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  Jharkhand Board Class 10  Civics  Notes | राजनीतिक दल   

JAC Board Solution For Class 10TH ( Social science ) Civics Chapter 6

                                    (Political Parties) 

                                  लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. राजनीतिक दल का क्या अर्थ है ? दो उदाहरण दें । [NCERT]
उत्तर―'राजनीतिक दल लोगों का एक समूह होता है, जो चुनाव लड़ने और
सरकार में राजनीतिक सत्ता हासिल करने के उद्देश्य से काम करता है ।' यह समूचे
राष्ट्र के हितों को ध्यान में रखकर कुछ नीतियाँ और कार्यक्रम तय करता है । सब
के लिए क्या अच्छा है, इसके बारे में सभी के विचार अलग-अलग हो सकते हैं।
इसलिए राजनीतिक दल लोगों को यह समझाने का प्रयास करते हैं कि उनकी
नीतियाँ औरों से बेहतर हैं।
      वे लोगों का समर्थन पाकर चुनाव जीतने के बाद उन नीतियों को लागू करने
का प्रयास करते हैं।
          उदाहरण–भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस तथा भारतीय जनता पार्टी।

प्रश्न 2. जनमत बनाने में राजनीतिक दल किस प्रकार मदद करते हैं ?
उत्तर―राजनीतिक दल ही जनमत बनाते हैं। वे ही विभिन्न मसलों को
उठाते हैं और महत्ता प्रदान करते हैं। देशभर में दलों के लाखों सदस्य तथा
कार्यकर्ता हैं। समाज के विभिन्न भागों में कई दबाव समूह राजनीतिक पार्टियों की
शाखा के रूप में काम करते हैं। कभी-कभी पार्टियाँ लोगों की समस्याओं के
समाधान के लिए आंदोलन भी करवाती हैं। अधिकतर पार्टी के आधार पर ही
समाज में विचार बनते हैं।

प्रश्न 3. लोकतंत्र में विरोधी पक्ष की भूमिका का उल्लेख करें।
उत्तर―चुनाव हारने वाले दल, जो सरकार बनाने में असफल रहते हैं, विरोधी
पक्ष की भूमिका निभाते हैं तथा वे सरकार के कामकाज, नीतियों तथा असफलताओं
की आलोचना करने का महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं। वे तानाशाही सत्ता को अपनाने
से सरकार को रोकते हैं। विरोधी दल सदन में कुछ विधियों का प्रयोग करते हैं।
जैसे–अविश्वास प्रस्ताव और ध्यानाकर्षण । विधायिका से बाहर भी वे सरकार की
संगठित आलोचना जारी रखते हैं। विरोधी पक्षों का काम विरोध करना, पोल
खोलना तथा सत्ता से उतारना माना जाता है। इस प्रकार उनका उद्देश्य देश में एक
बेहतर शासन सुनिश्चित करना होता है ।

प्रश्न 4. प्रांतीय दल या क्षेत्रीय दल क्या हैं?
उत्तर―(i) इनका अस्तित्व तथा कामकाज क्षेत्रीय स्तर पर होता है।

(ii) इसे पिछले आम चुनावों में कम-से-कम तीन राज्यों में 6% या इससे
अधिक वोट हासिल होने चाहिए।

(ii) एक प्रांतीय पार्टी का क्षेत्रीय दृष्टिकोण होता है। यह क्षेत्रीय मामलों,
क्षेत्रों के लोगों की विशेष समस्याओं को महत्त्व देती है तथा इसका प्रभाव केवल
क्षेत्र के लोगों पर ही होता है।

(iv) एक क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी क्षेत्रीय सांस्कृतिक पहचान पर महत्त्व देती
है, जिसका यह संरक्षण करना तथा जिसे यह बढ़ावा देना चाहती है। यह अधिक
से अधिक स्वशासन चाहती है।

(v) क्षेत्रीय पहचान के नाम पर ये विभिन्नताओं पर जोर देती हैं।

(vi) क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी को दिए गए चुनाव चिन्ह केवल एक विशेष
राज्य अथवा केन्द्रशासित प्रदेश के लिए ही दिए जाते हैं।

