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 Jharkhand Board Class 10  Economics  Notes |  मुद्रा आर साख  

JAC Board Solution For Class 10TH ( Social science ) Economics Chapter 3

                       (Money and Credit)

प्रश्न 1. वस्तु विनिमय प्रणाली से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर―वह प्रणाली जिसमें मुद्रा का उपयोग किये बिना लोग अपनी
आवश्कयता की वस्तुओं की पूर्ति वस्तुओं के विनिमय के माध्यम से करते हैं,
विनिमय प्रणली के नाम से जानी जाती है । यह प्रणाली उस समय प्रचलित
थी जब मुद्रा का प्रचलन प्रारम्भ नहीं हुआ था।

प्रश्न 2. 'वस्तु विनिमय प्रणाली' के दोष/कठिनाईयाँ बताएँ ।
उत्तर― वस्तु विनिमय प्रणाली के दोष अथवा कठिनाइयाँ निम्नलिखित हैं―
(i) आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की कमी।
(ii) मूल्य के समान मापन की कमी।
(iii) स्थगित भुगतान के मानक की कमी।
(iv) मूल्य संचय की कमी ।

प्रश्न 3. वस्तु विनिमय की कठिनाइयों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर―(i) वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्यमान के इकाई का अभाव―अर्थात
यदि एक व्यक्ति को पाँच मीटर कपड़े की आवश्यकता है तथा उसे वह अपने
पास के गेहूँ से बदलना चाहता है, तब प्रति मीटर कपड़े के लिए उसे कितना गेहूँ
देना होगा निश्चित नहीं कर पाता ।

(ii) वस्तु विनिमय प्रणाली आवश्यकता के दोहरे संयोग पर आधारित
प्रक्रिया हैअर्थात एक व्यक्ति, किसी ऐसे दूसरे व्यक्ति की तलाश में रहता है जो
वही चीज बेचना चाहता है, जिसे पहला व्यक्ति खरीदना चाहता है। यह विनिमय
को अधिक जटिल तथा समय लेने वाली बना देती है।

(iii) ऐसा विनिमय जिसमें भुगतान, भविष्य में किया जाना होता है,
वस्तु विनिमय प्रणाली के गंभीर दोष को व्यक्त करता है। भविष्य में दी जाने
वाली वस्तु के मूल्यमान में उतार-चढ़ाव का जोखिम बना रहता है, जिससे किसी
एक पक्ष को हानि की संभावना बनी रहती है।

(iv) वस्तु विनिमय प्रणाली में मूल्य या धन संचय का कोई स्थान नहीं
होता । इस व्यवस्था में सिर्फ वस्तुओं का भण्डारण किया जा सकता है । उससे
वस्तुओं के खराब होने की संभावना बनी रहती हैं।

प्रश्न 4. मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को किस
प्रकार सुलझाता है?
उत्तर―मुद्रा के प्रयोग में आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या नहीं
होती। अगर किसी व्यक्ति के पास गेहूँ हैं, वह उसे बेचकर मुद्रा प्राप्त कर सकता
है तथा अपनी आवश्यकता की अन्य कोई भी वस्तु खरीद सकता है।

प्रश्न 5. मुद्रा के प्रयोग के दो तरीके या ढंग बताएँ ।
उत्तर―विनिमय एवं मूल्य-संचय ।

प्रश्न 6. मुद्रा के आधुनिक रूप कौनसे हैं ?
उत्तर―मुद्रा के आधुनिक रूप–(i) करेंसी नोट तथा सिक्के ।
(ii) बैंकों में निक्षेप अथवा जमा ।
(iii) क्रेडिट कार्ड एवं इंटरनेट बैंकिंग ।

