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   Jharkhand Board Class 10  Biology  Notes | हमारा पर्यावरण

 JAC Board Solution For Class 10TH (Science) Biology Chapter 6


1. पीड़कनाशी रसायनों का अत्यधिक प्रयोग किस प्रकार 'जैव आवर्धन'
की समस्या उत्पन्न कर रहे हैं?                              [JAC 2009 (A)]
उत्तर : अपशिष्ट पदार्थों के जमाव से बीमारियों के सूक्ष्मजीव बढ़ते और
फैलते है। इससे तरह-तरह की बीमारियाँ फैलती हैं। ये जल तथा मृदा को भी
दूषित करते है तथा जैव-भू-रसायन चक्रों को बाधित करते हैं। इनका उचित
निष्पादन आवश्यक है। जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थ (जैसे कीटनाशक रसायन)
आहार श्रृंखला के माध्यम से पौधों द्वारा अवशोषित हो जाने के बाद
उपभोक्ताओं के शरीरों के वसीय ऊतकों में संचित होते रहते हैं। चूँकि मनुष्य
सर्वोच्च उपभोक्ता है, अतः ये रसायन मनुष्य के शरीर में अन्तिम रूप से
पहुँचते है और संचित हो जाते हैं। वहाँ मनुष्य के वसीय ऊतकों में इन पदार्थों का
सान्द्रण बढ़ता रहता है। इसे जैव आवर्धन कहते हैं। जैव आवर्धन एक अत्यन्त
खतरनाक स्थिति है।

2. परितंत्र क्या है? इसके विभिन्न घटकों के नाम तथा उदाहरण लिखें।
                                                                   [JAC 2010 (A)]
उत्तर : जीवमंडल की वह इकाई जिसके अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के
उत्पादक, उपभोक्ता और अपघटक पारस्परिक रूप से एवं अजैवी घटकों से
अन्तःक्रिया करते हुए गत्यात्मक एवं समन्वयात्मक जीवन व्यतीत करते हैं,
पारितंत्र कहलाती है।
परितंत्र के विभिन्न घटक―जैविक एवं अजैविक घटक।

3. ओजोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती
है?                                                    [JAC 2009 (S), 2014(A)]
उत्तर : ओजोन ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बना एक अणु है जिसका
रासायनिक सूत्र 0, है। यह 15 km से 50 km की ऊँचाई पर वायुमंडल की
ऊपरी सतह पर एक पतले परत के रूप में सुरक्षात्मक छतरी का निर्माण करता
है। यह सूर्य प्रकाश में मौजूद घातक पराबैगनी विकिरण को अवशोषित कर
पृथ्वी पर पहुँचने नहीं देता है। पराबैगनी विकिरण त्वचा-कैसर जैसे अनेक
घातक रोगों को उत्पन्न करती है। इस प्रकार यह ओजोन-स्तर हमारी रक्षा करता है।

4. ओजोन परत का अपक्षय चिंता का विषय क्यों है? इसकी क्षति को
सीमित करने के लिए क्या उपाय किये जा रहे हैं? [JAC 2011 (A)]
उत्तर : विभिन्न रासायनिक कारणों से ओजोन परत को क्षति बहुत तेजी से
हो रही है। क्लोरोफ्लोरोकार्बनों की वृद्धि के कारण ओजोन परत में छिद्र उत्पन्न
हो गए हैं जिनसे सूर्य के प्रकाश में विद्यमान पराबैंगनी विकिरणें सीधे पृथ्वी पर
आने लगी हैं जो कैंसर और त्वचा रोगों के कारण बन रहे हैं। ओजोन परत
पराबैंगनी (UV) विकिरणों का अवशोषण कर लेती है।
इस क्षति को सीमित करने के लिए 1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण
कार्यक्रम (UHEP) में सर्वसम्मति यही बनी है कि क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCₛ)
के उत्पादन को 1986 के स्तर पर सीमित रखा जाए। मांट्रियल प्रोटोकोल में
1987 में सन् 1998 तक क्लोरोफ्लोरोकार्बन के प्रयोग में 50% की कमी करने
की बात कही गई। सन् 1992 में मांट्रियल प्रोटोकॉल की मीटिंग में 1996 तथा
CFCₛपर धीरे-धीरे रोक लगाने को स्वीकार किया गया। अब क्लोरोफ्लोरोकार्बन
की जगह हाइड्रोफ्लोरोकार्बनों का प्रयोग आरंभ किया गया है जिसमें ओजोन
परत को क्षति पहुँचाने वाले क्लोरीन या ब्रोमीन नहीं हैं। जनसामान्य में इसके
प्रति भी सजगता लगभग नहीं है।

5. आप कचरा निपटान की समस्या कम करने में क्या योगदान कर सकते
हैं? किन्हीं दो तरीकों का वर्णन कीजिए।                [JAC 2010 (S)]
उत्तर : कचरा व्यक्ति और समाज दोनों के लिए अति हानिकारक है
क्योंकि इससे केवल गंदगी ही नहीं फैलती बल्कि यह अनेक प्रकार की बीमारियों
का कारण भी बनता है। इसे निपटाने के लिए निम्नलिखित दो तरीकों को
अपनाया जा सकता है।
(i) पुन:चक्रण : कचरे मे से कागज, प्लास्टिक, धातुएँ, चिथड़े आदि
चुन कर अलग करके उनका पुन:चक्रण किया जाना चाहिए। पुराने कागज और
कपड़े के पुनःचक्रण से पेड़ों को कटने से बचाया जा सकता है। प्लास्टिक का
बार-बार उपयोग किया जा सकता है।