प्रश्न 5. विभिन्न तरह की सांप्रदायिक राजनीति का ब्यौरा दें और
सबके साथ एक-एक उदाहरण दें।
उत्तर―(i) सांप्रदायिक राजनीति की सर्वाधिक साममान्य अभिव्यक्ति दैनिक
जीवन में विभिन्न विश्वासों जैसे धार्मिक पूर्वाग्रह, धर्म से संबंधित चुटकुले या एक
धर्म की दूसरे से श्रेष्ठता की भावना आदि में देखी जा सकती है।

(ii) सांप्रदायिक राजनीति का दूसरा रूप है। अपने ही धार्मिक समुदायों के
राजनीति बर्चस्व स्थापित करने की कोशिश करना।

(iii) संप्रदाय के आधार पर राजनीतिक लामबंदी सांप्रदायिक राजनीति का
एक अन्य प्रचलित रूप है।

(iv) कभी-कभी सांप्रदायिक राजनीति अपने वीभत्स रूप को सांप्रदायिक
दंगे, हिंसा तथा नरसंहार के रूप में सामने लाता है।

प्रश्न 6. 1992 में संविधान में संशोधन करके लोकतांत्रिक शासन
व्यवस्था के स्थानीय निकाय को किस प्रकार ज्यादा शक्तिशाली और
प्रभावी बनाया गया।
उत्तर―1992 में संविधान में संशोधन करके लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के
स्थानीय निकाय को निम्न प्रकार से ज्यादा शक्तिशाली और प्रभावी बनाया गया है―
(i) अब स्थानीय स्वशासी निकायों, जैसे–नगर निगम, नगरपालिका और ग्राम
पंचायतों का निश्चित समय पर चुनाव कराना अनिवार्य कर दिया गया है।

(ii) इन निकायों में निर्वाचित सदस्यों तथा पदाधिकारियों के पदों के लिए
अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़ी जातियों के लिए सीटें
आरक्षित हैं।

(iii) इन निकायों में महिलाओं के लिए भी एक तिहाई पद आरक्षित रखना
आवश्यक है।
(iv) राज्य सरकारों के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि वे अपने
राजस्व का एक भाग इन स्थानीय निकायों के लिए सुरक्षित रखें और उन्हें विशेष
शक्ति भी प्रदान करें।

                            दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. राजनीतिक दलों की आवश्यकता क्या है ? [JAC 2015 (A)]
अथवा, लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की जरूरत क्या है ?
अथवा, आधुनिक लोकतंत्र राजनीतिक दलो के बिना नहीं चल सकता?
वर्णन करें।
उत्तर―राजनीति दलों की निम्नलिखित आवश्यकताएँ हैं―
(i) नीतियों को बनाना―बिना राजनीतिक दलों के लोकतंत्र के बारे में
कल्पना करना ही असंभव है क्योंकि अगर दल न हों तो सारे उम्मीदवार स्वतंत्र
या निर्दलीय होंगे। तब इनमें से कोई भी बड़े नीतिगत बदलाव के बारे में लोगों
से चुनावी वायदे करने की स्थिति में नहीं होगा।

(ii) सरकार की संदिग्ध उपयोगिता―सरकार बन जाएगी पर उसकी
उपयोगिता सिद्ध होगी। निर्वाचित प्रतिनिधि सिर्फ अपने निर्वाचन क्षेत्रों में किए गए
कामों के लिए जवाबदेह होंगे। लेकिन देश कैसे चले कोई उत्तरदायी नहीं होगा।

(iii) प्रतिनिधित्व आधारित लोकतंत्र―राजनीतिक दलों का उदय प्रतिनिधित्व
पर आधारित लोकतांत्रिक व्यवस्था के उभार के साथ जुड़ा है। बड़े समाजों के
लिए प्रतिनिधित्व आधारित लोकतंत्र की जरूरत होती है।

(iv) जनमत बनाने के लिए―जब समाज बड़े और जटिल हो जाते हैं, तब
उन्हें विभिन्न मुद्दों पर अलग-अलग विचार समेटने और सरकार की नजर में लाने
के लिए किसी माध्यम या एजेंसी की जरूरत होती है।

