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 Jharkhand Board Class 10 Hindi Notes |   उत्साह/अट नहीं रही है ― सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' Solutions Chapter 3

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                                 उत्साह

काव्यांश 1 बादल, गरजो।-
               घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
                ललित ललित, काले झुंघराले,
                बाल कल्पना के-से पाले.
                विद्युत-छवि उर में, कवि, नवजीवन वाले।
                वज्र छिपा, नूतन कविता
                फिर भर दो-बादल, गरजो!

प्रश्न-भावार्थ/आशय स्पष्ट करें।
उत्तर―कवि को बादल में क्रान्ति का स्वर सुनाई पड़ता है। कवि बादल को
खूब गरजने को प्रोत्साहित करता है। कवि कहता है कि तुम अपने गर्जन-वर्जन से
इस आकाश को घेर लो। तुम्हारे बाल काफी सुन्दर और धुंघराले हैं। कवि बादल
को 'कवि' शब्द से सम्बोधित करते हुए कहता है कि तुम अपने हृदय में बिजली
की चमक छिपाये हुए हो और इस संसार को नया जीवन देने वाले हो। अत: तुम
अपनी भावनाओं में बज छिपाकर सम्पूर्ण संसार में जोश का पौरुषमय स्वर भर
दो।

प्रश्न-कवि बादल को गरजने के लिए क्यों कह रहा है?
उत्तर―कवि आज के वातावरण में जोश. पौरुष और क्रान्ति चाहता है। अतः
कवि बादल को गरजने के लिए कहता है। कवि को बादल का गड़गड़ाहट बहुत
प्रिय है।

प्रश्न-आपकी दृष्टि में बादल किसका प्रतीक हो सकता है? और क्यों?
उत्तर―मेरी दृष्टि में बादल पौरुष और क्रान्ति का प्रतीक हो सकता है। बादल
स्वर में जोश भरी गड़गड़ाहट है। वह पृथ्वी पर बरसकर तप्त पृथ्वी को शीतलता
प्रदान करता है। वह बंजर धरती को भी उपजाऊ बना देता है।

प्रश्न-कवि बादल को क्या घेरने के लिए कह रहा है और क्यों?
उत्तर―कवि बादल को पूरा आकाश घेरने के लिए कहता है। बादल मानो
धरती का संरक्षक है। कवि ऐसा इसलिए कह रहा है कि बादल आकाश में फैली
तपन, गर्मी और लू को हटाकर धरती पर छाया प्रदान करे और इस तप्त पृथ्वी को
तृप्त करें।

प्रश्न-कवि ने बादलों को किस रूप में प्रस्तुत किया है?
उत्तर―इस सन्दर्भ में कवि ने बादलों को एक क्रांतिकारी तेजस्वी कवि के
रूप में प्रस्तुत किया है। ऐसा कवि जिसके हृदय में वज्र की शक्ति हो, विद्युत जैसी
चमक और नवीन भावनाओं का संचार है।

प्रश्न-ललित काले धुंघराले बालों की कल्पना किसके लिए की गयी है?
उत्तर―बादल का रूप काला, घना और फैलाव भरा होता है। उसे देखकर
प्रतीत होता है बच्चों के काले और धुंघराले बाल हैं। कवि ने बादलों के काले और
फैलाव के कारण उसकी कल्पना बच्चों के घुघराले बालों से की है।

प्रश्न-'विद्युत-छवि उर में' का क्या तात्पर्य है?
उत्तर―'विद्युत-छवि उर में' इसमें कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि बादल
के हृदय में बिजली छिपी रहती है। बिजली के चमकने पर सर्वत्र एक चमक-सी
पैदा हो जाती है। यहाँ कवि की क्रान्तिकारी भावना काम कर रही है। कवि के
हृदय में एक नया प्रकाश देने की शक्ति है।

प्रश्न-'वज्र छिपा' का व्यंग्यार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर―'वन छिपा' से तात्पर्य है कि बादलों के भीतर बिजली की कड़क छिपी
हुई है। कवि के कहने का मूल आशय है कि बादल रूपी कवि में हृदय को
उथल-पुथल करने की शक्ति है।

काव्यांश 2. विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
                विश्व के निदाघ के सकल जन,
               आए अज्ञात दिशा में अनंत के घन!
               तप्त धरा, जल से फिर
              शीतल कर दो-
              बादल,गरजो!