(ii) मिट्टी में दबाना : जैव निम्नीकरणीय पदार्थों को मिट्टी में दबा कर
कचरे का निपटान किया जा सकता है। उससे खाद प्राप्त कर खेतों में प्रयुक्त
किया जा सकता है।

6. ऐसे दो तरीके बताइए जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को
प्रभावित करते हैं।                        [JAC 2016(A), 2018(A)]
उत्तर : (i) अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ अपने अनिम्नीकरणीय स्वभाव के
कारण निष्पादन की समस्या उत्पन्न करते हैं तथा परिदृश्य को गंदा करते है। (ii)
इन पदार्थों से प्रायः अत्यन्त हानिकारक गैसीय प्रदूषक निकलते हैं जो स्वास्थ्य
के लिए अत्यन्त खतरनाक होते है।

7. किसी घास के मैदान की आहर श्रृंखला को प्रवाह-चार्ट द्वारा प्रदर्शित
कीजिए।                                                     [JAC 2015 (A)]
उत्तर:

घास (Grass)→कीड़े (Insects)→गेदक (frog)→सर्प (Snake)

8. परितंत्र में अपघटकों की क्या भूमिका है? [JAC 2016 (A)]
उत्तर : पारिस्थितिक संतुलन को कायम रखने में अपघटन की महत्वपूर्ण
भूमिक है। यह पौधे तथा जन्तुओं के मृत शरीर तथा अन्य वद्य पदार्थों का
जीवाणुओं और कवको के द्वारा अपघटन करता है। ये जीवाणु मृत जीवों के
शरीर में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों को अकार्बनिक तत्त्वों में मुक्त कर देते है।
जो विभिन्न गैसों के रूप में वायुमंडल में चले जाते हैं। अन्य ठोस एवं द्रव्य
पदार्थ मिट्टी में मिल जाते हैं। इस प्रकार वह पारिस्थितिक संतुलन कायम करने
का प्रयास करता है।

9. पारितंत्र में अपमार्जकों का क्या महत्त्व/भूमिका है? [JAC 2017(A)]
उत्तर : अपमार्जकों की उपस्थिति में जलीय सूक्ष्म जीवाणुओं का अपघटन
सरलता से नहीं हो पाता जिससे वे जल में लंबे समय तक विद्यमान रहते हैं
जिसके परिणामस्वरूप जलीय जीव प्रभावित होते हैं। फॉस्फेट युक्त अपमार्जक
में शैवाल अत्यधिक वृद्धि करते हैं जिससे पानी में मछलियों या अन्य जीवों के
लिए ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

10. पोषी स्तर क्या है? एक आहार मंखला का उदाहरण दीजिए तथा इसमें
विभिन्न पोषी स्तर बनाइए। [JAC 2012 (A). 2015 (A), 2017(A)]
उत्तर : आहार श्रृंखला में कई स्तर होते हैं तथा हर स्तर पर भोजन (ऊर्जा)
का स्थानांतरण होता है। आहार श्रृंखला के इन्हीं स्तरों को पोषी स्तर कहते है। एक
मैदानी पारिस्थितिक तंत्र में घास प्रथम पोषी स्तर, ग्रास हॉपर द्वितीय पोषी स्तर,
मेंढक तृतीय पोषी स्तर, सर्प चतुर्थ पोषी स्तर तथा बाज उच्चतम पोषी स्तर है।

11. नदी पर बाँध बनाने से क्या लाभ हैं? कोई दो लाभ लिखिए।
                                                                  [JAC 2017(A)]
उत्तर : बाँध के निर्माण से सिंचाई के लिए सहजता से जल उपलब्ध होता
है तथा पनबिजली का उत्पादन होता है। नहर के द्वारा बाँध के जल की सिंचाई के
लिए सुदूर देहातों में ले जाया जाता है। बाँध एवं नहर की सहायता से सिंचाई की
समुचित व्यवस्था के लिए इंदिरा गाँधी नहर को देखा जा सकता है जिसने
राजस्थान जैसे मरुस्थल वाले प्रदेश के कुछ हिस्से को हरा-भरा कर दिया है।

12. नदी पर वाँध बनाने से क्या लाभ हैं? कोई दो लाभ लिखिए।
                                                              [JAC 2019(A)]
उत्तर : बाँध के निर्माण से सिंचाई के लिए सहजता से जल उपलब्ध होता
है तथा पनबिजली का उत्पादन होता है। नहर के द्वारा बाँध के जल की सिंचाई के
लिए सुदूर देहातों में ले जाया जाता है। बाँध एवं नहर की सहायता से सिंचाई की
समुचित व्यवस्था के लिए इंदिरा गाँधी नहर को देखा जा सकता है जिसने
राजस्थान जैसे मरुस्थल वाले प्रदेश के कुछ हिस्से को हरा-भरा कर दिया है।