प्रश्न 2. राजनीतिक दलों के प्रमुख कार्य क्या हैं ?
अथवा, लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की विभिन्न भूमिकाओं की चर्चा करें।
उत्तर―राजनीतिक दलों की निम्नलिखित प्रमुख भूमिकाएँ (कार्य)
होती हैं―
(i) चुनाव―दल चुनाव लड़ते हैं। अधिकांश लोकतांत्रिक देशों में चुनाव
राजनीतिक दलों द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवारों के बीच लड़ा जाता है।
राजनीतिक दल उम्मीदवारों का चुनाव कई तरीकों से करते हैं। अमेरिका जैसे
कुछ देशों में उम्मीदवार का चुनाव दल के सदस्य और समर्थक करते हैं। अब
इस तरह से उम्मीदवार चुनने वाले देशों की संख्या बढ़ती जा रही है। अन्य देशों,
जैसे भारत में, दलों के नेता ही उम्मीदवार चुनते हैं।

(ii) नीतियों की घोषणा―घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश के सामने
कुछ सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक मसले होते हैं। राजनीतिक पार्टियाँ
अलग-अलग नीतियों पर विचारों को मतदाताओं के सामने रखती हैं तथा मसलों
के समाधान के उपाय भी सुझाती हैं। अधिकतर पार्टियों के पास उन्हें निर्देश देने
के लिए शोध विभाग होते हैं।

(iii) जनमत निर्माण―राजनीतिक पार्टियाँ लोगों के हितों के मामलों को
देश के सामने रखती हैं। वे प्रेस, रेडियो, टेलीविजन तथा नुक्कड़ सभाएँ जैसे
जनसंचार के सभी माध्यमों का प्रयोग करती हैं। इस प्रकार राजनीतिक पार्टियाँ
अपने समर्थन के लिए लोगों को शिक्षित तथा प्रभावित करती हैं। राजनीतिक
पार्टियाँ जनमत निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

(iv) सरकार बनाना और चलाना―सरकार बनाना राजनीतिक पार्टी का
प्रमुख कार्य तथा उद्देश्य है । संसदीय व्यवस्था में, सत्ता में दल का नेता प्रधानमंत्री
बनता है तथा वह अपनी केबिनेट में अन्य मंत्रियों को नियुक्त करता है।

प्रश्न 3. आधुनिक युग में राजनीतिक दलों को किन प्रमुख चुनौतियों
का सामना करना पड़ता है ? व्याख्या करें।
अथवा, राजनीतिक दलों के सामने क्या चुनौतियाँ हैं ?
                                                               [JAC 2011 (A); 2012 (A)]
उत्तर―(i) आंतरिक लोकतंत्र की कमी―आंतरिक लोकतंत्र की कमी एक
महत्त्वपूर्ण चुनौती है, जिसका सामना अधिकतर राजनीतिक दलों को करना पड़ता
है। सारी दुनिया में यह प्रवृत्ति बन गई है कि सारी ताकत एक या कुछेक नेताओं
के हाथ में सिमट जाती है। पार्टियों के पास न सदस्यों की खुली सूची होती है,
न नियमित रूप से सांगठनिक बैठकें होती हैं। इनके आंतरिक चुनाव नहीं होते।
कार्यकर्ताओं से वे सूचनाओं का साझा भी नहीं करते ।

(ii) वंशवाद―भारत की अधिकतर राजनीतिक पार्टियों के सामने यह दूसरी
महत्त्वपूर्ण चुनौती है। जो लोग नेता होते हैं वे अनुचित लाभ देते हुए अपने
नजदीकी लोगों और यहाँ तक कि अपने ही परिवार के लोगों को आगे बढ़ाते हैं।
अनेक दलों में शीर्ष पद पर हमेशा एक ही परिवार के लोग आते हैं।

(iii) पैसा और अपराधी तत्त्वों की बढ़ती घुसपैठ―चूँकि पार्टियों को
सारी चिंता चुनाव जीतने की होती है अतः इसके लिए कोई भी जायज़-नाजायज
तरीका अपनाने से वे परहेज नहीं करतीं। वे ऐसे ही उम्मीदवार उतारती हैं, जिनके
पास काफी पैसा हो या जो पैसे जुटा सकें। किसी पार्टी को ज्यादा धन देने वाली
कंपनियों और अमीर लोग उस पार्टी की नीतियों और फैसलों को भी प्रभावित
करते हैं।

(iv) मतदाताओं के लिए सार्थक विकल्प की कमी―आधुनिक युग में
पार्टियों के पास मतदाताओं को देने के लिए सार्थक विकल्प देने के लिए पार्टियों
की नीतियों में अन्तर होना चाहिए । हाल के वर्षों में विश्व के अधिकांश भागों
में दलों के बीच वैचारिक अंतर कम हो गया है। उदाहरण के लिए ब्रिटेन की
लेबर पार्टी और कंजरवेटिव पार्टी के बीच अब अंतर बहुत कम रह गया है।

