाने में रुचि रखते हैं।
उन्हें राष्ट्रीय स्वाभिमान से कुछ लेना-देना नहीं होता । उन्हें जॉर्ज पंचम की काली
करतूतों से कुछ लेना-देना नहीं। न ही देश-हित में किए गए बलिदानों की चिंता
है। उन्हें तो जैसे-तैसे सरकार को चलाते रहने की चिंता है।

प्रश्न 14. सरकारी खैरख्वाह ने क्या निर्णय लिया और क्यों ?
उत्तर―सरकारी शुभचिंतकों ने यह निर्णय लिया कि रानी एलिजाबेथ के
आगमन पर जॉर्ज पंचम की कटी हुई नाक को वापस लगाया जाए। आशय यह
है कि अंग्रेजों की फिर से स्तुति की जाए। उन्हें भारत की शान कहा जाए ।
क्योंकि सरकारी शुभचिंतक राष्ट्रीय स्वाभिमान को भूल चुके हैं। आजादी के
बाद वे जैसे-तैसे सरकार में बने रहना चाहते हैं और ऊपरी शान-शौकत बनाए
रखना चाहते हैं।

प्रश्न 15. इस पाठ में मूर्तिकार पर क्या व्यंग्य किया गया है ?
उत्तर―इस पाठ में मूर्तिकार पर गहरा व्यंग्य है। लेखक का पहला वाक्य
देखिए-'मूर्तिकार यों तो कलाकार था पर जरा पैसे से लाचार था।' इसमें दो-दो
व्यंग्य हैं। पहला व्यंग्य-मूर्तिकार यो तो कलाकार था अर्थात् सच मायनों में कलाकार
नहीं था। वह व्यवसाय से ही कलाकार था। दूसरा व्यंग्य है-'जरा पैसे से लाचार
था'। इसमें गहरा कटाक्ष है। उसे हमेशा सरकारी पैसे की इच्छा रहती है। वह
चाहता है कि सरकारी धन का भरपूर दुरुपयोग करे। वह सरकारी खर्च पर पूरा
देश एक नहीं दो-दो बार घूमे । अंत में समस्या को यों ही लटकाए रखे। अंत में
भी मजबूरी के नाम पर सरकार से मुंह मांगी मदद मांगे। इस प्रकार वह कला के
नाम पर सरकार का जमकर शोषण करता है।

प्रश्न 16. इस पाठ में सरकारी दफ्तरों की कार्य-प्रणाली पर क्या व्यंग्य
किया गया है?
उत्तर―इस पाठ में सरकारी दफ्तरों की कार्य-प्रणाली पर गहरा व्यंग्य है।
सरकारी अधिकारी किसी काम का जिम्मा अपने कंधों पर नहीं लेते । सभी जिम्मेदारी
एक-दूसरे पर डालते हैं। इसलिए जब उनसे कोई सवाल-जवाब किया जाता है तो
उत्तर कोई नहीं देना चाहता । सभी एक-दूसरे को इस दृष्टि से देखते हैं जैसे उत्तर
देना उसका काम है। आखिरकार सारे काम का ठीकरा छोटे-से-छोटे कर्मचारी के
सिर पर फोड़ दिया जाता है । वह अपनी गलती मानकर अपना पिंड छुड़ा लेता है।
सरकार में कमेटियाँ गठित करने की परंपरा पर भी गहरा व्यंग्य है। इससे बड़े
सरकारी अधिकारी सीधे-सीधे किसी जवाबदेही से बच जाते हैं।

प्रश्न 17.इस पाठ में सरकारी तंत्र और अखबारों पर क्या व्यंग्य है?
उत्तर―इस पाठ से सरकारी तंत्र और अखबारों की मिलीभगत पर गहरा व्यग्य
है। सरकार अपने फैसलों को गलत-सही ठहराकर मनमाने ढंग से अखबाये में
छपवाती है। अखवार वाले भी सच की गइराई में गए बिना सरकारी फैसलों को
ज्यों-का-त्यों छाप देते हैं। एक प्रकार से अखबारों का अपना कोई स्वतंत्र आधार
नहीं है।