13. क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं और कुछ अजैव
निम्नीकरणीय?
उत्तर : पदार्थों के निम्नीकरण के लिए विशिष्ट इंजाइमों की आवश्यकता
ती है। एक एंजाइम बहुत-से पदार्थों का निम्नीकरण नहीं कर सकता है।
विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव जैसे जीवाणु और कवक तरह-तरह के एंजाइम
वित करते हैं। परन्तु अलग-अलग प्रकार के पदार्थों के निम्नीकरण के लिए
लग-अलग प्रकार के एंजाइम की आवश्यकता होती है। कुछ ऐसे भी पदार्थ हैं
से प्लास्टिक) जिनका निम्नीकरण सूक्ष्म जीव नहीं कर पाते हैं। यही कारण है
कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं जबकि कुछ पदार्थ ऐसे नहीं होते हैं।

4. ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को
प्रभावित करते हैं?
उत्तर : (i) जैव निम्नीकरणीय पदार्थ अपघटित होते समय दुर्गध एवं
निकारक गैसें मुक्त करते हैं जिससे सामुदायिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता
है। (ii) जैव निम्नीकरणीय पदार्थों के साथ बीमारियों के सूक्ष्मजीव पलते हैं जो
बमारियाँ फैलाते हैं तथा अन्य स्रोतों को भी संदूषित और संक्रमित करते हैं।

15. पारितंत्र में ऊर्जा का प्रवाह अचक्रीय होता है, कैसे?
उत्तर : सूर्य की विकिरण ऊर्जा प्रकाश संश्लेषण के समय रासायनिक
बन्धन ऊर्जा के रूप में भोजन की संचित हो जाती है। यह ऊर्जा आहार श्रृंखला
के माध्यम से सर्वोच्च उपभोक्ता तक पहुँचती है। सर्वोच्च उपभोक्त की मृत्यु
और अपघटन के समय यह ऊर्जा मुक्त होकर वातावरण में चली जाती है। इस
प्रकार पारितंत्र में ऊर्जा का प्रवाह अचक्रीय होता है।

16. ओजोन परत के अपक्षय के क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं?
उत्तर : विभिन्न रासायनिक कारणों से ओजोन परत को क्षति बहुत तेजी से
हो रही है। क्लोरोफ्लोरोकार्बनों की वृद्धि के कारण ओजोन परत में छिद्र उत्पन्न
हो गए हैं जिनसे सूर्य के प्रकाश में विद्यमान पराबैंगनी विकिरणे सीधे पृथ्वी पर
आने लगी हैं जो कैंसर और त्वचा रोगों के कारण बन रहे हैं।

17. वायुमंडल का निर्माण कैसे हुआ तथा इसमें परिवर्तन कैसे हुआ?
उत्तर : प्रारंभिक काल में पृथ्वी का आकार काफी बड़ा था और वह काफी
उण्डी थी। तब पृथ्वी का कोई वायुमंडल नहीं था। इसके बाद पृथ्वी ने सिकुड़ना
शुरू किया जिस कारण यह छोटी तथा गर्म होती गयी। इस दौरान गैस विमोचित
हुई तथा वायुमंडल बना। वायुमंडल में कई प्रकार की गैसें इकट्ठी हुईं। जब
परपोषी से स्वपोषी. का निर्माण हुआ तो ऑक्सीजन भी स्वतंत्र रूप से बना।
वायुमंडल के अन्य घटक ज्वालामुखी के फटने पर बनते गए।

18. पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादकों के क्या कार्य है?
उत्तर : पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादक (हरे पौधे) सूर्य प्रकाश को ग्रहण कर
भोजन का निर्माण करते हैं जिनपर अन्य जीव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर
हते हैं। जो वायुमंडल में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड गैस के बीच
संतुलन बनाए रखने में सहायक होते हैं। हरे पौधे वायुमंडलीय प्रदूषण को
नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

19. जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट तथा अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थों
में अन्तर बताएँ। प्रत्येक के दो उचित उदाहरण दें।
उत्तर : जैव निम्नीकरीणय अपशिष्ट तथा अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट
पदार्थों में निम्नलिखित अन्तर हैं―
अजैव निम्नीकरणीय                               जैव निम्नीकरणीय
(i) ये वे अपशिष्ट पदार्थ हैं जिन्हें           (i) ये वे अपशिष्ट पदार्थ हैं जिन्हें
हानि रहित पदार्थों में तोड़ा जा                   अहानिकारक पदार्थों में नहीं तोड़ा
सकता है। जैसे―गोबर।                            जा सकता है। जैसे―डी-डी-टी.,
                                                            प्लास्टिक आदि।
(ii) ये पदार्थ जीवाणुओं एवं फफूँदी        (ii) ये पदार्थ बैक्टीरिया एवं फफूँदी द्वारा
द्वारा अपघटित हो जाते है और                   अपघटित नहीं होते।
इस प्रकार पारिस्थितिक तन्त्र में
संतुलन बनाए रहता है।

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