प्रश्न 4. राजनीतिक दल अपना कामकाज बेहतर ढंग से करें, उसके
लिए इन्हें मजबूत बनाने के कुछ सुझाव दें ?  [JAC 2014(A); 2016 (A)]
उत्तर―(i) दल-बदल से रोकना―विधायकों और सांसदों को दल-बदल
करने से रोकने के लिए संविधान में संशोधन किया गया । निर्वाचित प्रतिनिधियों के
मंत्रीपद या पैसे के लोभ में दल-बदल करने में आई तेजी को देखते हुए ऐसा किया
गया। नए कानून के अनुसार अपना दल बदलने वाले सांसद या विधायक को अपनी
सीट भी गंवानी पड़ेगी। इस नए कानून से दल-बदल में कमी आई है पर इससे पार्टी
में विरोध का कोई स्वर उठाना और भी मुश्किल हो गया है। पार्टी का नेता जो कोई
फैसला करता है, सांसद और विधायक को उसे मानना ही होता है।

(ii) शपथ-पत्र―उच्चतम न्यायालय ने पैसे और अपराधियों का प्रभाव कम
करने के लिए एक आदेश जारी किया है । इस आदेश के द्वारा चुनाव लड़ने वाले
हर उम्मीदवार को अपनी संपत्ति का और अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक
मामलों का ब्यौरा एक शपथ-पत्र के माध्यम से देना अनिवार्य कर दिया गया है।
इस नयी व्यवस्था से लोगों को अपने उम्मीदवारों के बारे में बहुत सी पक्की
सूचनाएँ उपलब्ध होने लगी हैं, पर उम्मीदवार द्वारा दी गई सूचनाएँ सही हैं या
नहीं, यह जाँच करने की कोई व्यवस्था नहीं है।

(iii) चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए कदम―चुनाव आयोग ने एक आदेश
के जरिए सभी दलों के लिए सांगठनिक चुनाव कराना और आयकर का रिटर्न
भरना जरूरी बना दिया है।

प्रश्न 5. भारत की चुनाव व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए कुछ
उपायों का उल्लेख करें।
उत्तर―(i) चुनाव का खर्च सरकार द्वारा उठाए जाने का प्रावधान―बहुत
से लोगों का विचार है कि धन सत्ता के दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से चुनावों
का खर्च सरकार को वहन करना चाहिए। पूर्व गृहमंत्री तथा भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के नेता श्री इंद्रजीत गुप्ता की अध्यक्षता में स्थापित संसदीय कमेटी ने भी
यही परामर्श दिया है।

(ii) राजनीतिक दलों के आंतरिक कामकाज को व्यवस्थित
करना―राजनीतिक दलों के आंतरिक कामकाज को व्यवस्थित करने के लिए
कानून बनाया जाना चाहिए। सभी दल अपने सदस्यों की सूची रखें, अपने संविधान
का पालन करें, पार्टी में विवाद की स्थिति में एक स्वतंत्र अधिकारी को पंच
बनाएँ, सबसे बड़े पदों के लिए खुला चुनाव कराएँ ।

(iii) प्रत्याशियों की संख्या में कमी करने का प्रावधान―यह आम देखा
गया है कि बड़ी संख्या में प्रत्याशी चुनाव लड़ते हैं तथा कभी-कभी इनकी संख्या
सैकड़ों को भी पार कर जाती है, जो कि चुनाव अधिकारी के लिए एक समस्या
बन जाती है। इसलिए गैर-संजीदा प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए
हतोत्साहित करना चाहिए।

(iv). मत सूची पर पुनर्विचार―मत सूची पर नियमित अंतराल के बाद
पुनर्विचार होना चाहिए तथा मृत अथवा फर्जी मतदाताओं के नाम सूची से निकाल
देने चाहिए तथा योग्य मतदाताओं के नाम सूची में शामिल होने चाहिए ।

(v) लोगों की भूमिका―आम नागरिक, दबाव समूह, आंदोलन और
मीडिया इसमें बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अगर दलों को लगे कि
सुधार न करने से उनका जनाधर गिरने लगेगा या उनकी छवि खराब होगी तो इसे
लेकर वे गंभीर होने लगेंगे। लोकतंत्र की गुणवत्ता लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी
से तय होती है। अगर नागरिक खुद राजनीति में हिस्सा न ले और बाहर से ही
बातें करते रहे तो सुधार मुश्किल है। खराब राजनीति का समाधान है ज्यादा से
ज्यादा राजनीति और बेहतर राजनीति ।