प्रश्न-कौन विकल और अनमने थे और क्यों? 'निदाघ' किसका प्रतीक
हो सकता है?
उत्तर―कवि के अनुसार, विश्व के सभी लोग व्याकुल और अनमने थे। वे
सभी के सभी भीषण गर्मी की तपन के कारण दुःखी थे। 'निदाघ' भयंकर तप्त
सूर्य अथवा सांसारिक कष्टों का प्रतीक हो सकता है।

प्रश्न-कवि बादल से क्या प्रार्थना करता है? 'तप्त धरा' और 'जल' का
संकेतार्थ स्पष्ट करें।
उत्तर―कवि बादल से प्रार्थना करता है कि इस धरती पर खूब बरस कर वह
इसे शीतल कर दे। 'तप्त धरा' का संकेतार्थ है दुखों से पीड़ित धरती। 'जल' का
संकेतार्थ शान्ति और सुख है।

प्रश्न-कवि बादल को गजरने के लिए ही क्यों कहता है?
उत्तर―मानव समाज में क्रान्ति और चेतना लाने के लिए।

प्रश्न-इस पद्यांश में किन-किन शब्दों की पुनरूक्ति हुई है?
उत्तर―'विकल' एवं 'उन्मन'।

प्रश्न-यह गीत किस प्रकार का है?
उत्तर―'आह्वान गीत।
     
                 पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न एवं उत्तर

प्रश्न 1. 'उत्साह' कविता का उद्देश्य संदेश स्पष्ट कीजिए ।[ JAC 2016 (A)]
उत्तर―'उत्साह' प्रतीकात्मक कविता है। इसमें बादल को उत्साह के प्रतीक-रूप
में प्रकट किया गया है। कवि बादल से निवेदन करता है कि वह सारे गगन को
घेर कर छा ले। वह बच्चों के धुंघराले केशों-सा आकाश में फैल जाए। वह किसी
संघर्षशील कवि के समान जन-जीवन में नया उत्साह भर दे। वह अपनी विद्युत शक्ति
से समाज में गरजे, बरसे और जोश का संचार करे।
    जब सारा संसार पीड़ा और ताप से दुखी हो । लोग व्याकुल और अनमने हों।
तब ये बादल शीतल जल की धारा बनकर जन-जीवन को शांति दें।

प्रश्न 2. 'अट नहीं रहीं है' कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर―'अट नहीं रही है' कविता फागुन मास की मस्ती और शोभा का वर्णन
करती है। इसमें कवि ने कहा है कि फागुन मास की शोभा अपने में समा नहीं पा
रही है। इसलिए वह बाहर छलक-झलक पड़ती है। कहीं सुगंधित हवाएँ है, कहीं
घरों में रंग-बिरंगे फूल उगे हैं, कहीं है आकाश में पक्षियों की टोलियाँ कलरव करती
हुई उड़ान भर रही हैं। वृक्षों पर नए पत्ते उग आए हैं। कहीं लाल-हरे पत्ते सुशोभित
हैं। कहीं सुगाँधत फूल खिल रहे हैं। इस प्रकार जगह-जगह सौन्दर्य की छवि
बिखरी पड़ी है।

प्रश्न 3. 'उत्साह' कविता में 'नवजीवन वाले' किसे कहा गया है और क्यों।
उत्तर―'उत्साह' कविता में 'नवजीवन वाले' विशेषण दो शब्दों के साथ लगा
हैं―बादलों के साथ तथा कवि के साथ । बादलों को नवजीवन वाले इसलिए कहा
गया है क्योकि वे वर्षा करके मुरझाई-सी धरती में नया जीवन फूँक देते हैं। वे
धरती को उपजाऊ बना देते हैं और गर्मी से मुक्ति दिलाते हैं।
     कवि को 'नवजीवन वाले' इसलिए कहा गया है क्योंकि वह उत्साह का संचार
करके निराश-हताश लोगों के जीवन में नई उमंग भरता है।

प्रश्न 4. 'उत्साह' कविता से कवि निराला के व्यक्तित्व की कौन-सी
विशेषता प्रकट होती है?
उत्तर―'उत्साह' कविता से निराला का पौरुष प्रकट होता है। निराला बहुत
जोशीले और गर्वीले कवि थे । वे करुणावान थे। वे बादलों की तरह घुमड़-घुमड़कर
जन-जन के कष्टों पर छा जाना चाहते थे। उन्हें बादलों की गर्जन बहुत प्रिय थी।
इस कविता में यही गर्जन, घुमड़न और करुणा प्रकट हुई है। कवि चाहता है कि
बादल पूरे गगन को घेर लें। वे घनघोर आकार ग्रहण करके खूब बरसें।

प्रश्न 5. 'अट नहीं रहीं है' कविता के आधार पर फागुन की मस्ती का
वर्णन कीजिए।                                            [JAC 2015 (A)]
उत्तर―'अट नहीं रही है' कविता में फागुन की मस्ती और शोभा का वर्णन
हुआ है। फागुन में कही सुगंधित हवाएँ हैं, कहीं फूलों की शोभा है; कहीं पक्षियों
कि उन्मुक्त उड़ानें हैं। सब जगह मानो शोभा ही शोभा बिखरी हुई है। फागुन
की मस्ती सँभाले नहीं संभल रही है।

प्रश्न 6. फागुन की मस्ती का मानव-मन पर क्या प्रभाव दिखाई देता है ?
उत्तर―फागुन की मस्ती इतनी अधिक और रंगीन है कि मानव-मन इससे
उत्फुल्ल और प्रसन्न दिखाई देता है। वह सौंदर्य से इतना प्रभावित है कि अपनी
आँखें बंद नहीं करना चाहता। वह उस सौंदर्य को हमेशा-हमेशा के लिए अपनी
आँखों में समा लेना चाहता है।