प्रश्न 7. मुद्रा आवश्यकताएँ के दोहरे संयोग की समस्या को किस
प्रकार सुलझाता है? अपनी ओर से उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर―वस्तु विनिमय प्रणाली क अन्तर्गत एक वस्तु के मूल्य का भुगतान
दूसरे वस्तु के रूप में किया जाता था। इसके लिए आवश्यकताओं के दोहरे
संयोग का होना आवश्यक था । अर्थात् दो व्यक्तियों के पास ऐसी वस्तु अवश्य
होनी चाहिए, जो एक दूसरे की आवश्यकता को पूरा कर सके।
         लेकिन व्यावहारिक स्तर पर ऐसा संयोग, यदि असंभव नहीं तो कठिन
अवश्य है । यदि, एक व्यक्ति के पास गेहूँ है तथा वह कपड़े खरीदना चाहता है
तथा दूसरे व्यक्ति के पास जूते हैं तथा वह चावल खरीदना चाहता है, तो ऐसी
स्थिति में वस्तु विनिमय प्रणाली के अन्तर्गत दोनों की आवश्यकताएँ पूर्ण नहीं हो
सकती।

प्रश्न 8. बैंक मुख्यतः कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-बैंक मुख्यतः दो प्राकर के होते हैं-(i) व्यावसायिक बैंक (ii) केन्द्रीय बैंक

प्रश्न 9. व्यावसायिक अथवा व्यापारिक बैंक किसे कहते हैं ?
उत्तर―व्यावसायिक बैंक वह संस्था है जो लाभ के उद्देश्य से मुद्रा के जमा,
लेन-देन तथा ऋण की सेवाएं प्रदान करता है । इसके लिए वह जनता, फर्मों तथा
सरकार से जमा स्वीकार करता है । उनके चेक या आदेश पर भुगतान (आहरण)करता
है। जमा का प्रयोग ऋण या निवेश के लिए करता है। जमा का प्रयोग ऋण या
निवेश के लिए करता है।

प्रश्न 10. 'केन्द्रीय बैंक' से क्या अभिप्राय है ? हमारे देश के केन्द्रीय
बैंक का नाम लिखें।
उत्तर―देश की मौद्रिक-व्यवस्था के शीर्ष पर स्थित बैंक को केन्द्रीय बैंक
कहा जाता है, जिसका मुख्य कार्य देश की मौद्रिक नीतियों की रचना,संचालन,
नियमन, निर्देशन और नियंत्रण होता है। हमारे देश के केन्द्रीय बैंक का
नाम-रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है।

प्रश्न 11. बैंकों की आय का मुख्य स्त्रोत कया है ?
उत्तर―बैंक अपने यहाँ जमा राशि पर जो ब्याज देते हैं उससे अधिक ब्याज
दिये गये ऋण पर लेते हैं। कर्जदारों से लिये गये ब्याज तथा जमाकर्ताओं को दिये
गये ब्याज में अंतर, बैंकों की आय का प्रमुख स्त्रोत है।

प्रश्न 12. भारत में करेंसी नोट जारी करने का अधिकार किसे हैं ?
उत्तर-भारत में करेंसी नोट जारी करने का अधिकार, रिजर्व बैंक ऑफ
इंडिया को है।

प्रश्न 13. दस रुपये के नोट पर लिखा है-'मैं धारक को दस रुपये
अदा करने का वचन देता हूँ' । इसका क्या अर्थ है ?
उत्तर―दस रुपये के करेंसी नोट पर लिखे इस पंक्ति के नीचे भारतीय रिजर्व
बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर होता है। इसका अर्थ यह है कि दस रुपये के नोट
के निर्गमन से पहले उतना ही मूल्यमान, जैसे-सोना, प्रतिभूति आदि को अर्थव्यवस्था
में संचित रखती है।

प्रश्न 14. देश की अर्थव्यवस्था में बैंकों की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर―देश की अर्थव्यवस्था में बैंकों की भूमिका―
(i) बैंकों में लोग अपनी बचत को जमा करते हैं जहाँ उस पर मार्ग प्रशस्त
करता है।
(ii) बैंक जरूरतमंदों को ऋण देकर उनके आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त
करता है।
(iii) बैंकों में अधिक लोग काम में लगे होते हैं। इस प्रकार बैंक बेरोजगारी
की समस्या को हल करने में भी मदद करते हैं।
(iv) बैंक देश में मुद्रा के परिचालन को नियंत्रित करते हैं।