प्रश्न 18. सभापति ने जॉर्ज पंचम की मूर्ति में लगे विदेशी पत्थर के बारे
में जानकर कैसी प्रतिक्रिया की?
उत्तर―सभापति ने जॉर्ज की मूर्ति के बारे में जाना कि वह विदेशी पत्थर से
बनी है। यह जानकर उसने खींझकर कहा कि भारत में यह विदेशी पत्थर क्यों
उपलब्ध नहीं है। जब भारत विदेशों की हर चीज की नकल कर रहा है तो उसने
विदेशी पत्थर को क्यों नहीं मँगाया। यहाँ विदेशी पत्थर भी उपलब्ध होना चाहिए।

प्रश्न 19. विदेशी माल के प्रति मोह पर लेखक ने क्या व्यंग्य किया है ?
उत्तर―लेखक ने विदेशी माल के प्रति मोह को देखते हुए जबरदस्त व्यंग्य
किया है। उसने व्यंग्य किया है कि हम भारतीय आज दिल-दिमाग, तौर-तरीके,
रहन-सहन, विदेशी तर्ज पर अपना चुके हैं। फिर पत्थर जैसी नाचीज भी क्यों छोड़ी
जाए? क्यों न हर चीज विदेशों से मँगाई जाए।

प्रश्न 20. मूर्तिकार ने किसी भारतीय नेता की नाक काटकर जॉर्ज पंचम की
नाक पर लगाने का सुझाव दिया तो सभापति ने क्या प्रतिक्रिया की?
उत्तर―सभापति ने यह सुझाव सुनकर एक बार असमंजस दिखाया। परंतु
अगले ही क्षण इसके लिए स्वीकृति देते हुए कहा कि यह काम होशियारी से होना
चाहिए।

प्रश्न 21.सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता
या बदहवासी दिखाई देती है वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है।
                                                                               [2015 (A)]
उत्तर―सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता और
बदहवासी दिखाई देती है, उससे उनकी गुलाम मानसिकता का बोध होता है। इससे
पता चलता है कि वे आजाद होकर भी अंग्रेजों के गुलाम हैं। उन्हें अपने उस अतिधि
की नाक बहुत मूल्यवान प्रतीत होती है जिसने भारत को गुलाम बनाया और
अपमानित किया। वे नहीं चाहते कि वे जॉर्ज पंचम जैसे लोगों के कारनामों को
उजागर करके अपनी नाराजगी प्रकट करें। वे उन्हें अब भी सम्मान देकर अपनी
गुलामी पर मोहर लगाए रखना चाहते हैं।
       इस पाठ में 'अतिथि देवो भव' की परंपरा पर भी प्रश्नचिह्न लगाया गया है।
लेखक कहना चाहता है कि अतिथि का सम्मान करना ठीक है, किन्तु वह अपने
सम्मान की कीमत पर नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 22. रानी एलिजाबेथ के दरजी की परेशानी का क्या कारण था?
उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्कसंगत ठहराएँगे?
                                             [JAC Sample Paper 2009]
उत्तर―रानी एलिजावेथ के दरजी की परेशानी यह थी कि रानी भारत,
पाकिस्तान और नेपाल के शाही दौरे पर कौन-सी वेशभूषा धारण करेंगी। उसे
लगता था कि रानी की आन-बान-शान भी बनी रहनी चाहिए और उसकी वेशभूषा
विभिन्न देशों के अनुकूल भी हो।
          दरजी की परेशानी जरूरत से अधिक है। किसी देश में घूमते वक्त अपने
कपड़ों पर आवश्यकता से अधिक ध्यान देना, चकाचौंध पैदा करना आवश्यक है।
परन्तु यदि रानी अपने कपड़ों को लेकर परेशान है तो दरजी बेचारा क्या करे ? उसे
तो रानी की शान और वातावरण के अनकूल वेशभूषा तैयार करनी ही पड़ेगी।