                                          उत्साह

प्रश्न 7. कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर 'गरजने'
के लिए कहता है, क्यों?
उत्तर―कवि बादलों को क्रांति का सूत्रधार मानता है। वह उससे पौरुष दिखाने
की कामना करता है। इसलिए वह उसे गरजने-बरसने के लिए बुलाता है, न कि फुहार
छोड़ने बरसने या केवल बरसने के लिए। कवि तापों और दुखों को दूर करने के लिए
क्रांतिकारी शक्ति की अपेक्षा करता है।

प्रश्न 8. कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?
उत्तर―कविता का शीर्षक 'उत्साह' इसलिए रखा गया है क्यों यह बादलों की
गर्जन और उमड़न-घुमड़न से मेल खाता है। बादलों में भीषण गति होती है। उसी
से वह धरती के ताप हरता है। कवि ऐसी ही गति, ऐसी ही भावना और शक्ति
चाहता है।

प्रश्न 9. कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?
उत्तर-कविता में बादल तीन अर्थों की ओर संकेत करता है―
(i) जल बरसाने वाली शक्ति के रूप में।
(ii) उत्साह और संघर्ष के भाव भरने वाले कवि के रूप में।
(iii) पीड़ाओं का ताप हरने वाली सुखकारी शक्ति के रूप में।

                                 अट नहीं रही है

प्रश्न 11. कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?
              [JAC 2009 (S); 2012 (4); 2015 (A); 2017 (A)]
उत्तर―फागुन बहुत मतवाला, मस्त और शोभाशाली है। उसका रूप-सौन्दर्य
रंग-बिरंगे फूलों, पत्तों और हवाओं में प्रकट हो रहा है। फागुन के कारण मौसम
इतना सुहाना हो गया है कि उस पर से आँख हटाने का मन नहीं करता।

प्रश्न 12. प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन
रूपों में किया है?                                            [JAC 2014 (A)]
उत्तर―कवि ने प्रकृति की सुन्दरता की व्यापकता का वर्णन अनेक प्रकार से
किया है। उसे हर जगह छलकता हुआ दिखाया है। घर-घर में फैला हुआ दिखाया
है। कवि ने जान-बूझकर उसे किसी एक दृश्य में नहीं बाँधा है, बल्कि असीम
दिखाया है। 'कहीं साँस लेते हो' का आशय है कि कहीं मादक हवाएँ चल रही
हैं। घर-घर में भरने के भी अनेक रूप हैं। शोभा का भरना, फूलों का भरना,
खुशी और उमंग का भरना । 'उड़ने को पर-पर करना' भी ऐसा सांकेतिक प्रयोग
है जिसके विस्तृत अर्थ हैं। यह वर्णन पक्षियों की उड़ान पर भी लागू होता है
और मन की उमंग पर भी। सौन्दर्य से आँख न हटा पाना भी उसके विस्तार की
झलक देता है।

प्रश्न 13. फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता
है?
उत्तर―फागुन में वातावरण बहुत मीठा और सुहावना होता है। धरती पर सबसे
अधिक फूल खिलते हैं। आसमान साफ-स्वच्छ होता है। पक्षियों के समूह आकाश
में विहार करते दिखाई देते हैं। वृक्षों पर नए फूल-पत्ते उगते हैं। ये विशेषताएं अन्य
महीनों में नहीं होती।

प्रश्न 14. इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की
विशेषताएं लिखिए।                  [JAC Sample Paper 2009]
उत्तर―छायावादी शिल्प की पहली विशेषता है-प्रकृति-चित्रण द्वारा मन के
भावों को प्रकट करना । इस कविता में भी फागुन के द्वारा मन की मस्ती और उमंग
का चित्रण किया गया है । 'घर-घर भर देते हो' में फूलों की शोभा की ओर भी
संकेत है और में उठी खुशी की ओर भी।
      छायावाद की दूसरी विशेषता-मानवीकरण । कवि ने फागुन को नायक
मानकर उससे वार्ता की है। उसे संबोधित करते हुए कहा है―
                        कहीं साँस लेते हो,
                        घर-घर भर देते हो।
छायावाद की तीसरी विशेषता है-गीति-शैली। इसमें भी गीत-शैली के सभी
गुण हैं―संक्षिप्तता, अनुभूति, गेयता, प्रवाहपूर्ण भाषा ।
          छायावाद की सबसे बड़ी विशेषता है-सांकेतिकता । छायावादी शब्द में शब्द
से परे बहुत कुछ ध्वनित होता है। यह विशेषता इस कविता में भी है।
   संस्कृतनिष्ठ लघु-लघु शब्दों का प्रयोग भी छायावादी शिल्प की विशेषता है
जो इस कविता में स्पष्ट दिखाई देती है।

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और नया पुराने

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