प्रश्न 15.आर्थिक विकास में ऋण की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर―(i) प्रति व्यक्ति आय एवं राष्ट्रीय आय में वृद्धि देश के आर्थिक
विकास में ऋण एक महत्त्वपूर्ण सकारात्मक भूमिका निभाता है। व्यापारी, उद्यमी
किसान तथा आम जनता बैंकों से ऋण लेकर अपना आर्थिक विकास करने का
प्रयास करते हैं। उनके आर्थिक विकास से प्रति व्यक्ति आय तथा राष्ट्रीय आय
में वृद्धि होती है।

(ii) रोजगार के सृजन तथा लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास में सहायक ।
ऋण लेकर व्यापारी अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने का प्रयास करता है, उद्यमी
नये कारखाने लगाता है। जिसमें लोगों को रोजगार प्राप्त होता है।

(iii) कृषि एवं कृषि आधारित आर्थिक गतिविधियों के विकास में सहयक ।
किसान अपने उत्पादन को बढ़ाता है इससे देश के खाद्यान्न की जरूरतों की पूर्ति
होती है।

(iv) आम जनता अपनी छोटी-मोटी आवश्यकताओं को पूर्ण करती है।
आय बढ़ाने तथा आवास खरीदने के लएि लोग बैंकों से ऋण लेते हैं।

(v) उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के लिए सफल छात्रों को अपनी शिक्षा को
पूर्ण कर उत्तम रोजगार पाने में आज बैंक-ऋण बड़ी भूमिका निभा
इस तरह ऋण आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रश्न 16. अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच
बैंक किस प्रकार मध्यस्थता करते हैं ?
उत्तर―साधारणतया दो श्रेणी के लोग बैंक जाते हैं― एक वे जिनके पास
अतिरिक्त धन होता है और दूसरे वे जिन्हें धन की आवश्यकता होती है।
बैंक इन दोनों प्रकर के लोगों को मध्यस्थता प्रदान करता है।
जिनके पास अतिरिक्त धन होता है उस जमाकर्ता को बैंक सूद देते है और
जिन्हे धन की जरूरत होती है उनसे बैंक सूद प्राप्त करता है।
इस प्रकार बैंक में जो अतिरिक्त धन बच जाता है उससे बैंक निजी काम
चलाता है। बैंक की मध्यस्थता से सभी वर्गों का कल्याण होता है।

प्रश्न 17. उधारदाता उधार देते समय समर्थक ऋणाधार की माँग क्यों
करता है?
उत्तर―उधारदाता उधार देने समय समर्थक ऋणाधार की माँग, ऋण-वापी
की सुनिश्चित करने के लिए करता है। यदि निर्धारित समय सीमा के अंदर, कर्ज
दाता, समर्थक ऋणाधार की बेचकर अपना पैसा वापस प्राप्त कर लेता है।

प्रश्न 18. क्या कारण है कि बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए
तैयार नहीं होते?
उत्तर―(i) बैंक अपने द्वारा दिये गये ऋण पर समर्थक ऋणाधार की माँग
करता है ताकि ऋणवापसी की अनिश्चितता समाप्त हो सके।

(ii) एक गरीब व्यक्ति के पास, समर्थक ऋणाधार के रूप में बैंक के पास
रखने के लिए कुछ नहीं होता है। अतः समर्थक ऋणाधार के अभाव के कारण
वह बैंकों से ऋण प्राप्त नहीं कर पाता है।

(iii) भारत के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक मोजूद नहीं हैं।

(iv) बैंक से कर्ज लेने में विशेष कागजी कारवाई करनी पड़ती है तथा एक
गरीब व्यक्ति शिक्षित नहीं होने के कारण स्वयं को कागजी कारवाई से दूर रखना
चाहता है।

(v) बैंक भी ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण को ज्यादा जोखिम वाला मानते हैं क्योंकि
ऋण को वसूलना कई बार कठिन हो जाता है।