प्रश्न 23. आज की पत्रकारिता के चर्चित हस्तियों के पहनावे और
खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है―
(क) इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं ?
(ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर ध्या
प्रभाव डालती है?
उत्तर―(क) इस प्रकार की पत्रकारिता मनोरंजन-पत्रकारिता के अंतर्गत आती
है। हर देश के फैशन अपने समय के महत्त्वपूर्ण नायक-नायिकाओं की वेशभूषा
को देखकर चलता है। इन बातों को सीमित महत्व देना चाहिए। इन्ह समाचार-पत्र
के भीतर पृष्ठों पर मनोरंजन-परिशिष्ट के.अंतर्गत ही स्थान मिलना चाहिए। इन्हें
राष्ट्रीय समाचार-पत्रों की पहली खबर बनाना आवश्यकता से अधिक महत्त्व देना
है। इस प्रवृत्ति पर रोक लगनी चाहिए।

(ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता को रहन-सहन के तौर-तरीकों और
फैशन आदि के प्रति जागरूक करती है। बहुत से युवक-युवतियों पढ़ाई-लिखाई।
से अधिक फैशन में रुचि लेने लगते हैं। वे काम की बातों से अधिक ध्यान ऊपरी
दिखावे पर देने लगते हैं।

प्रश्न 24.जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार
ने क्या-क्या यत्न किए?                                     [JAC 2017 (A]
उत्तर―जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को लगाने के लिए मूर्तिकार ने अनेक
प्रयत्न किए। उसने सबसे पहले उस पत्थर को खोजने का प्रयल किया जिससे वह
मूर्ति बनी थी। इसके लिए पहले उसने सरकारी फाइलें दुंदवाई । फिर भारत के सभी
पहाड़ों और पत्थर की खानों का दौरा किया। फिर भारत के सभी महापुरुषों की
मूर्तियों का निरीक्षण करने के लिए पूरे देश का दौरा किया। अंत में जीवित व्यक्ति
की नाक काटकर जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर लगा दी।

प्रश्न 25. प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं जो मौजूदा
व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। उदाहरण के लिए 'फाइलें सब कुछ हजम
कर चुकी हैं।' 'सब हुक्कामों ने एक दूसरे के तरफ ताका।' पाठ में आए ऐसे
अन्य कथन छाँटकर लिखिए।
उत्तर―ऐसे अन्य व्यंग्यात्मक कथन इस प्रकार हैं―
● शंख इंग्लैंड में बज रहा था, गूंज हिन्दुस्तान में आ रही थी।
● गश्त लगती रही और लाट की नाक चली गई।
● सभी सहमत थे कि अगर यह नाक नहीं है तो हमारी ही नाक नहीं रह
जाएगी।
● एक ही नजर ने दूसरे से कहा कि यह बताने की जिम्मेदारी तुम्हारी है।
● पुरातत्व विभाग की फाइलों के पेट चीरे गए पर कुछ भी पता नहीं चला।
● एक खास कमेटी बनाई गई और उसके जिम्मे यह काम दे दिया गया।
● यह छोटा-सा भाषण फौरन अखबारों में छप गया।