प्रश्न 6. राजनीतिक दल तथा दबाव दल में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर―
राजनीतिक दल                                            दबाव दल
(1) यह उन लोगों का समूह होता है           (1) यह उन लोगों का समूह होता है,
जो चुनाव लड़ने के लिए एकत्र                        जो किसी विशेष वर्ग या समाज
होते हैं।                                                      के हितों को बढ़ावा देने का प्रयत्न
                                                                करता है।
(2) राजनीतिक दल साधरणतया दो         (2) दबाव दल भी दो प्रकार के होते हैं
प्रकार के होते हैं अर्थात् राष्ट्रीय                       अर्थात् वर्ग विशेष तथा
दल तथा क्षेत्रीय दल।                                    जन-सामान्यक हित दल ।
(3) राजनीतिक दल चुनाव लड़ते हैं।       (3) ये चुनाव नहीं लड़ते ।
(4) उदाहरण-भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस      (4) उदाहरण-व्यापार संघ तथा ऑल
तथा अकाली दल ।                                    इंडिया सिक्ख स्टूडेंट फेडरेशन ।

प्रश्न 7. क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय दलों में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर―
क्षेत्रीय दल                                                      राष्ट्रीय दल
(1) जब कोई पार्टी राज्य विधान सभा         (1) अगर कोई दल लोकसभा चुनाव
के चुनाव में पड़े कुल मतों का 6                        में पड़े कुल वोट का अथवा चार
प्रतिशत या उससे अधिक हासिल                      राज्यों के विधन सभाई चुनाव में
करती है तो उसे राज्य दल की                           पड़े कुल वोटों का 6 प्रतिशत हासिल
मान्यता मिल जाती है।                                     करता है और लोक सभा के चुनाव
में कम-से-कम चार सीटों पर                             जीत दर्ज करता है, तो उसे राष्ट्रीय
                                                                    दल की मान्यता मिलती है।
(2) ये पार्टियाँ क्षेत्रीय स्तर पर काम              (2) ये पार्टियाँ पूरे भारत में काम
करती हैं तथा इनका अस्तित्व भी                       करती हैं तथा इनका अस्तित्व भी
क्षेत्रीय स्तर तक होता है।                                   पूरे राष्ट्र में फैला होता है।
(3) ये क्षेत्रीय मुद्दे उठाती हैं।                       (3) ये राष्ट्रीय मुद्दे उठाती हैं।
(4) उदाहरण-अकाली दल, झारखंड            (4) उदाहरण-इंडिया नेशनल कांग्रेस,
मुक्ति मोर्चा आदि।                                           भारतीय जनता पार्टी आदि ।

प्रश्न 8. किसी भी राजनीतिक दल के क्या गुण होते हैं ?       [JAC 2009 'A']
उत्तर―किसी भी राजनीतिक दल के निम्नलिखित प्रमुख गुण होते हैं―
(i) राजनीतिक दल लोगों का ऐसा संगठित समूह होता है जो चुनाव लड़ने
और सरकार में राजनीतिक सत्ता हासिल करने के उद्देश्य से काम करता है।

(ii) वे समाज के सामूहिक हित को ध्यान में रखकर कुछ नीतियाँ और
कार्यक्रम तय करते हैं। सामूहिक हित को लेकर सबकी राय अलग-अलग होती
है। इसी आधार पर ये लोगों को समझाने का प्रयास करते हैं कि उनकी नीतियाँ
दूसरों से बेहतर हैं।

(iii) वे लोगों का समर्थन पाकर चुनाव जीतने के बाद उन नीतियों को लागू
करने का प्रयास करते हैं।

(iv) राजनीतिक दल किसी समाज के बुनियादी राजनीतिक विभाजन को भी
दर्शाते हैं।

(v) पार्टी समाज का एक हिस्सा होती है, इसलिए इसका नजरिया समाज
के उस वर्ग/समुदाय विशेष की तरफ झुका होता है ।

(vi) राजनीतिक दल के तीन प्रमुख हिस्से होते हैं―
(a) नेता (b) सक्रिय सदस्य (c) अनुयायी समर्थक ।

                                                  ◆◆◆
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