प्रश्न 19. साख के प्रमुख स्त्रोतों का उललेख करें । ऋण के औपचारिक
तथा अनौपचारिक स्त्रोतों में क्या अन्तर हैं ?
अथवा, ऋण के औपचारिक तथा अनौपचारिक क्षेत्रक ऋण से आप
क्या समझते हैं?
उत्तर―साख के प्रमुख स्रोत हैं-औपचारिक एवं अनौपचारिक स्रोत ।
(i) बैंकों तथा सरकारी समितियों द्वारा दिये गये ऋण को औपचारिक ऋण
तथा साहूकार, व्यापारी, मालिक, रिश्तेदार, मित्र आदि द्वारा दिये गये ऋण को
अनौपारिक ऋण के नमा से जाना जाता है।

(ii) औपचारिक ऋणदाता कर्जदार से समर्थक ऋणाधार की माँग करते हैं
जबकि अनौपचारकि ऋण में किसी प्रकार के समर्थक ऋणाधार की आवश्यकता
नहीं पड़ती।

(iii) औपचारिक ऋणदाता एक निश्चित तथा निम्न ब्याज दर पर ऋण देते
हैं जबकि अनौपचारिक ऋणदाता मनमानी तथा उच्च ब्याज दर पर ऋण देते हैं।

(iv) औपचारिक ऋण देने वाली संस्थाओं का नियंत्रण एवं अधीक्षण रिजर्व
बैंक ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है जबकि अनौपाचारिक क्षेत्र में ऋणदाताओं
की गतिविधियों की देखरेख करने वाली कोई संस्था नहीं है।

(v) औपचारिक ऋण आकार में बड़ा होता है जबकि अनौपचारिक ऋण
छोटा।

प्रश्न 20. औपचारिक ऋण क्या है ?
उत्तर―औपचारिक प्रक्रियाओं को पूरा कर बैंकों या सहकारी संगठनों से
लिये गये ऋण को औपचारिक ऋण कहते हैं।

प्रश्न 21. हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की को
जरूरत है?
उत्तर―निमनलिखित कारणों से, हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्त्री
को बढ़ाने की जरूरत है―
(i) औपचारिक स्त्रोतों से मिलने वाला ऋण अनौचारिक स्रोतों से मिलने
वाले ऋण की अपेक्षा सस्ता होता है, क्योंकि इस पर कम दर से ब्याज लगायी
जाती है।

(ii) आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को औपचारिक स्रोतों से ऋण मिलने से
उनकी आय बढ़ेगी तथा बहुत से लोग अपनी विभिन्न जरूरतों के लिए सस्ता कर्ज
ले सकेंगे।

(iii) देश के विकास के दृष्टिकोण से सस्ता ओर सामर्थ्य के अनुकूल कर्ज
आवश्यक है।

(iv) औपचारिक स्त्रोतो से दिये गये ऋणों का पर्याप्त लेखा-जोखा रखा
जाता है, जिससे कर्ज लेने वाला बेवजह परेशानी में नही पड़ता।

(v) औपचारिक स्त्रोतों पर ब्याज दर पुरे देश के लिए एक समान होती है।
इससे यह ऋण सभी लोगों को प्राप्त होता है।

प्रश्न 22. ऋण की शर्तों में किन बातों को शामिल किया जाता है।
अथवा, ऋण की शर्तों से कया तात्पर्य हैं ?
उत्तर―ऋण की शर्तों में निम्नलिखित बातों को शामिल किया जाता है―
(i) ब्याज दर।
(ii) समर्थक ऋणधार ।
(iii) आवश्यक कागजात ।
(iv) भुगतान के तरीके ।
(v) ऋण की अवधि ।

प्रश्न 23. अनौपचारिक ऋण,औपचारिक ऋण की तुलना महँगा
क्यों होता है?
उत्तर―अनौपचारिक ऋण पर औपचारिक ऋण की तुलना में अधिक ब्याज
लिया जाता है, इसलिए अनौपचारिक ऋण, औपचारिक ऋण की तुलना में महँगा
होता है।

प्रश्न 24. औपचारिक क्षेत्रक ऋण का नियंत्रण कौन करता है?
उत्तर―औपचारिक क्षेत्रक ऋण का नियंत्रण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किया
जाता है।

प्रश्न 25. भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधियों पर किस
तरह नजर रखता है ? यह जरूरी क्यों है ?
उत्तर―भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधियों पर निम्नलिखित
प्रकार से नजर रखता है―
(i) देश की मौद्रिक नीति का निर्माण रिजर्व बैंक के द्वारा होता है।