प्रश्न 26. नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है । यह बात पूरी व्यंग्य
रचना में किस तरह उभरकर आई है ? लिखिए । [JAC 2011 (A); 2016 (A]]
उत्तर―इस पाठ में नाक मान-सम्मान और प्रतिष्ठा की परिचायक है। जॉर्ज
पंचम भारत पर विदेशी शासन के प्रतीक हैं। उनकी कटी हुई नाक उनके अपमान
की प्रतीक है। इसका अर्थ है कि आजाद भारत में जॉर्ज पंचम की नीतियों को भारत
विरोधी मानकर अस्वीकार कर दिया गया।
          रानी एलिजाबेथ के आगमन से सभी सरकारी अधिकारी अंग्रेजी शासन के
विरुद्ध अपनी नाराजगी व्यक्त करने की बजाय उनकी आराधना में जुट गए । जॉर्ज
पंचम का भारत की धरती से कोई अनुराग नहीं था। उनकी आस्था पूरी तरह विदेशी
थी। उनकी मूर्ति का पत्थर तक विदेशी था। फिर उनका मान-सम्मान किसी
भारतीय नेता या बलिदानी बच्चों से भी अधिक नहीं था। उनकी नाक भारतीय
स्वतंत्रता सेनानियों की नाक से नीची थी। इसके बावजूद सरकारी अधिकारी उसकी
नाक बचाने में लगे रहे । लाखो-करोड़ों रुपया बर्बाद कर दिया। यहाँ तक कि अंत
में किसी जीवित व्यक्ति की नाक काटकर जॉर्ज पंचम की नाक पर बिठा दी गई।
यह पूरी भारतीय जनता के आत्मसम्मान पर चोट है।

प्रश्न 27. 'और देखते ही देखते नयी दिल्ली का काया पलट होने
लगा'―नयी दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयल किए गए होंगे ?
                                       [JAC 2009 (A); 2014 (A); 2018 (A)]
उत्तर―नई दिल्ली के कायापलट के लिए सबसे पहले गंदगी के ढेरों को हटाया
गया होगा। सड़कों, सरकारी इमारतों और पर्यटन स्थलों को रंगा-पोता और
सजाया-संवारा गया होगा। उन पर बिजलियों का प्रकाश किया गया होगा । सदा
से बंद पड़े फब्बारे चलाए गए होंगे। भीड़भाड़ वाली जगहों पर ट्रैफिक पुलिस का
विशेष प्रबंध किया गया होगा।

प्रश्न 28. जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि
भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत
करना चाहता है?                              [JAC 2013 (A); 2017 (A)]
उत्तर―जॉर्ज पंचम की नाक सभी भारतीय नेताओं और बलिदानी बच्चों से
छोटी थी―यह बताना लेखक का लक्ष्य था। भारत में आजादी के लिए लड़ने वाले
बदिलानी बच्चों को मान-सम्मान जॉर्ज पंचम से भी अधिक था। गाँधी, नेहरू,
सुभाष, पटेल अदि नेता तो निश्चित रूप से जॉर्ज पंचम से कहीं अधिक सम्माननीय
थे। यह बताना ही लेखक का उद्देश्य है।

प्रश्न 29. 'जॉर्ज पंचम की नाक' नामक निबंध का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर―'जॉर्ज पंचम की नाक' निबंध स्वाभिमानशून्य भारतीय शासकों पर
व्यंग्य है । लेखक ने आजाद भारत के उन शासकों का उपहास उड़ाया है जो अपने
आत्मसम्मान को भूल चुके हैं। वे अतीत में हुए अपने अपमान को भूलकर
अत्याचारियों का सम्मान करने में लगे हुए हैं। उन्हें भारतीय महापुरुषों, शहीदों और
संघर्षों की कोई चिंता नहीं है। चिंता है तो इंग्लैंड की महारानी का मान रखने की।
वे भूल चुके हैं कि इसी महारानी के देश ने ही उन्हें कभी गुलाम बनाया था।
        इस निबंध में सरकारी कार्य-प्रणाली पर भी व्यंग्य है। सरकारी काम सरसरी
तौर पर किया जाता है। सब अफसर अपनी जिम्मेदारी दूसरे पर डालने की कोशिश
करते हैं। अंत में गाज गिरती है-क्लर्क या आम कर्मचारी पर । वह भी मौके पर
क्षमा माँगकर सारी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है।

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