(ii) प्रत्येक व्यावसायिक बैंक को एक निश्चित अनुपात में नगदी रिजर्व
भारतीय रिजर्व बैंक में रखनी पड़ती है।

(iii) व्याज-दर, बैंक दर, नकद रिजर्व अनुपात (C.R.R.), रेपो रेट इत्यादि
का निर्धारण रिजर्व बैंक के द्वारा किया जाता है।

(iv) रिजर्व बैंक इस बात पर नहर रखता है कि बड़े उद्योगपतियों के
अतिरिक्त छोटे किसानों एवं उद्यमियों को भी कर्ज मिले । यह इसलिए जरूरी है
क्योंकि अर्थव्यवस्था की मौद्रिक गतिविधियों पर नियंत्रण के बिना आर्थिक
विकास संभव नहीं है।

प्रश्न 26.10 रुपए के नोट को देखिए इसके ऊपर क्या लिखा है ?
क्या आप इस कथन की व्याख्या कर सकते हैं?      [NCERT]
उत्तर― रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
केंद्रीय सरकार द्वारा प्रत्याभूत
मैं धारक को दस रुपए अदा करने का
            वचन देता हूँ।
               हस्ताक्षर
        रिजर्व बैंक का गवर्नर

कथन की व्याख्या : इसका अर्थ है कि केन्द्र सरकार ने भारतीय रिजर्व
बैंक को 10 रुपए का नोट जारी करने का अधिकार दिया है तथा बैंक का गवर्नर
इस नोट के धारक को 10 रुपए देने का वचन देता है। केंद्र सरकार द्वारा दिए
गए इस अधिकार के बिना 10 रुपए का नोट महज एक कागज का टुकड़ा है और
कुछ भी नहीं । यह केंद्र सरकार का विशेष अधिकार है जिसने इसे कानूनी करेंसी
बना दिया।

प्रश्न 27. भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधियों पर किस
तरह नजर रखता है ? यह जरूरी क्यों है ?     [JAC 2012 (A)]
उत्तर―भारतीय रिजर्व बैंक निम्नलिखित प्रकार से अन्य बैंकों की गतिविधि
यों पर नजर रखता है―
(i) बैंको को अपनी जमा राशि का 15 प्रतिशत भाग नकद के रूप में रखना
पड़ता है। भारतीय रिजर्व बैंक देखता है कि क्या बैंक इतनी राशि नकद के रूप
में रख रहे हैं या नहीं।

(ii) भारतीय रिजर्व बैंक बैंकों द्वारा दिए गए ऋणों पर भी निगरानी रखता
है ताकि वह अमीर और गरीब में किसी प्रकार का भेदभाव न करें और सबको
समान रूप से ऋण दें। बैंकों के लिए आवश्यक है कि वह समय-समय की
जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक को दे ।
      इस प्रकार भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों पर निगरानी रखता है ताकि सभी
बैंक बिना किसी भेदभाव के सबको समान शतों पर ऋण सुविधा प्रदान करे।

प्रश्न 28. मानव को एक छोटा व्यवसाय करने के लिए ऋण की
जरूरत है। मानव किस आधार पर यह निश्चित करेगा कि उसे यह ऋण
बैंक से लेना चाहिए या साहूकार से चर्चा कीजिए।             [NCERT]
उत्तर―मानव निम्नलिखित आधार पर निश्चित करेगा कि उसे ऋण बैंक से
लेना चाहिए या साहूकार से―
(i) ब्याज की दर–किसकी ब्याज दर कम है, साहूकार की या बैंक की ।
मानव को कम ब्याज दर पर ऋण लेना चाहिए ताकि उसकी आय में ज्यादा कमी
न आए और वह आसानी से ऋण उतार सके।
(ii) कम ऋणाधार–जो स्रोत कम ऋणाधार की माँग करे उससे ऋण लेना
चाहिए।
(iii) भुगतान की शर्ते–मानव भुगतान की शर्तों की भी जाँच करेगा और
जिस स्रोत की शर्ते आसान होंगी उसी से ऋण लेगा । उदाहरणतया आजकल
आवास ऋण का भुगतान 20 से 25 वर्ष में भी किया जा सकता है इससे ऋण
की किश्त कम हो जाती हे और ऋणदाता आसानी से भुगतान करता रहता है।

प्रश्न 29. गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूहों के संगठनों के पीछे मूल
विचार क्या हैं? अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।              [NCERT]
उत्तर―गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूहों के संगठनों की स्थापना के पीछे
मूल विचार, इन वर्गों की विशेष रूप से महिलाओं की सहायता करना है ताकि
वे न केवल अपनी बचत पूँजी को सुरक्षित रख सके बल्कि आवश्यकता पड़ने पर
उचित शर्तों पर आसानी से ऋण भी ले सकें। इसके अंतर्गत सदस्य अपनी
आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए छोटे कर्ज समूह से ही कर्ज ले सकते हैं।
इस प्रकार स्वयं सहायता समूह कर्जदारों को ऋणाधार की कमी को समस्या से
निकालने के लिए स्थापित किए जाते हैं ताकि उनको उचित ब्याज दर पर ऋण
मिल सके। यह समूह ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों को संगठित करते हैं और महिलाओं
को आर्थिक रूप से स्वावलंबी करने के साथ उनको सामाजिक विषयों जैसे-स्वास्थ्य,
पोषण घरेलू हिंसा पर चर्चा करने के लिए एक आम मंच प्रदान करता है।

प्रश्न 30. बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर―बांग्लादेश का ग्रामीण बैंक–इस ग्रामीण बैंक की स्थापना नोबेल
पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस ने की थी। बांग्लादेश ग्रामीण बैंक का उचित
ब्याज दरों पर गरीबों की ऋण जरूरतों को पूरा करने का बड़ा सफल इतिहास रहा
है। इसकी शुरुआत 1970 में एक छोटे पैमाने से हुई। ग्रामीण बैंक के अब 60
लाख कर्जदार हैं जो बांग्लादेश के 40,000 गाँवों में फैले हुए हैं। इससे ऋण लेने
वाली ज्यादातर महिलाएँ हैं जिनका संबंध समाज के गरीब तबके से है। इन
कर्जदारों ने दिखा दिया है कि न केवल गरीब महिलाएँ भरोसेमंद कर्जदार हैं,
बल्कि वे विभिन्न तरह की छोटी आय वाली गतिविधियों को सफलतापूर्वक शुरू
करने और चला सकने में सक्षम हैं।

प्रश्न 31. मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को किस
तरह सुलझाती है ? अपनी ओर से उदाहरण देकर समझाइए।
                                                 [JAC 2014 (A); 2017 (A)]
उत्तर―मुद्रा वस्तु विनिमय प्रणाली में मध्यवर्ती भूमिका प्रदान करके
आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या सुलझाती है। जैसे एक व्यक्ति के
पास कोई भी वस्तु नहीं है परंतु वह बाजार से कपड़ा खरीदना चाहता है तो मुद्रा
का प्रयोग कर वह कपड़ा खरीद सकता है। इस प्रकार दोहरे संयोग की समस्या
का समाधान हो जाता है।

प्रश्न 32. अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच
बैंक किस तरह मध्यस्थता करते हैं ?                         [NCERT]
उत्तर―अतिरिक्त मुद्रा वाले लोग अपना अतिरिक्त धन बैंकों में जमा करवा
देते हैं जहाँ से उन्हें ब्याज मिलता है और धन भी सुरक्षित रहता है। बैंक जमा
राशि का 15 प्रतिशत अपने पास नकद रखते हैं और शेष राशि को ऋण देने के
लिए प्रयोग करते हैं। जरूतरमंद व्यक्ति बैंकों से उधार लेते हैं । बैंक जमाकर्ता को
जो ब्याज देता है उधार देने वालों से उससे अधिक ब्याज लेता है । ब्याज में अंतर
बैंक की आय का प्रमुख स्रोत होता है। इस प्रकार बैंक अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों
और जरूरतमंद लोगों के बीच मध्यस्थता करता है।

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